विश्व रेडियोग्राफी दिवस
🔷 'एक्स-रे' अथवा 'एक्स-रेडिएशन' की खोज के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 08 नवंबर को 'विश्व रेडियोग्राफी दिवस' मनाया जाता है।
🔷 विश्व रेडियोग्राफी दिवस -2024 का विषय ‘अदृश्य को देखना ' है।
🔷 इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य रेडियोग्राफिक इमेजिंग और थेरेपी के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है, जो कि मौजूद चिकित्सा पद्धति में रोगियों के निदान एवं उपचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
🔷रेडियोलॉजिकल सिस्टम ज्यादातर मरीजों में बीमारियों का पता लगाने हेतु उपयोग किया जाता है। रेडियोलॉजी एक्स-रे, एमआरआई स्कैनिंग उपकरण और अल्ट्रासाउंड उपकरणों के लिए एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है।
🔷8 नवंबर, 1895 को जर्मन वैज्ञानिक 'विल्हेम कॉनरॉड रॉन्टगन' द्वारा 'एक्स-रे' प्रणाली की खोज की गई थी। उनकी इस खोज के लिये उन्हें वर्ष 1901 में फिज़िक्स में पहले नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
🔷 'एक्स-रे' अथवा 'एक्स-रेडिएशन' की खोज के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 08 नवंबर को 'विश्व रेडियोग्राफी दिवस' मनाया जाता है।
🔷 विश्व रेडियोग्राफी दिवस -2024 का विषय ‘अदृश्य को देखना ' है।
🔷 इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य रेडियोग्राफिक इमेजिंग और थेरेपी के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है, जो कि मौजूद चिकित्सा पद्धति में रोगियों के निदान एवं उपचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
🔷रेडियोलॉजिकल सिस्टम ज्यादातर मरीजों में बीमारियों का पता लगाने हेतु उपयोग किया जाता है। रेडियोलॉजी एक्स-रे, एमआरआई स्कैनिंग उपकरण और अल्ट्रासाउंड उपकरणों के लिए एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है।
🔷8 नवंबर, 1895 को जर्मन वैज्ञानिक 'विल्हेम कॉनरॉड रॉन्टगन' द्वारा 'एक्स-रे' प्रणाली की खोज की गई थी। उनकी इस खोज के लिये उन्हें वर्ष 1901 में फिज़िक्स में पहले नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस
⚖ प्रतिवर्ष 09 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है।
⚖ इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य लोगों में कानूनी जागरूकता फैलाना, समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता एवं सलाह प्रदान करना है, ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
⚖ राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (NLSD) की शुरुआत पहली बार वर्ष 1995 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों को सहायता एवं समर्थन प्रदान करने के लिए की गई थी।
⚖ भारतीय संसद द्वारा भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम (NALSA), 1987 को 9 नवंबर, 1995 को लागू किया गया। इसलिए 9 नवंबर को 'राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस' के रूप में चिह्नित किया गया है।
⚖ 'नालसा' का गठन समाज के कमज़ोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिये लोक अदालतों का आयोजन करने के उद्देश्य से किया गया है।
⚖ भारत का मुख्य न्यायाधीश 'नालसा' का मुख्य संरक्षक होता है और भारत के सर्वोच्च न्यायालय का द्वितीय वरिष्ठ न्यायाधीश प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष होता है।
⚖ प्रतिवर्ष 09 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है।
⚖ इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य लोगों में कानूनी जागरूकता फैलाना, समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता एवं सलाह प्रदान करना है, ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
⚖ राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (NLSD) की शुरुआत पहली बार वर्ष 1995 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों को सहायता एवं समर्थन प्रदान करने के लिए की गई थी।
⚖ भारतीय संसद द्वारा भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम (NALSA), 1987 को 9 नवंबर, 1995 को लागू किया गया। इसलिए 9 नवंबर को 'राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस' के रूप में चिह्नित किया गया है।
