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मैंने कल एक झलक जिंदगी को देखा,
वो मेरी राह में गुनगुना रही थी ...
मैं ढूंढ़ रहा था उसे इधर उधर,
वो ऑंख मिचोली कर मुस्कुरा रही थी ...
एक अरसे के बाद आया मुझे करार,
वो थपकी दे मुझे सुला रही थी ...
हम दोनों क्यों ख़फा हैं एक दुसरे से,
मैं उसे और वो मुझे बता रही थी ...
मैंने पुछा तूने मुझे इतना दर्द क्यों दिया ?
उसने कहाँ मैं जिंदगी हू ...
"तुजे जीना सीखा रही थी"
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Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
मैंने कल एक झलक जिंदगी को देखा,
वो मेरी राह में गुनगुना रही थी ...
मैं ढूंढ़ रहा था उसे इधर उधर,
वो ऑंख मिचोली कर मुस्कुरा रही थी ...
एक अरसे के बाद आया मुझे करार,
वो थपकी दे मुझे सुला रही थी ...
हम दोनों क्यों ख़फा हैं एक दुसरे से,
मैं उसे और वो मुझे बता रही थी ...
मैंने पुछा तूने मुझे इतना दर्द क्यों दिया ?
उसने कहाँ मैं जिंदगी हू ...
"तुजे जीना सीखा रही थी"
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Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
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Happy independence day 🇮🇳
उम्मीद कभी न छोड़े,
यही वह पथ है,
जो जीवन भर आपको
गतिशील बनाकर रखता है।
अनेकता में एकता ही
हमारी शान हैं इसीलिए
ये भारत महान हैं।
━━━━✧❂✧━━━━
"गुनाह उनका नहीं, जिनका साया उनके कद से ऊपर उठ गया,
गुनहगार तो वो हैं जो अपना साया ही गंवा बैठे हैं, औरों का कद उठाने में!"
Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
यही वह पथ है,
जो जीवन भर आपको
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अनेकता में एकता ही
हमारी शान हैं इसीलिए
ये भारत महान हैं।
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"गुनाह उनका नहीं, जिनका साया उनके कद से ऊपर उठ गया,
गुनहगार तो वो हैं जो अपना साया ही गंवा बैठे हैं, औरों का कद उठाने में!"
Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
🍁🌼🌻🏵️🌺🌸☘️💐
एक मजदूर नया नया दिल्ली आया।
पत्नी को किराए के मकान मे छोडकर काम की तलाश मे निकला।
एक जगह गुरुद्वारे में सेवा चल रही थी।
कुछ लडकों को काम करते देखा उनसे पूछा-
"क्या मैं यहाँ काम कर सकता हूँ?"
लडको ने 'हाँ' कहा।
मजदूर-
"तुम्हारे मालिक कहाँ हैं?"
लडको को शरारत सूझी और बोले-
"मालिक बाहर गया है। तुम बस काम पर लग जाओ।
हम बता देंगे कि आज से लगे हो।"
मजदूर खुश हुआ और काम करने लगा।
रोज सुबह समय से आता शाम को जाता।
पूरी मेहनत लगन से काम करता।
ऐसे हफ्ता निकल गया।
मजदूर ने फिर लडकों से पूछा-
"मालिक कब आयेंगे?"
लडकों ने फिर हफ्ता कह दिया।
फिर से हफ्ता निकल गया।
मजदूर लडकों से बोला-
"भैया आज तो घरपर खाने को कुछ नही।
बचा पत्नी बोली कुछ पैसे लाओगे तभी खाना बनेगा।
मालिक से हमें मिलवा दो।"
लडकों ने बात अगले दिन तक टाल दी।
मगर मजदूर के जाते ही उन्हें अपनी गलती का एहसास होने लगा और उन्होने आखिर फैसला किया कि वो मजदूर को सबकुछ सच सच बता देंगे। ये गुरूदा्रे की सेवा है। यहाँ कोई मालिक नहीं।
ये तो हम अपने गुरु महाराज जी की सेवा कर रहे हैं।
अगले दिन मजदूर आया तो सभी लडकों के चेहरे उतरे थे।
वो बोले-
"अंकल जी, हमें माफ कर दो।
हम अबतक आपसे मजाक कर रहे थे।"
और सारी बात बता दी।
मजदूर हंसा ओर बोला-
"मजाक तो आप अब कर रहे हो।
हमारे मालिक तो सचमुच बहुत अच्छे हैं।
कल दोपहर मे हमारे घर आये थे।
पत्नी को 1 महीने की पगार ओर 15 दिनों का राशन देकर गए।
कौन मालिक मजदूर को घर पर पगार देता है, राशन देता है।
सचमुच हमारे मालिक बहुत अच्छे हैं।"
और फिर अपने काम पर मेहनत से जुट गया।
लडकों की समझ में आ गया जो बिना स्वार्थ के गुरु की सेवा करता है, गुरू हमेशा उसके साथ रहते हैं और उसके दुख तकलीफ दूर करते रहते हैं।
सभी गुरुओं के चरणों में मेरा शत-शत नमन🙏
Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
एक मजदूर नया नया दिल्ली आया।
पत्नी को किराए के मकान मे छोडकर काम की तलाश मे निकला।
एक जगह गुरुद्वारे में सेवा चल रही थी।
कुछ लडकों को काम करते देखा उनसे पूछा-
"क्या मैं यहाँ काम कर सकता हूँ?"
