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"धीमी गति से मिली सफलता चरित्र का निर्माण करती है, तेज गति से मिली सफलता अहंकार का निर्माण करती है।"
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"धीमी गति से मिली सफलता चरित्र का निर्माण करती है, तेज गति से मिली सफलता अहंकार का निर्माण करती है।"
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दुःखी दिल पानी से....
भरे गिलास की तरह.....
होता है, मामूली ठेस.....
पर भी छलक पड़ता है...!!
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भरे गिलास की तरह.....
होता है, मामूली ठेस.....
पर भी छलक पड़ता है...!!
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छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर शत-शत नमन 💐💐🙏🙏
बुद्ध के प्रेम और करुणा के संदेश: जीवन को बेहतर बनाने के सरल और शक्तिशाली उपाय
### 1. प्रेम और करुणा
- प्रेम की शक्ति: बुद्ध ने कहा कि प्रेम और करुणा की शक्ति से हम दूसरों के दिलों को जीत सकते हैं। प्रेम न केवल एक गहरी भावना है, बल्कि यह हमारी आंतरिक शक्ति का स्रोत भी है। जब हम दूसरों से प्रेम करते हैं, तो हम न केवल उनके साथ, बल्कि अपने भीतर भी शांति और सुख का अनुभव करते हैं।
- करुणा का महत्व: बुद्ध के अनुसार, करुणा और सहानुभूति के बिना हमारा जीवन अधूरा है। जब हम दूसरों के दुख को समझते हैं और उनके साथ सहानुभूति रखते हैं, तो यह हमें न केवल उनके लिए, बल्कि खुद के लिए भी शांति और संतोष की भावना देता है।
- प्रेम का विस्तार: बुद्ध ने यह भी कहा कि हमें अपने प्रेम को केवल परिवार और मित्रों तक सीमित नहीं रखना चाहिए। प्रेम का विस्तार सभी जीवों तक होना चाहिए, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म, या परिस्थिति में हों। जब हम सभी जीवों के प्रति प्रेम और करुणा का भाव रखते हैं, तो हम मानवता की सच्ची अच्छाई की ओर बढ़ते हैं।
### 2. सहानुभूति और समझदारी
- सहानुभूति का महत्व: बुद्ध ने कहा कि सहानुभूति और समझदारी के बिना हम दूसरों की भावनाओं को नहीं समझ सकते हैं। सहानुभूति का मतलब है, किसी और के दुःख या खुशी को अपने दिल में महसूस करना। यह हमें न केवल दूसरों की मदद करने में सक्षम बनाता है, बल्कि हमारे रिश्तों को भी मजबूत करता है।
- दूसरों की भावनाओं का सम्मान: बुद्ध ने यह भी सिखाया कि हमें दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। उनके सुख-दुःख को समझना और उन्हें सही समर्थन देना आवश्यक है। यदि हम दूसरों के अनुभवों को समझते हैं, तो हम एक समाज के रूप में एक-दूसरे के साथ बेहतर सामंजस्य बना सकते हैं।
- शांति और समझदारी: बुद्ध ने कहा कि शांति और समझदारी के बिना हमारा जीवन अशांत और दुखी हो सकता है। जब हम समझदारी से काम लेते हैं और शांति की भावना रखते हैं, तो जीवन की चुनौतियाँ भी सरल और सुलझने योग्य लगती हैं। समझदारी से हम सही निर्णय ले सकते हैं, और शांति से हम मानसिक तनाव से मुक्त रह सकते हैं।
### 3. आत्म-ज्ञान और आत्म-साक्षरता
- आत्म-ज्ञान का महत्व: बुद्ध ने कहा कि आत्म-ज्ञान और आत्म-साक्षरता के माध्यम से हम अपने जीवन में सच्ची शांति और संतुलन पा सकते हैं। आत्म-ज्ञान का मतलब है अपने भीतर की आंतरिक स्थिति को समझना, जिससे हम अपने भावनाओं और विचारों पर काबू पा सकें। यह हमें जीवन की सच्ची समझ और उद्देश्य तक पहुँचने में मदद करता है।
- स्वयं की पहचान: बुद्ध ने यह भी सिखाया कि हमें स्वयं को समझना चाहिए। आत्म-ज्ञान के माध्यम से हम अपनी असल पहचान, अपनी क्षमता, और हमारे जीवन का उद्देश्य समझ सकते हैं। जब हम अपने आत्म को पहचानते हैं, तो हम जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं।
