इस_छोटी_सी_कहानी_से_जानिए_जीवन_में_ब्रह्मचर्य_पालन720P_HD.mp4
25.9 MB
ब्रह्मचर्य के महत्व को स्पष्ट करती एक छोटी सी कहानी ‼️
⭐ अग्निदेव आर्य
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(Time Management & Rest)
-लोग सोचते हैँ क़ि उनके पास काम बहुत है़ इसलिए . उन के पासआराम का समय नहीं है़ ।
-लोग जल्दी उठते है़ और देर रात तक काम करते हैँ । यह ठीक नहीं है़
-लोगों के पास काम अधिक और समय कम इसलिए है़ क्यों क़ि औसतन व्यक्ति अjपने काम
का आधा समय गप्पे मारने, लंच, काफी ब्रेक और दूसरे नेट वर्किंग से जुड़े कार्यो में लगा देते है़ ।
-काम की गुणवता के लिए हर घंटे के दौरन आप पूरी तरह से तरोताजा हो ।
-अगर आप हर घंटे के बाद 5 मिनट राजयोग का अभ्यास करें या अच्छे विचार पढ़ें या दोहराए या मित्र आत्माओं के बारे सोचे तो पूरा घंटा तरोताजा रहेंगे ।
-अगर जीवन भर चुस्ती से कार्य करना चाहते हैंं तो सप्ताह में एक दिन आपने में ऊर्जा भरनी चाहिए ।
- शनिवार शाम से रविवार शाम तक आप कोई कार्य नहीं करेंगें ।
-सिर्फ अच्छी पुस्तकें पढ़ें, धार्मिक साधना करें या आपने परिवार के कार्य करें ।
---सप्ताह में एक दिन का आराम और दो रातो की भरपूर नींद चाहिए, जिस में कोई व्यावसायिक काम न हो ।
-एक रात की नींद काफी नहीं होती ।
-36 घंटे का आराम आप की शारीरिक और मानसिक बैटरी को रिचार्ज कर देगा ।
-यह आराम आप के जीवन में अढ्भुत नतीजे लाएगा ।
-कई बार ऐसा होता है़ क़ि आराम से लौटने के बाद ज़्यादा थक जाते है़ ।
-ऐसा इसलिए हुआ क़ि आपने आराम में भी मन को काम में उलझाए रखा ।
-मन को काम से रोकने के लिए अनुशासन की जरूरत होती है़, नहीं तो मनपसंद काम में हम लम्बे समय तक लगे रहते हैंं ।
--आप को अपने लम्बे अवकाश या ब्रेक के दौरन ही अच्छे आडिया आते है़ ।
-कई लोग घर जल्दी आ जाते है़ परंतु टी .वी के आगे 6-7 घंटे बैठे रहते हैंं और ' बहुत देर से सोते हैंं तथा सुबह उठते ही फिर टी. वीं . लगा लेते हैँ । इस से समय नष्ट होता है़ ।
-अगर काम करने को मन नहीं करता, काम में रस नहीं आता, सदा थकावट बनीं रहती हैंं तो इसका सीधा सा अर्थ हैंं, आप नींद पूरी नहीं ले रहे हैंं ।
-ऐसी दशा में 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए ।
- यदि सप्ताह की दिमागी थकान हावी हो जाए तो शारीरिक श्रम करना चाहिए ।
-भावनात्मक उथल पुथल हो तो ज्यादा नींद लें ।
-सैर करें, शरीर को थका दें, रात को अच्छी नींद आएगी ।
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📝The Poem:-
🔥 जल रहा हूँ मैं...🔥
करके गलतियां हज़ार, एक ही
अग्नि में पश्चाताप की
जल रहा हूँ मैं
अस्त हुआ हूँ कई बार तब भी
सूरज सा फिर निकल रहा हूँ मैं...
शांत हूँ ,मौन हूँ तब भी
मन मे पल पल बोल रहा हूं मैं
छिन्न भिन्न होकर भी प्यारे
अभिन्न डोल रहा हूँ मैं...
नाकामिया क्यों मिली इतनी
बीती कड़ियों को खोल रहा हूँ मैं
क्या कहूँ अब
सफलता और असफलता के तराजू में
खुद को ही आज तौल रहा हूँ मैं...
कितनी बार जाने
खुशियो का उपवन उजाड़ा
कली एक नई बनकर
फिर खिल रहा हूँ मैं...🌷
आंसुओ की धार से मन के ज़ख्मो पर
मरहम मल रहा हूँ मैं✅
टूटकर बुरी तरह से
क्षण क्षण बिखर रहा हूँ मैं
छोड़ी न आस प्रार्थना
और संकल्पों पर अपने
इसी विश्वास से अब निखर रहा हूँ मैं...
