*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 26 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - एकादशी रात्रि 03:47 नवम्बर 27 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - हस्त प्रातः 04:35 नवम्बर 27 तक तत्पश्चात चित्रा*
*⛅योग - प्रीति दोपहर 02:14 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*⛅राहु काल - दोपहर 03:10 से शाम 04:32 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:04*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:16 से 06:08 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:05 से दोपहर 12:49 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 नवम्बर 27 से रात्रि 12:54 नवम्बर 27 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - उतपत्ति एकादशी*
*⛅विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹एकदाशी में क्या करें, क्या ना करें ?*
*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*
*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें ।*
*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*
*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।।* *सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जाप करना चाहिए ।*
*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - का सेवन न करें ।*
*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*
*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*
*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*
*⛅दिनांक - 26 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - एकादशी रात्रि 03:47 नवम्बर 27 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - हस्त प्रातः 04:35 नवम्बर 27 तक तत्पश्चात चित्रा*
*⛅योग - प्रीति दोपहर 02:14 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*⛅राहु काल - दोपहर 03:10 से शाम 04:32 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:04*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:16 से 06:08 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:05 से दोपहर 12:49 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 नवम्बर 27 से रात्रि 12:54 नवम्बर 27 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - उतपत्ति एकादशी*
*⛅विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹एकदाशी में क्या करें, क्या ना करें ?*
*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*
*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें ।*
*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*
*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।।* *सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जाप करना चाहिए ।*
*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - का सेवन न करें ।*
*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*
*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*
*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 27 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वादशी प्रातः 06:23 नवम्बर 28 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र - चित्रा प्रातः 07:36 नवम्बर 28 तक तत्पश्चात स्वाति*
*⛅योग - आयुष्मान दोपहर 03:13 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:27 से दोपहर 01:49 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:05*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:16 से 06:09 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 नवम्बर 28 से रात्रि 12:54 नवम्बर 28 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - द्विपुष्कर योग (प्रातः 04:35 से 07:01 तक)*
*⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹बुद्धि का विकास और नाश कैसे होता है ?*🔹
*बुद्धि का नाश कैसे होता है और विकास कैसे होता है ? विद्यार्थियों को तो ख़ास समझना चाहिए न ! बुद्धि नष्ट कैसे होती है ? बुद्धि: शोकेन नश्यति । भूतकाल कि बातें याद करके ‘ऐसा नहीं हुआ, वैसा नही हुआ...’ ऐसा करके जो चिंता करते हैं न , उनकी बुद्धि का नाश होता है । और ‘मैं ऐसा करके ऐसा बनूंगा, ऐसा बनूंगा...’ यह चिंतन बुद्धि-नाश तो नहीं करता लेकिन बुद्धि को भ्रमित कर देता है । और ‘मैं कौन हूँ ? सुख-दुःख को देखनेवाला कौन ? बचपन बीत गया फिर भी जो नहीं बीता वह कौन ? जवानी बदल रही है, सुख-दुःख बदल रहा है , सब बदल रहा है, इसको जाननेवाला मैं कौन हूँ ? प्रभु ! मुझे बताओ ...’ इस प्रकार का चिंतन, थोड़ा अपने को खोजना, भगवान के नाम का जप और शास्त्र का पठन करना- इससे बुद्धि ऐसी बढ़ेगी, ऐसी बढ़ेगी कि दुनिया का प्रसिद्द बुद्धिमान भी उसके चरणों में सिर झुकायेगा ।*
*🔹बुद्धि बढ़ाने के ४ तरीके🔹*
*१] शास्त्र का पठन*
*२] भगवन्नाम-जप, भगवद-ध्यान*
*३] आश्रम आदि पवित्र स्थानों में जाना*
*४] ब्रह्मवेत्ता महापुरुष का सत्संग-सान्निध्य*
*🔹जप करने से, ध्यान करने से बुद्धि का विकास होता है । जरा – जरा बात में दु:खी काहे को होना ? जरा – जरा बात में प्रभावित काहे को होना ? ‘यह मिल गया, वह मिल गया...’ मिल गया तो क्या है !*
*🔹ज्यादा सुखी - दु:खी होना यह कम बुद्धिवाले का काम है । जैसे बच्चे की कम बुद्धि होती है तो जरा- से चॉकलेट में, जरा-सी चीज में खुश हो जाता है, और जरा-सी चीज हटी तो दु:खी हो जाता है । वही जब बड़ा होता है तो चार आने का चॉकलेट आया तो क्या, गया तो क्या ! ऐसे ही संसार की जरा-जरा सुविधा में जो अपने को भाग्यशाली मानता है उसकी बुद्धि का विकास नहीं होता और जो जरा-से नुकसान में आपने को अभागा मानता है उसकी बुद्धि मारी जाती है । अरे ! यह सब सपना है, आता-जाता है । जो रहता है, उस नित्य तत्त्व में जो टिके उसकी बुद्धि तो गजब की विकसित होती है ! सुख-दुःख में, लाभ-हानि में, मान-अपमान में सम रहना तो बुद्धि परमात्मा में स्थित रहेगी और स्थित बुद्धि ही महान हो जायेगी ।*
*ऋषि प्रसाद – जनवरी २०२२*
*⛅दिनांक - 27 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वादशी प्रातः 06:23 नवम्बर 28 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र - चित्रा प्रातः 07:36 नवम्बर 28 तक तत्पश्चात स्वाति*
*⛅योग - आयुष्मान दोपहर 03:13 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:27 से दोपहर 01:49 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:05*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:16 से 06:09 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 नवम्बर 28 से रात्रि 12:54 नवम्बर 28 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - द्विपुष्कर योग (प्रातः 04:35 से 07:01 तक)*
*⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹बुद्धि का विकास और नाश कैसे होता है ?*🔹
*बुद्धि का नाश कैसे होता है और विकास कैसे होता है ? विद्यार्थियों को तो ख़ास समझना चाहिए न ! बुद्धि नष्ट कैसे होती है ? बुद्धि: शोकेन नश्यति । भूतकाल कि बातें याद करके ‘ऐसा नहीं हुआ, वैसा नही हुआ...’ ऐसा करके जो चिंता करते हैं न , उनकी बुद्धि का नाश होता है । और ‘मैं ऐसा करके ऐसा बनूंगा, ऐसा बनूंगा...’ यह चिंतन बुद्धि-नाश तो नहीं करता लेकिन बुद्धि को भ्रमित कर देता है । और ‘मैं कौन हूँ ? सुख-दुःख को देखनेवाला कौन ? बचपन बीत गया फिर भी जो नहीं बीता वह कौन ? जवानी बदल रही है, सुख-दुःख बदल रहा है , सब बदल रहा है, इसको जाननेवाला मैं कौन हूँ ? प्रभु ! मुझे बताओ ...’ इस प्रकार का चिंतन, थोड़ा अपने को खोजना, भगवान के नाम का जप और शास्त्र का पठन करना- इससे बुद्धि ऐसी बढ़ेगी, ऐसी बढ़ेगी कि दुनिया का प्रसिद्द बुद्धिमान भी उसके चरणों में सिर झुकायेगा ।*
*🔹बुद्धि बढ़ाने के ४ तरीके🔹*
*१] शास्त्र का पठन*
*२] भगवन्नाम-जप, भगवद-ध्यान*
*३] आश्रम आदि पवित्र स्थानों में जाना*
*४] ब्रह्मवेत्ता महापुरुष का सत्संग-सान्निध्य*
*🔹जप करने से, ध्यान करने से बुद्धि का विकास होता है । जरा – जरा बात में दु:खी काहे को होना ? जरा – जरा बात में प्रभावित काहे को होना ? ‘यह मिल गया, वह मिल गया...’ मिल गया तो क्या है !*
*🔹ज्यादा सुखी - दु:खी होना यह कम बुद्धिवाले का काम है । जैसे बच्चे की कम बुद्धि होती है तो जरा- से चॉकलेट में, जरा-सी चीज में खुश हो जाता है, और जरा-सी चीज हटी तो दु:खी हो जाता है । वही जब बड़ा होता है तो चार आने का चॉकलेट आया तो क्या, गया तो क्या ! ऐसे ही संसार की जरा-जरा सुविधा में जो अपने को भाग्यशाली मानता है उसकी बुद्धि का विकास नहीं होता और जो जरा-से नुकसान में आपने को अभागा मानता है उसकी बुद्धि मारी जाती है । अरे ! यह सब सपना है, आता-जाता है । जो रहता है, उस नित्य तत्त्व में जो टिके उसकी बुद्धि तो गजब की विकसित होती है ! सुख-दुःख में, लाभ-हानि में, मान-अपमान में सम रहना तो बुद्धि परमात्मा में स्थित रहेगी और स्थित बुद्धि ही महान हो जायेगी ।*
*ऋषि प्रसाद – जनवरी २०२२*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 28 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - त्रयोदशी पूर्ण रात्रि तक*
*⛅नक्षत्र - चित्रा प्रातः 07:36 तक तत्पश्चात स्वाति*
*⛅योग - सौभाग्य शाम 04:02 तक तत्पश्चात शोभन*
*⛅राहु काल - दोपहर 01:49 से दोपहर 03:11 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:05*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:17 से 06:09 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:06 से दोपहर 12:49 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:02 नवम्बर 29 से रात्रि 12:54 नवम्बर 29 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹आरती क्यों करते हैं ?*🔹
*🔸हिन्दुओं के धार्मिक कार्यों में संध्योपासना तथा किसी भी मांगलिक पूजन में आरती का एक विशेष स्थान है । शास्त्रों में आरती को ‘आरात्रिक’ अथवा ‘नीराजन’ भी कहा गया है ।*
*🔸पूज्य बापूजी वर्षों से न केवल आरती की महिमा, विधि, उसके वैज्ञानिक महत्त्व आदि के बारे में बताते रहे हैं बल्कि अपने सत्संग – समारोहों में सामूहिक आरती द्वारा उसके लाभों का प्रत्यक्ष अनुभव भी करवाते रहे हैं ।*
*🔸पूज्य बापूजी के सत्संग - अमृत में आता है : “आरती एक प्रकार से वातावरण में शुद्धिकरण करने तथा अपने और दूसरे के आभामंडलों में सामंजस्य लाने की एक व्यवस्था है । हम आरती करते हैं तो उससे आभा, ऊर्जा मिलती है । हिन्दू धर्म के ऋषियों ने शुभ प्रसंगों पर एवं भगवान की, संतो की आरती करने की जो खोज की है । वह हानिकारक जीवाणुओं को दूर रखती है, एक-दूसरे के मनोभावों का समन्वय करती है और आध्यात्मिक उन्नति में बड़ा योगदान देती है ।*
*🔸शुभ कर्म करने के पहले आरती होती है तो शुभ कर्म शीघ्रता से फल देता है । शुभ कर्म करने के बाद अगर आरती करते हैं तो शुभ कर्म में कोई कमी रह गयी हो तो वह पूर्ण हो जाती है । स्कन्द पुराण में आरती की महिमा का वर्णन है । भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं :*
*मंत्रहीनं क्रियाहीनं यत्कृतं पूजनं मम ।*
*सर्व सम्पूर्णतामेति कृते नीराजने सुत ।।*
*🔸‘जो मन्त्रहीन एवं क्रियाहीन (आवश्यक विधि-विधानरहित) मेरा पूजन किया गया है, वह मेरी आरती कर देने पर सर्वथा परिपूर्ण हो जाता है ।’ (स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड, मार्गशीर्ष माहात्म्य : ९:३७)*
*🔹ज्योत की संख्या का रहस्य🔹*
*🔸सामान्यत: ५ ज्योतवाले दीपक से आरती की जाती है, जिसे ‘पंचदीप’ कहा जाता है । आरती में या तो एक ज्योत हो या तो तीन हों या तो पाँच हों । ज्योत विषम संख्या (१,३,५,....) में जलाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है । यदि ज्योत की संख्या सम (२,४,६,...) हो तो ऊर्जा - संवहन की क्रिया निष्क्रिय हो जाती है ।*
