कहीं एक रात की बात है,
वही मुलाक़ात की बात है,
मैं और मेरी तन्हाई बैठ के रोते हैं,
दिन में तड़प तड़प के सोते हैं,
रात तो सर्द है नींद कहां आएगी,
दिन में आसूं छुपाना है बिस्तर में छिप जाएगी,
बाहर निकले तो लोग सवाल पूछेंगे,
ना चाहते हुए ज़ख्म नोचेंगे,
भला यही है कि यहां से बेहतर हो जाएं,
ग़ैरों के लिए न सही अपनों की खातिर लड़ जाएं,
जिए ज़िंदगी ज़िंदगी की तरह,
मां बाप भाई बहन की लिए ही सही लेकिन,
कुछ कायदे का कर जाएं..!!
वही मुलाक़ात की बात है,
मैं और मेरी तन्हाई बैठ के रोते हैं,
दिन में तड़प तड़प के सोते हैं,
रात तो सर्द है नींद कहां आएगी,
दिन में आसूं छुपाना है बिस्तर में छिप जाएगी,
बाहर निकले तो लोग सवाल पूछेंगे,
ना चाहते हुए ज़ख्म नोचेंगे,
भला यही है कि यहां से बेहतर हो जाएं,
ग़ैरों के लिए न सही अपनों की खातिर लड़ जाएं,
जिए ज़िंदगी ज़िंदगी की तरह,
मां बाप भाई बहन की लिए ही सही लेकिन,
कुछ कायदे का कर जाएं..!!
🎉 वर्ष 2025 का यह नया साल अपने साथ एक नई आशा की किरण लेकर आया है अपना एक निश्चित लक्ष्य निर्धारित करें और उसे प्राप्त करने के लिए जान लगा दे 🔥🔥🔥
🎉 Happy New Year ❤️ 🎊
🎉 Happy New Year ❤️ 🎊
बता रहा था कोई की खयाल कैसे होता है,
जैसे तुम सोचते हो वैसे तो नहीं होता है,
एक तरीका है एक मिजाज़ है और वो अनायास है,
कुछ भी कैसे भी कहना करना ठीक है लेकिन
ऐसे नहीं होता कि हुआ ना हुआ एक ही होता है,
कुछ नज़ाकत हो कुछ शर्म की बूंद हो,
कुछ हया में गुफ्तगू रहे, कुछ हक़ीक़त के साथ कल्पना की धुंध हो,
प्रेम की बातचीत में आलिंगन का मिश्रण हो,
छुवन हो, संधि हो, एक दूसरे के बंदी हो,
अधरों पर आए बात मगर चुपचाप रहना,
आंखों में अश्क़ आनें से पहले ही अंदर रखना,
हाथ की हथेलियों में हाथ की हथेलियां हों,
या फिर ऐसा हो किसी की गोद और किसी का सर रखना,
बिजली तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,
सुकून तन में रहें मन में रहे और रहे सासों में,
मिलने का सुख तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,
वक़्त हो चला है इसका दुःख तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,
यही बता रहा था कोई की खयाल कैसे होता है,
जैसे तुम सोचते हो वैसे तो नहीं होता है..!!
जैसे तुम सोचते हो वैसे तो नहीं होता है,
एक तरीका है एक मिजाज़ है और वो अनायास है,
कुछ भी कैसे भी कहना करना ठीक है लेकिन
ऐसे नहीं होता कि हुआ ना हुआ एक ही होता है,
कुछ नज़ाकत हो कुछ शर्म की बूंद हो,
कुछ हया में गुफ्तगू रहे, कुछ हक़ीक़त के साथ कल्पना की धुंध हो,
प्रेम की बातचीत में आलिंगन का मिश्रण हो,
छुवन हो, संधि हो, एक दूसरे के बंदी हो,
अधरों पर आए बात मगर चुपचाप रहना,
आंखों में अश्क़ आनें से पहले ही अंदर रखना,
हाथ की हथेलियों में हाथ की हथेलियां हों,
या फिर ऐसा हो किसी की गोद और किसी का सर रखना,
बिजली तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,
सुकून तन में रहें मन में रहे और रहे सासों में,
मिलने का सुख तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,
वक़्त हो चला है इसका दुःख तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,
यही बता रहा था कोई की खयाल कैसे होता है,
जैसे तुम सोचते हो वैसे तो नहीं होता है..!!