क्रुद्ध हूँ खुद के कारनामो से,
पर फिर खुद को आज
सहन करने को अड़ रहा हूँ मैं
मन ही मन इस मन के महाभारत में
पल पल धर्मयुद्ध लड़ रहा हूँ मैं...
निराशा में चूर हूँ, न कोई रखता गुरुर हूँ
गुनाह करके भी सचमें बेकसूर हूँ
अपने इस न्याय की खातिर
खुद से झगड़ रहा हूँ मैं...
कांटो के इस लहुलुहान पथ पर भी
पुष्पों की तलाश में
धीमे ही सही पर
थोड़ा थोड़ा चल रहा हूँ मैं...✅
चाहा जो कभी वो पाया नही,
और जो पाया वो कभी चाहा नही
ऐसा क्यों?
इस प्रश्न का खोज हल रहा हूँ मै...
होता जो भी है, अच्छे के लिए होता है
क्यों मेरे प्यारे मन तू तब भी रोता है
बस
इस विश्वास पर रोज चल रहा हूं मैं...
खण्ड खण्ड होकर भी अखंड हूँ,
हार कर भी गाता विजय का गीत हूँ
इस रवैये से खुद को
नितदिन बदल रहा हूँ मैं...
हाँ ज्योति से ज्वाला बनने की आस में
पुंज से प्रकाश का महापुंज बनने के विश्वास में
दर्द की इस भट्टी में जल रहा हूँ मैं🔥
सँघर्ष इतना आसान है नही फिर भी
बस चल रहा हूँ मैं
कोयले से हीरा बनने की चाह में
बुरी तरह जल रहा हूँ मैं...
पर तब भी बस चल रहा हूँ मैं
हाँ जल रहा हूँ मैं
एक दहन हुआ रावण का
और एक यहाँ कर रहा हूँ मैं
लगाकर आग हर विकार में खुदके
उसकी तपिश में तप रहा हूँ मैं
🔥 हाँ जल रहा हूँ मैं,,,🔥
खुद को ही अब बदल रहा हूँ मैं...📝
धन्यवाद😊
🥇शिक्षा:-
विजया दशमी का पर्व प्रत्येक उस व्यक्ति के लिये प्रेरणा है। जिसका विश्वास उच्च आदर्शों और मानवीय मूल्यों पर है। यह त्योंहार अन्याय पर न्याय की, असत्य पर सत्य की , अधर्म पर धर्म की , और निराशा पर आशा की विजय का प्रतीक है...
➡️So Today's टास्क is:-
✨ ✨ ✨ ✨ ✨ ✨ ✨ ✨ ✨ ✨
विजयादशमी के इस पावन अवसर पर मन मे छिपी हर बुराई का दहन करने का संकल्प करते है। तथा काम, क्रोध, ईर्ष्या, मद, मोह, व लोभ रूपी बुराई का त्याग करते है। आइए साथ मे मिलकर जीवन मे हम प्रेम और खुशियो के रंग भरते है...
ओनली One शेयर For Plus vibes...
🏐 🏐 🏐
करके गलतियां हज़ार, एक ही
अग्नि में पश्चाताप की
जल रहा हूँ मैं
अस्त हुआ हूँ कई बार तब भी
सूरज सा फिर निकल रहा हूँ मैं...
शांत हूँ ,मौन हूँ तब भी
मन मे पल पल बोल रहा हूं मैं
छिन्न भिन्न होकर भी प्यारे
अभिन्न डोल रहा हूँ मैं...
नाकामिया क्यों मिली इतनी
बीती कड़ियों को खोल रहा हूँ मैं
क्या कहूँ अब
सफलता और असफलता के तराजू में
खुद को ही आज तौल रहा हूँ मैं...
कितनी बार जाने
खुशियो का उपवन उजाड़ा
कली एक नई बनकर
फिर खिल रहा हूँ मैं...🌷
आंसुओ की धार से मन के ज़ख्मो पर
मरहम मल रहा हूँ मैं
टूटकर बुरी तरह से
क्षण क्षण बिखर रहा हूँ मैं
छोड़ी न आस प्रार्थना
और संकल्पों पर अपने
इसी विश्वास से अब निखर रहा हूँ मैं...