*🔹अतिथि की आरती क्यों ?🔹*
*🔸हर व्यक्ति के शरीर से ऊर्जा, आभा निकलती रहती है । कोई अतिथि आता है तो हम उसकी आरती करते हैं क्योंकि सनातन संस्कृति में अतिथि को देवता माना गया है । हर मनुष्य की अपनी आभा है तो घर में रहनेवालों की आभा को उस अतिथि की नयी आभा विक्षिप्त न करे और वह अपने को पराया न पाये इसलिए आरती की जाती है । इससे उसको स्नेह-का-स्नेह मिल गया और घर की आभा में घुल-मिल गये । कैसी सुंदर व्यवस्था है सनातन धर्म की !”*
*📖ऋषि प्रसाद – सितम्बर २०२१ से*
*⛅दिनांक - 28 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - त्रयोदशी पूर्ण रात्रि तक*
*⛅नक्षत्र - चित्रा प्रातः 07:36 तक तत्पश्चात स्वाति*
*⛅योग - सौभाग्य शाम 04:02 तक तत्पश्चात शोभन*
*⛅राहु काल - दोपहर 01:49 से दोपहर 03:11 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:05*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:17 से 06:09 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:06 से दोपहर 12:49 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:02 नवम्बर 29 से रात्रि 12:54 नवम्बर 29 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹आरती क्यों करते हैं ?*🔹
*🔸हिन्दुओं के धार्मिक कार्यों में संध्योपासना तथा किसी भी मांगलिक पूजन में आरती का एक विशेष स्थान है । शास्त्रों में आरती को ‘आरात्रिक’ अथवा ‘नीराजन’ भी कहा गया है ।*
*🔸पूज्य बापूजी वर्षों से न केवल आरती की महिमा, विधि, उसके वैज्ञानिक महत्त्व आदि के बारे में बताते रहे हैं बल्कि अपने सत्संग – समारोहों में सामूहिक आरती द्वारा उसके लाभों का प्रत्यक्ष अनुभव भी करवाते रहे हैं ।*
*🔸पूज्य बापूजी के सत्संग - अमृत में आता है : “आरती एक प्रकार से वातावरण में शुद्धिकरण करने तथा अपने और दूसरे के आभामंडलों में सामंजस्य लाने की एक व्यवस्था है । हम आरती करते हैं तो उससे आभा, ऊर्जा मिलती है । हिन्दू धर्म के ऋषियों ने शुभ प्रसंगों पर एवं भगवान की, संतो की आरती करने की जो खोज की है । वह हानिकारक जीवाणुओं को दूर रखती है, एक-दूसरे के मनोभावों का समन्वय करती है और आध्यात्मिक उन्नति में बड़ा योगदान देती है ।*
*🔸शुभ कर्म करने के पहले आरती होती है तो शुभ कर्म शीघ्रता से फल देता है । शुभ कर्म करने के बाद अगर आरती करते हैं तो शुभ कर्म में कोई कमी रह गयी हो तो वह पूर्ण हो जाती है । स्कन्द पुराण में आरती की महिमा का वर्णन है । भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं :*
*मंत्रहीनं क्रियाहीनं यत्कृतं पूजनं मम ।*
*सर्व सम्पूर्णतामेति कृते नीराजने सुत ।।*
*🔸‘जो मन्त्रहीन एवं क्रियाहीन (आवश्यक विधि-विधानरहित) मेरा पूजन किया गया है, वह मेरी आरती कर देने पर सर्वथा परिपूर्ण हो जाता है ।’ (स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड, मार्गशीर्ष माहात्म्य : ९:३७)*
*🔹ज्योत की संख्या का रहस्य🔹*
*🔸सामान्यत: ५ ज्योतवाले दीपक से आरती की जाती है, जिसे ‘पंचदीप’ कहा जाता है । आरती में या तो एक ज्योत हो या तो तीन हों या तो पाँच हों । ज्योत विषम संख्या (१,३,५,....) में जलाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है । यदि ज्योत की संख्या सम (२,४,६,...) हो तो ऊर्जा - संवहन की क्रिया निष्क्रिय हो जाती है ।*
*🔹अतिथि की आरती क्यों ?🔹*
*🔸हर व्यक्ति के शरीर से ऊर्जा, आभा निकलती रहती है । कोई अतिथि आता है तो हम उसकी आरती करते हैं क्योंकि सनातन संस्कृति में अतिथि को देवता माना गया है । हर मनुष्य की अपनी आभा है तो घर में रहनेवालों की आभा को उस अतिथि की नयी आभा विक्षिप्त न करे और वह अपने को पराया न पाये इसलिए आरती की जाती है । इससे उसको स्नेह-का-स्नेह मिल गया और घर की आभा में घुल-मिल गये । कैसी सुंदर व्यवस्था है सनातन धर्म की !”*
*📖ऋषि प्रसाद – सितम्बर २०२१ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 29 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - त्रयोदशी प्रातः 08:39 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - स्वाति प्रातः 10:18 तक तत्पश्चात विशाखा*
*⛅योग - शोभन शाम 04:34 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*⛅राहु काल - प्रातः 11:07 से दोपहर 12:28 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:06*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:17 से 06:10 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:06 से दोपहर 12:50 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:02 नवम्बर 30 से रात्रि 12:55 नवम्बर 30 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - मासिक शिवरात्रि, संत ज्ञानेश्वरजी पुण्यतिथि*
*⛅विशेष - चतुर्दशी को स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹जठराग्निवर्धक प्रयोग🔹*
*🔹(१) प्रातःकाल सोंठ का २-३ ग्राम चूर्ण गाय के एक चम्मच शुद्ध घी में मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करें, बाद में खुल के भूख लगने पर ही भोजन करें ।*
*🔹(२) हरड़ रसायन की २-२ गोली भोजन के बाद सेवन करने से जठराग्नि प्रदीप्त रहती है ।*
*🔹(३) १ लीटर पानी में ४ चुटकी सोंठ, पाव चम्मच खड़ा जीरा व १ चम्मच सौंफ डाल के १५ मिनट तक उबालें, फिर छान के रख लें । प्यास लगने पर यही पानी गुनगुना करके पियें । इससे जठराग्नि अच्छी रहती है ।*
*🔹कारोबार में बरकत पाने के लिए🔹*
*🔹गो सेवा भी होगी और फायदा भी होगा एक प्रयोग से । जिनकी अपनी दुकान है, अपनी फैक्ट्री, अपना कारोबार है वो लोग, रोज नहीं तो हर बुधवार को गौ माता को हरा चारा खिलाएं ।*
*⛅दिनांक - 29 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - त्रयोदशी प्रातः 08:39 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - स्वाति प्रातः 10:18 तक तत्पश्चात विशाखा*
*⛅योग - शोभन शाम 04:34 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*⛅राहु काल - प्रातः 11:07 से दोपहर 12:28 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:06*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:17 से 06:10 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:06 से दोपहर 12:50 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:02 नवम्बर 30 से रात्रि 12:55 नवम्बर 30 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - मासिक शिवरात्रि, संत ज्ञानेश्वरजी पुण्यतिथि*
*⛅विशेष - चतुर्दशी को स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹जठराग्निवर्धक प्रयोग🔹*
*🔹(१) प्रातःकाल सोंठ का २-३ ग्राम चूर्ण गाय के एक चम्मच शुद्ध घी में मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करें, बाद में खुल के भूख लगने पर ही भोजन करें ।*
*🔹(२) हरड़ रसायन की २-२ गोली भोजन के बाद सेवन करने से जठराग्नि प्रदीप्त रहती है ।*
*🔹(३) १ लीटर पानी में ४ चुटकी सोंठ, पाव चम्मच खड़ा जीरा व १ चम्मच सौंफ डाल के १५ मिनट तक उबालें, फिर छान के रख लें । प्यास लगने पर यही पानी गुनगुना करके पियें । इससे जठराग्नि अच्छी रहती है ।*
*🔹कारोबार में बरकत पाने के लिए🔹*
*🔹गो सेवा भी होगी और फायदा भी होगा एक प्रयोग से । जिनकी अपनी दुकान है, अपनी फैक्ट्री, अपना कारोबार है वो लोग, रोज नहीं तो हर बुधवार को गौ माता को हरा चारा खिलाएं ।*
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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 30 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - चतुर्दशी प्रातः 10:29 तक तत्पश्चात अमावस्या*
*⛅नक्षत्र - विशाखा दोपहर 12:35 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - अतिगण्ड शाम 04:45 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल - प्रातः 09:46 से प्रातः 11:07 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:07*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:17 से 06:10 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:07 से दोपहर 12:50 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:02 दिसम्बर 01 से रात्रि 12:55 दिसम्बर 01 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - दर्श अमावस्या*
*⛅विशेष - अमावस्या को स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹पीपल-वृक्ष का महत्त्व क्यों ?🔹*
*🔸 पीपल को सभी वृक्षों में श्रेष्ठ वृक्ष माना गया है। इसे 'वृक्षराज' कहा जाता है । पूज्य बापूजी के सत्संग वचनामृत में आता है : "पीपल की शास्त्रों में बड़ी भारी महिमा गायी है । भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है : अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां... 'मैं ने सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूँ।' (गीता १०.२६)*
*🔸 पीपल में विष्णुजी का वास, देवताओं का वास बताते हैं अर्थात् उसमें सत्त्व का प्रभाव है । पीपल सात्त्विक वृक्ष है । संस्कृति विज्ञान पीपल देव की पूजा से लाभ होता है, उनकी सात्त्विक तरंगें मिलती हैं । हम भी बचपन में पीपल की पूजा करते थे ।*
*🔸 इसके पत्तों को छूकर आनेवाली हवा चौबीसों घंटे आह्लाद और आरोग्य प्रदान करती है ।*
*🔸 बिना नहाये पीपल को स्पर्श करते हैं तो नहाने जितनी सात्त्विकता, सज्जनता चित्त में आ जाती है और नहा-धोकर अगर स्पर्श करते हैं तो दोगुनी आती है ।*
*🔸 शनिदेव स्वयं कहते हैं कि 'जो शनिवार को पीपल को स्पर्श करता है, उसको जल चढ़ाता है, उसके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उसको कोई पीड़ा नहीं होगी ।'*
*🔸 पीपल का पेड़ प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन देता है और थके हारे दिल को भी मजबूत बनाता है ।*
*🔸 पीपल के वृक्ष से प्राप्त होनेवाले ऋण आयन, धन ऊर्जा स्वास्थ्यप्रद हैं। पीपल को देखकर मन प्रसन्न, आह्लादित होता है । पीपल ऑक्सीजन नीचे को फेंकता है और २४ घंटे ऑक्सीजन देता है। अतः पीपल के पेड़ खूब लगाओ । अगर पीपल घर या सोसायटी की पश्चिम दिशा में हो तो अनेक गुना लाभकारी है ।*
*🔹पीपल की शास्त्रों में महिमा🔹*
*🔸 'पीपल को रोपने, रक्षा करने, छूने तथा पूजने से वह क्रमशः धन, पुत्र, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करता है ।*
*🔸 अश्वत्थ के दर्शन से पाप का नाश और स्पर्श से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। उसकी प्रदक्षिणा करने से आयु बढ़ती है ।*
*🔸 पीपल की ७ प्रदक्षिणा करने से १० हजार गौओं के, और इससे अधिक बार परिक्रमा करने पर करोड़ों गौओं के दान का फल प्राप्त होता है। अतः पीपल-वृक्ष की परिक्रमा नियमित रूप से करना लाभदायी है ।*
*🔸 पीपल को जल देने से दरिद्रता, दुःस्वप्न, दुश्चिता तथा सम्पूर्ण दुःख नष्ट हो जाते हैं। जो बुद्धिमान पीपल वृक्ष की पूजा करता है उसने अपने पितरों को तृप्त कर दिया ।*
*🔸 मनुष्य को पीपल के वृक्ष के लगानेमात्र से इतना पुण्य मिलता है जितना यदि उसके सौ पुत्र हों और वे सब सौ यज्ञ करें तब भी नहीं मिल सकता है । पीपल लगाने से मनुष्य धनी होता है ।*
*🔸पीपल की जड़ के पास बैठकर जो जप, होम, स्तोत्र-पाठ और यंत्र-मंत्रादि के अनुष्ठान किये जाते हैं उन सबका फल करोड़ गुना होता है ।' (पद्म पुराण)*
*🔸 घर की पश्चिम दिशा में पीपल का वृक्ष मंगलकारी माना गया है । (अग्नि पुराण)*
*🔸 'जो मनुष्य एक पीपल का पेड़ लगाता है उसे एक लाख देववृक्ष (पारिजात, मंदार आदि विशिष्ट वृक्ष) लगाने का फल प्राप्त होता है ।' (स्कंद पुराण)*
*🔸 'सम्पूर्ण कार्यों की सिद्धि के लिए पीपल और बड़े के मूलभाग में दीपदान करना अर्थात दीपक जलाना चाहिए ।'*
*- ऋषि प्रसाद*
*⛅दिनांक - 30 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - चतुर्दशी प्रातः 10:29 तक तत्पश्चात अमावस्या*