- आत्म-निर्भरता: बुद्ध ने आत्मनिर्भरता की बात की, यानी हमें अपने भीतर की शक्ति और क्षमताओं पर विश्वास रखना चाहिए। जब हम दूसरों से अपेक्षाएँ कम करते हैं और अपने ऊपर विश्वास रखते हैं, तो हम जीवन में आत्मविश्वास से बढ़ सकते हैं। आत्मनिर्भरता हमें मानसिक और शारीरिक स्वतंत्रता प्रदान करती है, जिससे हम अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
### 1. प्रेम और करुणा
- प्रेम की शक्ति: बुद्ध ने कहा कि प्रेम और करुणा की शक्ति से हम दूसरों के दिलों को जीत सकते हैं। प्रेम न केवल एक गहरी भावना है, बल्कि यह हमारी आंतरिक शक्ति का स्रोत भी है। जब हम दूसरों से प्रेम करते हैं, तो हम न केवल उनके साथ, बल्कि अपने भीतर भी शांति और सुख का अनुभव करते हैं।
- करुणा का महत्व: बुद्ध के अनुसार, करुणा और सहानुभूति के बिना हमारा जीवन अधूरा है। जब हम दूसरों के दुख को समझते हैं और उनके साथ सहानुभूति रखते हैं, तो यह हमें न केवल उनके लिए, बल्कि खुद के लिए भी शांति और संतोष की भावना देता है।
- प्रेम का विस्तार: बुद्ध ने यह भी कहा कि हमें अपने प्रेम को केवल परिवार और मित्रों तक सीमित नहीं रखना चाहिए। प्रेम का विस्तार सभी जीवों तक होना चाहिए, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म, या परिस्थिति में हों। जब हम सभी जीवों के प्रति प्रेम और करुणा का भाव रखते हैं, तो हम मानवता की सच्ची अच्छाई की ओर बढ़ते हैं।
### 2. सहानुभूति और समझदारी
- सहानुभूति का महत्व: बुद्ध ने कहा कि सहानुभूति और समझदारी के बिना हम दूसरों की भावनाओं को नहीं समझ सकते हैं। सहानुभूति का मतलब है, किसी और के दुःख या खुशी को अपने दिल में महसूस करना। यह हमें न केवल दूसरों की मदद करने में सक्षम बनाता है, बल्कि हमारे रिश्तों को भी मजबूत करता है।
- दूसरों की भावनाओं का सम्मान: बुद्ध ने यह भी सिखाया कि हमें दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। उनके सुख-दुःख को समझना और उन्हें सही समर्थन देना आवश्यक है। यदि हम दूसरों के अनुभवों को समझते हैं, तो हम एक समाज के रूप में एक-दूसरे के साथ बेहतर सामंजस्य बना सकते हैं।
- शांति और समझदारी: बुद्ध ने कहा कि शांति और समझदारी के बिना हमारा जीवन अशांत और दुखी हो सकता है। जब हम समझदारी से काम लेते हैं और शांति की भावना रखते हैं, तो जीवन की चुनौतियाँ भी सरल और सुलझने योग्य लगती हैं। समझदारी से हम सही निर्णय ले सकते हैं, और शांति से हम मानसिक तनाव से मुक्त रह सकते हैं।
### 3. आत्म-ज्ञान और आत्म-साक्षरता
- आत्म-ज्ञान का महत्व: बुद्ध ने कहा कि आत्म-ज्ञान और आत्म-साक्षरता के माध्यम से हम अपने जीवन में सच्ची शांति और संतुलन पा सकते हैं। आत्म-ज्ञान का मतलब है अपने भीतर की आंतरिक स्थिति को समझना, जिससे हम अपने भावनाओं और विचारों पर काबू पा सकें। यह हमें जीवन की सच्ची समझ और उद्देश्य तक पहुँचने में मदद करता है।
- स्वयं की पहचान: बुद्ध ने यह भी सिखाया कि हमें स्वयं को समझना चाहिए। आत्म-ज्ञान के माध्यम से हम अपनी असल पहचान, अपनी क्षमता, और हमारे जीवन का उद्देश्य समझ सकते हैं। जब हम अपने आत्म को पहचानते हैं, तो हम जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं।
- आत्म-निर्भरता: बुद्ध ने आत्मनिर्भरता की बात की, यानी हमें अपने भीतर की शक्ति और क्षमताओं पर विश्वास रखना चाहिए। जब हम दूसरों से अपेक्षाएँ कम करते हैं और अपने ऊपर विश्वास रखते हैं, तो हम जीवन में आत्मविश्वास से बढ़ सकते हैं। आत्मनिर्भरता हमें मानसिक और शारीरिक स्वतंत्रता प्रदान करती है, जिससे हम अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
आर्थिक स्थिति कितनी भी अच्छी हो, जीवन का आनंद मानसिक स्थिति पर निर्भर है।
"मैं वक़्त नहीं माँग रहा… बस थोड़ा वजूद समेट रहा हूँ"
कुछ रिश्ते वक़्त चाहते हैं,
मगर कुछ फासले...