लडको ने 'हाँ' कहा।
मजदूर-
"तुम्हारे मालिक कहाँ हैं?"
लडको को शरारत सूझी और बोले-
"मालिक बाहर गया है। तुम बस काम पर लग जाओ।
हम बता देंगे कि आज से लगे हो।"
मजदूर खुश हुआ और काम करने लगा।
रोज सुबह समय से आता शाम को जाता।
पूरी मेहनत लगन से काम करता।
ऐसे हफ्ता निकल गया।
मजदूर ने फिर लडकों से पूछा-
"मालिक कब आयेंगे?"
लडकों ने फिर हफ्ता कह दिया।
फिर से हफ्ता निकल गया।
मजदूर लडकों से बोला-
"भैया आज तो घरपर खाने को कुछ नही।
बचा पत्नी बोली कुछ पैसे लाओगे तभी खाना बनेगा।
मालिक से हमें मिलवा दो।"
लडकों ने बात अगले दिन तक टाल दी।
मगर मजदूर के जाते ही उन्हें अपनी गलती का एहसास होने लगा और उन्होने आखिर फैसला किया कि वो मजदूर को सबकुछ सच सच बता देंगे। ये गुरूदा्रे की सेवा है। यहाँ कोई मालिक नहीं।
ये तो हम अपने गुरु महाराज जी की सेवा कर रहे हैं।
अगले दिन मजदूर आया तो सभी लडकों के चेहरे उतरे थे।
वो बोले-
"अंकल जी, हमें माफ कर दो।
हम अबतक आपसे मजाक कर रहे थे।"
और सारी बात बता दी।
मजदूर हंसा ओर बोला-
"मजाक तो आप अब कर रहे हो।
हमारे मालिक तो सचमुच बहुत अच्छे हैं।
कल दोपहर मे हमारे घर आये थे।
पत्नी को 1 महीने की पगार ओर 15 दिनों का राशन देकर गए।
कौन मालिक मजदूर को घर पर पगार देता है, राशन देता है।
सचमुच हमारे मालिक बहुत अच्छे हैं।"
और फिर अपने काम पर मेहनत से जुट गया।
लडकों की समझ में आ गया जो बिना स्वार्थ के गुरु की सेवा करता है, गुरू हमेशा उसके साथ रहते हैं और उसके दुख तकलीफ दूर करते रहते हैं।
सभी गुरुओं के चरणों में मेरा शत-शत नमन🙏
Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
रहीम एक नवाब थे , वे प्रतिदिन दान किया करते थे।
उनका दान देने का ढंग अनोखा था। वे रूपये पैसों की
ढेरी लगवा लेते थे और आँखें नीची करके उस ढेर में से
मुट्ठी भर-भर कर याचकों को देते जाते थे।
एक दिन संत तुलसीदासजी भी वहाँ उपस्थित थे। उन्होंने
देखा कि एक याचक दो-तीन बार ले चुका है परंतु रहीम
फिर भी उसे दे रहे हैं.!
यह दृश्य देखकर तुलसीदास जी ने पूछा :--
सीखे कहाँ नवाबजू , देनी ऐसी देन.?
ज्यों ज्यों कर ऊँचे चढ़े , त्यों त्यों नीचे नैन.!!
तब रहीम ने बड़ी नम्रता से उत्तर दिया :--
देने हारा और है , जो देता दिन रैन.!
लोग भरम हम पै करें , या विधि नीचे नैन.!!
असल में दाता तो कोई दूसरा है जो दिन-रात दे रहा है ,
हम पर व्यर्थ ही भ्रम होता है कि हम दाता हैं इसीलिए
आँखें झुक जाती हैं।
कितनी ऊँची दृष्टि है। कितना पवित्र दान है। दान श्रद्धा ,
प्रेम , सहानुभूति एवं नम्रतापूर्वक दो। कुढ़कर , जलकर ,
खीजकर मअंतरात्मा का आशीष पाओ।
Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
उनका दान देने का ढंग अनोखा था। वे रूपये पैसों की
ढेरी लगवा लेते थे और आँखें नीची करके उस ढेर में से
मुट्ठी भर-भर कर याचकों को देते जाते थे।
एक दिन संत तुलसीदासजी भी वहाँ उपस्थित थे। उन्होंने
देखा कि एक याचक दो-तीन बार ले चुका है परंतु रहीम
फिर भी उसे दे रहे हैं.!