*⛅नक्षत्र - विशाखा दोपहर 12:35 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - अतिगण्ड शाम 04:45 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल - प्रातः 09:46 से प्रातः 11:07 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:07*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:17 से 06:10 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:07 से दोपहर 12:50 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:02 दिसम्बर 01 से रात्रि 12:55 दिसम्बर 01 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - दर्श अमावस्या*
*⛅विशेष - अमावस्या को स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹पीपल-वृक्ष का महत्त्व क्यों ?🔹*
*🔸 पीपल को सभी वृक्षों में श्रेष्ठ वृक्ष माना गया है। इसे 'वृक्षराज' कहा जाता है । पूज्य बापूजी के सत्संग वचनामृत में आता है : "पीपल की शास्त्रों में बड़ी भारी महिमा गायी है । भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है : अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां... 'मैं ने सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूँ।' (गीता १०.२६)*
*🔸 पीपल में विष्णुजी का वास, देवताओं का वास बताते हैं अर्थात् उसमें सत्त्व का प्रभाव है । पीपल सात्त्विक वृक्ष है । संस्कृति विज्ञान पीपल देव की पूजा से लाभ होता है, उनकी सात्त्विक तरंगें मिलती हैं । हम भी बचपन में पीपल की पूजा करते थे ।*
*🔸 इसके पत्तों को छूकर आनेवाली हवा चौबीसों घंटे आह्लाद और आरोग्य प्रदान करती है ।*
*🔸 बिना नहाये पीपल को स्पर्श करते हैं तो नहाने जितनी सात्त्विकता, सज्जनता चित्त में आ जाती है और नहा-धोकर अगर स्पर्श करते हैं तो दोगुनी आती है ।*
*🔸 शनिदेव स्वयं कहते हैं कि 'जो शनिवार को पीपल को स्पर्श करता है, उसको जल चढ़ाता है, उसके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उसको कोई पीड़ा नहीं होगी ।'*
*🔸 पीपल का पेड़ प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन देता है और थके हारे दिल को भी मजबूत बनाता है ।*
*🔸 पीपल के वृक्ष से प्राप्त होनेवाले ऋण आयन, धन ऊर्जा स्वास्थ्यप्रद हैं। पीपल को देखकर मन प्रसन्न, आह्लादित होता है । पीपल ऑक्सीजन नीचे को फेंकता है और २४ घंटे ऑक्सीजन देता है। अतः पीपल के पेड़ खूब लगाओ । अगर पीपल घर या सोसायटी की पश्चिम दिशा में हो तो अनेक गुना लाभकारी है ।*
*🔹पीपल की शास्त्रों में महिमा🔹*
*🔸 'पीपल को रोपने, रक्षा करने, छूने तथा पूजने से वह क्रमशः धन, पुत्र, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करता है ।*
*🔸 अश्वत्थ के दर्शन से पाप का नाश और स्पर्श से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। उसकी प्रदक्षिणा करने से आयु बढ़ती है ।*
*🔸 पीपल की ७ प्रदक्षिणा करने से १० हजार गौओं के, और इससे अधिक बार परिक्रमा करने पर करोड़ों गौओं के दान का फल प्राप्त होता है। अतः पीपल-वृक्ष की परिक्रमा नियमित रूप से करना लाभदायी है ।*
*🔸 पीपल को जल देने से दरिद्रता, दुःस्वप्न, दुश्चिता तथा सम्पूर्ण दुःख नष्ट हो जाते हैं। जो बुद्धिमान पीपल वृक्ष की पूजा करता है उसने अपने पितरों को तृप्त कर दिया ।*
*🔸 मनुष्य को पीपल के वृक्ष के लगानेमात्र से इतना पुण्य मिलता है जितना यदि उसके सौ पुत्र हों और वे सब सौ यज्ञ करें तब भी नहीं मिल सकता है । पीपल लगाने से मनुष्य धनी होता है ।*
*🔸पीपल की जड़ के पास बैठकर जो जप, होम, स्तोत्र-पाठ और यंत्र-मंत्रादि के अनुष्ठान किये जाते हैं उन सबका फल करोड़ गुना होता है ।' (पद्म पुराण)*
*🔸 घर की पश्चिम दिशा में पीपल का वृक्ष मंगलकारी माना गया है । (अग्नि पुराण)*
*🔸 'जो मनुष्य एक पीपल का पेड़ लगाता है उसे एक लाख देववृक्ष (पारिजात, मंदार आदि विशिष्ट वृक्ष) लगाने का फल प्राप्त होता है ।' (स्कंद पुराण)*
*🔸 'सम्पूर्ण कार्यों की सिद्धि के लिए पीपल और बड़े के मूलभाग में दीपदान करना अर्थात दीपक जलाना चाहिए ।'*
*- ऋषि प्रसाद*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 01 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अमावस्या प्रातः 11:50 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - अनुराधा दोपहर 02:24 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*⛅योग - सुकर्मा शाम 04:34 तक तत्पश्चात धृति*
*⛅राहु काल - शाम 04:32 से शाम 05:54 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:04*
*⛅सूर्यास्त - 05:54*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:19 से 06:11 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:07 से दोपहर 12:50 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:03 दिसम्बर 02 से रात्रि 12:56 दिसम्बर 02 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - मार्गशीर्ष अमावस्या*
*⛅विशेष - अमावस्या को स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅दिनांक - 01 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अमावस्या प्रातः 11:50 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - अनुराधा दोपहर 02:24 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*⛅योग - सुकर्मा शाम 04:34 तक तत्पश्चात धृति*
*⛅राहु काल - शाम 04:32 से शाम 05:54 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:04*
*⛅सूर्यास्त - 05:54*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:19 से 06:11 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:07 से दोपहर 12:50 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:03 दिसम्बर 02 से रात्रि 12:56 दिसम्बर 02 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - मार्गशीर्ष अमावस्या*
*⛅विशेष - अमावस्या को स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 02 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - प्रतिपदा दोपहर 12:43 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र - ज्येष्ठा दोपहर 03:45 तक तत्पश्चात मूल*
*⛅योग - धृति शाम 04:01 तक तत्पश्चात शूल*
*⛅राहु काल - प्रातः 08:26 से प्रातः 09:47 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:08*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:19 से 06:12 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:08 से दोपहर 12:51 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:03 दिसम्बर 03 से रात्रि 12:56 दिसम्बर 03 तक*
*⛅विशेष - प्रतिपदा को कुम्हड़ा (पेठा) न खाएं क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹दिशा विवेक🔹*
*🔸 पूजा आरती पश्चिम में है तो खुशियाँ दबेंगी । दक्षिण में है तो बिमारी आयेगी ।*
*🔸 तुम्हारी पूजा की दिशा पूर्व या उत्तर में हो तो स्थिति उन्नत होगी ।*
*🔸 पूजा की दिशा उत्तर में है तो आध्यात्मिक उन्नति होगी, पूर्व में है तो लौकिक उन्नति होगी ।*
*🔸 गुरूमंत्र है तो दोनों में आध्यात्मिक और लौकिक उन्नति होगी ।*
*तो देख लेना की आरती की दिशा, पूजा करते तो आपकी दिशा पश्चिम की तरफ तो नहीं, होगी तो बदल देना । सत्संग से कैसा ज्ञान मिलता है ।*
*🔸 सोते समय पश्चिम में सिर रहेगा तो चिंता पीछा नहीं छोड़ेगी, उत्तर में सिर करते हैं तो बिमारी पीछा नहीं छोड़ेगी । सोते समय सिरहाना पूरब की तरफ अथवा दक्षिण की तरफ हो ।*
*-पूज्य बापूजी, 6 फरवरी 2008, Rourkela*
*🔹विद्यार्थी कमजोर हो तो..🔹*
*🔸जो बच्चे पढ़ने में कमजोर रहते हो न, वे बच्चे, कच्चा दूध हो उसमें मिश्री पाऊडर मिला दें, या शहद मिला दें, अच्छी तरह से घोल दें । उस से, बच्चे जाकर शिवलिंग पर अभिषेक करें, वो शिवजी पर चढ़ाएं, फिर जल चढ़ाएँ, बेल-पत्र रख दें, दिया जला दें । थोड़ी देर उधर बैठ के जप करें । तो वो बच्चे पढ़ने में बड़े होशियार, प्रतिभावान होंगे ।*
*⛅दिनांक - 02 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - प्रतिपदा दोपहर 12:43 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र - ज्येष्ठा दोपहर 03:45 तक तत्पश्चात मूल*
*⛅योग - धृति शाम 04:01 तक तत्पश्चात शूल*
*⛅राहु काल - प्रातः 08:26 से प्रातः 09:47 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:08*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:19 से 06:12 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:08 से दोपहर 12:51 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:03 दिसम्बर 03 से रात्रि 12:56 दिसम्बर 03 तक*
*⛅विशेष - प्रतिपदा को कुम्हड़ा (पेठा) न खाएं क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹दिशा विवेक🔹*
*🔸 पूजा आरती पश्चिम में है तो खुशियाँ दबेंगी । दक्षिण में है तो बिमारी आयेगी ।*
*🔸 तुम्हारी पूजा की दिशा पूर्व या उत्तर में हो तो स्थिति उन्नत होगी ।*
*🔸 पूजा की दिशा उत्तर में है तो आध्यात्मिक उन्नति होगी, पूर्व में है तो लौकिक उन्नति होगी ।*
*🔸 गुरूमंत्र है तो दोनों में आध्यात्मिक और लौकिक उन्नति होगी ।*
*तो देख लेना की आरती की दिशा, पूजा करते तो आपकी दिशा पश्चिम की तरफ तो नहीं, होगी तो बदल देना । सत्संग से कैसा ज्ञान मिलता है ।*
*🔸 सोते समय पश्चिम में सिर रहेगा तो चिंता पीछा नहीं छोड़ेगी, उत्तर में सिर करते हैं तो बिमारी पीछा नहीं छोड़ेगी । सोते समय सिरहाना पूरब की तरफ अथवा दक्षिण की तरफ हो ।*
*-पूज्य बापूजी, 6 फरवरी 2008, Rourkela*
*🔹विद्यार्थी कमजोर हो तो..🔹*
*🔸जो बच्चे पढ़ने में कमजोर रहते हो न, वे बच्चे, कच्चा दूध हो उसमें मिश्री पाऊडर मिला दें, या शहद मिला दें, अच्छी तरह से घोल दें । उस से, बच्चे जाकर शिवलिंग पर अभिषेक करें, वो शिवजी पर चढ़ाएं, फिर जल चढ़ाएँ, बेल-पत्र रख दें, दिया जला दें । थोड़ी देर उधर बैठ के जप करें । तो वो बच्चे पढ़ने में बड़े होशियार, प्रतिभावान होंगे ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 03 दिसम्बर 2024
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वितीया दोपहर 01:09 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - मूल शाम 04:42 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*⛅योग - शूल दोपहर 03:08 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅राहु काल - दोपहर 03:12 से शाम 04:33 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:09*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:20 से 06:13 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:08 से दोपहर 12:51 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:04 दिसम्बर 04 से रात्रि 12:56 दिसम्बर 04 तक*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती(छोटा बैंगन या कटहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹क्षमा माँगने का सही ढंग🔹*
🔸 *लोग बोलते हैं : ‘जाने – अनजाने में मुझसे कुछ गलती या भूलचूक हो गयी हो तो माफ़ कर देना !’*
*🔸यह माफी लेने कि सच्चाई नहीं है, बेईमानी है । यह माफी माँगता है कि मजाक उड़ाता है ? ‘भूलचूक हो गयी हो तो ....’ नहीं । कहना चाहिए : ‘भूल हो गयी है, क्षमा माँगने योग्य नहीं हूँ लेकिन आपकी उदारता पर भरोसा है, आप मुझे क्षमा कर दीजिये !’ यह सज्जनता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद – जुलाई २०२० से*
*🔹ग्रहबाधा व वास्तुदोष दूर करने का अचूक उपाय*
🔸 *आजकल वास्तुदोष-निवारण के नाम पर तीन टांग के कछुआ, मेंढक की मूर्ति घरों में रखने का रिवाज चल पड़ा है । यह तथाकथित फेंगशुई चीनी गृहसज्जा करना है । यदि घर पर किसी भी प्रकार का वास्तुदोष है तो एक देशी गाय रख लें, समस्त वास्तुदोष दूर हो जायेंगे । यदि गाय पालना सम्भव न हो तो घर के आँगन में सवत्सा (बछड़ेवाली) गाय का चित्र लगा लें और घर में गोमूत्र या गोमूत्र अर्क का छिड़काव करें ।*