ख़ुद से मिलने की इजाज़त।
मैं कहीं गया नहीं,
बस थोड़ा सा कम दिखने लगा हूँ —
क्योंकि अब चाहत ये नहीं
कि हर महफ़िल में जिक्र हो मेरा।
कुछ सन्नाटे हैं जिन्हें पढ़ना है,
कुछ टूटी सोचें हैं जिन्हें जोड़ना है,
और एक आत्मा है…
जिसे अब सुनना ज़रूरी हो गया है।
ना कोई ख़फा हो,
ना कोई बेचैन —
यह जो फासला है,
ये कोई जंग नहीं…
ये एक यात्रा है —
जहाँ मैं अपने ही साये को पकड़ने निकला हूँ।
जब लौटूंगा…
तो कोई पहचान न पाए —
क्योंकि तब मैं ‘मैं’ नहीं रहूंगा,
कुछ और हो जाऊंगा…
शायद थोड़ा और सच।
कुछ रिश्ते वक़्त चाहते हैं,
मगर कुछ फासले...
ख़ुद से मिलने की इजाज़त।
मैं कहीं गया नहीं,
बस थोड़ा सा कम दिखने लगा हूँ —
क्योंकि अब चाहत ये नहीं
कि हर महफ़िल में जिक्र हो मेरा।
कुछ सन्नाटे हैं जिन्हें पढ़ना है,
कुछ टूटी सोचें हैं जिन्हें जोड़ना है,
और एक आत्मा है…
जिसे अब सुनना ज़रूरी हो गया है।
ना कोई ख़फा हो,
ना कोई बेचैन —
यह जो फासला है,
ये कोई जंग नहीं…
ये एक यात्रा है —
जहाँ मैं अपने ही साये को पकड़ने निकला हूँ।
जब लौटूंगा…
तो कोई पहचान न पाए —
क्योंकि तब मैं ‘मैं’ नहीं रहूंगा,
कुछ और हो जाऊंगा…
शायद थोड़ा और सच।
सुकून वो नहीं जो चुपचाप बैठ जाने से मिले,
सुकून वो है जो भीतर की हलचल को भी शांत कर दे।
कुछ लम्हे ऐसे भी हों, जहाँ न वक्त हो, न फिक्र,
बस एक गहरी साँस हो… और खुद से मुलाक़ात हो।"
🧘♂😊😊🧘♂
सुकून वो है जो भीतर की हलचल को भी शांत कर दे।
कुछ लम्हे ऐसे भी हों, जहाँ न वक्त हो, न फिक्र,
बस एक गहरी साँस हो… और खुद से मुलाक़ात हो।"
🧘♂😊😊🧘♂
"अब मैं रुकूंगा नहीं"
अब मैं रुकूंगा नहीं,
उन राहों पर जहाँ सिर्फ ख़्वाब चलते हैं,
और वक़्त ठहर कर थक चुका होता है।
मैंने तुम्हें चाहा,
जैसे सूखी मिट्टी को पहली बारिश।
हर ख़ामोशी को पढ़ा —
जैसे अधूरी कविता में भी संगीत ढूँढा हो।
मैंने अपने हिस्से की हर ख़ुशी
तुम्हारी मुस्कान में रख दी,
अपनी पहचान तक को
तुम्हारी परछाईं बना लिया।
मैंने रिश्ते को पूजा,
पर शायद मंदिर सिर्फ मेरा ही था।
और फिर, जब जवाब की जगह
सिर्फ टलते हुए कल मिलने लगे,
तो मैंने ख़ुद से मिलना शुरू किया।
अब मैं सिर्फ इंतज़ार नहीं करूँगा —
जिसे साथ चलना हो, वो चले;
जो दूर जाना चाहे,
उसे रुकने को मजबूर नहीं करूँगा।
अब प्यार है —
पर अब वो सबसे पहले अपने भीतर की टूटी हुई आवाज़ों को जोड़ने का नाम है।