यह दृश्य देखकर तुलसीदास जी ने पूछा :--
सीखे कहाँ नवाबजू , देनी ऐसी देन.?
ज्यों ज्यों कर ऊँचे चढ़े , त्यों त्यों नीचे नैन.!!
तब रहीम ने बड़ी नम्रता से उत्तर दिया :--
देने हारा और है , जो देता दिन रैन.!
लोग भरम हम पै करें , या विधि नीचे नैन.!!
असल में दाता तो कोई दूसरा है जो दिन-रात दे रहा है ,
हम पर व्यर्थ ही भ्रम होता है कि हम दाता हैं इसीलिए
आँखें झुक जाती हैं।
कितनी ऊँची दृष्टि है। कितना पवित्र दान है। दान श्रद्धा ,
प्रेम , सहानुभूति एवं नम्रतापूर्वक दो। कुढ़कर , जलकर ,
खीजकर मअंतरात्मा का आशीष पाओ।
Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
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1) मेरी मंजिल मेरे करीब है
इसका मुझे एहसास है...
घमण्ड नहीं मुझे अपने ' इरादों ' पर...
ये मेरी सोच और हौसले का विश्वास है
2) ज्यादातर लोग उतने ही खुश रहते हैं,
जितना वो अपने दिमाग में तय कर लेते हैं।
3) संघर्ष इंसान को मजबूत बनाता है।
फिर चाहे वो कितना भी कमजोर क्यो न हो,
अगर हारने से डर लगता है तो,
जितने की इच्छा कभी मत रखना।
4) इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है,
क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये ज़रूरी है।
5) आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें
उसे पचाना सीखो क्योंकि...
भोजन न पचने पर रोग बढते है,
पैसा न पचने पर दिखावा बढता है,
बात न पचने पर चुगली बढती है
प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढता है,
निंदा न पचने पर दुश्मनी बढती है,
राज न पचने पर खतरा बढता है,
दुःख न पचने पर निराशा बढती है,
और सुख न पचने पर पाप बढता है।
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Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
1) मेरी मंजिल मेरे करीब है
इसका मुझे एहसास है...
घमण्ड नहीं मुझे अपने ' इरादों ' पर...
ये मेरी सोच और हौसले का विश्वास है
2) ज्यादातर लोग उतने ही खुश रहते हैं,
जितना वो अपने दिमाग में तय कर लेते हैं।
3) संघर्ष इंसान को मजबूत बनाता है।
फिर चाहे वो कितना भी कमजोर क्यो न हो,
अगर हारने से डर लगता है तो,
जितने की इच्छा कभी मत रखना।
4) इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है,
क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये ज़रूरी है।
5) आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें
उसे पचाना सीखो क्योंकि...
भोजन न पचने पर रोग बढते है,
पैसा न पचने पर दिखावा बढता है,
बात न पचने पर चुगली बढती है
प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढता है,
निंदा न पचने पर दुश्मनी बढती है,
राज न पचने पर खतरा बढता है,
दुःख न पचने पर निराशा बढती है,
और सुख न पचने पर पाप बढता है।
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Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
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1) ❛सफलता हमारा परिचय दुनिया को करवाती है
और असफलता हमें दुनिया का परिचय करवाती है।❜
2) "कोशिश" न कर,तू सभी को ख़ुश रखने की,
नाराज तो यहाँ, कुछ लोग, खुदा से भी हैं....!!
3) हम भी लगाव रखते हैं
पर बोलते नही,
क्योकि हम रिश्ते निभाते है
तौलते नही..........🌹
4) ❛दरवाज़ों पे खाली तख्तियां अच्छी नहीं लगती,
मुझे उजड़ी हुई ये बस्तियां अच्छी नहीं लगती !
चलती तो समंदर का भी सीना चीर सकती थीं,
यूँ साहिल पे ठहरी कश्तियां अच्छी नहीं लगती !
खुदा भी याद आता है ज़रूरत पे यहां सबको,
दुनिया की यही खुदगर्ज़ियां अच्छी नहीं लगती !
उन्हें कैसे मिलेगी माँ के पैरों के तले जन्नत,
जिन्हें अपने घरों में बच्चियां अच्छी नहीं लगती !❜
5) कभी कभी मरहम नहीं.
जख्म भी इन्सान को जिंदा रखता है।
6) हम जैसे सिरफिरे ही इतिहास रचते हैं !
समझदार तो केवल इतिहास पढ़ते हैं !!
7) बहुत सोचा, बहुत समझा, बहुत देर तक परखा,
तन्हा हो के जी लेना मोहब्बत से बेहतर है
8) दस्तक और आवाज तो कानों के लिए है..
