करवाओ इश्क़ सबको क्यों अकेले करें हम,
सबको बर्बाद होनें दो क्यों अकेले मरें हम..!!
सबको बर्बाद होनें दो क्यों अकेले मरें हम..!!
झोंक दीजिए आग में सारी बलाओं को साहिबान,
हम भी बुझ गए हैं हमको भी झोंकिए क़दरदान..!!
हम भी बुझ गए हैं हमको भी झोंकिए क़दरदान..!!
क़ैदी जो बंद था वो भूल गया था,
उसे तो अब क़ैद में ही मज़ा आनें लगा था,
जब आज़ाद किया गया तो रोने लगा वो,
कहने लगा कि उसको ऐसी सज़ा न दो,
कोई तो जुर्म होगा जो कर दें अभी तुरंत,
बाहर नहीं जाना है हमको क्षमा करो,
ये देखते ही जेलर को गुस्सा बहुत आया,
दूर से ही गालियां बरसाते वहां आया,
बोला कि रोटी चुराने की इतनी ही सज़ा है,
बड़े आदमी थोड़ी हो की हमेशा का मज़ा है..!!
उसे तो अब क़ैद में ही मज़ा आनें लगा था,
जब आज़ाद किया गया तो रोने लगा वो,
कहने लगा कि उसको ऐसी सज़ा न दो,
कोई तो जुर्म होगा जो कर दें अभी तुरंत,
बाहर नहीं जाना है हमको क्षमा करो,
ये देखते ही जेलर को गुस्सा बहुत आया,
दूर से ही गालियां बरसाते वहां आया,
बोला कि रोटी चुराने की इतनी ही सज़ा है,
बड़े आदमी थोड़ी हो की हमेशा का मज़ा है..!!
ये दर्द है कि बेहयाई है या कह लूं इसे तमाशा,
मैं लिखना नहीं चाहता लेकिन लिख जाता है सब..!!
मैं लिखना नहीं चाहता लेकिन लिख जाता है सब..!!
ये हल्की सी बरसात ने जो किया है सर्द को,
क्या ऐसा हो गया कि गुस्साया है आसमान..!!
क्या ऐसा हो गया कि गुस्साया है आसमान..!!
बहुत झूठी हैं ये बातें पर क्या करें,
उम्मीद बन गई है उनसे क्या करें,
सच समझ आता है पर नहीं समझना है,
जीना भी तो है मरना नहीं क्या करें..!!
उम्मीद बन गई है उनसे क्या करें,
सच समझ आता है पर नहीं समझना है,
जीना भी तो है मरना नहीं क्या करें..!!
ये गुज़रे हुए साल कुछ कहने लगे हैं मुझसे,
कहते हैं कि अब जी लो वरना तुम भी गुज़र जाओगे..!!
कहते हैं कि अब जी लो वरना तुम भी गुज़र जाओगे..!!
मौत के उस रोज़ के बाद मेरा ईश्वर जब मुझसे कहेगा कि बताओ मेरी बनाई दुनियां में क्या अच्छा क्या बुरा लगा तुमको... तो मैं...
बताऊंगा कि....मैं फला, फला फला की संतान,
शुक्रगुजार हूं ...
उन तमाम रिश्तों का जो मैनें हासिल किए बिना किसी मेहनत के,
उन रिश्तों का जो मैनें बनाए अजनबियों से,
उन रिश्तों का जो टिके रहे अंत तक, चले गए बीच में, हंसाते रुलाते मगर याद बनाते,
उन सभी यादों का जो मेरी तिजोरी को मेरा कहलवानें की हकदार बनाती हैं,
कमाई हुई दौलत का और उस दौलत से खरीदी हुई ख़ुशी का,
सही-ग़लत फ़ैसलों का,
सही जगह काम आए सही मुकद्दर का,
हवा का, पानी का, खेत खलिहान, सुन्दर बागान का,
जानवर, पंछी, हिम गुच्छों का
निखरे हुए कोमल पुष्पों का,
उन्नत दिमाग़, दिखते न दिखते जीव-निर्जिवो का,
खाने के तमाम लज़ीज़ व्यंजनों का,
वगैरह वगैरह हज़ार और चीज़ का लेकिन सबसे ज़रूरी सबसे शानदार प्रेम के भाव का...
