सुबह की धूप,
वो हल्की सी सर्दी का एहसास,
खिड़की-दरवाज़े से सीधी आती वो धूप,
हवा के साथ धूल भी चमकने लगती,
रोशनी में हर कण जादू सा बिखरता,
मुझे एहसास हो जाता था, दिन आ गए हैं
वो दिन, जिन्हें फिर से जीना चाहता हूँ।
दिवाली पास है शायद,
रौनक फिर से लौटेगी,
परिवार साथ होगा, एक ही जगह
हर तरफ़ खुशियों की बयार बहेगी,
ये संकेत, जैसे एक किरण दे जाती,
आधी नींद में वो मीठा सा एहसास,
स्कूल के लिए तैयार होता हुआ मैं,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
अब भी उन लम्हों को
महसूस कर पाता हूँ,
जीवन में उन पलों को जीना चाहता हूँ।
क्यों मैं अब वो पल जी नहीं पाता?
क्यों घर से इतनी दूर निकल आया हूँ?
अक्टूबर का वो महीना,
वो कुछ दिन की मौज,
वो त्योहारों की तैयारी,
घर की सफाई, रंग-रोगन, दोस्ती-यारी,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
महीनों का इंतज़ार,
और फिर वो मौसम आता था,
अब मैं उसी जगह रहकर भी
वहाँ नहीं रह पाता हूँ।
मैं वहाँ की यादों में क़ैद हूँ,
और मुझे बाहर भी नहीं निकलना है।
उन कुसुम के फूलों की तरह
मुझे बिखरना और खिलखिलाना है,
बंद कर दो मुझे उन यादों की क़ैद में,
उनके बक्से में रहने दो।
मैं हर वो गाना गाता हूँ,
पर कभी उस जगह नहीं पहुँच पाता हूँ।
इंतज़ार रहेगा उस दिन का,
जब मैं फिर से जी पाऊँगा,
वो खुशियों के पल समेट पाऊँगा।
हर बूंद में वो एहसास समा लूँगा,
फिर खो जाऊँगा उन यादों में,
और खुद को कभी जुदा नहीं कर पाऊँगा।
#vivek #review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
वो हल्की सी सर्दी का एहसास,
खिड़की-दरवाज़े से सीधी आती वो धूप,
हवा के साथ धूल भी चमकने लगती,
रोशनी में हर कण जादू सा बिखरता,
मुझे एहसास हो जाता था, दिन आ गए हैं
वो दिन, जिन्हें फिर से जीना चाहता हूँ।
दिवाली पास है शायद,
रौनक फिर से लौटेगी,
परिवार साथ होगा, एक ही जगह
हर तरफ़ खुशियों की बयार बहेगी,
ये संकेत, जैसे एक किरण दे जाती,
आधी नींद में वो मीठा सा एहसास,
स्कूल के लिए तैयार होता हुआ मैं,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
अब भी उन लम्हों को
महसूस कर पाता हूँ,
जीवन में उन पलों को जीना चाहता हूँ।
क्यों मैं अब वो पल जी नहीं पाता?
क्यों घर से इतनी दूर निकल आया हूँ?
अक्टूबर का वो महीना,
वो कुछ दिन की मौज,
वो त्योहारों की तैयारी,
घर की सफाई, रंग-रोगन, दोस्ती-यारी,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
महीनों का इंतज़ार,
और फिर वो मौसम आता था,
अब मैं उसी जगह रहकर भी
वहाँ नहीं रह पाता हूँ।
मैं वहाँ की यादों में क़ैद हूँ,
और मुझे बाहर भी नहीं निकलना है।
उन कुसुम के फूलों की तरह
मुझे बिखरना और खिलखिलाना है,
बंद कर दो मुझे उन यादों की क़ैद में,
उनके बक्से में रहने दो।
मैं हर वो गाना गाता हूँ,
पर कभी उस जगह नहीं पहुँच पाता हूँ।
इंतज़ार रहेगा उस दिन का,
जब मैं फिर से जी पाऊँगा,
वो खुशियों के पल समेट पाऊँगा।
हर बूंद में वो एहसास समा लूँगा,
फिर खो जाऊँगा उन यादों में,
और खुद को कभी जुदा नहीं कर पाऊँगा।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
सुबह की धूप,
वो हल्की सी सर्दी का एहसास,
खिड़की-दरवाज़े से सीधी आती वो धूप,
हवा के साथ धूल भी चमकने लगती,
रोशनी में हर कण जादू सा बिखरता,
मुझे एहसास हो जाता था, दिन आ गए हैं
वो दिन, जिन्हें फिर से जीना चाहता हूँ।
दिवाली पास है शायद,
रौनक फिर से लौटेगी,
परिवार साथ होगा, एक ही जगह
हर तरफ़ खुशियों की बहार बहेगी,
ये संकेत, जैसे एक किरण दे जाती,
आधी नींद में वो मीठा सा एहसास,
स्कूल के लिए तैयार होता हुआ मैं,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
अब भी उन लम्हों को
महसूस कर पाता हूँ,
जीवन में उन पलों को जीना चाहता हूँ।
क्यों मैं अब वो पल जी नहीं पाता?
