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चाय पर जिंदगी,
तुम पर दिल,
दोस्तों पर जान।
अर्ज़ किया है-
जितना चाहो उतना तुम सताया करो,
बस जब मनाने आया करो तो चाय साथ लाया करो।
इश्क़ अगर रंग देख कर होता,
तो फिर चाय, बहुतों का सुकून न होता।
उसके होठों को चूम कर भी देख चुका हूं में,यूँ ही नहीं चाय की तारीफ किया करता हूँ।
बेवफाई का ये दौर कैसा है?
तू चाय मेरी है, चुस्कियां कोई और ले रहा है।
अर्ज़ किया है-
तीन लफ्ज़ का इश्क़ रहने दीजिए,
ऐसा कीजिये एक लफ्ज़ की चाय दे दीजिये।
चाय पर चर्चा पे
आज शाम तैयार रहना ।
😝😜🍵🍵🍵
ये चाय की मोहबत तुम क्या जानो,
हर घूँट में सोचते हैं तुम्हें, बड़ी तस्सली के साथ।
हमसे नफरत भी कुछ यूं निभाई गयी,
हमारे सामने चाय बनाकर गैरों को पिलायी गयी।
बहुत गुमान था उसको अपनी खूबसूरती पर,
मेरी चाय से मिली तो पानी-पानी हो गयी।
उजड़ी बस्तियों में किसको ढूंढ़ते हो ,
बर्बाद लोग अक्सर चाय की दुकान पर मिलते हैं।
वादा किया था खुद से, अब ऐसा इश्क़ किसी और से नहीं करूंगा,
कमबख्त चाय की खुशबू ने इरादे बदल दिए।
मिलो कभी चाय पर, फिर किस्से बुनेंगे....
तुम खामोशी से कहना हम चुपके से सुनेंगे।
2025/07/12 13:01:19
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