⚖ 'नालसा' का गठन समाज के कमज़ोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिये लोक अदालतों का आयोजन करने के उद्देश्य से किया गया है।
⚖ भारत का मुख्य न्यायाधीश 'नालसा' का मुख्य संरक्षक होता है और भारत के सर्वोच्च न्यायालय का द्वितीय वरिष्ठ न्यायाधीश प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष होता है।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
🔷प्रतिवर्ष 11 नवंबर को स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।
🔷मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) द्वारा 11 सितंबर, 2008 को इस दिवस की घोषणा की गई थी। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने 15 अगस्त, 1947 से 2 फरवरी, 1958 तक शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया।
🔷11 सितंबर, 2008 को, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD) ने 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाकर शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के योगदान को याद करते हुए महान व्यक्ति के जन्मदिन को मनाने की घोषणा की है। 2008 से, भारत में हर साल, राष्ट्रीय शिक्षा दिवस को बिना छुट्टी घोषित किए मनाया जाता है।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
🔷मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 1888 में मक्का, सऊदी अरब में हुआ था।
🔷वह भारत में शिक्षा के प्रमुख वास्तुकार हैं। उन्हें 1992 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
🔷प्रतिवर्ष 11 नवंबर को स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।
🔷मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) द्वारा 11 सितंबर, 2008 को इस दिवस की घोषणा की गई थी। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने 15 अगस्त, 1947 से 2 फरवरी, 1958 तक शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया।
🔷11 सितंबर, 2008 को, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD) ने 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाकर शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के योगदान को याद करते हुए महान व्यक्ति के जन्मदिन को मनाने की घोषणा की है। 2008 से, भारत में हर साल, राष्ट्रीय शिक्षा दिवस को बिना छुट्टी घोषित किए मनाया जाता है।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
🔷मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 1888 में मक्का, सऊदी अरब में हुआ था।
🔷वह भारत में शिक्षा के प्रमुख वास्तुकार हैं। उन्हें 1992 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
🫁विश्व निमोनिया दिवस🫁
🦠जागरूकता बढ़ाने, रोकथाम और उपचार को बढ़ावा देने और बीमारी से निपटने की कार्रवाई में प्रतिवर्ष 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है।
निमोनिया
🦠निमोनिया फेफड़ों का एक तीव्र श्वसन संक्रमण है। यह एक न्यूमोकोकल रोग भी है जो स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया या न्यूमोकोकस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है।
🦠जिन बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली अपरिपक्व ( अर्थात् नवजात शिशु) या कमज़ोर होती है, जैसे कि अल्पपोषण या एचआईवी रोग- निमोनिया के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
🦠निमोनिया संक्रामक है और खाँसने या छींकने से फैल सकता है। यह तरल पदार्थों के माध्यम से भी फैल सकता है, जैसे बच्चे के जन्म के दौरान रक्त या दूषित स्थानों से।
🦠भारत ने यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) की तर्ज पर ही PCV की राष्ट्रव्यापी शुरुआत की है। बैक्टीरिया के कारण होने वाले निमोनिया को टीकों से आसानी से रोका जा सकता है।
🦠इसे रोकने के लिये प्राथमिक टीके 'न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन'(Pneumococcal Conjugate Vaccine- PCV) की 3 खुराक दी जाती है। निमोनिया के मुख्य संक्रमण कारणों हेतु एक नया टीका विकसित किया जा रहा है।