क्यों घर से इतनी दूर निकल आया हूँ?
अक्टूबर का वो महीना,
वो कुछ दिन की मौज,
वो त्योहारों की तैयारी,
घर की सफाई, रंग-रोगन, दोस्ती-यारी,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
महीनों का इंतज़ार,
और फिर वो मौसम आता था,
अब मैं उसी जगह रहकर भी
वहाँ नहीं रह पाता हूँ।
मैं वहाँ की यादों में क़ैद हूँ,
और मुझे बाहर भी नहीं निकलना है।
उन कुसुम के फूलों की तरह
मुझे बिखरना और खिलखिलाना है,
बंद कर दो मुझे उन यादों की क़ैद में,
उनके बक्से में रहने दो।
मैं हर वो गाना गाता हूँ,
पर कभी उस जगह नहीं पहुँच पाता हूँ।
इंतज़ार रहेगा उस दिन का,
जब मैं फिर से जी पाऊँगा,
वो खुशियों के पल समेट पाऊँगा।
हर बूंद में वो एहसास समा लूँगा,
फिर खो जाऊँगा उन यादों में,
और खुद को कभी जुदा नहीं कर पाऊँगा।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
वो हल्की सी सर्दी का एहसास,
खिड़की-दरवाज़े से सीधी आती वो धूप,
हवा के साथ धूल भी चमकने लगती,
रोशनी में हर कण जादू सा बिखरता,
मुझे एहसास हो जाता था, दिन आ गए हैं
वो दिन, जिन्हें फिर से जीना चाहता हूँ।
दिवाली पास है शायद,
रौनक फिर से लौटेगी,
परिवार साथ होगा, एक ही जगह
हर तरफ़ खुशियों की बहार बहेगी,
ये संकेत, जैसे एक किरण दे जाती,
आधी नींद में वो मीठा सा एहसास,
स्कूल के लिए तैयार होता हुआ मैं,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
अब भी उन लम्हों को
महसूस कर पाता हूँ,
जीवन में उन पलों को जीना चाहता हूँ।
क्यों मैं अब वो पल जी नहीं पाता?
क्यों घर से इतनी दूर निकल आया हूँ?
अक्टूबर का वो महीना,
वो कुछ दिन की मौज,
वो त्योहारों की तैयारी,
घर की सफाई, रंग-रोगन, दोस्ती-यारी,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
महीनों का इंतज़ार,
और फिर वो मौसम आता था,
अब मैं उसी जगह रहकर भी
वहाँ नहीं रह पाता हूँ।
मैं वहाँ की यादों में क़ैद हूँ,
और मुझे बाहर भी नहीं निकलना है।
उन कुसुम के फूलों की तरह
मुझे बिखरना और खिलखिलाना है,
बंद कर दो मुझे उन यादों की क़ैद में,
उनके बक्से में रहने दो।
मैं हर वो गाना गाता हूँ,
पर कभी उस जगह नहीं पहुँच पाता हूँ।
इंतज़ार रहेगा उस दिन का,
जब मैं फिर से जी पाऊँगा,
वो खुशियों के पल समेट पाऊँगा।
हर बूंद में वो एहसास समा लूँगा,
फिर खो जाऊँगा उन यादों में,
और खुद को कभी जुदा नहीं कर पाऊँगा।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
शीर्षक - वोह पल
सुबह की धूप,
वो हल्की सी सर्दी का एहसास,
खिड़की-दरवाज़े से सीधी आती वो धूप,
हवा के साथ धूल भी चमकने लगती,
रोशनी में हर कण जादू सा बिखरता,
मुझे एहसास हो जाता था, दिन आ गए हैं
वो दिन, जिन्हें फिर से जीना चाहता हूँ।
दिवाली पास है शायद,
रौनक फिर से लौटेगी,
परिवार साथ होगा, एक ही जगह
हर तरफ़ खुशियों की बहार बहेगी,
ये संकेत, जैसे एक किरण दे जाती,
आधी नींद में वो मीठा सा एहसास,
स्कूल के लिए तैयार होता हुआ मैं,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
अब भी उन लम्हों को
महसूस कर पाता हूँ,
जीवन में उन पलों को जीना चाहता हूँ।
क्यों मैं अब वो पल जी नहीं पाता?