क्रुद्ध हूँ खुद के कारनामो से,
पर फिर खुद को आज
सहन करने को अड़ रहा हूँ मैं
मन ही मन इस मन के महाभारत में
पल पल धर्मयुद्ध लड़ रहा हूँ मैं...
निराशा में चूर हूँ, न कोई रखता गुरुर हूँ
गुनाह करके भी सचमें बेकसूर हूँ
अपने इस न्याय की खातिर
खुद से झगड़ रहा हूँ मैं...
कांटो के इस लहुलुहान पथ पर भी
पुष्पों की तलाश में
धीमे ही सही पर
थोड़ा थोड़ा चल रहा हूँ मैं...
चाहा जो कभी वो पाया नही,
और जो पाया वो कभी चाहा नही
ऐसा क्यों?
इस प्रश्न का खोज हल रहा हूँ मै...
होता जो भी है, अच्छे के लिए होता है
क्यों मेरे प्यारे मन तू तब भी रोता है
बस
इस विश्वास पर रोज चल रहा हूं मैं...
खण्ड खण्ड होकर भी अखंड हूँ,
हार कर भी गाता विजय का गीत हूँ
इस रवैये से खुद को
नितदिन बदल रहा हूँ मैं...
हाँ ज्योति से ज्वाला बनने की आस में
पुंज से प्रकाश का महापुंज बनने के विश्वास में
दर्द की इस भट्टी में जल रहा हूँ मैं
सँघर्ष इतना आसान है नही फिर भी
बस चल रहा हूँ मैं
कोयले से हीरा बनने की चाह में
बुरी तरह जल रहा हूँ मैं...
पर तब भी बस चल रहा हूँ मैं
हाँ जल रहा हूँ मैं
एक दहन हुआ रावण का
और एक यहाँ कर रहा हूँ मैं
लगाकर आग हर विकार में खुदके
उसकी तपिश में तप रहा हूँ मैं
खुद को ही अब बदल रहा हूँ मैं...📝
धन्यवाद😊
🥇शिक्षा:-
विजया दशमी का पर्व प्रत्येक उस व्यक्ति के लिये प्रेरणा है। जिसका विश्वास उच्च आदर्शों और मानवीय मूल्यों पर है। यह त्योंहार अन्याय पर न्याय की, असत्य पर सत्य की , अधर्म पर धर्म की , और निराशा पर आशा की विजय का प्रतीक है...
➡️So Today's टास्क is:-
विजयादशमी के इस पावन अवसर पर मन मे छिपी हर बुराई का दहन करने का संकल्प करते है। तथा काम, क्रोध, ईर्ष्या, मद, मोह, व लोभ रूपी बुराई का त्याग करते है। आइए साथ मे मिलकर जीवन मे हम प्रेम और खुशियो के रंग भरते है...
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पढ़ाई_में_कमजोर_विद्यार्थियों_का_होगा_मजबूत_आ_360_X_220_.mp4
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ब्रह्मचर्य से पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थी होंगे होशियार ((HD Video)
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🌷शेयर करना न भूले🌷
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ये बात रूटीन में लाए ✨
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प्यारे साथियों ,
आप मे प्रचंड ताकत भरी है ।
आपके लिए कुछ भी असंभव नही है ।
आप जितना आगे जाना चाहे जा सकते है । कोई भी समस्या आपके मनोबल से मजबूत नही ।
कोई आपके मन को टच नही कर सकता चाहे कितना भी कोई बलवान हो ।
आपके हाथ में है कैसे सोचना है किसी भी हाल में । आप मास्टर हो अपने मन के।
सफलता पाने के लिए जरूरी है एक प्रतिज्ञा ,एक महान लक्ष्य और दृढ़ निश्चय....
कोई भी लक्ष्य बड़ा नही ,
जीता वही जो डरा नही ।
चाहे कितनी भी बड़ी गलती हुई हो पास्ट में , तुम अब भी सबसे बड़ी मंजिल तक पहुंच सकते हो ।
तुम इतने खुश रहो जो निराशा के काले बादल आस पास भी न आ सके तुम्हारे।
ओ युवा उठ खड़े हाेवो, देखो सारी दुनिया किस दिशा में जा रही है तुम्हे तो सही राह मिल गई है ,फिर क्यों तुम बार बार अपने को गंदा करना चाहते हो ।
तुम एक बार किसी महान लक्ष्य में खुद को लगा कर तो देखो , ये गलत विचार तुमसे कोसो दूर न चले जाए तो कहना।
ओ युवा तू देख, आज नही संभला तो सोच क्या भविष्य होगा तेरा ।
अरे कोन समझाएगा इतना , समझदार इंसान तो एक बार में समझ जाता है। जरा सोच तो सही इस जीवन के महत्व को ।
तुझे बड़े काम करने है ।
माना की तू कमजोर है , माना की तू अच्छा नही दिखता , माना की तू गरीब है , माना की सब तेरा मजाक उड़ाते है ,माना की सब तुम्हे दुख देते है , तुम्हे पीछे खींचते है पर वो परमात्मा तो तुम्हे हर पल शक्ति की किरने दे रहा है । भूल जा इन सब बातो को ,खुद को अंदर से सशक्त बना फिर देख चुटकियों में तू कैसे सफलता के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचता है ।
अब बहानेबाजी बंद हो , आलस का त्याग हो ,बस लक्ष्य की अग्नि जलती रहे। 🔥
तुम साधारण नही महान हो, पहचानो अपनी महानता को ....