तुम एक दुआ थीं,
जो शायद पूरी नहीं हुई —
पर अब मैं किसी अधूरी प्रार्थना में
खुद को खोने नहीं दूँगा।
अब मैं रुकूंगा नहीं,
क्योंकि मेरी आत्मा अब थकने की नहीं,
खुद को पाने की राह पर है।
अब मैं रुकूंगा नहीं,
उन राहों पर जहाँ सिर्फ ख़्वाब चलते हैं,
और वक़्त ठहर कर थक चुका होता है।
मैंने तुम्हें चाहा,
जैसे सूखी मिट्टी को पहली बारिश।
हर ख़ामोशी को पढ़ा —
जैसे अधूरी कविता में भी संगीत ढूँढा हो।
मैंने अपने हिस्से की हर ख़ुशी
तुम्हारी मुस्कान में रख दी,
अपनी पहचान तक को
तुम्हारी परछाईं बना लिया।
मैंने रिश्ते को पूजा,
पर शायद मंदिर सिर्फ मेरा ही था।
और फिर, जब जवाब की जगह
सिर्फ टलते हुए कल मिलने लगे,
तो मैंने ख़ुद से मिलना शुरू किया।
अब मैं सिर्फ इंतज़ार नहीं करूँगा —
जिसे साथ चलना हो, वो चले;
जो दूर जाना चाहे,
उसे रुकने को मजबूर नहीं करूँगा।
अब प्यार है —
पर अब वो सबसे पहले अपने भीतर की टूटी हुई आवाज़ों को जोड़ने का नाम है।
तुम एक दुआ थीं,
जो शायद पूरी नहीं हुई —
पर अब मैं किसी अधूरी प्रार्थना में
खुद को खोने नहीं दूँगा।
अब मैं रुकूंगा नहीं,
क्योंकि मेरी आत्मा अब थकने की नहीं,
खुद को पाने की राह पर है।
सोच हमेशा ऊँची रखो, पर नज़रें ज़मीन पर हों।
जो आता है, उसमें उत्कृष्टता लाऊंगा,
जो नहीं आता, उसे जिज्ञासा और धैर्य से सीख जाऊंगा।
हर दिन एक नया अवसर है,
या तो मैं जीतूंगा — या कुछ अच्छा सीखूंगा।
क्योंकि सफलता सिर्फ़ लक्ष्य तक पहुँचना नहीं,
बल्कि हर पड़ाव पर खुद को बेहतर बनाना है।
ज्ञान मेरा अस्त्र है, मेहनत मेरी दिशा,
और सीखने की ललक मेरा असली परिचय
जो आता है, उसमें उत्कृष्टता लाऊंगा,
जो नहीं आता, उसे जिज्ञासा और धैर्य से सीख जाऊंगा।
हर दिन एक नया अवसर है,
या तो मैं जीतूंगा — या कुछ अच्छा सीखूंगा।
क्योंकि सफलता सिर्फ़ लक्ष्य तक पहुँचना नहीं,
बल्कि हर पड़ाव पर खुद को बेहतर बनाना है।
ज्ञान मेरा अस्त्र है, मेहनत मेरी दिशा,
और सीखने की ललक मेरा असली परिचय
"कदम"
कभी गिरा, कभी उठा,
लेकिन कभी रुक नहीं पाया।
जिन्हें ठान लिया, वो मंज़िल,
उनसे कभी मुंह मोड़ा नहीं पाया।
"जज़्बा"
हर गिरावट को सीखा मैंने,
हर ठोकर से बढ़ा हूँ।
जो जज़्बा हो दिल में मजबूत,
वही तो असली राह है, जो चला हूँ।
"संघर्ष"
मुसीबतों से डरना नहीं,
हर लड़ाई को गले लगाना है।
तू खुद को पहचान, और फिर,
सपनों को हकीकत बनाना है।
"विजेता"