ज़मीन पर चुनाव
सफ़ेद कुर्ते में जा रहे थे डकैत दिन में
किया लपककर प्रणाम सब ने,
वहीं बगल में एक साधु को चोर कहकर
मारा बहुत लोगों जी भर के..(१)
निकल पड़े हैं आवारे गुंडे
गिरेंगे पैरों में आकर के सबके,
कहेंगे बदलाव होगा तभी जब
गिरोह को सत्ता में लाएंगे अबके..(२)
ग़रीबों को दारू मिलेगी विदेशी
मिलेगी निठल्लों को मुर्गी की दावत,
जो पढ़ के हैं बैठे मिलेगा भरोसा
की नौकर बनाएंगे रोटी की बाबत..(३)
दाढ़ी और धोती में कौन बड़ा है
बहस का यही होगा मुद्दा अकेला,
जो हम कह रहे हैं वही सत्य शाश्वत,
जो कुछ कहा तो होगा झमेला..(४)
सड़कों को नाला स्कूलों को अड्डा,
हर एक मोड़ पर नया ठेका खुलाएंगे,
चोरी छिनौती का पुण्य कहेंगे,
औरत को बाजार बेचा करेंगे,
पत्रकारों को बढ़िया पदवी दिलवाएंगे,
फोकट में सारी दुनियां घुमाएंगे,
सरकारी परीक्षा को महंगे में बेचेंगे,
छात्र कहेगा तो डंडा बरसाएंगे,
थाने कचहरी में व्यापार होगा,
अमीरी की क़िस्मत का व्यवहार होगा,
धड़ल्ले बिकेगा तमंचा और गांजा,
लेकिन फसल का ना बाज़ार होगा,
दूध दही फल पर टैक्स लगाएंगे,
फिल्मों को हां टैक्स फ्री कर दिखाएंगे,
शहीदों की शहादत पर सियासत करवाएंगे,
लेकिन व्यवस्था ना एक बढ़ाएंगे,
बड़े कर्ज़ों को माफ़ी का हक़ होगा,
चवन्नी अठन्नी में कुड़की कराएंगे,
दुश्मन को अपनें खेमें में घुसाएंगे,
बाक़ी जो होगा ख़रीद ले आएंगे,
कहना तो चाहते थे यही लेकिन साहेब,
इसके उलट बाण बौछार होगा
गांव को अपनें अमरीका बनाएंगे,
भाषण यूं ऐसा धुंआधार होगा..(५)
सफ़ेद कुर्ते में जा रहे थे डकैत दिन में
किया लपककर प्रणाम सब ने,
वहीं बगल में एक साधु को चोर कहकर
मारा बहुत लोगों जी भर के..(१)
निकल पड़े हैं आवारे गुंडे
गिरेंगे पैरों में आकर के सबके,
कहेंगे बदलाव होगा तभी जब
गिरोह को सत्ता में लाएंगे अबके..(२)
ग़रीबों को दारू मिलेगी विदेशी
मिलेगी निठल्लों को मुर्गी की दावत,
जो पढ़ के हैं बैठे मिलेगा भरोसा
की नौकर बनाएंगे रोटी की बाबत..(३)
दाढ़ी और धोती में कौन बड़ा है
बहस का यही होगा मुद्दा अकेला,
जो हम कह रहे हैं वही सत्य शाश्वत,
जो कुछ कहा तो होगा झमेला..(४)
सड़कों को नाला स्कूलों को अड्डा,
हर एक मोड़ पर नया ठेका खुलाएंगे,
चोरी छिनौती का पुण्य कहेंगे,
औरत को बाजार बेचा करेंगे,
पत्रकारों को बढ़िया पदवी दिलवाएंगे,
फोकट में सारी दुनियां घुमाएंगे,
सरकारी परीक्षा को महंगे में बेचेंगे,
छात्र कहेगा तो डंडा बरसाएंगे,