*🔸शनि, राहू-केतु आदि ग्रहों के दोष-निवारण के लिए प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को अपने हाथ से आटे की लोई गुड़सहित प्रेमपूर्वक किसी नंदी अथवा गाय को खिलाएं । कैसी भी ग्रहबाधा हो, दूर हो जायेगी ।*
*📖 लोक कल्याण सेतु – अक्टूबर २०१९ से*
*⛅दिनांक - 03 दिसम्बर 2024
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वितीया दोपहर 01:09 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - मूल शाम 04:42 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*⛅योग - शूल दोपहर 03:08 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅राहु काल - दोपहर 03:12 से शाम 04:33 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:09*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:20 से 06:13 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:08 से दोपहर 12:51 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:04 दिसम्बर 04 से रात्रि 12:56 दिसम्बर 04 तक*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती(छोटा बैंगन या कटहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹क्षमा माँगने का सही ढंग🔹*
🔸 *लोग बोलते हैं : ‘जाने – अनजाने में मुझसे कुछ गलती या भूलचूक हो गयी हो तो माफ़ कर देना !’*
*🔸यह माफी लेने कि सच्चाई नहीं है, बेईमानी है । यह माफी माँगता है कि मजाक उड़ाता है ? ‘भूलचूक हो गयी हो तो ....’ नहीं । कहना चाहिए : ‘भूल हो गयी है, क्षमा माँगने योग्य नहीं हूँ लेकिन आपकी उदारता पर भरोसा है, आप मुझे क्षमा कर दीजिये !’ यह सज्जनता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद – जुलाई २०२० से*
*🔹ग्रहबाधा व वास्तुदोष दूर करने का अचूक उपाय*
🔸 *आजकल वास्तुदोष-निवारण के नाम पर तीन टांग के कछुआ, मेंढक की मूर्ति घरों में रखने का रिवाज चल पड़ा है । यह तथाकथित फेंगशुई चीनी गृहसज्जा करना है । यदि घर पर किसी भी प्रकार का वास्तुदोष है तो एक देशी गाय रख लें, समस्त वास्तुदोष दूर हो जायेंगे । यदि गाय पालना सम्भव न हो तो घर के आँगन में सवत्सा (बछड़ेवाली) गाय का चित्र लगा लें और घर में गोमूत्र या गोमूत्र अर्क का छिड़काव करें ।*
*🔸शनि, राहू-केतु आदि ग्रहों के दोष-निवारण के लिए प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को अपने हाथ से आटे की लोई गुड़सहित प्रेमपूर्वक किसी नंदी अथवा गाय को खिलाएं । कैसी भी ग्रहबाधा हो, दूर हो जायेगी ।*
*📖 लोक कल्याण सेतु – अक्टूबर २०१९ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 04 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - तृतीया दोपहर 01:10 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा शाम 05:15 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*⛅योग - गण्ड दोपहर 01:57 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:30 से दोपहर 01:51 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:10*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:20 से 06:13 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नही*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:04 दिसम्बर 05 से रात्रि 12:57 दिसम्बर 05 तक*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रु की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹कमरे में कैसा बल्ब लगायें ?*
*🔸लाल रंग का बल्ब कमरे में लगाने से उसमें रहनेवाले का स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगता है ।*
*इसलिए कमरे में पारदर्शक, आसमानी अथवा हरे रंग का बल्ब लगाओ ताकि कमरे में रहनेवाले आनंदित रहें ।*
*ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से*
*🔹किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए🔹*
*🔸संसार में और भगवान की प्राप्ति में सफल होने का सुंदर तरीका है :*
*१] अपनी योग्यता के अनुरूप परिश्रम में कोर-कसर न रखें ।*
*२] अंदर में त्याग-भावना हो । परिश्रम का फल, सफलता का फल भोगने की लोलूपता का त्याग हो ।*
*३] स्वभाव में स्नेह और सहानुभूति हो ।*
*४] लक्ष्यप्राप्ति के लिए तीव्र लगन हो ।*
*५] प्रफुल्लितता हो ।*
*६] निर्भयता हो ।*
*७] आत्मविश्वास हो ।*
*तो व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफल हो जायेगा ।*
*ऋषिप्रसाद – मई २०२० से*
*⛅दिनांक - 04 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - तृतीया दोपहर 01:10 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा शाम 05:15 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*⛅योग - गण्ड दोपहर 01:57 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:30 से दोपहर 01:51 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:10*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:20 से 06:13 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नही*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:04 दिसम्बर 05 से रात्रि 12:57 दिसम्बर 05 तक*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रु की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹कमरे में कैसा बल्ब लगायें ?*
*🔸लाल रंग का बल्ब कमरे में लगाने से उसमें रहनेवाले का स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगता है ।*
*इसलिए कमरे में पारदर्शक, आसमानी अथवा हरे रंग का बल्ब लगाओ ताकि कमरे में रहनेवाले आनंदित रहें ।*
*ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से*
*🔹किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए🔹*
*🔸संसार में और भगवान की प्राप्ति में सफल होने का सुंदर तरीका है :*
*१] अपनी योग्यता के अनुरूप परिश्रम में कोर-कसर न रखें ।*
*२] अंदर में त्याग-भावना हो । परिश्रम का फल, सफलता का फल भोगने की लोलूपता का त्याग हो ।*
*३] स्वभाव में स्नेह और सहानुभूति हो ।*
*४] लक्ष्यप्राप्ति के लिए तीव्र लगन हो ।*
*५] प्रफुल्लितता हो ।*
*६] निर्भयता हो ।*
*७] आत्मविश्वास हो ।*
*तो व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफल हो जायेगा ।*
*ऋषिप्रसाद – मई २०२० से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 05 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी दोपहर 12:49 तक तत्पश्चात पञ्चमी*
*⛅नक्षत्र - उत्तराषाढा शाम 05:26 तक तत्पश्चात श्रवण*
*⛅योग - वृद्धि दोपहर 12:28 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*⛅राहु काल - दोपहर 01:51 से दोपहर 03:12 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:10*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:21 से 06:14 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:09 से 12:52 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:04 दिसम्बर 06 से रात्रि 12:57 दिसम्बर 06 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी*
*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹पाचन की तकलीफों में परम हितकारी: अदरक🔹*
*🔸आजकल लोग बीमारियों के शिकार अधिक क्यों हैं ? अधिकांश लोग खाना न पचना, भूख न लगना, पेट में वायु बनना, कब्ज आदि पाचन संबंधी तकलीफों से ग्रस्त हैं और इसीसे अधिकांश अन्य रोग उत्पन्न होते हैं । पेट की अनेक तकलीफों में रामबाण एवं प्रकृति का वरदान है अदरक । स्वस्थ लोगों के लिए यह स्वास्थ्यरक्षक है । बारिश के दिनों में यह स्वास्थ्य का प्रहरी है ।*
*🔸सरल है आँतों की सफाई व पाचनतंत्र की मजबूती*
*🔸शरीर में जब कच्चा रस (आम) बढ़ता है या लम्बे समय तक रहता है, तब अनेक रोग उत्पन्न होते हैं । अदरक का रस आमाशय के छिद्रों में जमे कच्चे रस एवं कफ को तथा बड़ी आँतों में जमे आँव को पिघलाकर बाहर निकाल देता है तथा छिद्रों को स्वच्छ कर देता है । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है और पाचन-तंत्र स्वस्थ बनता है । यह लार एवं आमाशय का रस दोनों की उत्पत्ति बढ़ता है, जिससे भोजन का पाचन बढ़िया होता है एवं अरुचि दूर होती है ।*
*🔹स्वास्थ्य व भूख वर्धक, वायुनाशक प्रयोग*
*🔸रोज भोजन से पहले अदरक को बारीक टुकड़े-टुकड़े करके सेंधा नमक के साथ लेने से पाचक रस बढ़कर अरुचि मिटती है । भूख खुलती है, वायु नहीं बनती व स्वास्थ्य अच्छा रहता है ।*
*🔹रुचिकर, भूखवर्धक, उदररोगनाशक प्रयोग🔹*
*🔸१०० ग्राम अदरक की चटनी बनायें एवं १०० ग्राम घी में उसे सेंक लें । लाल होने पर उसमें २०० ग्राम गुड़ डालें व हलवे की तरह गाढ़ा बना लें । (घी न हो तो २०० ग्राम अदरक को कद्दूकश करके २०० ग्राम शक्कर मिलाकर पाक बना लें ।) इसमें लौंग, इलायची, जायपत्री का चूर्ण मिलायें तो और भी लाभ होगा । वर्षा ऋतु में ५ से १० ग्राम एवं शीत ऋतु में १०-१० ग्राम मिश्रण सुबह-शाम खाने से अरुचि, मंदाग्नि, आमवृद्धि, गले व पेट के रोग, खाँसी, जुकाम, दमा आदि अनेक तकलीफों में लाभ होता है । भूख खुलकर लगती है । बारिश के कारण उत्पन्न बीमारियों में यह अति लाभदायी है ।*
*🔸अपच : (१) भोजन से पहले ताजा अदरक रस, नींबू रस व सेंधा नमक मिलाकर लें एवं भोजन के बाद इसे गुनगुने पानी से लें । यह कब्ज व पेट की वायु में भी हितकारी है ।*
*🔸(२) अदरक, सेंधा नमक व काली मिर्च को चटनी की तरह बनाकर भोजन से पहले लें ।*
*🔸खाँसी, जुकाम, दमा : अदरक रस व शहद १०-१० ग्राम दिन में ३ बार सेवन करें । नींबू का रस २ बूँद डालें तो और भी गुणकारी होगा ।*
*🔸बुखार : तेज बुखार में अदरक का ५ ग्राम रस एवं उतना ही शहद मिलाकर चाटने से लाभ होता है । इन्फ्लूएंजा, जुकाम, खाँसी के साथ बुखार आने पर तुलसी के १०-१५ पत्ते एवं काली मिर्च के ६-७ दाने २५० ग्राम पानी में डालें । इसमें २ ग्राम सोंठ मिलाकर उबालें । स्वादानुसार मिश्री मिला के सहने योग्य गर्म ही पियें ।*
*🔸वातदर्द : १० मि.ली. अदरक के रस में १ चम्मच घी मिलाकर पीने से पीठ, कमर, जाँघ आदि में उत्पन्न वातदर्द में राहत मिलती है ।*
*🔸जोडों का दर्द : २ चम्मच अदरक रस में १-१ चुटकी सेंधा नमक व हींग मिला के मालिश करें ।*
*🔸गठिया : १० ग्राम अदरक छील के १०० ग्राम पानी में उबाल लें । ठंडा होने पर शहद मिलाकर पियें । कुछ दिन लगातार दिन में एक बार लें । यह प्रयोग वर्षा या शीत ऋतु में करें ।*
*🔸 गला बैठना : अदरक रस शहद में मिलाकर चाटने से बैठी आवाज खुलती है व सुरीली बनती है ।*
*🔹सावधानी : रक्तपित्त, उच्च रक्तचाप, अल्सर, रक्तस्राव व कोढ़ में अदरक न खायें । अदरक को फ्रिज में न रखें, रविवार को न खायें ।*
*स्रोतः ऋषि प्रसाद, अगस्त 2014*
*⛅दिनांक - 05 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी दोपहर 12:49 तक तत्पश्चात पञ्चमी*
*⛅नक्षत्र - उत्तराषाढा शाम 05:26 तक तत्पश्चात श्रवण*
*⛅योग - वृद्धि दोपहर 12:28 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*⛅राहु काल - दोपहर 01:51 से दोपहर 03:12 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:10*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:21 से 06:14 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:09 से 12:52 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:04 दिसम्बर 06 से रात्रि 12:57 दिसम्बर 06 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी*
*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹पाचन की तकलीफों में परम हितकारी: अदरक🔹*
*🔸आजकल लोग बीमारियों के शिकार अधिक क्यों हैं ? अधिकांश लोग खाना न पचना, भूख न लगना, पेट में वायु बनना, कब्ज आदि पाचन संबंधी तकलीफों से ग्रस्त हैं और इसीसे अधिकांश अन्य रोग उत्पन्न होते हैं । पेट की अनेक तकलीफों में रामबाण एवं प्रकृति का वरदान है अदरक । स्वस्थ लोगों के लिए यह स्वास्थ्यरक्षक है । बारिश के दिनों में यह स्वास्थ्य का प्रहरी है ।*
*🔸सरल है आँतों की सफाई व पाचनतंत्र की मजबूती*