क्यों घर से इतनी दूर निकल आया हूँ?
अक्टूबर का वो महीना,
वो कुछ दिन की मौज,
वो त्योहारों की तैयारी,
घर की सफाई, रंग-रोगन, दोस्ती-यारी,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
महीनों का इंतज़ार,
और फिर वो मौसम आता था,
अब मैं उसी जगह रहकर भी
वहाँ नहीं रह पाता हूँ।
मैं वहाँ की यादों में क़ैद हूँ,
और मुझे बाहर भी नहीं निकलना है।
उन कुसुम के फूलों की तरह
मुझे बिखरना और खिलखिलाना है,
बंद कर दो मुझे उन यादों की क़ैद में,
उनके बक्से में रहने दो।
मैं हर वो गाना गाता हूँ,
पर कभी उस जगह नहीं पहुँच पाता हूँ।
इंतज़ार रहेगा उस दिन का,
जब मैं फिर से जी पाऊँगा,
वो खुशियों के पल समेट पाऊँगा।
हर बूंद में वो एहसास समा लूँगा,
फिर खो जाऊँगा उन यादों में,
और खुद को कभी जुदा नहीं कर पाऊँगा।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
सुबह की धूप,
वो हल्की सी सर्दी का एहसास,
खिड़की-दरवाज़े से सीधी आती वो धूप,
हवा के साथ धूल भी चमकने लगती,
रोशनी में हर कण जादू सा बिखरता,
मुझे एहसास हो जाता था, दिन आ गए हैं
वो दिन, जिन्हें फिर से जीना चाहता हूँ।
दिवाली पास है शायद,
रौनक फिर से लौटेगी,
परिवार साथ होगा, एक ही जगह
हर तरफ़ खुशियों की बहार बहेगी,
ये संकेत, जैसे एक किरण दे जाती,
आधी नींद में वो मीठा सा एहसास,
स्कूल के लिए तैयार होता हुआ मैं,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
अब भी उन लम्हों को
महसूस कर पाता हूँ,
जीवन में उन पलों को जीना चाहता हूँ।
क्यों मैं अब वो पल जी नहीं पाता?
क्यों घर से इतनी दूर निकल आया हूँ?
अक्टूबर का वो महीना,
वो कुछ दिन की मौज,
वो त्योहारों की तैयारी,
घर की सफाई, रंग-रोगन, दोस्ती-यारी,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
महीनों का इंतज़ार,
और फिर वो मौसम आता था,
अब मैं उसी जगह रहकर भी
वहाँ नहीं रह पाता हूँ।
मैं वहाँ की यादों में क़ैद हूँ,
और मुझे बाहर भी नहीं निकलना है।
उन कुसुम के फूलों की तरह
मुझे बिखरना और खिलखिलाना है,
बंद कर दो मुझे उन यादों की क़ैद में,
उनके बक्से में रहने दो।
मैं हर वो गाना गाता हूँ,
पर कभी उस जगह नहीं पहुँच पाता हूँ।
इंतज़ार रहेगा उस दिन का,
जब मैं फिर से जी पाऊँगा,
वो खुशियों के पल समेट पाऊँगा।
हर बूंद में वो एहसास समा लूँगा,
फिर खो जाऊँगा उन यादों में,
और खुद को कभी जुदा नहीं कर पाऊँगा।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
शीर्षक - वह पल
सुबह की धूप,
वो हल्की सी सर्दी का एहसास,
खिड़की-दरवाज़े से सीधी आती वो धूप,
हवा के साथ धूल भी चमकने लगती,
रोशनी में हर कण जादू सा बिखरता,
मुझे एहसास हो जाता था, दिन आ गए हैं
वो दिन, जिन्हें फिर से जीना चाहता हूँ।
दिवाली पास है शायद,
रौनक फिर से लौटेगी,
परिवार साथ होगा, एक ही जगह
हर तरफ़ खुशियों की बहार बहेगी,
ये संकेत, जैसे एक किरण दे जाती,
आधी नींद में वो मीठा सा एहसास,
स्कूल के लिए तैयार होता हुआ मैं,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
अब भी उन लम्हों को
महसूस कर पाता हूँ,
जीवन में उन पलों को जीना चाहता हूँ।
क्यों मैं अब वो पल जी नहीं पाता?