थाने कचहरी में व्यापार होगा,
अमीरी की क़िस्मत का व्यवहार होगा,
धड़ल्ले बिकेगा तमंचा और गांजा,
लेकिन फसल का ना बाज़ार होगा,
दूध दही फल पर टैक्स लगाएंगे,
फिल्मों को हां टैक्स फ्री कर दिखाएंगे,
शहीदों की शहादत पर सियासत करवाएंगे,
लेकिन व्यवस्था ना एक बढ़ाएंगे,
बड़े कर्ज़ों को माफ़ी का हक़ होगा,
चवन्नी अठन्नी में कुड़की कराएंगे,
दुश्मन को अपनें खेमें में घुसाएंगे,
बाक़ी जो होगा ख़रीद ले आएंगे,
कहना तो चाहते थे यही लेकिन साहेब,
इसके उलट बाण बौछार होगा
गांव को अपनें अमरीका बनाएंगे,
भाषण यूं ऐसा धुंआधार होगा..(५)
ठेकेदार समाज के....
कम पढ़े लिखे कम समझदार,
मारपीट करनें वाले हुडदंग करानें वाले,
रैलियों में कुर्सी लगानें वाले भीड़ बुलानें वाले,
सभा का मंत्री सचिव उपसचिव वगैरह,
बने हैं ठेकेदार समाज के....(१)
सबको सही ग़लत बतानें वाले ख़ुद ही न मानने वाले,
धरम जाति में कट्टरता जतानें वाले,
बदलाव को नकार देने वाले,
अपनें को ऊंच औरों को नीच जताने वाले,
बने हैं ठेकेदार समाज के....(२)
जो पुराना सब अच्छा नया बुरा बुरा है सब,
सही को सही ग़लत को ग़लत ना मानने वाले,
जो उनका नेता कह रहा वही आख़िरी सच कहने वाले,
रिश्तों को खिलवाड़ समझने वाले,
बनें हैं ठेकेदार समाज के....(३)
घर में महिला के बोलने की मनाही,
बाहर उत्थान चिल्लाने वाले,
अपना बच्चा पढ़े विदेश और देश शिक्षा महान कहने वाले,
लाशों पर बनी गद्दी पर बैठ हुक़ूमत करने वाले,
बनें हैं ठेकेदार समाज के....(४)
इश्क़ पता चलनें पर दोनों को क़त्ल करने वाले,
बेटी बेटे की नापसंदगी पर भी ब्याह करवाने वाले,
गैरों से शारीरिक संबंध रखने वाले,
प्रेम विवाह अपराध मानने वाले,
बनें हैं ठेकेदार समाज के....(५)
कम पढ़े लिखे कम समझदार,
मारपीट करनें वाले हुडदंग करानें वाले,
रैलियों में कुर्सी लगानें वाले भीड़ बुलानें वाले,
सभा का मंत्री सचिव उपसचिव वगैरह,
बने हैं ठेकेदार समाज के....(१)
सबको सही ग़लत बतानें वाले ख़ुद ही न मानने वाले,
धरम जाति में कट्टरता जतानें वाले,
बदलाव को नकार देने वाले,
अपनें को ऊंच औरों को नीच जताने वाले,
बने हैं ठेकेदार समाज के....(२)
जो पुराना सब अच्छा नया बुरा बुरा है सब,
सही को सही ग़लत को ग़लत ना मानने वाले,
जो उनका नेता कह रहा वही आख़िरी सच कहने वाले,
रिश्तों को खिलवाड़ समझने वाले,
बनें हैं ठेकेदार समाज के....(३)
घर में महिला के बोलने की मनाही,
बाहर उत्थान चिल्लाने वाले,