*🔸शरीर में जब कच्चा रस (आम) बढ़ता है या लम्बे समय तक रहता है, तब अनेक रोग उत्पन्न होते हैं । अदरक का रस आमाशय के छिद्रों में जमे कच्चे रस एवं कफ को तथा बड़ी आँतों में जमे आँव को पिघलाकर बाहर निकाल देता है तथा छिद्रों को स्वच्छ कर देता है । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है और पाचन-तंत्र स्वस्थ बनता है । यह लार एवं आमाशय का रस दोनों की उत्पत्ति बढ़ता है, जिससे भोजन का पाचन बढ़िया होता है एवं अरुचि दूर होती है ।*
*🔹स्वास्थ्य व भूख वर्धक, वायुनाशक प्रयोग*
*🔸रोज भोजन से पहले अदरक को बारीक टुकड़े-टुकड़े करके सेंधा नमक के साथ लेने से पाचक रस बढ़कर अरुचि मिटती है । भूख खुलती है, वायु नहीं बनती व स्वास्थ्य अच्छा रहता है ।*
*🔹रुचिकर, भूखवर्धक, उदररोगनाशक प्रयोग🔹*
*🔸१०० ग्राम अदरक की चटनी बनायें एवं १०० ग्राम घी में उसे सेंक लें । लाल होने पर उसमें २०० ग्राम गुड़ डालें व हलवे की तरह गाढ़ा बना लें । (घी न हो तो २०० ग्राम अदरक को कद्दूकश करके २०० ग्राम शक्कर मिलाकर पाक बना लें ।) इसमें लौंग, इलायची, जायपत्री का चूर्ण मिलायें तो और भी लाभ होगा । वर्षा ऋतु में ५ से १० ग्राम एवं शीत ऋतु में १०-१० ग्राम मिश्रण सुबह-शाम खाने से अरुचि, मंदाग्नि, आमवृद्धि, गले व पेट के रोग, खाँसी, जुकाम, दमा आदि अनेक तकलीफों में लाभ होता है । भूख खुलकर लगती है । बारिश के कारण उत्पन्न बीमारियों में यह अति लाभदायी है ।*
*🔸अपच : (१) भोजन से पहले ताजा अदरक रस, नींबू रस व सेंधा नमक मिलाकर लें एवं भोजन के बाद इसे गुनगुने पानी से लें । यह कब्ज व पेट की वायु में भी हितकारी है ।*
*🔸(२) अदरक, सेंधा नमक व काली मिर्च को चटनी की तरह बनाकर भोजन से पहले लें ।*
*🔸खाँसी, जुकाम, दमा : अदरक रस व शहद १०-१० ग्राम दिन में ३ बार सेवन करें । नींबू का रस २ बूँद डालें तो और भी गुणकारी होगा ।*
*🔸बुखार : तेज बुखार में अदरक का ५ ग्राम रस एवं उतना ही शहद मिलाकर चाटने से लाभ होता है । इन्फ्लूएंजा, जुकाम, खाँसी के साथ बुखार आने पर तुलसी के १०-१५ पत्ते एवं काली मिर्च के ६-७ दाने २५० ग्राम पानी में डालें । इसमें २ ग्राम सोंठ मिलाकर उबालें । स्वादानुसार मिश्री मिला के सहने योग्य गर्म ही पियें ।*
*🔸वातदर्द : १० मि.ली. अदरक के रस में १ चम्मच घी मिलाकर पीने से पीठ, कमर, जाँघ आदि में उत्पन्न वातदर्द में राहत मिलती है ।*
*🔸जोडों का दर्द : २ चम्मच अदरक रस में १-१ चुटकी सेंधा नमक व हींग मिला के मालिश करें ।*
*🔸गठिया : १० ग्राम अदरक छील के १०० ग्राम पानी में उबाल लें । ठंडा होने पर शहद मिलाकर पियें । कुछ दिन लगातार दिन में एक बार लें । यह प्रयोग वर्षा या शीत ऋतु में करें ।*
*🔸 गला बैठना : अदरक रस शहद में मिलाकर चाटने से बैठी आवाज खुलती है व सुरीली बनती है ।*
*🔹सावधानी : रक्तपित्त, उच्च रक्तचाप, अल्सर, रक्तस्राव व कोढ़ में अदरक न खायें । अदरक को फ्रिज में न रखें, रविवार को न खायें ।*
*स्रोतः ऋषि प्रसाद, अगस्त 2014*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 06 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पञ्चमी दोपहर 12:07 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - श्रवण शाम 05:18 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*⛅योग - ध्रुव दोपहर 10:43 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल - प्रातः 11:10 से दोपहर 12:31 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:11*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:22 से 06:15 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:09 से 12:52 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:05 दिसम्बर 07 से रात्रि 12:58 दिसम्बर 07 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - विवाह पञ्चमी, सुब्रहमन्य षष्ठी, स्कन्द षष्ठी, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 07:07 से शाम 05 :18 तक)*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹पढ़ने में रूचि न हो या सफलता न मिलती हो तो ....*
*जिन बच्चों का पढ़ाई की और रुझान नहीं होता अथवा कम होता है या काफी परिश्रम करके भी जिन्हें अध्ययन में पर्याप्त सफलता नहीं मिलती उनके लिए लाभदायी प्रयोग :*
*१ ग्राम कपूर और मौलसिरी (बकुल) का एक बीज पीसकर देशी गाय के २०० ग्राम घी में मिला दें । नित्य किसी भी समय ५ से १० मिनट तक संबंधित बच्चे के शयनकक्ष में इस मिश्रण से दीपक जलायें ।*
*ऋषिप्रसाद – मार्च २०२१*
*🔹बुखार दूर करने हेतु🔹*
*चरक संहिता के चित्किसा स्थान में ज्वर ( बुखार) की चित्किसा का विस्तृत वर्णन करने के बाद अंत में आचार्य श्री चरकजी ने कहा है :*
*विष्णुं सहस्रमूर्धानं चराचरपतिं विभुम ।*
*स्तुवन्नामह्स्त्रेण ज्वरान सर्वानपोहति ।*
*👉🏻 ‘हजार मस्तकवाले, चर-अचर के स्वामी, व्यापक भगवान की सहस्त्रनाम से स्तुति करने से अर्थात विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से सब प्रकार के ज्वर छूट जाते हैं ।’*
*(पाठ रुग्ण स्वयं अथवा उसके कुटुम्बी करें )*
*ऋषिप्रसाद – जून 2021 से*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु*
*एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*🔹ऋषिप्रसाद – मई 2018 से*
*⛅दिनांक - 06 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पञ्चमी दोपहर 12:07 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - श्रवण शाम 05:18 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*⛅योग - ध्रुव दोपहर 10:43 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल - प्रातः 11:10 से दोपहर 12:31 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:11*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:22 से 06:15 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:09 से 12:52 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:05 दिसम्बर 07 से रात्रि 12:58 दिसम्बर 07 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - विवाह पञ्चमी, सुब्रहमन्य षष्ठी, स्कन्द षष्ठी, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 07:07 से शाम 05 :18 तक)*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹पढ़ने में रूचि न हो या सफलता न मिलती हो तो ....*
*जिन बच्चों का पढ़ाई की और रुझान नहीं होता अथवा कम होता है या काफी परिश्रम करके भी जिन्हें अध्ययन में पर्याप्त सफलता नहीं मिलती उनके लिए लाभदायी प्रयोग :*
*१ ग्राम कपूर और मौलसिरी (बकुल) का एक बीज पीसकर देशी गाय के २०० ग्राम घी में मिला दें । नित्य किसी भी समय ५ से १० मिनट तक संबंधित बच्चे के शयनकक्ष में इस मिश्रण से दीपक जलायें ।*
*ऋषिप्रसाद – मार्च २०२१*
*🔹बुखार दूर करने हेतु🔹*
*चरक संहिता के चित्किसा स्थान में ज्वर ( बुखार) की चित्किसा का विस्तृत वर्णन करने के बाद अंत में आचार्य श्री चरकजी ने कहा है :*
*विष्णुं सहस्रमूर्धानं चराचरपतिं विभुम ।*
*स्तुवन्नामह्स्त्रेण ज्वरान सर्वानपोहति ।*
*👉🏻 ‘हजार मस्तकवाले, चर-अचर के स्वामी, व्यापक भगवान की सहस्त्रनाम से स्तुति करने से अर्थात विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से सब प्रकार के ज्वर छूट जाते हैं ।’*
*(पाठ रुग्ण स्वयं अथवा उसके कुटुम्बी करें )*
*ऋषिप्रसाद – जून 2021 से*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु*
*एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*🔹ऋषिप्रसाद – मई 2018 से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 07 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी प्रातः 11:05 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - धनिष्ठा शाम 04:50 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*⛅योग - व्याघात प्रातः 08:42 तक तत्पश्चात हर्षण प्रातः 06:26 दिसम्बर 08 तक तत्पश्चात वज्र*
*⛅राहु काल - प्रातः 09:50 से 11:10 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:11*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:22 से 06:15 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से 12:53 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:05 दिसम्बर 08 से रात्रि 12:58 दिसम्बर 08 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - चम्पा षष्ठी, , द्विपुष्कर योग (प्रातः 11:05 से शाम 04:50 तक)*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹लक्ष्मी के नाराज होने के कारण🔹*
*🔸१] कमल-पुष्प, बिल्वपत्र को लाँघने अथवा पैरों से कुचलने पर लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती हैं ।*
*🔸२] जो निर्वस्त्र होकर स्नान करता है, नदियों, तालाबों के जल में मल-मूत्र त्यागता है उसको लक्ष्मी अपने शत्रु कर्ज के हवाले कर देती हैं ।*
*🔸३] जो भूमि या भवन की दीवारों पर अनावश्यक लिखता है, कुत्सित अन्न खाता है उस पर भी लक्ष्मी कृपा नहीं करती हैं ।*
*🔸४] जो पैर से पैर रगडकर धोता है, अतिथियों का सम्मान नहीं करता, याचकों को दुत्कारता है, पशु-पक्षियों को चारा, दाना आदि नहीं डालता है, गाय पर प्रहार करता है, ऐसे व्यक्ति को लक्ष्मी तुरंत छोड़ देती हैं ।*
*🔸५] जो संध्या के समय घर-प्रतिष्ठान में झाड़ू लगाता है, जो प्रात: एवं संध्याकाल में ईश्वर की आराधना नहीं करता, तुलसी के पौधे की उपेक्षा, अनादर करता है उसको लक्ष्मी उसके दुर्भाग्य के हाथों में सौंप देती हैं ।* *ऋषिप्रसाद – जून २०१९ से*
*⛅दिनांक - 07 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी प्रातः 11:05 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - धनिष्ठा शाम 04:50 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*⛅योग - व्याघात प्रातः 08:42 तक तत्पश्चात हर्षण प्रातः 06:26 दिसम्बर 08 तक तत्पश्चात वज्र*
*⛅राहु काल - प्रातः 09:50 से 11:10 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:11*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:22 से 06:15 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से 12:53 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:05 दिसम्बर 08 से रात्रि 12:58 दिसम्बर 08 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - चम्पा षष्ठी, , द्विपुष्कर योग (प्रातः 11:05 से शाम 04:50 तक)*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹लक्ष्मी के नाराज होने के कारण🔹*
*🔸१] कमल-पुष्प, बिल्वपत्र को लाँघने अथवा पैरों से कुचलने पर लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती हैं ।*
*🔸२] जो निर्वस्त्र होकर स्नान करता है, नदियों, तालाबों के जल में मल-मूत्र त्यागता है उसको लक्ष्मी अपने शत्रु कर्ज के हवाले कर देती हैं ।*
*🔸३] जो भूमि या भवन की दीवारों पर अनावश्यक लिखता है, कुत्सित अन्न खाता है उस पर भी लक्ष्मी कृपा नहीं करती हैं ।*
*🔸४] जो पैर से पैर रगडकर धोता है, अतिथियों का सम्मान नहीं करता, याचकों को दुत्कारता है, पशु-पक्षियों को चारा, दाना आदि नहीं डालता है, गाय पर प्रहार करता है, ऐसे व्यक्ति को लक्ष्मी तुरंत छोड़ देती हैं ।*
*🔸५] जो संध्या के समय घर-प्रतिष्ठान में झाड़ू लगाता है, जो प्रात: एवं संध्याकाल में ईश्वर की आराधना नहीं करता, तुलसी के पौधे की उपेक्षा, अनादर करता है उसको लक्ष्मी उसके दुर्भाग्य के हाथों में सौंप देती हैं ।* *ऋषिप्रसाद – जून २०१९ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 09 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - अष्टमी प्रातः 08:02 तक, तत्पश्चात नवमी प्रातः 06:01 दिसम्बर 10 तक, तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
*⛅योग - सिद्धि रात्रि 01:06 दिसम्बर 10 तक तत्पश्चात व्यतीपात*
*⛅राहु काल - प्रातः 08:30 से प्रातः 09:51 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:14*