🦠जागरूकता बढ़ाने, रोकथाम और उपचार को बढ़ावा देने और बीमारी से निपटने की कार्रवाई में प्रतिवर्ष 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है।
निमोनिया
🦠निमोनिया फेफड़ों का एक तीव्र श्वसन संक्रमण है। यह एक न्यूमोकोकल रोग भी है जो स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया या न्यूमोकोकस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है।
🦠जिन बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली अपरिपक्व ( अर्थात् नवजात शिशु) या कमज़ोर होती है, जैसे कि अल्पपोषण या एचआईवी रोग- निमोनिया के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
🦠निमोनिया संक्रामक है और खाँसने या छींकने से फैल सकता है। यह तरल पदार्थों के माध्यम से भी फैल सकता है, जैसे बच्चे के जन्म के दौरान रक्त या दूषित स्थानों से।
🦠भारत ने यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) की तर्ज पर ही PCV की राष्ट्रव्यापी शुरुआत की है। बैक्टीरिया के कारण होने वाले निमोनिया को टीकों से आसानी से रोका जा सकता है।
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🙏आप सभी का तहे दिल से आभार❤️
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🌹पंडित जवाहर लाल नेहरू🌹
🔷पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ था।
(उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की।
🔷 पंद्रह वर्ष की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए और हैरो में दो साल रहने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
🔷वर्ष 1912 में भारत लौटने के बाद वे सीधे राजनीति से जुड़ गए।
🔷 वर्ष 1916 में वे महात्मा गाँधी से पहली बार मिले जिनसे वे काफी प्रेरित हुए। उन्होंने 1920 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहले किसान मार्च का आयोजन किया।
🔷वर्ष 1920-22 के असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा।
(पंडित नेहरू सितंबर, 1923 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने।
🔷 29 अगस्त, 1928 को उन्होंने सर्वदलीय सम्मेलन में भाग लिया एवं वे उन लोगों में से एक थे जिन्होंने भारतीय संवैधानिक सुधार की नेहरू रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर किए थे। इस रिपोर्ट का नाम उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा गया था। उसी वर्ष उन्होंने ‘भारतीय स्वतंत्रता लीग’ की स्थापना की एवं इसके महासचिव बने। इस लीग का मूल उद्देश्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्णतः अलग करना था।
🔷 वर्ष 1929 में पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन के लाहौर सत्र के अध्यक्ष चुने गए जिसका मुख्य लक्ष्य देश के लिए पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था।
🔷 पंडित नेहरू ने भारत को युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर करने का विरोध करते हुए व्यक्तिगत सत्याग्रह किया, जिसके कारण 31 अक्टूबर, 1940 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
🔷8 अगस्त, 1942 को उन्हें अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर अहमदनगर किला ले जाया गया। यह अंतिम मौका था जब उन्हें जेल जाना पड़ा एवं इसी बार उन्हें सबसे लंबे समय तक जेल में समय बिताना पड़ा।
🔷 जनवरी, 1945 में अपनी रिहाई के बाद उन्होंने राजद्रोह का आरोप झेल रहे आईएनए के अधिकारियों एवं व्यक्तियों का कानूनी बचाव किया।
🔷मार्च, 1946 में पंडित नेहरू ने दक्षिण-पूर्व एशिया का दौरा किया। 6 जुलाई, 1946 को वे चौथी बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए एवं फिर 1951 से 1954 तक तीन और बार वे इस पद के लिए चुने गए।
🔷पंडित जवाहर लाल नेहरू 15 अगस्त, 1947 से 27 मई, 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री पद पर रहे।
🔷 27 मई, 1964 को उनका देहावसान हो गया।
🔷पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ था।
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🔷वर्ष 1912 में भारत लौटने के बाद वे सीधे राजनीति से जुड़ गए।