क्यों घर से इतनी दूर निकल आया हूँ?
अक्टूबर का वो महीना,
वो कुछ दिन की मौज,
वो त्योहारों की तैयारी,
घर की सफाई, रंग-रोगन, दोस्ती-यारी,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
महीनों का इंतज़ार,
और फिर वो मौसम आता था,
अब मैं उसी जगह रहकर भी
वहाँ नहीं रह पाता हूँ।
मैं वहाँ की यादों में क़ैद हूँ,
और मुझे बाहर भी नहीं निकलना है।
उन कुसुम के फूलों की तरह
मुझे बिखरना और खिलखिलाना है,
बंद कर दो मुझे उन यादों की क़ैद में,
उनके बक्से में रहने दो।
मैं हर वो गाना गाता हूँ,
पर कभी उस जगह नहीं पहुँच पाता हूँ।
इंतज़ार रहेगा उस दिन का,
जब मैं फिर से जी पाऊँगा,
वो खुशियों के पल समेट पाऊँगा।
हर बूंद में वो एहसास समा लूँगा,
फिर खो जाऊँगा उन यादों में,
और खुद को कभी जुदा नहीं कर पाऊँगा।
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सुबह की धूप,
वो हल्की सी सर्दी का एहसास,
खिड़की-दरवाज़े से सीधी आती वो धूप,
हवा के साथ धूल भी चमकने लगती,
रोशनी में हर कण जादू सा बिखरता,
मुझे एहसास हो जाता था, दिन आ गए हैं
वो दिन, जिन्हें फिर से जीना चाहता हूँ।
दिवाली पास है शायद,
रौनक फिर से लौटेगी,
परिवार साथ होगा, एक ही जगह
हर तरफ़ खुशियों की बहार बहेगी,
ये संकेत, जैसे एक किरण दे जाती,
आधी नींद में वो मीठा सा एहसास,
स्कूल के लिए तैयार होता हुआ मैं,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
अब भी उन लम्हों को
महसूस कर पाता हूँ,
जीवन में उन पलों को जीना चाहता हूँ।
क्यों मैं अब वो पल जी नहीं पाता?
क्यों घर से इतनी दूर निकल आया हूँ?