और बताऊंगा कि मैं नाखुश हूं...
भूख की तड़प से - भूख रोटी की, दौलत की, जिस्म की, शोहरत की, ईल्म की,
ग़लत लोगों के उत्थान से,
सड़ी सोच के अभिमान से,
लकीरों से बंट जाने से,
उजाले के घट जानें से,
धर्म से ख़ासकर, हां, उनके जानकारों से भी,
राजनीति के मद से,
मृत्यु के व्यापार से,
वगैरह वगैरह हज़ार और चीज़ से लेकिन,
सबसे नाखुश सबसे बदतर- सोचने समझने की ताक़त से..!!
बताऊंगा कि....मैं फला, फला फला की संतान,
शुक्रगुजार हूं ...
उन तमाम रिश्तों का जो मैनें हासिल किए बिना किसी मेहनत के,
उन रिश्तों का जो मैनें बनाए अजनबियों से,
उन रिश्तों का जो टिके रहे अंत तक, चले गए बीच में, हंसाते रुलाते मगर याद बनाते,
उन सभी यादों का जो मेरी तिजोरी को मेरा कहलवानें की हकदार बनाती हैं,
कमाई हुई दौलत का और उस दौलत से खरीदी हुई ख़ुशी का,
सही-ग़लत फ़ैसलों का,
सही जगह काम आए सही मुकद्दर का,
हवा का, पानी का, खेत खलिहान, सुन्दर बागान का,
जानवर, पंछी, हिम गुच्छों का
निखरे हुए कोमल पुष्पों का,
उन्नत दिमाग़, दिखते न दिखते जीव-निर्जिवो का,
खाने के तमाम लज़ीज़ व्यंजनों का,
वगैरह वगैरह हज़ार और चीज़ का लेकिन सबसे ज़रूरी सबसे शानदार प्रेम के भाव का...
और बताऊंगा कि मैं नाखुश हूं...
भूख की तड़प से - भूख रोटी की, दौलत की, जिस्म की, शोहरत की, ईल्म की,
ग़लत लोगों के उत्थान से,
सड़ी सोच के अभिमान से,
लकीरों से बंट जाने से,
उजाले के घट जानें से,
धर्म से ख़ासकर, हां, उनके जानकारों से भी,
राजनीति के मद से,
मृत्यु के व्यापार से,
वगैरह वगैरह हज़ार और चीज़ से लेकिन,
सबसे नाखुश सबसे बदतर- सोचने समझने की ताक़त से..!!
कहीं और जा के ढूंढ किसी बेरोजगार को,
ऐ मेरी तन्हाई मैं इश्क़ के काम में मसरूफ़ हूं आजकल..!!
ऐ मेरी तन्हाई मैं इश्क़ के काम में मसरूफ़ हूं आजकल..!!
दुकान क्यों नहीं करते ईमान बेचने वाले,
आजकल बड़ा चलन है ऐसी चीज़ों का.!!
आजकल बड़ा चलन है ऐसी चीज़ों का.!!
मैं तुम्हें चांद नहीं कहता, ना,
मैं सोचता हूं तुम्हें ऐसे जैसे सूरज सो कर उठा, हल्की लाख आंखों से देखने पर कायनात में ओस और घास एक दूसरे से लिपटे हैं और जल उठा सूरज,
तुरंत उसने पूरी पलके खोलनी शुरू कर दी और सोखने लगा अपना बादल अपनें क़रीब लानें के लिए मग़र,
कुछ ही देर बाद शाम अपना पैग़ाम लाई की मुलाक़ात का वक्त ढल रहा,
लौट जानें का इंतज़ाम करो और फिर आफताब लगाने लगा अपना ग़मगीम किवाड़,
ये सिलसिला चलता रहा,
दिन, हफ़्ते, महीने, साल, युग, बीते जा रहे हैं और हर रोज़ इसी इंतज़ार में खुश रहता है इसी दुख में दुःखी,
जैसे मैं तुमसे मिलकर और बिछड़कर होता हूं.. बस वैसे ही..!!