जो रुह को सुनाई दे उसे खामोशी कहते हैं..."
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Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
1) ❛सफलता हमारा परिचय दुनिया को करवाती है
और असफलता हमें दुनिया का परिचय करवाती है।❜
2) "कोशिश" न कर,तू सभी को ख़ुश रखने की,
नाराज तो यहाँ, कुछ लोग, खुदा से भी हैं....!!
3) हम भी लगाव रखते हैं
पर बोलते नही,
क्योकि हम रिश्ते निभाते है
तौलते नही..........🌹
4) ❛दरवाज़ों पे खाली तख्तियां अच्छी नहीं लगती,
मुझे उजड़ी हुई ये बस्तियां अच्छी नहीं लगती !
चलती तो समंदर का भी सीना चीर सकती थीं,
यूँ साहिल पे ठहरी कश्तियां अच्छी नहीं लगती !
खुदा भी याद आता है ज़रूरत पे यहां सबको,
दुनिया की यही खुदगर्ज़ियां अच्छी नहीं लगती !
उन्हें कैसे मिलेगी माँ के पैरों के तले जन्नत,
जिन्हें अपने घरों में बच्चियां अच्छी नहीं लगती !❜
5) कभी कभी मरहम नहीं.
जख्म भी इन्सान को जिंदा रखता है।
6) हम जैसे सिरफिरे ही इतिहास रचते हैं !
समझदार तो केवल इतिहास पढ़ते हैं !!
7) बहुत सोचा, बहुत समझा, बहुत देर तक परखा,
तन्हा हो के जी लेना मोहब्बत से बेहतर है
8) दस्तक और आवाज तो कानों के लिए है..
जो रुह को सुनाई दे उसे खामोशी कहते हैं..."
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Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
प्रेरक प्रसंग मन की आवाज़ !!
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एक बुढ़िया बड़ी सी गठरी लिए चली जा रही थी। चलते-चलते वह थक गई थी। तभी उसने देखा कि एक घुड़सवार चला आ रहा है। उसे देख बुढ़िया ने आवाज दी, ‘अरे बेटा, एक बात तो सुन।’ घुड़सवार रुक गया। उसने पूछा, ‘क्या बात है माई?’ बुढ़िया ने कहा, ‘बेटा, मुझे उस सामने वाले गांव में जाना है। बहुत थक गई हूं। यह गठरी उठाई नहीं जाती। तू भी शायद उधर ही जा रहा है। यह गठरी घोड़े पर रख ले। मुझे चलने में आसानी हो जाएगी।’ उस व्यक्ति ने कहा, ‘माई तू पैदल है। मैं घोड़े पर हूं। गांव अभी बहुत दूर है। पता नहीं तू कब तक वहां पहुंचेगी। मैं तो थोड़ी ही देर में पहुंच जाऊंगा। वहां पहुंचकर क्या तेरी प्रतीक्षा करता रहूंगा?’ यह कहकर वह चल पड़ा। कुछ ही दूर जाने के बाद उसने अपने आप से कहा, ‘तू भी कितना मूर्ख है। वह वृद्धा है, ठीक से चल भी नहीं सकती। क्या पता उसे ठीक से दिखाई भी देता हो या नहीं। तुझे गठरी दे रही थी। संभव है उस गठरी में कोई कीमती सामान हो। तू उसे लेकर भाग जाता तो कौन पूछता। चल वापस, गठरी ले ले। ‘ वह घूमकर वापस आ गया और बुढ़िया से बोला, ‘माई, ला अपनी गठरी। मैं ले चलता हूं। गांव में रुककर तेरी राह देखूंगा।’ बुढ़िया ने कहा, ‘न बेटा, अब तू जा, मुझे गठरी नहीं देनी।’ घुड़सवार ने कहा, ‘अभी तो तू कह रही थी कि ले चल। अब ले चलने को तैयार हुआ तो गठरी दे नहीं रही। ऐसा क्यों? यह उलटी बात तुझे किसने समझाई है?’ बुढ़िया मुस्कराकर बोली, ‘उसी ने समझाई है जिसने तुझे यह समझाया कि माई की गठरी ले ले।
जो तेरे भीतर बैठा है वही मेरे भीतर भी बैठा है।
तुझे उसने कहा कि गठरी ले और भाग जा। मुझे उसने समझाया कि गठरी न दे, नहीं तो वह भाग जाएगा। तूने भी अपने मन की आवाज सुनी और मैंने भी सुनी।’
🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚
प्रेरक प्रसंग मन की आवाज़ !!