अक्टूबर का वो महीना,
वो कुछ दिन की मौज,
वो त्योहारों की तैयारी,
घर की सफाई, रंग-रोगन, दोस्ती-यारी,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
महीनों का इंतज़ार,
और फिर वो मौसम आता था,
अब मैं उसी जगह रहकर भी
वहाँ नहीं रह पाता हूँ।
मैं वहाँ की यादों में क़ैद हूँ,
और मुझे बाहर भी नहीं निकलना है।
उन कुसुम के फूलों की तरह
मुझे बिखरना और खिलखिलाना है,
बंद कर दो मुझे उन यादों की क़ैद में,
उनके बक्से में रहने दो।
मैं हर वो गाना गाता हूँ,
पर कभी उस जगह नहीं पहुँच पाता हूँ।
इंतज़ार रहेगा उस दिन का,
जब मैं फिर से जी पाऊँगा,
वो खुशियों के पल समेट पाऊँगा।
हर बूंद में वो एहसास समा लूँगा,
फिर खो जाऊँगा उन यादों में,
और खुद को कभी जुदा नहीं कर पाऊँगा।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कोई दिलबर न वहाँ, कोई घराना न मिला
कोई रब सब न जहाँ, कोई फ़साना न मिला।
कोई रौशन न बना, वही दमघुट के मरा
कोई सब कर न सका, कोई सब कर के गिला।
कोई रौनक न यहाँ, कोई हरकत न यहाँ
वही हरपल था यहाँ, वही हसरत था मिला
कोई जन्नत को तको, कोई राहत की वजह
कोई नफरत न यहा, युही बरखत न मिला
क्या वफा चाह विवेक क्या ही उम्मीद रही
कभी गैरो मैं भी मुझको कभी मौका न मिला
Pehli baar ghazal Likhi hai....proper beher radeef aur qafia ka upyog kiya hai
Depth ki kami hai par .. suggest if you find something
#ghazal #vivek #review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कोई रब सब न जहाँ, कोई फ़साना न मिला।
कोई रौशन न बना, वही दमघुट के मरा
कोई सब कर न सका, कोई सब कर के गिला।
कोई रौनक न यहाँ, कोई हरकत न यहाँ
वही हरपल था यहाँ, वही हसरत था मिला
कोई जन्नत को तको, कोई राहत की वजह
कोई नफरत न यहा, युही बरखत न मिला
क्या वफा चाह विवेक क्या ही उम्मीद रही
कभी गैरो मैं भी मुझको कभी मौका न मिला
Pehli baar ghazal Likhi hai....proper beher radeef aur qafia ka upyog kiya hai
Depth ki kami hai par .. suggest if you find something
#ghazal #vivek #review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
लगीं हैं जहां पर भीड़ वह हैं उसके घर का रास्ता
किए हैं जहां मैंने हजारों सजदे उस दर का रास्ता
मैं जिसको कभी बया न कर सका अपनी नज्मों में
वो उसकी नज़र थीं या था एक जन्नत का रास्ता
उसके दिल तक पहुंचना था मुझको दोस्तों
इसलिए मोहब्बत में लिखा नहीं मैंने बदन का रास्ता
वो ही अपनी मंज़िल पाते हैं यहां पर
जो समझते हैं इश्क़ को इबादत का रास्ता
हम इसलिए भीं डरते नहीं आने वाले तूफानों से
हमे कस्तियो ने हमेशा पकड़ा हैं समंदर का रास्ता
उसे और क्या ही तमन्ना होंगी ज़िंदगी से ए दोस्त
जिसकी चाहत ही बनी उसकी राहत का रास्ता
#ᴀʟᴏɴᴇᴡᴀʟᴋᴇʀ
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
किए हैं जहां मैंने हजारों सजदे उस दर का रास्ता
मैं जिसको कभी बया न कर सका अपनी नज्मों में
वो उसकी नज़र थीं या था एक जन्नत का रास्ता
उसके दिल तक पहुंचना था मुझको दोस्तों
इसलिए मोहब्बत में लिखा नहीं मैंने बदन का रास्ता
वो ही अपनी मंज़िल पाते हैं यहां पर
जो समझते हैं इश्क़ को इबादत का रास्ता
हम इसलिए भीं डरते नहीं आने वाले तूफानों से
हमे कस्तियो ने हमेशा पकड़ा हैं समंदर का रास्ता
उसे और क्या ही तमन्ना होंगी ज़िंदगी से ए दोस्त
जिसकी चाहत ही बनी उसकी राहत का रास्ता
#ᴀʟᴏɴᴇᴡᴀʟᴋᴇʀ
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कहाँ जा रही किसके साथ जा रहीं हो,
किससे बात कर रही किससे मिल रही हो,
ऐसे सवाल मुझे ही क्यूँ पूछते हो,
खुद को भी पूछो मैं पुछू तो गलत !!!
#Akanksha
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
किससे बात कर रही किससे मिल रही हो,
ऐसे सवाल मुझे ही क्यूँ पूछते हो,
खुद को भी पूछो मैं पुछू तो गलत !!!