*⛅सूर्यास्त - 05:50*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:23 से 06:16 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से 12:54 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:06 दिसम्बर 10 से रात्रि 12:59 दिसम्बर 10 तक*
*⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है व नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹स्वस्थ रहने के सरल सूत्र*🔹
*🔸प्रतिदिन योगासन करें, सम्भव न हो तो खुले हवादार स्थान में टहलें । सुबह की ताजी व शुद्ध वायु से शरीर में स्फूर्ति आती है तथा जीवनीशक्ति का विकास होता है ।*
*🔸रोज सुबह खाली पेट नीम की १५-२० पत्तियाँ खाने से उनमें विद्यमान जीवाणुनाशक 'इजेडिरेक्टिन' रसायन यकृत (लीवर) को स्वस्थ व मजबूत बनाता है । यह प्रयोग मोटापा घटाकर शरीर को सुडौल बनाता है ।*
*🔸भोजन में तेल, नमक व गर्म मसालों की मात्रा अधिक नहीं होनी चाहिए । ये कई रोगों की जड़ हैं ।*
*🔸आँवला, नींबू, अदरक, हरड़ का उपयोग किसी-न-किसी रूप में प्रतिदिन करना चाहिए । ( रविवार और शुक्रवार को आँवला नहीं खाना चाहिए ।)*
*🔸 सौंफ को चबाकर खाने से या उसका रस चूसने से अथवा ४-५ ग्राम सौंफ का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से अफरा में लाभ होता है ।*
*🔸गुनगुना पानी ३-३ घंटे के अंतराल पर पीने से अपच में राहत मिलती है ।*
*📖लोक कल्याण 2014 जुलाई*
*⛅दिनांक - 09 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - अष्टमी प्रातः 08:02 तक, तत्पश्चात नवमी प्रातः 06:01 दिसम्बर 10 तक, तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
*⛅योग - सिद्धि रात्रि 01:06 दिसम्बर 10 तक तत्पश्चात व्यतीपात*
*⛅राहु काल - प्रातः 08:30 से प्रातः 09:51 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:14*
*⛅सूर्यास्त - 05:50*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:23 से 06:16 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से 12:54 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:06 दिसम्बर 10 से रात्रि 12:59 दिसम्बर 10 तक*
*⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है व नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹स्वस्थ रहने के सरल सूत्र*🔹
*🔸प्रतिदिन योगासन करें, सम्भव न हो तो खुले हवादार स्थान में टहलें । सुबह की ताजी व शुद्ध वायु से शरीर में स्फूर्ति आती है तथा जीवनीशक्ति का विकास होता है ।*
*🔸रोज सुबह खाली पेट नीम की १५-२० पत्तियाँ खाने से उनमें विद्यमान जीवाणुनाशक 'इजेडिरेक्टिन' रसायन यकृत (लीवर) को स्वस्थ व मजबूत बनाता है । यह प्रयोग मोटापा घटाकर शरीर को सुडौल बनाता है ।*
*🔸भोजन में तेल, नमक व गर्म मसालों की मात्रा अधिक नहीं होनी चाहिए । ये कई रोगों की जड़ हैं ।*
*🔸आँवला, नींबू, अदरक, हरड़ का उपयोग किसी-न-किसी रूप में प्रतिदिन करना चाहिए । ( रविवार और शुक्रवार को आँवला नहीं खाना चाहिए ।)*
*🔸 सौंफ को चबाकर खाने से या उसका रस चूसने से अथवा ४-५ ग्राम सौंफ का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से अफरा में लाभ होता है ।*
*🔸गुनगुना पानी ३-३ घंटे के अंतराल पर पीने से अपच में राहत मिलती है ।*
*📖लोक कल्याण 2014 जुलाई*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 10 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी प्रातः 03:42 दिसम्बर 11 तक, तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद दोपहर 01:30 तक तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग - व्यतीपात रात्रि 10:03 तक तत्पश्चात वरीयान्*
*⛅राहु काल - दोपहर 03:14 से शाम 04:35 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:14*
*⛅सूर्यास्त - 05:50*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:24 से प्रातः 06:17 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से दोपहर 12:54 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:06 दिसम्बर 11 से रात्रि 12:59 दिसम्बर 11 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - व्यतिपात योग (सूर्योदय से रात्रि 10:03 तक), सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 07:10 से दोपहर 01:30 तक)*
*⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹उपयोगी बातें🔹*
*🔹आरती के समय कपूर जलाने का विधान है । घर में नित्य कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है, शरीर पर बीमारियों का आक्रमण आसानी से नहीं होता, दुःस्वप्न नहीं आते और देवदोष तथा पितृदोषों का शमन होता है ।*
*🔹कपूर मसलकर घर में (खासकर कर ध्यान-भजन की जगह पर) थोड़ा छिड़काल कर देना भी हितावह है ।*
*🔹दीपज्योति अपने से पूर्व या उत्तर की ओर प्रगटानी चाहिए । ज्योति की संख्या 1,3,5 या 7 होनी चाहिए ।*
*दिन में नौ बार की हुई किसी भी वक्तवाली प्रार्थना अंतर्यामी तक पहुँच ही जाती है ।*
*⛅दिनांक - 10 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी प्रातः 03:42 दिसम्बर 11 तक, तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद दोपहर 01:30 तक तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग - व्यतीपात रात्रि 10:03 तक तत्पश्चात वरीयान्*
*⛅राहु काल - दोपहर 03:14 से शाम 04:35 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:14*
*⛅सूर्यास्त - 05:50*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:24 से प्रातः 06:17 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से दोपहर 12:54 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:06 दिसम्बर 11 से रात्रि 12:59 दिसम्बर 11 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - व्यतिपात योग (सूर्योदय से रात्रि 10:03 तक), सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 07:10 से दोपहर 01:30 तक)*
*⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹उपयोगी बातें🔹*
*🔹आरती के समय कपूर जलाने का विधान है । घर में नित्य कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है, शरीर पर बीमारियों का आक्रमण आसानी से नहीं होता, दुःस्वप्न नहीं आते और देवदोष तथा पितृदोषों का शमन होता है ।*
*🔹कपूर मसलकर घर में (खासकर कर ध्यान-भजन की जगह पर) थोड़ा छिड़काल कर देना भी हितावह है ।*
*🔹दीपज्योति अपने से पूर्व या उत्तर की ओर प्रगटानी चाहिए । ज्योति की संख्या 1,3,5 या 7 होनी चाहिए ।*
*दिन में नौ बार की हुई किसी भी वक्तवाली प्रार्थना अंतर्यामी तक पहुँच ही जाती है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 11 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - एकादशी रात्रि 01:09 दिसम्बर 12 तक, तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - रेवती प्रातः 11:48 तक तत्पश्चात अश्विनी*
*⛅योग - वरीयान् शाम 06:48 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:33 से दोपहर 01:54 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:14*
*⛅सूर्यास्त - 05:51*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:25 से 06:18 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:07 दिसम्बर 12 से रात्रि 01:00 दिसम्बर 12 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - श्रीमद्भगवद गीता जयंती, मोक्षदा एकादशी*
*⛅विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹एकदाशी में क्या करें, क्या ना करें ?*
*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें, नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करे ।*
*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम पाठ करें ।*
*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*
*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जाप करना चाहिए ।*
*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाएं । इस दिन फल आहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*
*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें, इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*
*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1बजे तक) ।*
*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*
*⛅दिनांक - 11 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - एकादशी रात्रि 01:09 दिसम्बर 12 तक, तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - रेवती प्रातः 11:48 तक तत्पश्चात अश्विनी*
*⛅योग - वरीयान् शाम 06:48 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:33 से दोपहर 01:54 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:14*
*⛅सूर्यास्त - 05:51*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:25 से 06:18 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:07 दिसम्बर 12 से रात्रि 01:00 दिसम्बर 12 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - श्रीमद्भगवद गीता जयंती, मोक्षदा एकादशी*
*⛅विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹एकदाशी में क्या करें, क्या ना करें ?*
*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें, नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करे ।*
*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम पाठ करें ।*
*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*
*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जाप करना चाहिए ।*
*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाएं । इस दिन फल आहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*
*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें, इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*
*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1बजे तक) ।*
*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 12 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वादशी रात्रि 10:26 तक, तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी प्रातः 09:52 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - परिघ दोपहर 03:23 तक तत्पश्चात शिव*
*⛅राहु काल - दोपहर 01:54 से दोपहर 03:15 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:14*
*⛅सूर्यास्त - 05:51*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:25 से 06:18 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 12:55 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:07 दिसम्बर 13 से रात्रि 01:00 दिसम्बर 13 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - मत्स्य द्वादशी, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 07:11 से प्रातः 09:52 तक)*
*⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔷सिर व बालों की समस्याओं से बचने हेतु🔷*
*🔸सर्वांगासन ठीक ढंग से करते रहने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं, बाल झड़ने बंद हो जाते हैं और जल्दी सफेद नहीं होते अपितु काले, चमकीले और सुंदर बन जाते हैं । आँवले का रस कभी – कभी बालों की जड़ों में लगाने से उनका झड़ना बंद हो जाता है । ( सर्वांगासन की विधि आदि पढ़े आश्रम से प्रकाशित पुस्तक ‘योगासन’ के पृष्ठ १५ पर । )*
*🔸युवावस्था से ही दोनों समय भोजन करने के बाद वज्रासन में बैठकर दो – तीन मिनट तक लकड़ी की कंघी सिर में घुमाने से बाल जल्दी सफेद नहीं होते तथा बाल और मस्तिष्क की पीड़ा संबंधी रोग नहीं होते । सिरदर्द दूर होकर मस्तिष्क बलवान बनता है । बालों का जल्दी गिरना, सिर की खुजली व गर्मी आदि रोग दूर होने में सहायता मिलती है । गोझरण अर्क में पानी मिलाकर बालों को मलने से वे मुलायम, पवित्र, रेशम जैसे हो जाते हैं । घरेलू उपाय बाजारू चीजों से सात्त्विक, सचोट और सस्ते हैं ।*
*स्त्रोत – ऋषिप्रसाद –जून २०१६ से*
*🔹प्यास व भूख लगने पर..*
*प्यास लगे तो जल पियें, भूख तो भोजन खायें ।*