अपना बच्चा पढ़े विदेश और देश शिक्षा महान कहने वाले,
लाशों पर बनी गद्दी पर बैठ हुक़ूमत करने वाले,
बनें हैं ठेकेदार समाज के....(४)
इश्क़ पता चलनें पर दोनों को क़त्ल करने वाले,
बेटी बेटे की नापसंदगी पर भी ब्याह करवाने वाले,
गैरों से शारीरिक संबंध रखने वाले,
प्रेम विवाह अपराध मानने वाले,
बनें हैं ठेकेदार समाज के....(५)
कितना ज़लील कितना गिरा
कितना बुरा उन्हें कह दूं,
हर एक बात से मुकर जाते हैं
कितना मरा उन्हें कह दूं.. (१)
रोज़ पहुंचते मंदिर-मस्जिद
रोज़ दुआ की लिस्ट बढ़ाते,
चाहिए उन्हें भी वैसा कोई
जैसा स्वयं नहीं बन जाते.. (२)
काबिलियत की सूई से वो
बांध रहे हैं खुली हवा को,
भ्रम है उनको ठीक होगा सब
एक दफा आ जाए धन तो..(३)
कितना बुरा उन्हें कह दूं,
हर एक बात से मुकर जाते हैं
कितना मरा उन्हें कह दूं.. (१)
रोज़ पहुंचते मंदिर-मस्जिद
रोज़ दुआ की लिस्ट बढ़ाते,
चाहिए उन्हें भी वैसा कोई
जैसा स्वयं नहीं बन जाते.. (२)
काबिलियत की सूई से वो
बांध रहे हैं खुली हवा को,
भ्रम है उनको ठीक होगा सब
एक दफा आ जाए धन तो..(३)
इंसान तो शायद बुरा माने,
कागज़ को नहीं बुरा लगता,
यादों में आग लगा नहीं सकते,
इसमें तो आसान होगा,
रोना है तो रो सकते हैं
लिखते लिखते हर्ज़ ही क्या,
नहीं कुरेदता है वो दुःख को
नहीं पूछता मर्ज है क्या,
नाम किसी का लिखना चाहें
आपकी मर्ज़ी लिख सकते हैं
बदनाम किसी को करना चाहें
आपकी हस्ती कर सकते हैं,
नंगा करना है नंगे को ?
कीजिए कीजिए बढ़िया है,
भूल की माफ़ी मांगनी है ?
मांग लीजिए बढ़िया है,
अच्छा करना है तो ठीक है,
बुरा वुरा हो तो भी ठीक,
कौन यहां है आपसास में,
जो कर देंगे वही है ठीक,
शस्त्र गिरे हैं उठ जाएंगे,
लड़ना आप शुरू करिए,
मुर्दा हैं तो जी जाएंगे,
लिखना आप शुरू करिए..!!
कागज़ को नहीं बुरा लगता,
यादों में आग लगा नहीं सकते,
इसमें तो आसान होगा,
रोना है तो रो सकते हैं
लिखते लिखते हर्ज़ ही क्या,
नहीं कुरेदता है वो दुःख को
नहीं पूछता मर्ज है क्या,
नाम किसी का लिखना चाहें
आपकी मर्ज़ी लिख सकते हैं
बदनाम किसी को करना चाहें
आपकी हस्ती कर सकते हैं,
नंगा करना है नंगे को ?
कीजिए कीजिए बढ़िया है,
भूल की माफ़ी मांगनी है ?
मांग लीजिए बढ़िया है,
अच्छा करना है तो ठीक है,
बुरा वुरा हो तो भी ठीक,
कौन यहां है आपसास में,
जो कर देंगे वही है ठीक,
शस्त्र गिरे हैं उठ जाएंगे,
लड़ना आप शुरू करिए,
मुर्दा हैं तो जी जाएंगे,
लिखना आप शुरू करिए..!!