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एक बुढ़िया बड़ी सी गठरी लिए चली जा रही थी। चलते-चलते वह थक गई थी। तभी उसने देखा कि एक घुड़सवार चला आ रहा है। उसे देख बुढ़िया ने आवाज दी, ‘अरे बेटा, एक बात तो सुन।’ घुड़सवार रुक गया। उसने पूछा, ‘क्या बात है माई?’ बुढ़िया ने कहा, ‘बेटा, मुझे उस सामने वाले गांव में जाना है। बहुत थक गई हूं। यह गठरी उठाई नहीं जाती। तू भी शायद उधर ही जा रहा है। यह गठरी घोड़े पर रख ले। मुझे चलने में आसानी हो जाएगी।’ उस व्यक्ति ने कहा, ‘माई तू पैदल है। मैं घोड़े पर हूं। गांव अभी बहुत दूर है। पता नहीं तू कब तक वहां पहुंचेगी। मैं तो थोड़ी ही देर में पहुंच जाऊंगा। वहां पहुंचकर क्या तेरी प्रतीक्षा करता रहूंगा?’ यह कहकर वह चल पड़ा। कुछ ही दूर जाने के बाद उसने अपने आप से कहा, ‘तू भी कितना मूर्ख है। वह वृद्धा है, ठीक से चल भी नहीं सकती। क्या पता उसे ठीक से दिखाई भी देता हो या नहीं। तुझे गठरी दे रही थी। संभव है उस गठरी में कोई कीमती सामान हो। तू उसे लेकर भाग जाता तो कौन पूछता। चल वापस, गठरी ले ले। ‘ वह घूमकर वापस आ गया और बुढ़िया से बोला, ‘माई, ला अपनी गठरी। मैं ले चलता हूं। गांव में रुककर तेरी राह देखूंगा।’ बुढ़िया ने कहा, ‘न बेटा, अब तू जा, मुझे गठरी नहीं देनी।’ घुड़सवार ने कहा, ‘अभी तो तू कह रही थी कि ले चल। अब ले चलने को तैयार हुआ तो गठरी दे नहीं रही। ऐसा क्यों? यह उलटी बात तुझे किसने समझाई है?’ बुढ़िया मुस्कराकर बोली, ‘उसी ने समझाई है जिसने तुझे यह समझाया कि माई की गठरी ले ले।
जो तेरे भीतर बैठा है वही मेरे भीतर भी बैठा है।
तुझे उसने कहा कि गठरी ले और भाग जा। मुझे उसने समझाया कि गठरी न दे, नहीं तो वह भाग जाएगा। तूने भी अपने मन की आवाज सुनी और मैंने भी सुनी।’
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पति का महत्व
एक युवती बगीचे में बहुत गुस्से में बैठी थी, पास ही एक बुजुर्ग बैठे थे।
उन्होंने उस परेशान युवती से पूछा क्या हुआ बेटी?
क्यों इतना परेशान हो?
युवती ने गुस्से में अपने पति की गलतियों के बारे में बताया।
बुजुर्ग ने मंद मंद मुस्कुराते हुए युवती से पूछा : बेटी क्या तुम बता सकती हो कि तुम्हारे घर का नौकर कौन है?
युवती ने हैरानी से पूछा....क्या मतलब?
बुजुर्ग ने कहा : तुम्हारे घर की सारी जरूरतों का ध्यान रखकर उनको पूरा कौन करता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग ने पूछा : तुम्हारे खाने पीने की और पहनने ओढ़ने की जरूरतों को कौन पूरा करता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग : तुम्हे और बच्चों की किसी बात की कमी ना हो और तुम सबका भविष्य सुरक्षित रहे इसके लिए हमेशा चिंतित कौन रहता हैं?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग ने फिर पूछा : सुबह से शाम तक कुछ रुपयों के लिए बाहर वालो की और अपने अधिकारियों की खरी खोटी हमेशा कौन सुनता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग : परेशानी और गम में कौन साथ देता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग : तुम लोगों के अच्छे जीवन और रहन सहन के लिए दूरदराज जाकर, सगे संबंधियों को..... यहां तक अपने मां बाप को भी छोड़कर घर से दूर नौकरी करने को कौन तैयार होता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग : घर के गैस, बिजली पानी, मकान, मरम्मत एवं रखरखाव, सुख सुविधाओं, दवाईयों, किराना, मनोरंजन, बैंक, बीमा, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, पास पड़ोस, ऑफिस और ऐसी ही ना जाने कितनी सारी जिम्मेदारियों को एक साथ लेकर कौन चलता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग : बीमारी में तुम्हारा ध्यान और सेवा कौन करता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग बोले : एक बात और बताओ कि तुम्हारे पति इतना काम और सबका ध्यान रखते है, क्या कभी उसने तुमसे इस बात के पैसे लिए?
युवती : कभी नहीं।
इस बात पर बुजुर्ग बोले कि...पति की एक कमी तुम्हे नजर आ गई मगर उसकी इतनी सारी खूबियां तुम्हे कभी नजर नहीं आई?