*भ्रमण करे नित भोर में, ता घर वैद्य न जायें ।।*
*जो सदा प्यास लगने पर ही पानी पीता है, भूख लगने पर ही भोजन करता है और नियमितरुप से प्रात:काल में भ्रमण करता है, उसके घर वैद्य नहीं जाते, अर्थात वह स्वस्थ्य रहता है ।*
*ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से*
*⛅दिनांक - 12 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वादशी रात्रि 10:26 तक, तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी प्रातः 09:52 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - परिघ दोपहर 03:23 तक तत्पश्चात शिव*
*⛅राहु काल - दोपहर 01:54 से दोपहर 03:15 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:14*
*⛅सूर्यास्त - 05:51*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:25 से 06:18 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 12:55 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:07 दिसम्बर 13 से रात्रि 01:00 दिसम्बर 13 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - मत्स्य द्वादशी, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 07:11 से प्रातः 09:52 तक)*
*⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔷सिर व बालों की समस्याओं से बचने हेतु🔷*
*🔸सर्वांगासन ठीक ढंग से करते रहने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं, बाल झड़ने बंद हो जाते हैं और जल्दी सफेद नहीं होते अपितु काले, चमकीले और सुंदर बन जाते हैं । आँवले का रस कभी – कभी बालों की जड़ों में लगाने से उनका झड़ना बंद हो जाता है । ( सर्वांगासन की विधि आदि पढ़े आश्रम से प्रकाशित पुस्तक ‘योगासन’ के पृष्ठ १५ पर । )*
*🔸युवावस्था से ही दोनों समय भोजन करने के बाद वज्रासन में बैठकर दो – तीन मिनट तक लकड़ी की कंघी सिर में घुमाने से बाल जल्दी सफेद नहीं होते तथा बाल और मस्तिष्क की पीड़ा संबंधी रोग नहीं होते । सिरदर्द दूर होकर मस्तिष्क बलवान बनता है । बालों का जल्दी गिरना, सिर की खुजली व गर्मी आदि रोग दूर होने में सहायता मिलती है । गोझरण अर्क में पानी मिलाकर बालों को मलने से वे मुलायम, पवित्र, रेशम जैसे हो जाते हैं । घरेलू उपाय बाजारू चीजों से सात्त्विक, सचोट और सस्ते हैं ।*
*स्त्रोत – ऋषिप्रसाद –जून २०१६ से*
*🔹प्यास व भूख लगने पर..*
*प्यास लगे तो जल पियें, भूख तो भोजन खायें ।*
*भ्रमण करे नित भोर में, ता घर वैद्य न जायें ।।*
*जो सदा प्यास लगने पर ही पानी पीता है, भूख लगने पर ही भोजन करता है और नियमितरुप से प्रात:काल में भ्रमण करता है, उसके घर वैद्य नहीं जाते, अर्थात वह स्वस्थ्य रहता है ।*
*ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 13 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - त्रयोदशी शाम 07:40 तक, तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - भरणी प्रातः 07:50 तक, तत्पश्चात कृत्तिका प्रातः 05:48 दिसम्बर 14 तक, तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - शिव प्रातः 11:54 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*⛅राहु काल - प्रातः 11:14 से दोपहर 12:34 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:16*
*⛅सूर्यास्त - 05:51*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:26 से 06:19 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:13 से दोपहर 12:56 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:08 दिसम्बर 14 से रात्रि 01:01 दिसम्बर 14 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹सर्दियों के लिए बल व पुष्टि का खजाना🔹*
*🔸रात को भिगोयी हुई १ चम्मच उड़द की डाल सुबह महीन पीसकर उसमें २ चम्मच शुद्ध शहद मिला के चाटें । १ - १.३० घंटे बाद मिश्रीयुक्त दूध पियें । पूरी सर्दी यह प्रयोग करने से शरीर बलिष्ठ और सुडौल बनता है तथा वीर्य की वृद्धि होती है ।*
*🔸दूध के साथ शतावरी का २ – ३ ग्राम चूर्ण लेने से दुबले-पतले व्यक्ति, विशेषत: महिलाएँ कुछ ही दिनों में पुष्ट जो जाती हैं । यह चूर्ण स्नायु संस्थान को भी शक्ति देता हैं ।*
*🔸रात को भिगोयी हुई ५ – ७ खजूर सुबह खाकर दूध पीना या सिंघाड़े का देशी घी में बना हलवा खाना शरीर के लिए पुष्टिकारक है ।*
*🔸रोज रात को सोते समय भुनी हुई सौंफ खाकर पानी पीने से दिमाग तथा आँखों की कमजोरी में लाभ होता है ।*
*🔸आँवला चूर्ण, घी तथा शहद समान मात्रा में मिलाकर रख लें । रोज सुबह एक चम्मच खाने से शरीर के बल, नेत्रज्योति, वीर्य तथा कांति में वृद्धि होती है ।हड्डियाँ मजबूत बनती हैं ।*
*🔸१०० ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को २० ग्राम घी में मिलाकर मिट्टी के पात्र में रख दें । सुबह ३ ग्राम चूर्ण दूध के साथ नियमित लेने से कुछ ही दिनों में बल-वीर्य की वृद्धि होकर शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है ।*
*🔸शक्तिवर्धक खीर : ३ चम्मच गेहूँ का दलिया व २ चम्मच खसखस रात को पानी में भिगो दें । प्रात: इसमें दूध और मिश्री डालकर पकायें । आवश्यकता अनुसार मात्रा घटा-बढ़ा सकते हैं । यह खीर शक्तिवर्धक है ।*
*🔸हड्डी जोडनेवाला हलवा : गेहूँ के आटे में गुड व ५ ग्राम बला चूर्ण डाल के बनाया गया हलवा (शीरा) खाने से टूटी हुई हड्डी शीघ्र जुड़ जाति है । दर्द में भी आराम होता है ।*
*🔸सर्दियों में हरी अथवा सुखी मेथी का सेवन करने से शरीर के ८० प्रकार के वायु-रोगों में लाभ होता है ।*
*🔸सब प्रकार के उदर-रोगों में मठ्ठे और देशी गाय के मूत्र का सेवन अति लाभदायक है । (गोमूत्र न मिल पाये तो गोझरण अर्क का उपयोग कर सकते हैं ।)*
*- ऋषि प्रसाद – नवम्बर २०१४ से*
*⛅दिनांक - 13 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - त्रयोदशी शाम 07:40 तक, तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - भरणी प्रातः 07:50 तक, तत्पश्चात कृत्तिका प्रातः 05:48 दिसम्बर 14 तक, तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - शिव प्रातः 11:54 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*⛅राहु काल - प्रातः 11:14 से दोपहर 12:34 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:16*
*⛅सूर्यास्त - 05:51*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:26 से 06:19 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:13 से दोपहर 12:56 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:08 दिसम्बर 14 से रात्रि 01:01 दिसम्बर 14 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹सर्दियों के लिए बल व पुष्टि का खजाना🔹*
*🔸रात को भिगोयी हुई १ चम्मच उड़द की डाल सुबह महीन पीसकर उसमें २ चम्मच शुद्ध शहद मिला के चाटें । १ - १.३० घंटे बाद मिश्रीयुक्त दूध पियें । पूरी सर्दी यह प्रयोग करने से शरीर बलिष्ठ और सुडौल बनता है तथा वीर्य की वृद्धि होती है ।*
*🔸दूध के साथ शतावरी का २ – ३ ग्राम चूर्ण लेने से दुबले-पतले व्यक्ति, विशेषत: महिलाएँ कुछ ही दिनों में पुष्ट जो जाती हैं । यह चूर्ण स्नायु संस्थान को भी शक्ति देता हैं ।*
*🔸रात को भिगोयी हुई ५ – ७ खजूर सुबह खाकर दूध पीना या सिंघाड़े का देशी घी में बना हलवा खाना शरीर के लिए पुष्टिकारक है ।*
*🔸रोज रात को सोते समय भुनी हुई सौंफ खाकर पानी पीने से दिमाग तथा आँखों की कमजोरी में लाभ होता है ।*
*🔸आँवला चूर्ण, घी तथा शहद समान मात्रा में मिलाकर रख लें । रोज सुबह एक चम्मच खाने से शरीर के बल, नेत्रज्योति, वीर्य तथा कांति में वृद्धि होती है ।हड्डियाँ मजबूत बनती हैं ।*
*🔸१०० ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को २० ग्राम घी में मिलाकर मिट्टी के पात्र में रख दें । सुबह ३ ग्राम चूर्ण दूध के साथ नियमित लेने से कुछ ही दिनों में बल-वीर्य की वृद्धि होकर शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है ।*
*🔸शक्तिवर्धक खीर : ३ चम्मच गेहूँ का दलिया व २ चम्मच खसखस रात को पानी में भिगो दें । प्रात: इसमें दूध और मिश्री डालकर पकायें । आवश्यकता अनुसार मात्रा घटा-बढ़ा सकते हैं । यह खीर शक्तिवर्धक है ।*
*🔸हड्डी जोडनेवाला हलवा : गेहूँ के आटे में गुड व ५ ग्राम बला चूर्ण डाल के बनाया गया हलवा (शीरा) खाने से टूटी हुई हड्डी शीघ्र जुड़ जाति है । दर्द में भी आराम होता है ।*
*🔸सर्दियों में हरी अथवा सुखी मेथी का सेवन करने से शरीर के ८० प्रकार के वायु-रोगों में लाभ होता है ।*
*🔸सब प्रकार के उदर-रोगों में मठ्ठे और देशी गाय के मूत्र का सेवन अति लाभदायक है । (गोमूत्र न मिल पाये तो गोझरण अर्क का उपयोग कर सकते हैं ।)*
*- ऋषि प्रसाद – नवम्बर २०१४ से*
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धन्यवाद 🙏
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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 14 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्दशी शाम 04:58 तक, तत्पश्चात पूर्णिमा*
*⛅नक्षत्र - रोहिणी प्रातः 03:54 दिसम्बर 15 तक, तत्पश्चात मृगशिरा*
*⛅योग - सिद्ध प्रातः 08:27 तक, तत्पश्चात साध्य प्रातः 05:07 दिसम्बर 15 तक, तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल - प्रातः 09:53 से प्रातः 11:14 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:16*
*⛅सूर्यास्त - 05:52*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:26 से 06:19 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:13 से दोपहर 12:56 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:08 दिसम्बर 15 से रात्रि 01:01 दिसम्बर 15 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - श्री दत्तात्रेय जयन्ती, रोहिणी व्रत, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग (प्रातः 07:12 से प्रातः 03:54 दिसम्बर 15 तक)*
*⛅विशेष - चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹खजूर खाओ, सेहत बनाओ !🔹*
*🔸 खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक व सेवन करने के बाद तुरंत शक्ति-स्फूर्ति देनेवाला है । यह रक्त, मांस व वीर्य की वृद्धि करता है । हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देता है । वात, पित्त व कफ इन तीनों दोषों का शामक है । यह मल व मूत्र को साफ लाता है । खजूर में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, लौह आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं । ‘अमेरिकन कैंसर सोसायटी’ के अनुसार शरीर को एक दिन में 20-35 ग्राम डाएटरी फाइबर (खाद्य पदार्थों में स्थित रेशा) की जरूरत होती है, जो खजूर खाने से पूरी हो जाती है ।*
*🔸 खजूर रातभर पानी में भिगोकर सुबह लेना लाभदायक है । कमजोर हृदयवालों के लिए यह विशेष उपयोगी है । खजूर यकृत (लीवर) के रोगों में लाभकारी है । रक्ताल्पता में इसका नियमित सेवन लाभकारी है । नींबू के रस में खजूर की चटनी बनाकर खाने से भोजन की अरुचि मिटती है । खजूर का सेवन बालों को लम्बे, घने और मुलायम बनाता है ।*
*🔸 सावधानी : आजकल खजूर को वृक्ष से अलग करने के बाद रासायनिक पदार्थों के द्वारा सुखाया जाता है । ये रसायन शरीर के लिए हानिकारक होते हैं । अतः उपयोग करने से पहले खजूर को अच्छी तरह से धो लें । धोकर सुखाने के बाद इन्हें विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है ।*
*🔶 मात्रा : 5 से 7 खजूर अच्छी तरह धोकर रात को भिगो के सुबह खायें । बच्चों के लिए 2-4 खजूर पर्याप्त है । दूध या घी में मिलाकर खाना विशेष लाभदायी है ।*
*🔹बुद्धि बढ़ाने के ढेर सारे उपाय🔹*
*🔸 १] दिव्य प्रेरणा-प्रकाश पुस्तक में (पृष्ठ २ पर ) एक मंत्र लिखा है , उसको पढ़कर दूध में देखोगे और वह दूध पियोगे तो बुद्धि बढ़ेगी, बल बढ़ेगा ।*
*🔸 २] मंत्रजप और अनुष्ठान से बुद्धि विकसित होती है ।*
*🔸 ३] भगवच्चिंतन करके ॐकार का गुंजन करके शांत होओगे तो बुद्धि बढ़ेगी ।*
*🔸 ४] श्वासोच्छवास में भगवान् सूर्यनारायण का ध्यान करने से भी फायदा होगा ।*