क़ैदी जो बंद था वो भूल गया था,
उसे तो अब क़ैद में ही मज़ा आनें लगा था,
जब आज़ाद किया गया तो रोने लगा वो,
कहने लगा कि उसको ऐसी सज़ा न दो,
कोई तो जुर्म होगा जो कर दें अभी तुरंत,
बाहर नहीं जाना है हमको क्षमा करो,
ये देखते ही जेलर को गुस्सा बहुत आया,
दूर से ही गालियां बरसाते वहां आया,
बोला कि रोटी चुराने की इतनी ही सज़ा है,
बड़े आदमी थोड़ी हो की हमेशा का मज़ा है..!!
उसे तो अब क़ैद में ही मज़ा आनें लगा था,
जब आज़ाद किया गया तो रोने लगा वो,
कहने लगा कि उसको ऐसी सज़ा न दो,
कोई तो जुर्म होगा जो कर दें अभी तुरंत,
बाहर नहीं जाना है हमको क्षमा करो,
ये देखते ही जेलर को गुस्सा बहुत आया,
दूर से ही गालियां बरसाते वहां आया,
बोला कि रोटी चुराने की इतनी ही सज़ा है,
बड़े आदमी थोड़ी हो की हमेशा का मज़ा है..!!
मुझे बहुत ज़रूरत थी तुम्हारी मगर तुम लौटे ही नहीं,
अब तुम्हारा आना देखो यूं ज़ाया हुआ मेरी लाश पर..!!
अब तुम्हारा आना देखो यूं ज़ाया हुआ मेरी लाश पर..!!
मीठे गुड़ में मिल गए तिल,
उड़ी पतंग और खिल गए दिल,
हर दिन सुख और हर पल शांति,
मुबारक हो आपको ये मकर संक्रान्ति 🌿
उड़ी पतंग और खिल गए दिल,
हर दिन सुख और हर पल शांति,
मुबारक हो आपको ये मकर संक्रान्ति 🌿
बरबाद कर देती है मोहब्बत
हर मोहब्बत करने वाले को,
क्यूँकि इश्क़ हार नहीं मानता
और दिल बात नहीं मानता।
हर मोहब्बत करने वाले को,
क्यूँकि इश्क़ हार नहीं मानता
और दिल बात नहीं मानता।
कष्ट आपके बुरे कर्मो की
वजह से नहीं आपके आने वाले
कल को बेहतर बनाने के लिए आते।
वजह से नहीं आपके आने वाले
कल को बेहतर बनाने के लिए आते।
मन की बात कह देने
से फैसले हो जाते हैं,
मन में रखने से
फासले हो जाते हैं। 🌿
से फैसले हो जाते हैं,
मन में रखने से
फासले हो जाते हैं। 🌿
मौत के उस रोज़ के बाद मेरा ईश्वर जब मुझसे कहेगा कि बताओ मेरी बनाई दुनियां में क्या अच्छा क्या बुरा लगा तुमको... तो मैं...
बताऊंगा कि....मैं फला, फला फला की संतान,
शुक्रगुजार हूं ...
उन तमाम रिश्तों का जो मैनें हासिल किए बिना किसी मेहनत के,
उन रिश्तों का जो मैनें बनाए अजनबियों से,
उन रिश्तों का जो टिके रहे अंत तक, चले गए बीच में, हंसाते रुलाते मगर याद बनाते,
उन सभी यादों का जो मेरी तिजोरी को मेरा कहलवानें की हकदार बनाती हैं,
कमाई हुई दौलत का और उस दौलत से खरीदी हुई ख़ुशी का,
सही-ग़लत फ़ैसलों का,
सही जगह काम आए सही मुकद्दर का,
हवा का, पानी का, खेत खलिहान, सुन्दर बागान का,
जानवर, पंछी, हिम गुच्छों का
निखरे हुए कोमल पुष्पों का,
उन्नत दिमाग़, दिखते न दिखते जीव-निर्जिवो का,
खाने के तमाम लज़ीज़ व्यंजनों का,
वगैरह वगैरह हज़ार और चीज़ का लेकिन सबसे ज़रूरी सबसे शानदार प्रेम के भाव का...