आखिर पत्नी के लिए पति क्यों जरूरी है?
मानो या ना मानो जब तुम दुखी हो तो वो तुम्हे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा।
वो अपने दुख अपने ही मन में रखता है, लेकिन तुम्हे नहीं बताता ताकि तुम दुखी ना हो।
हर वक़्त हर दिन...तुम्हे कुछ अच्छी बाते सिखाने की कोशिश करता रहता है ताकि वो कुछ समय शांति के साथ घर पर वायतित कर सके और दिन भर की परेशानियों को भुला सके।
हर छोटी छोटी बात पर तुमसे झगड़ा तो कर सकता है, तुम्हे दो बाते बोल भी देगा, परन्तु किसी और को तुम्हारे लिए कभी कुछ नहीं बोलने देगा।
एक बात जान लो, पति ही हमेशा काम आयेगा, बाहर वाले सिर्फ सलाह दे सकते है या तुम्हारी शिकायते सुनकर सिर्फ बाते बनाएंगे।
पति ईश्वर का दिया एक विशेष उपहार है । इसलिए उसकी उपयोगिता जानो और उसकी देखभाल करो एवं उसे सम्मान दो।
एक अच्छी हमसफ़र बनकर जीवन के पथ पर पग पग पर उसका साथ दो।
Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
एक युवती बगीचे में बहुत गुस्से में बैठी थी, पास ही एक बुजुर्ग बैठे थे।
उन्होंने उस परेशान युवती से पूछा क्या हुआ बेटी?
क्यों इतना परेशान हो?
युवती ने गुस्से में अपने पति की गलतियों के बारे में बताया।
बुजुर्ग ने मंद मंद मुस्कुराते हुए युवती से पूछा : बेटी क्या तुम बता सकती हो कि तुम्हारे घर का नौकर कौन है?
युवती ने हैरानी से पूछा....क्या मतलब?
बुजुर्ग ने कहा : तुम्हारे घर की सारी जरूरतों का ध्यान रखकर उनको पूरा कौन करता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग ने पूछा : तुम्हारे खाने पीने की और पहनने ओढ़ने की जरूरतों को कौन पूरा करता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग : तुम्हे और बच्चों की किसी बात की कमी ना हो और तुम सबका भविष्य सुरक्षित रहे इसके लिए हमेशा चिंतित कौन रहता हैं?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग ने फिर पूछा : सुबह से शाम तक कुछ रुपयों के लिए बाहर वालो की और अपने अधिकारियों की खरी खोटी हमेशा कौन सुनता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग : परेशानी और गम में कौन साथ देता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग : तुम लोगों के अच्छे जीवन और रहन सहन के लिए दूरदराज जाकर, सगे संबंधियों को..... यहां तक अपने मां बाप को भी छोड़कर घर से दूर नौकरी करने को कौन तैयार होता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग : घर के गैस, बिजली पानी, मकान, मरम्मत एवं रखरखाव, सुख सुविधाओं, दवाईयों, किराना, मनोरंजन, बैंक, बीमा, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, पास पड़ोस, ऑफिस और ऐसी ही ना जाने कितनी सारी जिम्मेदारियों को एक साथ लेकर कौन चलता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग : बीमारी में तुम्हारा ध्यान और सेवा कौन करता है?
युवती : मेरे पति।
बुजुर्ग बोले : एक बात और बताओ कि तुम्हारे पति इतना काम और सबका ध्यान रखते है, क्या कभी उसने तुमसे इस बात के पैसे लिए?
युवती : कभी नहीं।
इस बात पर बुजुर्ग बोले कि...पति की एक कमी तुम्हे नजर आ गई मगर उसकी इतनी सारी खूबियां तुम्हे कभी नजर नहीं आई?
आखिर पत्नी के लिए पति क्यों जरूरी है?