ये लिंक शेयर करके युवाओं को सही राह पर लाना मत भूलना मेरे प्यारे भाईयो और बहनों ✨👇
https://www.tgoop.com/+RCBOO24o4PS1h2mj
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ऐसे छूटेगी आपकी बुरी से बुरी आदत
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🔰Note:- श्री युक्तेशवर जी का परमहंस योगानन्द जी को ब्रह्मचर्य का सूक्ष्म मार्गदर्शन:-
🌿इंद्रियां कभी बूढ़ी नही होती, लेकिन शरीर ढल जाता है। बल्कि उन्हें अनवरत सुख देने की चाह ही( तृष्णा ) असली दुःख का कारण है।
🌿एक बूंद जिससे सन्तान जन्म लेती है,जिसमें गुरुनानक जी, महावीर जी, बुद्ध, गुरु गोविंदसिह, भगतसिंह, एपीजे अब्दुल कलाम व Bk शिवानी जैसे ,न जाने कितने महापुरुष छिपे है।
क्या उंस अनमोल वीर्य या पवित्र स्त्री तत्व का क्षय करना महापाप
नही??🤔
🌿जिस कार्य के बाद ग्लानि का भाव
उतपन्न हुआ हो। या फिर जिस कार्य को माता पिता या अपने निकट सम्बन्धियो से छिपा कर करना पड़े,जो कि आपकी द्रष्टि में भी अनुचित और अनैतिक है । क्या वह सिर्फ निजता के नाम पर खुद से छल
नही🤔
🌿विषय भोग एक बड़े रेगिस्तान की भांति है। जिसमे आपकी अनमोल शक्ति बस बरस कर खुद ही उसमे गुम हो जाती है। पर वह रेगिस्तान कभी हरा भरा नही होता। लेकिन आप अपनी शक्ति खोकर बंजर हो जाते है
सन्तान प्राप्ति तक की क्षमता भी खो देते है। अतः ऐसे अनुचित विकारों का त्याग कीजिये।👍
Joinsoon:
T.me/brahmacharya
एक शेयर जरूर कीजियेगा
अपने किसी साथी के लिये 🙏
🕊💖जय माता दी💖🕊
🌿इंद्रियां कभी बूढ़ी नही होती, लेकिन शरीर ढल जाता है। बल्कि उन्हें अनवरत सुख देने की चाह ही( तृष्णा ) असली दुःख का कारण है।
🌿एक बूंद जिससे सन्तान जन्म लेती है,जिसमें गुरुनानक जी, महावीर जी, बुद्ध, गुरु गोविंदसिह, भगतसिंह, एपीजे अब्दुल कलाम व Bk शिवानी जैसे ,न जाने कितने महापुरुष छिपे है।
क्या उंस अनमोल वीर्य या पवित्र स्त्री तत्व का क्षय करना महापाप
नही??🤔
🌿जिस कार्य के बाद ग्लानि का भाव
उतपन्न हुआ हो। या फिर जिस कार्य को माता पिता या अपने निकट सम्बन्धियो से छिपा कर करना पड़े,जो कि आपकी द्रष्टि में भी अनुचित और अनैतिक है । क्या वह सिर्फ निजता के नाम पर खुद से छल
नही🤔
🌿विषय भोग एक बड़े रेगिस्तान की भांति है। जिसमे आपकी अनमोल शक्ति बस बरस कर खुद ही उसमे गुम हो जाती है। पर वह रेगिस्तान कभी हरा भरा नही होता। लेकिन आप अपनी शक्ति खोकर बंजर हो जाते है
सन्तान प्राप्ति तक की क्षमता भी खो देते है। अतः ऐसे अनुचित विकारों का त्याग कीजिये।👍
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