#Akanksha
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कहाँ जा रही किसके साथ जा रहीं हो,
किससे बात कर रही किससे मिल रही हो,
ऐसे सवाल मुझे ही क्यूँ पूछते हो,
खुद को भी पूछो मैं पुछू तो गलत
#Akanksha
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
किससे बात कर रही किससे मिल रही हो,
ऐसे सवाल मुझे ही क्यूँ पूछते हो,
खुद को भी पूछो मैं पुछू तो गलत
#Akanksha
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
ये कैसी उलझन है ,
जिसको मैं सुलझा नहीं सकता ,
उसको याद किये बिना ,
मैं रह भी नहीं सकता ,
ना जाने कौन होते वो लोग ,
जो भूल जाता है , मोहब्बत को ,
मैं तो चाहकर भी ,
अपनी मोहब्बत को भुला नहीं सकता ..
#vikku06
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
जिसको मैं सुलझा नहीं सकता ,
उसको याद किये बिना ,
मैं रह भी नहीं सकता ,
ना जाने कौन होते वो लोग ,
जो भूल जाता है , मोहब्बत को ,
मैं तो चाहकर भी ,
अपनी मोहब्बत को भुला नहीं सकता ..
#vikku06
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
मेरी कदर करो ए मेरे जानने वालों
मैंने रंगत तुम पर ही उड़ाई है
बहार ओ जवानी पे ना इतराओ
मैने जवानी तुम पर ही लुटाई है
#Hriday
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
मैंने रंगत तुम पर ही उड़ाई है
बहार ओ जवानी पे ना इतराओ
मैने जवानी तुम पर ही लुटाई है
#Hriday
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कितना कुछ सिखाया है इस वक़्त ने मुझे,
सिर्फ गिला इस बात का है कि वक़्त पे नहीं सिखाया...
#Krushnakant
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
सिर्फ गिला इस बात का है कि वक़्त पे नहीं सिखाया...
#Krushnakant
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
ये वक़्त मुझे हमेशा कुछ नया सिखाता गया,
हर वक़्त मुझे नई जिम्मेदारी से मिलाता गया...
सोचते-सोचते मैं सोचता ही रह गया ,
पाले हुए ख्वाबोंको ख्वाबों के जगह ही मैं छोड़ता गया..
#Krushnakant
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
हर वक़्त मुझे नई जिम्मेदारी से मिलाता गया...
सोचते-सोचते मैं सोचता ही रह गया ,
पाले हुए ख्वाबोंको ख्वाबों के जगह ही मैं छोड़ता गया..
#Krushnakant
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
ढूँढा श्रीकृष्ण को, जो हमें कभी मिले नहीं ,
कहा दोस्त जिसे,वो कर्ण कभी था नहीं ,
देखतेही हार रणभूमि में,अपना दोस्त अपना रहा नहीं...
#Krushnakant
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कहा दोस्त जिसे,वो कर्ण कभी था नहीं ,
देखतेही हार रणभूमि में,अपना दोस्त अपना रहा नहीं...
#Krushnakant
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
तमने जो ली चुस्की, कुल्हण वाली चाय और अल्हड़ बनारसी में तकरार हो गई ।
शाम-ए-समा बना मय-कदा और कमबख्त वो कुल्हण वाली चाय शराब हो गई ।
#review
#Banarasiya 🥀
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
शाम-ए-समा बना मय-कदा और कमबख्त वो कुल्हण वाली चाय शराब हो गई ।
#review
#Banarasiya 🥀
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
पन्ना
क़लम उठाते हो
और मेरा ज़िस्म चीर के
लिख देते हो मुझ पर
अपनी ज़िंदगी की दास्तांँ
क्या कभी देखा है तुमने
मुझ को पलट के
मेरे घावों में से रिसते रक्त को
जब होते हो तुम
ह्रदय से ख़ुश
तो बांँट लेते हो मेरे संग
सारी ख़ुशियांँ अपनी
क्या देखी है तुमने
पलट के कभी
मेरी सूरत?
जिस पर नही है कोई नूर
हैं तो बस कुछ सूखे घाव
जो न जाने कितनी क़लमों ने दिए हैं
तुम अपनी उदासी को
उतार देते हो
मुझ पर
तुम अपने अश्कों से
भर देते हो मेरा सीना
मैं एक एक घूंँट
धीरे धीरे बिन शोर के
पी जाता हूंँ तुम्हारे सारे अश्क
क्या तुमने देखा है कभी
मेरे अश्कों को?