मानो या ना मानो जब तुम दुखी हो तो वो तुम्हे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा।
वो अपने दुख अपने ही मन में रखता है, लेकिन तुम्हे नहीं बताता ताकि तुम दुखी ना हो।
हर वक़्त हर दिन...तुम्हे कुछ अच्छी बाते सिखाने की कोशिश करता रहता है ताकि वो कुछ समय शांति के साथ घर पर वायतित कर सके और दिन भर की परेशानियों को भुला सके।
हर छोटी छोटी बात पर तुमसे झगड़ा तो कर सकता है, तुम्हे दो बाते बोल भी देगा, परन्तु किसी और को तुम्हारे लिए कभी कुछ नहीं बोलने देगा।
एक बात जान लो, पति ही हमेशा काम आयेगा, बाहर वाले सिर्फ सलाह दे सकते है या तुम्हारी शिकायते सुनकर सिर्फ बाते बनाएंगे।
पति ईश्वर का दिया एक विशेष उपहार है । इसलिए उसकी उपयोगिता जानो और उसकी देखभाल करो एवं उसे सम्मान दो।
एक अच्छी हमसफ़र बनकर जीवन के पथ पर पग पग पर उसका साथ दो।
Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
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दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है
जिसे आप बदल नहीं सकते,
इसके लिए जरूरत होती है,
अच्छी सोच की।
अच्छी सोच हमें
अच्छे विचार देती हैं।
अच्छे विचार ही हमारे
अच्छे कर्मों का रूप ले लेते हैं।
इसी प्रकार हमारे कर्म ही
हमारा आचरण बन जाते हैं।
▪अच्छे विचार
▪अच्छे कर्म
▪अच्छा आचरण।
━━━━✧❂✧━━━━
श्रेष्ठ होना कोई कार्य नहीं
बल्कि यह हमारी एक आदत हैं,
जिसे हम बार-बार करते हैं।
Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है
जिसे आप बदल नहीं सकते,
इसके लिए जरूरत होती है,
अच्छी सोच की।
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इसी प्रकार हमारे कर्म ही
हमारा आचरण बन जाते हैं।
▪अच्छे विचार
▪अच्छे कर्म
▪अच्छा आचरण।
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श्रेष्ठ होना कोई कार्य नहीं
बल्कि यह हमारी एक आदत हैं,
जिसे हम बार-बार करते हैं।
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चाहे जिधर से गुज़रिये
मीठी सी हलचल मचा दिजिये,
उम्र का हर एक दौर मज़ेदार है
अपनी उम्र का मज़ा लिजिये !!!
🍀🌹🍀🌹🍀🌹🍀🌹🍀🌹🍀
जुबां तीखी हो तो खंजर से गहरा जख्म देती है,
और मीठी हो तो वैसे ही कत्ल कर देती है !!!
🍀🌹🍀🌹🍀🌹🍀🌹🍀🌹🍀
Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
मीठी सी हलचल मचा दिजिये,
उम्र का हर एक दौर मज़ेदार है
अपनी उम्र का मज़ा लिजिये !!!
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जुबां तीखी हो तो खंजर से गहरा जख्म देती है,
और मीठी हो तो वैसे ही कत्ल कर देती है !!!
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Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
🇲🇰 प्रेरणादायी कहानियाँ 🇲🇰
गौरी रोटी बनाते बनाते *"प्रभु"* नाम का जाप कर रही थी, अलग से पूजा का समय कहाँ निकाल पाती थी बेचारी, तो बस काम करते करते ही...।
एकाएक धड़ाम से जोरों की आवाज हुई और साथ मे दर्दनाक चीख। कलेजा धक से रह गया जब आंगन में दौड़ कर झांकी।
आठ साल का चुन्नू चित्त पड़ा था खून से लथपथ। मन हुआ दहाड़ मार कर रोये। परंतु घर मे उसके अलावा कोई था नही, रोकर भी किसे बुलाती, फिर चुन्नू को संभालना भी तो था।
दौड़ कर नीचे गई तो देखा चुन्नू आधी बेहोशी में माँ माँ की रट लगाए हुए है। अंदर की ममता ने आंखों से निकल कर अपनी मौजूदगी का अहसास करवाया।
फिर 10 दिन पहले करवाये अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बावजूद ना जाने कहाँ से इतनी शक्ति आ गयी कि चुन्नू को गोद मे उठा कर पड़ोस के नर्सिंग होम की ओर दौड़ी।
रास्ते भर भगवान को कोसती रही, जी भर कर, बड़बड़ाती रही, हे प्रभु क्या बिगाड़ा था मैंने तुम्हारा, जो मेरे ही बच्चे को..।
खैर डॉक्टर मिल गए और समय पर इलाज होने पर चुन्नू बिल्कुल ठीक हो गया। चोटें गहरी नही थी, ऊपरी थीं तो कोई खास परेशानी नही हुई। रात को घर पर जब सब टीवी देख रहे थे तब गौरी का मन बेचैन था।
भगवान से विरक्ति होने लगी थी। एक मां की ममता प्रभुसत्ता को चुनौती दे रही थी। उसके दिमाग मे दिन की सारी घटना चलचित्र की तरह चलने लगी।
कैसे चुन्नू आंगन में गिरा की एकाएक उसकी आत्मा सिहर उठी, कल ही तो पुराने चापाकल का पाइप का टुकड़ा आंगन से हटवाया है, ठीक उसी जगह था जहां चिंटू गिरा पड़ा था। अगर कल मिस्त्री न आया होता तो..?
