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मे बर्बाद होने की कगार पर हु कितना बर्बाद करोगे तुम
जरा बनाओ तो कुछ मुझे मेरे जाने के बाद क्या बयान करोगे तुम
तेरी शर्त पर ही जिए हर दिन ;
क्या कहूँ कि गुनाह कर दिया मेने ,
तेरी परछाईयों को छू नाम किए हर दिन ;
क्या कहूँ सुकून छोड़ दिया मेने ,❤️
मे टूट गया हूं टूटा हुआ कुछ चाहिए
मे छूट सा गया हूं छुटा हुआ कुछ चाहिए
मे रूठ सा गया हूं रूठा हुआ कुछ चाहिए
मे इत्र की की खुशबु में गुम सा गया हूं मुझे मेरा महबूब बोतल सा चाहिए
कौन कहता है हकीकत रूबरू होती है जिस्म की ख्वाईश से
हम तो ख्वाहिशें पूरी करके भी भ्रम के गम में रह गए
मुझे लत चाय की लगी है और

इल्जाम दोस्त पर आता है !
तलब ही है चाय की कुछ इस कदर
हमारे मरने के बाद लोगों को चाय ही पिलाना ☕️
खुद में ना कमि है
ना मिलती कोई जमी है
ढूंढ लो कुदरत जहां समी है
पोंछ लो जिसके आंसू में नमी है
खुद से प्यार करोगे तो पाओगे
मोह में दर्द हम ही हैं❤️👍
धीरे धीरे मेरी आखें जल रहीं हैं
मेरी यादो में तू अभी भी चल रहीं हैं
तुमसे दूर जाने का अभी कोई हल नहीं हैं
जिस दिन देखू ना तुम्हें ऐसा कोई पल नहीं हैं ❤️❤️
जब जब शुरू करूं हवाओं से इश्क करना पहला नाम सांसों में तुम्हारा आता है
कोई ढूंढ दो वो चंद किताबे मुझे बस्ते भरने है
आज दिन जल्दी ढल रहा है मुझे शाम तक दोस्तों के किस्से पढने है
सुन तेरी पायल कर रहीं कमाल
रोज रात में पूछ रहीं अनचाहे सवाल
❤️
याद किया है ए शाम मोहब्बत में
तुझे
, यकीन ना तो लोगो से पूछ कितनी बार ग़लती से तेरा नाम लिया है
लाखों दीपक आपके जीवन को अंतहीन समृद्धि, स्वास्थ्य के साथ हमेशा के लिए रोशन करें। आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। 🪔💰🎉
हर दिन बने दिवाली आपकी
खुशियों से महके संसार आपका

कोई ना रहे बुराई आपकी
अच्छाइयों से गूंजे घरबार आपका

किसी की मदद की सोच आपकी
भगवान करे कल्याण आपका
🪔🪔🪔🪔🪔🪔
मैं अकेला हु तलबगार तेरा
कुछ हिस्सा तो दे ना मेरा
भले ही मत बाँध सर पर सेहरा
लेकीन दिल पर तो लगाने दे ना पहरा
❤️
यह सर्दियो का मौसम यह कोहरे का नजारा
जहाँ दूर तक चाय लिए कर रहे इंतजार तुम्हारा
कितना खाली है उससे इश्क करना
आज भी खाली हु कल भी खाली रहूंगा
❤️❤️
तेरे बिन मौसम कितने गर्म है
हवायें नहीं चल रहीं मौसम बेअसर है
दिवाली की शाम रंग बिरंगे पटाखों से गुलजार
मिठाई के मीठे और नमकीन का रहे स्वाद हरबार
खुश रहे माँ लक्ष्मी तुमसे और संपदा युक्त रहे घरबार❤️
वो याद है अब तक कुछ अश्क में,
ढूँढते फिरते रहते है अनजाने शक्स में
2024/11/26 12:14:08
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