कभी हार से डरता नहीं,
कभी रुकता नहीं, कभी थकता नहीं।
जो ठान लिया, वो हासिल कर,
मैं सच्चे विजेता जैसा जिंदा हूँ।
कभी गिरा, कभी उठा,
लेकिन कभी रुक नहीं पाया।
जिन्हें ठान लिया, वो मंज़िल,
उनसे कभी मुंह मोड़ा नहीं पाया।
"जज़्बा"
हर गिरावट को सीखा मैंने,
हर ठोकर से बढ़ा हूँ।
जो जज़्बा हो दिल में मजबूत,
वही तो असली राह है, जो चला हूँ।
"संघर्ष"
मुसीबतों से डरना नहीं,
हर लड़ाई को गले लगाना है।
तू खुद को पहचान, और फिर,
सपनों को हकीकत बनाना है।
"विजेता"
कभी हार से डरता नहीं,
कभी रुकता नहीं, कभी थकता नहीं।
जो ठान लिया, वो हासिल कर,
मैं सच्चे विजेता जैसा जिंदा हूँ।
"सपनों की उड़ान"
कठिन राहों में भी चलना है,
क्योंकि सपनों ने अब पलकों से निकलकर
आसमान छूने की ठानी है।
थोड़ा थकना जायज़ है,
पर रुकना मना है,
क्योंकि मंज़िल ने अभी तक हार नहीं मानी है।
हर ठोकर तुझे सिखाएगी,
हर आँसू कुछ नया दिखाएगा,
जो दिल से लड़ेगा तू,
वही जीत का असली मतलब समझ पाएगा।
दुनिया हँसेगी तेरे इरादों पर,
पर तू मुस्कुरा कर कह देना –
"जो आज मज़ाक बना रहे हैं,
कल वही मेरे क़दमों के निशान पढ़ेंगे।"
ये वक्त है, गुज़र जाएगा,
पर तू, तू मत गुज़र जाना इसमें,
खुद को खोना नहीं,
क्योंकि यही लड़ाई तुझे खुदा बना देगी –
खुद का खुदा।
उड़, पर अपने पंखों से,
क्योंकि उधार के पंख सिर्फ़ दूरी तय करते हैं,
मंज़िल नहीं लाते।
अब तू खुद अपनी कहानी लिख,
जिसे पढ़कर लोग खुद को बदल डालें।
कठिन राहों में भी चलना है,
क्योंकि सपनों ने अब पलकों से निकलकर
आसमान छूने की ठानी है।
थोड़ा थकना जायज़ है,
पर रुकना मना है,
क्योंकि मंज़िल ने अभी तक हार नहीं मानी है।
हर ठोकर तुझे सिखाएगी,
हर आँसू कुछ नया दिखाएगा,
जो दिल से लड़ेगा तू,
वही जीत का असली मतलब समझ पाएगा।
दुनिया हँसेगी तेरे इरादों पर,
पर तू मुस्कुरा कर कह देना –
"जो आज मज़ाक बना रहे हैं,
कल वही मेरे क़दमों के निशान पढ़ेंगे।"
ये वक्त है, गुज़र जाएगा,
पर तू, तू मत गुज़र जाना इसमें,
खुद को खोना नहीं,
क्योंकि यही लड़ाई तुझे खुदा बना देगी –
खुद का खुदा।
उड़, पर अपने पंखों से,
क्योंकि उधार के पंख सिर्फ़ दूरी तय करते हैं,
मंज़िल नहीं लाते।
अब तू खुद अपनी कहानी लिख,
जिसे पढ़कर लोग खुद को बदल डालें।
सवाल राह का नहीं, जज़्बे की बात थी,
जो जलता रहा अंदर, वही चिराग़ रात थी |
जो जलता रहा अंदर, वही चिराग़ रात थी |