जब तुम शांत बैठ जाते हो
ज़िंदगी से हार जाते हो
उदासी में घिर जाते हो जब तुम
तब मैं फड़फड़ाने लगता हूंँ
करने लगता हूंँ शोर
तुम मेरी आवाज़ से परेशान हो
दाबकर मुझको
लिखने लगते हो जज़्बात अपने
मेरे कोरे तन पर
और इस तरह निकाल लाता हूंँ मैं तुम्हें
उदासी कि उस दुनिया से बाहर
क्या तुमने महसूस की है
कभी मेरी उदासी?
तुम्हारी स्याही की गंध से
मैं पहचान लेता हूंँ
तुम्हारे हृदय का हाल
कभी तुम भी समझ लेना
मेरी शोर करती आवाज़ों में
मेरे रोने की चीखें
कभी तुम भी समझ लेना
मेरी ख़ामोशियों में छिपी
ख़ामोशी की वज़ह
कभी तुम भी पढ़ लेना
मेरी ज़िंदगी कि दास्तांँ
जो लिखी है मेरी देह पर
बिन स्याही ही
काँटों के दिए घावों से
कभी तुम भी महसूस कर लेना
मेरे जज़्बातों में छिपी
सिर्फ़ तुम्हारी फ़िक्र
कभी स्पर्श कर के
महसूस कर लेना मेरी भावनाएंँ
तुम अपनी हथेलियों से...
#अB
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
क़लम उठाते हो
और मेरा ज़िस्म चीर के
लिख देते हो मुझ पर
अपनी ज़िंदगी की दास्तांँ
क्या कभी देखा है तुमने
मुझ को पलट के
मेरे घावों में से रिसते रक्त को
जब होते हो तुम
ह्रदय से ख़ुश
तो बांँट लेते हो मेरे संग
सारी ख़ुशियांँ अपनी
क्या देखी है तुमने
पलट के कभी
मेरी सूरत?
जिस पर नही है कोई नूर
हैं तो बस कुछ सूखे घाव
जो न जाने कितनी क़लमों ने दिए हैं
तुम अपनी उदासी को
उतार देते हो
मुझ पर
तुम अपने अश्कों से
भर देते हो मेरा सीना
मैं एक एक घूंँट
धीरे धीरे बिन शोर के
पी जाता हूंँ तुम्हारे सारे अश्क
क्या तुमने देखा है कभी
मेरे अश्कों को?
जब तुम शांत बैठ जाते हो
ज़िंदगी से हार जाते हो
उदासी में घिर जाते हो जब तुम
तब मैं फड़फड़ाने लगता हूंँ
करने लगता हूंँ शोर
तुम मेरी आवाज़ से परेशान हो
दाबकर मुझको
लिखने लगते हो जज़्बात अपने
मेरे कोरे तन पर
और इस तरह निकाल लाता हूंँ मैं तुम्हें
उदासी कि उस दुनिया से बाहर
क्या तुमने महसूस की है
कभी मेरी उदासी?
तुम्हारी स्याही की गंध से
मैं पहचान लेता हूंँ
तुम्हारे हृदय का हाल
कभी तुम भी समझ लेना
मेरी शोर करती आवाज़ों में
मेरे रोने की चीखें
कभी तुम भी समझ लेना
मेरी ख़ामोशियों में छिपी
ख़ामोशी की वज़ह
कभी तुम भी पढ़ लेना
मेरी ज़िंदगी कि दास्तांँ
जो लिखी है मेरी देह पर
बिन स्याही ही
काँटों के दिए घावों से
कभी तुम भी महसूस कर लेना
मेरे जज़्बातों में छिपी
सिर्फ़ तुम्हारी फ़िक्र
कभी स्पर्श कर के
महसूस कर लेना मेरी भावनाएंँ
तुम अपनी हथेलियों से...
#अB
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
ना किया कर याद मुझे बाद उसके मैं भटकता रहता हुं,
एक बच्चे सा मैं हर खिलौने के वास्ते तड़पता रहता हूं,
#Ranga
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
एक बच्चे सा मैं हर खिलौने के वास्ते तड़पता रहता हूं,
#Ranga
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
साधु-संत, संन्यासी इन्ही गलियो-घाटो से प्रित लगा कर सभी पारस हो गए
अल्हड़ सी थी चाहत हमारी उसी चाह में हम भी शुबह-ए-बनारस हो गए
#review
#Banarasiya 🥀
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
अल्हड़ सी थी चाहत हमारी उसी चाह में हम भी शुबह-ए-बनारस हो गए
#review
#Banarasiya 🥀
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
वो चाहें तो सोना राख,
वो चाहें तो मिट्टी पाक।
अध्यात्म सिंह
#adhyatm
#review
That Will transforms treasure to decay,
And clay, reborn, shines in holy ray.