*🔸 ५] श्रद्धा, भक्ति और गुरुजनों के सत्संग से भी बुद्धि उन्नत होती है ।*
*🔸 ७] भगवद-ध्यान से तो बुद्धि को बढना ही है ।*
*🔸 ८] स्मृतिशक्ति बढ़ानी है तो कानों में अँगूठे के पासवाली पहली उँगलियाँ डालकर लम्बा श्वास लो फिर होंठ बंद रख के कंठ से ‘ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ....’ ऐसा उच्चारण करो । इस प्रकार १० बार करो । इस भ्रामरी प्राणायाम से स्मृति बढ़ेगी, बुद्धू विद्यार्थी भी अच्छे अंक लायेंगे ।*
*ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०२० से*
14.12.2024
*⛅दिनांक - 14 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्दशी शाम 04:58 तक, तत्पश्चात पूर्णिमा*
*⛅नक्षत्र - रोहिणी प्रातः 03:54 दिसम्बर 15 तक, तत्पश्चात मृगशिरा*
*⛅योग - सिद्ध प्रातः 08:27 तक, तत्पश्चात साध्य प्रातः 05:07 दिसम्बर 15 तक, तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल - प्रातः 09:53 से प्रातः 11:14 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:16*
*⛅सूर्यास्त - 05:52*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:26 से 06:19 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:13 से दोपहर 12:56 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:08 दिसम्बर 15 से रात्रि 01:01 दिसम्बर 15 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - श्री दत्तात्रेय जयन्ती, रोहिणी व्रत, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग (प्रातः 07:12 से प्रातः 03:54 दिसम्बर 15 तक)*
*⛅विशेष - चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹खजूर खाओ, सेहत बनाओ !🔹*
*🔸 खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक व सेवन करने के बाद तुरंत शक्ति-स्फूर्ति देनेवाला है । यह रक्त, मांस व वीर्य की वृद्धि करता है । हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देता है । वात, पित्त व कफ इन तीनों दोषों का शामक है । यह मल व मूत्र को साफ लाता है । खजूर में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, लौह आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं । ‘अमेरिकन कैंसर सोसायटी’ के अनुसार शरीर को एक दिन में 20-35 ग्राम डाएटरी फाइबर (खाद्य पदार्थों में स्थित रेशा) की जरूरत होती है, जो खजूर खाने से पूरी हो जाती है ।*
*🔸 खजूर रातभर पानी में भिगोकर सुबह लेना लाभदायक है । कमजोर हृदयवालों के लिए यह विशेष उपयोगी है । खजूर यकृत (लीवर) के रोगों में लाभकारी है । रक्ताल्पता में इसका नियमित सेवन लाभकारी है । नींबू के रस में खजूर की चटनी बनाकर खाने से भोजन की अरुचि मिटती है । खजूर का सेवन बालों को लम्बे, घने और मुलायम बनाता है ।*
*🔸 सावधानी : आजकल खजूर को वृक्ष से अलग करने के बाद रासायनिक पदार्थों के द्वारा सुखाया जाता है । ये रसायन शरीर के लिए हानिकारक होते हैं । अतः उपयोग करने से पहले खजूर को अच्छी तरह से धो लें । धोकर सुखाने के बाद इन्हें विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है ।*
*🔶 मात्रा : 5 से 7 खजूर अच्छी तरह धोकर रात को भिगो के सुबह खायें । बच्चों के लिए 2-4 खजूर पर्याप्त है । दूध या घी में मिलाकर खाना विशेष लाभदायी है ।*
*🔹बुद्धि बढ़ाने के ढेर सारे उपाय🔹*
*🔸 १] दिव्य प्रेरणा-प्रकाश पुस्तक में (पृष्ठ २ पर ) एक मंत्र लिखा है , उसको पढ़कर दूध में देखोगे और वह दूध पियोगे तो बुद्धि बढ़ेगी, बल बढ़ेगा ।*
*🔸 २] मंत्रजप और अनुष्ठान से बुद्धि विकसित होती है ।*
*🔸 ३] भगवच्चिंतन करके ॐकार का गुंजन करके शांत होओगे तो बुद्धि बढ़ेगी ।*
*🔸 ४] श्वासोच्छवास में भगवान् सूर्यनारायण का ध्यान करने से भी फायदा होगा ।*
*🔸 ५] श्रद्धा, भक्ति और गुरुजनों के सत्संग से भी बुद्धि उन्नत होती है ।*
*🔸 ७] भगवद-ध्यान से तो बुद्धि को बढना ही है ।*
*🔸 ८] स्मृतिशक्ति बढ़ानी है तो कानों में अँगूठे के पासवाली पहली उँगलियाँ डालकर लम्बा श्वास लो फिर होंठ बंद रख के कंठ से ‘ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ....’ ऐसा उच्चारण करो । इस प्रकार १० बार करो । इस भ्रामरी प्राणायाम से स्मृति बढ़ेगी, बुद्धू विद्यार्थी भी अच्छे अंक लायेंगे ।*
*ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०२० से*
14.12.2024
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 15 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पूर्णिमा दोपहर 02:31 तक, तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा रात्रि 02:20 दिसम्बर 16 तक, तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग - शुभ रात्रि 02:04 दिसम्बर 16 तक, तत्पश्चात शुक्ल*
*⛅राहु काल - शाम 04:36 से शाम 05:57 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:17*
*⛅सूर्यास्त - 05:52*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:27 से प्रातः 06:20 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:14 से दोपहर 12:56 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:09 दिसम्बर 16 से रात्रि 01:02 दिसम्बर 16 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - अन्नपूर्णा जयन्ती, त्रिपुर भैरवी जयन्ती, धनु संक्रान्ति, षडशीति संक्रांति (दोपहर 12:22 से सूर्यास्त तक), मार्गशीर्ष पूर्णिमा*
*⛅विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹नवयौवन देनेवाली पुनर्नवा🔹*
*🔸यह शरीर को, विशेषकर दृष्टि को नया करती की है इसलिए इसको 'पुनर्नवा' कहते हैं । इसे हिन्दी में गदहपूरना या पुनर्नवा, मराठी में घेटुली, गुजराती में लाल साटोड़ी कहते हैं ।*
*🔸यह कोशिकाओं में संचित सूक्ष्म मल तथा दोषों को मूत्र के द्वारा बाहर निकालकर सम्पूर्ण शरीर की शुद्धि करती है, जिससे गुर्दे (kidneys), यकृत, हृदय आदि सभी अंग-प्रत्यंगों की कार्यशीलता व मजबूती बढ़ती है तथा युवावस्था दीर्घकाल तक बनी रहती है । यह बड़ी उम्र में कष्टदायी अनेक रोगों, जैसे मधुमेह (diabetes), हृदयरोग, श्वासरोग (दमा), खाँसी आदि से रक्षा करती है ।*
*🔸आचार्य वाग्भटजी ने भी कहा है: 'जीर्णोऽपि भूयः सः पुनर्नवः स्यात् ।' अर्थात् चाहे कैसा भी वृद्ध मनुष्य हो, इसके विधिवत् सेवन से वह पुनः नवयुवक सदृश बनता है ।*
*🔸आधुनिक शोधों के अनुसार पुनर्नवा पोषक तत्त्वों का एक अच्छा स्रोत है। इसमें अमीनो एसिड, कैल्शियम, विटामिन 'सी', 'बी २', 'बी ३' पाये जाते हैं । यह कैंसर, मधुमेह, तनाव आदि में लाभदायक है ।*
*🔸पुनर्नवा उत्तम विषनाशक भी है । यह विरुद्ध आहार व अंग्रेजी दवाओं के अतिशय सेवन से शरीर में संचित हुए विषैले द्रव्यों का निष्कासन रोगों से रक्षा करती है । पाचकाग्नि को बढ़ाती है । इसके पेशाब खुलकर लानेवाले एवं सूजन पुणे कम करनेवाले गुणों के कारण यह सूजन, पेट में फेफड़ों में पानी भरना, पेशाब कम आना, गुर्दों पथरी आदि में बहुत ही लाभदायी औषधि है । रक्ताल्पता, संधिवात, आमवात और अजीर्ण में यह लाभकारी है ।*
*🔸पत्तों की सब्जी : मूँग की दाल मिला के इसकी रसदार सब्जी बनती है, जो शरीर की सूजन, मूत्ररोगों (विशेषकर मूत्राल्पता), हृदयरोगों, दमा, शरीरदर्द, मंदाग्नि, खून की कमी, यकृत के रोग तथा इन रोगों से रक्षा करने में फायदेमंद है ।*
*🔸नेत्रज्योति बढ़ाने हेतु विशेष प्रयोग पुनर्नवा की जड़ व पत्तों के ५-१० मि.ली. छने हुए रस में १ चम्मच मिश्री मिलाकर सुबह खाली पेट १ मास तक सेवन करें । इससे नेत्रज्योति खूब बढ़ती है एवं शरीर में स्फूर्ति आती है ।*
*🔸रसायन-प्रयोग: आयुर्वेद के आचार्यों ने पुनर्नवा को रसायन (tonic) कहा है । इसके सेवन से दीर्घायुष्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है । इससे जठराग्नि की वृद्धि होती है और शरीर का पोषण होता है । यह बल व शक्ति प्रदान करनेवाला है ।*
*🔸(१) पुनर्नवा के ताजे पत्तों के ५-१० मि.ली. रस में एक चुटकी काली मिर्च व थोड़ा-सा शहद मिलाकर लें ।*
*🔸(२) २-२ ग्राम पुनर्नवा चूर्ण या २-२ पुनर्नवा मूल (टेबलेट) सुबह-शाम दूध के साथ एक वर्ष तक लेने से शरीर में नयी कोशिकाओं का निर्माण होता है ।*
*-ऋषि प्रसाद नवम्बर 2023*
*⛅दिनांक - 15 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पूर्णिमा दोपहर 02:31 तक, तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा रात्रि 02:20 दिसम्बर 16 तक, तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग - शुभ रात्रि 02:04 दिसम्बर 16 तक, तत्पश्चात शुक्ल*
*⛅राहु काल - शाम 04:36 से शाम 05:57 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:17*
*⛅सूर्यास्त - 05:52*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:27 से प्रातः 06:20 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:14 से दोपहर 12:56 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:09 दिसम्बर 16 से रात्रि 01:02 दिसम्बर 16 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - अन्नपूर्णा जयन्ती, त्रिपुर भैरवी जयन्ती, धनु संक्रान्ति, षडशीति संक्रांति (दोपहर 12:22 से सूर्यास्त तक), मार्गशीर्ष पूर्णिमा*
*⛅विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹नवयौवन देनेवाली पुनर्नवा🔹*
*🔸यह शरीर को, विशेषकर दृष्टि को नया करती की है इसलिए इसको 'पुनर्नवा' कहते हैं । इसे हिन्दी में गदहपूरना या पुनर्नवा, मराठी में घेटुली, गुजराती में लाल साटोड़ी कहते हैं ।*
*🔸यह कोशिकाओं में संचित सूक्ष्म मल तथा दोषों को मूत्र के द्वारा बाहर निकालकर सम्पूर्ण शरीर की शुद्धि करती है, जिससे गुर्दे (kidneys), यकृत, हृदय आदि सभी अंग-प्रत्यंगों की कार्यशीलता व मजबूती बढ़ती है तथा युवावस्था दीर्घकाल तक बनी रहती है । यह बड़ी उम्र में कष्टदायी अनेक रोगों, जैसे मधुमेह (diabetes), हृदयरोग, श्वासरोग (दमा), खाँसी आदि से रक्षा करती है ।*
*🔸आचार्य वाग्भटजी ने भी कहा है: 'जीर्णोऽपि भूयः सः पुनर्नवः स्यात् ।' अर्थात् चाहे कैसा भी वृद्ध मनुष्य हो, इसके विधिवत् सेवन से वह पुनः नवयुवक सदृश बनता है ।*
*🔸आधुनिक शोधों के अनुसार पुनर्नवा पोषक तत्त्वों का एक अच्छा स्रोत है। इसमें अमीनो एसिड, कैल्शियम, विटामिन 'सी', 'बी २', 'बी ३' पाये जाते हैं । यह कैंसर, मधुमेह, तनाव आदि में लाभदायक है ।*
*🔸पुनर्नवा उत्तम विषनाशक भी है । यह विरुद्ध आहार व अंग्रेजी दवाओं के अतिशय सेवन से शरीर में संचित हुए विषैले द्रव्यों का निष्कासन रोगों से रक्षा करती है । पाचकाग्नि को बढ़ाती है । इसके पेशाब खुलकर लानेवाले एवं सूजन पुणे कम करनेवाले गुणों के कारण यह सूजन, पेट में फेफड़ों में पानी भरना, पेशाब कम आना, गुर्दों पथरी आदि में बहुत ही लाभदायी औषधि है । रक्ताल्पता, संधिवात, आमवात और अजीर्ण में यह लाभकारी है ।*
*🔸पत्तों की सब्जी : मूँग की दाल मिला के इसकी रसदार सब्जी बनती है, जो शरीर की सूजन, मूत्ररोगों (विशेषकर मूत्राल्पता), हृदयरोगों, दमा, शरीरदर्द, मंदाग्नि, खून की कमी, यकृत के रोग तथा इन रोगों से रक्षा करने में फायदेमंद है ।*
*🔸नेत्रज्योति बढ़ाने हेतु विशेष प्रयोग पुनर्नवा की जड़ व पत्तों के ५-१० मि.ली. छने हुए रस में १ चम्मच मिश्री मिलाकर सुबह खाली पेट १ मास तक सेवन करें । इससे नेत्रज्योति खूब बढ़ती है एवं शरीर में स्फूर्ति आती है ।*
*🔸रसायन-प्रयोग: आयुर्वेद के आचार्यों ने पुनर्नवा को रसायन (tonic) कहा है । इसके सेवन से दीर्घायुष्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है । इससे जठराग्नि की वृद्धि होती है और शरीर का पोषण होता है । यह बल व शक्ति प्रदान करनेवाला है ।*
*🔸(१) पुनर्नवा के ताजे पत्तों के ५-१० मि.ली. रस में एक चुटकी काली मिर्च व थोड़ा-सा शहद मिलाकर लें ।*
*🔸(२) २-२ ग्राम पुनर्नवा चूर्ण या २-२ पुनर्नवा मूल (टेबलेट) सुबह-शाम दूध के साथ एक वर्ष तक लेने से शरीर में नयी कोशिकाओं का निर्माण होता है ।*
*-ऋषि प्रसाद नवम्बर 2023*