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🔷 29 अगस्त, 1928 को उन्होंने सर्वदलीय सम्मेलन में भाग लिया एवं वे उन लोगों में से एक थे जिन्होंने भारतीय संवैधानिक सुधार की नेहरू रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर किए थे। इस रिपोर्ट का नाम उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा गया था। उसी वर्ष उन्होंने ‘भारतीय स्वतंत्रता लीग’ की स्थापना की एवं इसके महासचिव बने। इस लीग का मूल उद्देश्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्णतः अलग करना था।
🔷 वर्ष 1929 में पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन के लाहौर सत्र के अध्यक्ष चुने गए जिसका मुख्य लक्ष्य देश के लिए पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था।
🔷 पंडित नेहरू ने भारत को युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर करने का विरोध करते हुए व्यक्तिगत सत्याग्रह किया, जिसके कारण 31 अक्टूबर, 1940 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
🔷8 अगस्त, 1942 को उन्हें अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर अहमदनगर किला ले जाया गया। यह अंतिम मौका था जब उन्हें जेल जाना पड़ा एवं इसी बार उन्हें सबसे लंबे समय तक जेल में समय बिताना पड़ा।
🔷 जनवरी, 1945 में अपनी रिहाई के बाद उन्होंने राजद्रोह का आरोप झेल रहे आईएनए के अधिकारियों एवं व्यक्तियों का कानूनी बचाव किया।
🔷मार्च, 1946 में पंडित नेहरू ने दक्षिण-पूर्व एशिया का दौरा किया। 6 जुलाई, 1946 को वे चौथी बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए एवं फिर 1951 से 1954 तक तीन और बार वे इस पद के लिए चुने गए।
🔷पंडित जवाहर लाल नेहरू 15 अगस्त, 1947 से 27 मई, 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री पद पर रहे।
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सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव
🔹15 नवंबर, 2024 को सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव की 555वीं जयंती प्रकाश उत्सव के रूप में मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा को उनकी जयंती मनाई जाती है।
🔹गुरु नानक देव का जन्म वर्ष 1469 में लाहौर के पास तलवंडी राय भोई गाँव में हुआ था, जिसे बाद में ननकाना साहिब नाम दिया गया। वे सिख धर्म के 10 गुरुओं में से पहले और सिख धर्म के संस्थापक थे।
🔹उन्होंने 16वीं शताब्दी में अंतर- धार्मिक संवाद शुरू किया और अपने समय के अधिकांश धार्मिक संप्रदायों के साथ बातचीत की। सिखों के पाँचवें गुरु, गुरु अर्जन (वर्ष 1563-1606) द्वारा संकलित आदि ग्रंथ में शामिल रचनाएँ लिखीं गईं।
🔹10वें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह (वर्ष 1666- 1708) द्वारा किये गए परिवर्द्धन के बाद इसे गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में जाना जाने लगा।
🔹उन्होंने भक्ति के 'निर्गुण' (निराकार परमात्मा की भक्ति और पूजा) रूप की वकालत की। त्याग, अनुष्ठान स्नान, छवि पूजा, तपस्या को अस्वीकार कर दिया।
🔹उनकी मृत्यु वर्ष 1539 में करतारपुर, पंजाब में हुई।
🔹15 नवंबर, 2024 को सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव की 555वीं जयंती प्रकाश उत्सव के रूप में मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा को उनकी जयंती मनाई जाती है।
🔹गुरु नानक देव का जन्म वर्ष 1469 में लाहौर के पास तलवंडी राय भोई गाँव में हुआ था, जिसे बाद में ननकाना साहिब नाम दिया गया। वे सिख धर्म के 10 गुरुओं में से पहले और सिख धर्म के संस्थापक थे।
🔹उन्होंने 16वीं शताब्दी में अंतर- धार्मिक संवाद शुरू किया और अपने समय के अधिकांश धार्मिक संप्रदायों के साथ बातचीत की। सिखों के पाँचवें गुरु, गुरु अर्जन (वर्ष 1563-1606) द्वारा संकलित आदि ग्रंथ में शामिल रचनाएँ लिखीं गईं।
🔹10वें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह (वर्ष 1666- 1708) द्वारा किये गए परिवर्द्धन के बाद इसे गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में जाना जाने लगा।
🔹उन्होंने भक्ति के 'निर्गुण' (निराकार परमात्मा की भक्ति और पूजा) रूप की वकालत की। त्याग, अनुष्ठान स्नान, छवि पूजा, तपस्या को अस्वीकार कर दिया।
🔹उनकी मृत्यु वर्ष 1539 में करतारपुर, पंजाब में हुई।