Adhyatm Singh
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
वो चाहें तो मिट्टी पाक।
अध्यात्म सिंह
#adhyatm
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That Will transforms treasure to decay,
And clay, reborn, shines in holy ray.
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
गिरना भी कभी अच्छा है,
बल पैरों का पता तब चलता है।
आएंगे जो लोग मदद करने को,
उन रिश्तों का पता भी लगता है।
कभी ठहर जाना भी अच्छा है,
दम हौसलों का पता तब चलता है।
कितना आगे को हम आ पहुंचे,
इस बात का अंदाजा लगता है।
रुक कर रोना भी कभी अच्छा है,
भावनाओं का समंदर बाहर निकलता है।
कितने हैं आंसू पोंछने वाले,
उन अपनों का पता तब लगता है।
कभी गुस्सा होना भी अच्छा है,
रिश्तो की गहराई का पता तब चलता है।
कितना दम है रिश्तो की डोर तले,
इस बात का अंदाजा लगता है।
हार जाना भी कभी अच्छा है,
जीत का मूल्य पता तब चलता है।
कितनी मेहनत अब करनी है और,
इस बात का अंदाजा लगता है।
असफल होने के बाद ही तो,
सफलता की गहराई का पता चलता है।
नकारात्मकता का विष पीकर ही तो,
सकारात्मकता के अमृत का स्वाद निखरता है।
-वंशिका जैन✨✨
#review
#vanshikajain
#whatIthink
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
बल पैरों का पता तब चलता है।
आएंगे जो लोग मदद करने को,
उन रिश्तों का पता भी लगता है।
कभी ठहर जाना भी अच्छा है,
दम हौसलों का पता तब चलता है।
कितना आगे को हम आ पहुंचे,
इस बात का अंदाजा लगता है।
रुक कर रोना भी कभी अच्छा है,
भावनाओं का समंदर बाहर निकलता है।
कितने हैं आंसू पोंछने वाले,
उन अपनों का पता तब लगता है।
कभी गुस्सा होना भी अच्छा है,
रिश्तो की गहराई का पता तब चलता है।
कितना दम है रिश्तो की डोर तले,
इस बात का अंदाजा लगता है।
हार जाना भी कभी अच्छा है,
जीत का मूल्य पता तब चलता है।
कितनी मेहनत अब करनी है और,
इस बात का अंदाजा लगता है।
असफल होने के बाद ही तो,
सफलता की गहराई का पता चलता है।
नकारात्मकता का विष पीकर ही तो,
सकारात्मकता के अमृत का स्वाद निखरता है।
-वंशिका जैन✨✨
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जो बाकी रहे शेर-ओ-नग्मे वो अपने दामन से बांध ले गई, जो थी शब-ए-हिजरत की सौगात वो दिल-सिताँ अपने साथ ले गई
मैने चुना सावन तो वो बैशाख ले गई, उसकी कज-कुलाही ऐसी उसने खनकाई पायल और बारिश व बरसात ले गई
मैने चाहा शुबह-ए-बनारस तो वो अवध की शाम ले गई, मै बना अल्हड़ बनारस तो वो अविरल गंगा की धार ले गई
मैने शिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ से मांगी उसके लिए खुशियां, वो नवरात्री में माँ दुर्गा से "बनारसिया" मांग ले गई
#review
#Banarasiya 🥀
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मैने चुना सावन तो वो बैशाख ले गई, उसकी कज-कुलाही ऐसी उसने खनकाई पायल और बारिश व बरसात ले गई
मैने चाहा शुबह-ए-बनारस तो वो अवध की शाम ले गई, मै बना अल्हड़ बनारस तो वो अविरल गंगा की धार ले गई
मैने शिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ से मांगी उसके लिए खुशियां, वो नवरात्री में माँ दुर्गा से "बनारसिया" मांग ले गई
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