उसका हाथ अब अपने पेट की तरफ गया जहां टांके अभी हरे ही थे, ऑपरेशन के। आश्चर्य हुआ कि उसने 20-22 किलो के चुन्नू को उठाया कैसे, कैसे वो आधा किलोमीटर तक दौड़ती चली गयी? फूल सा हल्का लग रहा था चुन्नू।
वैसे तो वो कपड़ों की बाल्टी तक छत पर नही ले जा पाती। फिर उसे ख्याल आया कि डॉक्टर साहब तो 2 बजे तक ही रहते हैं और जब वो पहुंची तो साढ़े 3 बज रहे थे, उसके जाते ही तुरंत इलाज हुआ, मानो किसी ने उन्हें रोक रखा था।
उसका सर प्रभु चरणों मे श्रद्धा से झुक गया। अब वो सारा खेल समझ चुकी थी। मन ही मन प्रभु से अपने शब्दों के लिए क्षमा मांगी।
टीवी पर प्रवचन आ रहा था; 👉 प्रभु कहते हैं :-
*"मैं तुम्हारे आने वाले संकट रोक नहीं सकता, लेकिन तुम्हे इतनी शक्ति दे सकता हूँ कि तुम आसानी से उन्हें पार कर सको, तुम्हारी राह आसान कर सकता हूँ। बस धर्म के मार्ग पर चलते रहो।"*
Jᴏɪɴ 🔜 @Indian_Motivation
गौरी रोटी बनाते बनाते *"प्रभु"* नाम का जाप कर रही थी, अलग से पूजा का समय कहाँ निकाल पाती थी बेचारी, तो बस काम करते करते ही...।
एकाएक धड़ाम से जोरों की आवाज हुई और साथ मे दर्दनाक चीख। कलेजा धक से रह गया जब आंगन में दौड़ कर झांकी।
आठ साल का चुन्नू चित्त पड़ा था खून से लथपथ। मन हुआ दहाड़ मार कर रोये। परंतु घर मे उसके अलावा कोई था नही, रोकर भी किसे बुलाती, फिर चुन्नू को संभालना भी तो था।
दौड़ कर नीचे गई तो देखा चुन्नू आधी बेहोशी में माँ माँ की रट लगाए हुए है। अंदर की ममता ने आंखों से निकल कर अपनी मौजूदगी का अहसास करवाया।
फिर 10 दिन पहले करवाये अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बावजूद ना जाने कहाँ से इतनी शक्ति आ गयी कि चुन्नू को गोद मे उठा कर पड़ोस के नर्सिंग होम की ओर दौड़ी।
रास्ते भर भगवान को कोसती रही, जी भर कर, बड़बड़ाती रही, हे प्रभु क्या बिगाड़ा था मैंने तुम्हारा, जो मेरे ही बच्चे को..।
खैर डॉक्टर मिल गए और समय पर इलाज होने पर चुन्नू बिल्कुल ठीक हो गया। चोटें गहरी नही थी, ऊपरी थीं तो कोई खास परेशानी नही हुई। रात को घर पर जब सब टीवी देख रहे थे तब गौरी का मन बेचैन था।
भगवान से विरक्ति होने लगी थी। एक मां की ममता प्रभुसत्ता को चुनौती दे रही थी। उसके दिमाग मे दिन की सारी घटना चलचित्र की तरह चलने लगी।
कैसे चुन्नू आंगन में गिरा की एकाएक उसकी आत्मा सिहर उठी, कल ही तो पुराने चापाकल का पाइप का टुकड़ा आंगन से हटवाया है, ठीक उसी जगह था जहां चिंटू गिरा पड़ा था। अगर कल मिस्त्री न आया होता तो..?
उसका हाथ अब अपने पेट की तरफ गया जहां टांके अभी हरे ही थे, ऑपरेशन के। आश्चर्य हुआ कि उसने 20-22 किलो के चुन्नू को उठाया कैसे, कैसे वो आधा किलोमीटर तक दौड़ती चली गयी? फूल सा हल्का लग रहा था चुन्नू।
वैसे तो वो कपड़ों की बाल्टी तक छत पर नही ले जा पाती। फिर उसे ख्याल आया कि डॉक्टर साहब तो 2 बजे तक ही रहते हैं और जब वो पहुंची तो साढ़े 3 बज रहे थे, उसके जाते ही तुरंत इलाज हुआ, मानो किसी ने उन्हें रोक रखा था।
उसका सर प्रभु चरणों मे श्रद्धा से झुक गया। अब वो सारा खेल समझ चुकी थी। मन ही मन प्रभु से अपने शब्दों के लिए क्षमा मांगी।
टीवी पर प्रवचन आ रहा था; 👉 प्रभु कहते हैं :-
*"मैं तुम्हारे आने वाले संकट रोक नहीं सकता, लेकिन तुम्हे इतनी शक्ति दे सकता हूँ कि तुम आसानी से उन्हें पार कर सको, तुम्हारी राह आसान कर सकता हूँ। बस धर्म के मार्ग पर चलते रहो।"*
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