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निभाई जाए तो ठीक है वरना तो इश्क़ क्या,

करता तो हर एक शख़्स है उसमें खास क्या..!!
तेरी तस्वीर से तू सोच जो इतना इश्क़ करता हो,

तू गर उसका जो हो जाए तो क्या होगा गज़ब होगा..!!
ज़रा मैं नींद में था
बुरा सपना भी साथी था,

नहीं मै डूब नहीं पाया,
लौट आनें का आदी था..!!
पसंद करना और पसंद आना,
फ़र्क़ है साहेब,

इश्क़ होना और इश्क़ निभाना,
फ़र्क़ है साहेब..!!
गज़ब ढक देते हैं मेरे अश्क़ मेरी तबाही को हर दफा,

ये कम कहां की आग उगलने की जगह आंसू निकलते हैं..!!
कितना रोकेंगे मुझे ये मेरे यार निठल्ले..

मैनें मरना है तो एक दिन मर ही जाऊंगा..!!
हारे हुए हम दुनियां से क्या डरें,
जो मर चुके हैं लोग तो लोगों से क्या डरें,

ये चलती फिरती लाशें हैं मुर्दा हैं जानिसार,
जो अपनों से ना डरे तो अब गैरों से क्या डरें..!!
ये तो अजीब है की हां नया नया होगा,
मगर ये सच है कि नया कुछ नहीं होगा,

वही हम वही तुम सब कुछ वही होगा,
वही दुनियां होगी वही मुर्दों में नाम मेरा होगा..!!
उसके शहर में होता तो ज़रूर जाता दीदार की खातिर,

अब जब कोई है नहीं तो कहां जाएं सर्द रातों में..!!
कहीं एक रात की बात है,
वही मुलाक़ात की बात है,
मैं और मेरी तन्हाई बैठ के रोते हैं,
दिन में तड़प तड़प के सोते हैं,
रात तो सर्द है नींद कहां आएगी,
दिन में आसूं छुपाना है बिस्तर में छिप जाएगी,
बाहर निकले तो लोग सवाल पूछेंगे,
ना चाहते हुए ज़ख्म नोचेंगे,
भला यही है कि यहां से बेहतर हो जाएं,
ग़ैरों के लिए न सही अपनों की खातिर लड़ जाएं,
जिए ज़िंदगी ज़िंदगी की तरह,
मां बाप भाई बहन की लिए ही सही लेकिन,
कुछ कायदे का कर जाएं..!!
अपनें आप में बंधे हैं खुलेंगे कैसे,
कोई और क्या कहेगा सहेंगे कैसे,
कब तक घिरे रहेंगे भरम के धुंध में,
अन्दर की रौशनी को निकालेंगे कैसे,

डर डर के चाहतों की चाहत बदल गई,
नब्ज़ में दौड़ते लहू की सियासत बदल गई,
जो आग था गरम था गरमी चली गई,
जो पानी की आदत थी नरमी चली गई,

मिला है एक सहारा तैरना सीख जाएंगे,
जो अकड़े थे अंग चलाना सीख जाएंगे,
हल्की बारिश सी है झेल जाएंगे ऐ ज़िंदगी,
वक्त लगेगा हवा से बवंडर बनाना सीख जाएंगे..!!
काश की पहले समझ जाता मैं नासमझ,

लड़ाई मेरी मुझसे थी मैं उलझा कहीं रहा..!!
मेरी इबादत का नया अध्याय शूरु हुआ है कल,

हां सही सुना नया नया साल शुरु हुआ है कल..!!
काश कि बदल देता दुनियां के क़ायदे,
या कि बदल देता मैं गुज़रा हुआ मसअला,

अब ये तो सच है कि होगा नहीं ऐसा,
झट से मैनें अपनी दुनियां के लोगों को बदला..!!
बता रहा था कोई की खयाल कैसे होता है,
जैसे तुम सोचते हो वैसे तो नहीं होता है,

एक तरीका है एक मिजाज़ है और वो अनायास है,
कुछ भी कैसे भी कहना करना ठीक है लेकिन
ऐसे नहीं होता कि हुआ ना हुआ एक ही होता है,

कुछ नज़ाकत हो कुछ शर्म की बूंद हो,
कुछ हया में गुफ्तगू रहे, कुछ हक़ीक़त के साथ कल्पना की धुंध हो,

प्रेम की बातचीत में आलिंगन का मिश्रण हो,
छुवन हो, संधि हो, एक दूसरे के बंदी हो,

अधरों पर आए बात मगर चुपचाप रहना,
आंखों में अश्क़ आनें से पहले ही अंदर रखना,
हाथ की हथेलियों में हाथ की हथेलियां हों,
या फिर ऐसा हो किसी की गोद और किसी का सर रखना,

बिजली तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,
सुकून तन में रहें मन में रहे और रहे सासों में,
मिलने का सुख तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,
वक़्त हो चला है इसका दुःख तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,

यही बता रहा था कोई की खयाल कैसे होता है,
जैसे तुम सोचते हो वैसे तो नहीं होता है..!!
ज़मीन पर चुनाव

सफ़ेद कुर्ते में जा रहे थे डकैत दिन में
किया लपककर प्रणाम सब ने,

वहीं बगल में एक साधु को चोर कहकर
मारा बहुत लोगों जी भर के..(१)


निकल पड़े हैं आवारे गुंडे
गिरेंगे पैरों में आकर के सबके,

कहेंगे बदलाव होगा तभी जब
गिरोह को सत्ता में लाएंगे अबके..(२)