मैं सोचता हूं तुम्हें ऐसे जैसे सूरज सो कर उठा, हल्की लाख आंखों से देखने पर कायनात में ओस और घास एक दूसरे से लिपटे हैं और जल उठा सूरज,
तुरंत उसने पूरी पलके खोलनी शुरू कर दी और सोखने लगा अपना बादल अपनें क़रीब लानें के लिए मग़र,
कुछ ही देर बाद शाम अपना पैग़ाम लाई की मुलाक़ात का वक्त ढल रहा,
लौट जानें का इंतज़ाम करो और फिर आफताब लगाने लगा अपना ग़मगीम किवाड़,
ये सिलसिला चलता रहा,
दिन, हफ़्ते, महीने, साल, युग, बीते जा रहे हैं और हर रोज़ इसी इंतज़ार में खुश रहता है इसी दुख में दुःखी,
जैसे मैं तुमसे मिलकर और बिछड़कर होता हूं.. बस वैसे ही..!!
कुछ दिन बाद यहां से चला जाऊंगा,
मै किसी के लिए दुनियां नहीं छोडूंगा..!!
मै किसी के लिए दुनियां नहीं छोडूंगा..!!
कागज़ के अब फूल नहीं मिलते किताब में,
आशिक़ पड़े हुए हैं बहुत मायाजाल में,
ख़र्चा हुआ इतना कि भरम टूट गया है,
सोचा था क्या ही जाएगा इस इंद्रजाल में,
लड़के हुए तबाह हैं कि बिल वही देंगे,
लेकिन अहम को छोड़ें कैसे, हैं जंजाल में,
लड़की है परेशान की सजना है रोज़ रोज़,
ख़त्म हुई जा रही है सारी क्रीम इसी गोलमाल में,
मिलनें के वास्ते किसी बढ़िया सी जगह जाओ,
और देखो कोई देख न ले रहो इस देखभाल में..!!
आशिक़ पड़े हुए हैं बहुत मायाजाल में,
ख़र्चा हुआ इतना कि भरम टूट गया है,
सोचा था क्या ही जाएगा इस इंद्रजाल में,
लड़के हुए तबाह हैं कि बिल वही देंगे,
लेकिन अहम को छोड़ें कैसे, हैं जंजाल में,
लड़की है परेशान की सजना है रोज़ रोज़,
ख़त्म हुई जा रही है सारी क्रीम इसी गोलमाल में,
मिलनें के वास्ते किसी बढ़िया सी जगह जाओ,
और देखो कोई देख न ले रहो इस देखभाल में..!!
इबादत है, दुआ मंज़ूर न होनें पर ख़ुदा बदला नहीं जाता,
रिवायत है, ठहर जाने पर आगे रास्ता बदला नहीं जाता,
कहीं कुछ है, बुरा होगा, बुरा ही है,
ये दिखनें पर भी,
भरोसा है, भला होगा, नहीं होगा तो लौटा तो नहीं जाता..!!
रिवायत है, ठहर जाने पर आगे रास्ता बदला नहीं जाता,
कहीं कुछ है, बुरा होगा, बुरा ही है,
ये दिखनें पर भी,
भरोसा है, भला होगा, नहीं होगा तो लौटा तो नहीं जाता..!!
कहीं किसी की सुबह होते ही रात हो गई,
कहीं अंधेरे की रौशनी से मुलाक़ात हो गई,
कहीं आँखें थी चश्मदीद खुशियों की,
कहीं यहीं आँखें अश्कों की बारात हो गई,
कहीं मिला कोई जो परेशान था करे क्या क्या,
कहीं बुढ़ापे में कुछ ना कर सकने की बात हो गई,
कहीं मिले तो किसी से कुछ कह ही न सके,
कहीं बिछड़ के मर गए वो सियाह-रात हो गई..!
कहीं अंधेरे की रौशनी से मुलाक़ात हो गई,
कहीं आँखें थी चश्मदीद खुशियों की,
कहीं यहीं आँखें अश्कों की बारात हो गई,
कहीं मिला कोई जो परेशान था करे क्या क्या,
कहीं बुढ़ापे में कुछ ना कर सकने की बात हो गई,
कहीं मिले तो किसी से कुछ कह ही न सके,
कहीं बिछड़ के मर गए वो सियाह-रात हो गई..!