ग़रीबों को दारू मिलेगी विदेशी
मिलेगी निठल्लों को मुर्गी की दावत,

जो पढ़ के हैं बैठे मिलेगा भरोसा
की नौकर बनाएंगे रोटी की बाबत..(३)


दाढ़ी और धोती में कौन बड़ा है
बहस का यही होगा मुद्दा अकेला,

जो हम कह रहे हैं वही सत्य शाश्वत,
जो कुछ कहा तो होगा झमेला..(४)


सड़कों को नाला स्कूलों को अड्डा,
हर एक मोड़ पर नया ठेका खुलाएंगे,
चोरी छिनौती का पुण्य कहेंगे,
औरत को बाजार बेचा करेंगे,
पत्रकारों को बढ़िया पदवी दिलवाएंगे,
फोकट में सारी दुनियां घुमाएंगे,
सरकारी परीक्षा को महंगे में बेचेंगे,
छात्र कहेगा तो डंडा बरसाएंगे,
थाने कचहरी में व्यापार होगा,
अमीरी की क़िस्मत का व्यवहार होगा,
धड़ल्ले बिकेगा तमंचा और गांजा,
लेकिन फसल का ना बाज़ार होगा,
दूध दही फल पर टैक्स लगाएंगे,
फिल्मों को हां टैक्स फ्री कर दिखाएंगे,
शहीदों की शहादत पर सियासत करवाएंगे,
लेकिन व्यवस्था ना एक बढ़ाएंगे,
बड़े कर्ज़ों को माफ़ी का हक़ होगा,
चवन्नी अठन्नी में कुड़की कराएंगे,
दुश्मन को अपनें खेमें में घुसाएंगे,
बाक़ी जो होगा ख़रीद ले आएंगे,

कहना तो चाहते थे यही लेकिन साहेब,
इसके उलट बाण बौछार होगा

गांव को अपनें अमरीका बनाएंगे,
भाषण यूं ऐसा धुंआधार होगा..(५)
ठेकेदार समाज के....

कम पढ़े लिखे कम समझदार,
मारपीट करनें वाले हुडदंग करानें वाले,
रैलियों में कुर्सी लगानें वाले भीड़ बुलानें वाले,
सभा का मंत्री सचिव उपसचिव वगैरह,
बने हैं ठेकेदार समाज के....(१)

सबको सही ग़लत बतानें वाले ख़ुद ही न मानने वाले,
धरम जाति में कट्टरता जतानें वाले,
बदलाव को नकार देने वाले,
अपनें को ऊंच औरों को नीच जताने वाले,
बने हैं ठेकेदार समाज के....(२)

जो पुराना सब अच्छा नया बुरा बुरा है सब,
सही को सही ग़लत को ग़लत ना मानने वाले,
जो उनका नेता कह रहा वही आख़िरी सच कहने वाले,
रिश्तों को खिलवाड़ समझने वाले,
बनें हैं ठेकेदार समाज के....(३)

घर में महिला के बोलने की मनाही,
बाहर उत्थान चिल्लाने वाले,
अपना बच्चा पढ़े विदेश और देश शिक्षा महान कहने वाले,
लाशों पर बनी गद्दी पर बैठ हुक़ूमत करने वाले,
बनें हैं ठेकेदार समाज के....(४)

इश्क़ पता चलनें पर दोनों को क़त्ल करने वाले,
बेटी बेटे की नापसंदगी पर भी ब्याह करवाने वाले,
गैरों से शारीरिक संबंध रखने वाले,
प्रेम विवाह अपराध मानने वाले,
बनें हैं ठेकेदार समाज के....(५)
कितना ज़लील कितना गिरा
कितना बुरा उन्हें कह दूं,

हर एक बात से मुकर जाते हैं
कितना मरा उन्हें कह दूं.. (१)


रोज़ पहुंचते मंदिर-मस्जिद
रोज़ दुआ की लिस्ट बढ़ाते,

चाहिए उन्हें भी वैसा कोई
जैसा स्वयं नहीं बन जाते.. (२)


काबिलियत की सूई से वो
बांध रहे हैं खुली हवा को,

भ्रम है उनको ठीक होगा सब
एक दफा आ जाए धन तो..(३)
इंसान तो शायद बुरा माने,
कागज़ को नहीं बुरा लगता,
यादों में आग लगा नहीं सकते,
इसमें तो आसान होगा,

रोना है तो रो सकते हैं
लिखते लिखते हर्ज़ ही क्या,
नहीं कुरेदता है वो दुःख को
नहीं पूछता मर्ज है क्या,

नाम किसी का लिखना चाहें
आपकी मर्ज़ी लिख सकते हैं
बदनाम किसी को करना चाहें
आपकी हस्ती कर सकते हैं,

नंगा करना है नंगे को ?
कीजिए कीजिए बढ़िया है,
भूल की माफ़ी मांगनी है ?
मांग लीजिए बढ़िया है,

अच्छा करना है तो ठीक है,
बुरा वुरा हो तो भी ठीक,
कौन यहां है आपसास में,
जो कर देंगे वही है ठीक,

शस्त्र गिरे हैं उठ जाएंगे,
लड़ना आप शुरू करिए,
मुर्दा हैं तो जी जाएंगे,
लिखना आप शुरू करिए..!!
तेरे चंचल नाज़ुक गुलाबी अधरों का मेरे तड़पते माथे से मिल जाना,

मैनें महसूस किया है कि मैं इसी सर्द छुवन का आशिक़ हूं..!!
2025/02/10 06:56:12
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