और बताऊंगा कि मैं नाखुश हूं...
भूख की तड़प से - भूख रोटी की, दौलत की, जिस्म की, शोहरत की, ईल्म की,
ग़लत लोगों के उत्थान से,
सड़ी सोच के अभिमान से,
लकीरों से बंट जाने से,
उजाले के घट जानें से,
धर्म से ख़ासकर, हां, उनके जानकारों से भी,
राजनीति के मद से,
मृत्यु के व्यापार से,
वगैरह वगैरह हज़ार और चीज़ से लेकिन,
सबसे नाखुश सबसे बदतर- सोचने समझने की ताक़त से..!!
बताऊंगा कि....मैं फला, फला फला की संतान,
शुक्रगुजार हूं ...
उन तमाम रिश्तों का जो मैनें हासिल किए बिना किसी मेहनत के,
उन रिश्तों का जो मैनें बनाए अजनबियों से,
उन रिश्तों का जो टिके रहे अंत तक, चले गए बीच में, हंसाते रुलाते मगर याद बनाते,
उन सभी यादों का जो मेरी तिजोरी को मेरा कहलवानें की हकदार बनाती हैं,
कमाई हुई दौलत का और उस दौलत से खरीदी हुई ख़ुशी का,
सही-ग़लत फ़ैसलों का,
सही जगह काम आए सही मुकद्दर का,
हवा का, पानी का, खेत खलिहान, सुन्दर बागान का,
जानवर, पंछी, हिम गुच्छों का
निखरे हुए कोमल पुष्पों का,
उन्नत दिमाग़, दिखते न दिखते जीव-निर्जिवो का,
खाने के तमाम लज़ीज़ व्यंजनों का,
वगैरह वगैरह हज़ार और चीज़ का लेकिन सबसे ज़रूरी सबसे शानदार प्रेम के भाव का...
और बताऊंगा कि मैं नाखुश हूं...
भूख की तड़प से - भूख रोटी की, दौलत की, जिस्म की, शोहरत की, ईल्म की,
ग़लत लोगों के उत्थान से,
सड़ी सोच के अभिमान से,
लकीरों से बंट जाने से,
उजाले के घट जानें से,
धर्म से ख़ासकर, हां, उनके जानकारों से भी,
राजनीति के मद से,
मृत्यु के व्यापार से,
वगैरह वगैरह हज़ार और चीज़ से लेकिन,
सबसे नाखुश सबसे बदतर- सोचने समझने की ताक़त से..!!
मेरा शहर मेरी राह तकता होगा,
मैं बहुत दिन से घर जो नहीं गया हूं,
मेरी गलियां मेरा बस्ता मेरी साइकिल,
ये सोचती होंगी,
रोज़ वाला लड़का कहीं नज़र नहीं आता,
मैं बहुत दिन से घर जो नहीं गया हूं,
मेरी अलमारी मेरा कमरा मेरा बिस्तर,
ये देखते होंगे,
वो शक्लों सूरत गुम गई होगी,
वो रोज़ वाली थपकी, वो सोना, वो हंसना कहां गया,
वो मुझको ढूंढती होंगी,
मैं बहुत दिन से घर जो नहीं गया हूं,
मेरा रस्ता मेरा कॉलेज मेरी पंचर वाली दुकान,
सब मेरे बारे में जानकारी खोजते होंगे,
वो एक पगला सा आता था,
जो अब नहीं आता,
कहीं किसी और रस्ते शायद जाता होगा,
मगर मुझ जैसा नहीं नहीं महसूस कर पाता होगा,
वो सब अपने तरीके से मुझे याद करते होंगे,
मैं बहुत दिन से घर जो नहीं गया हूं,
घरवाले तो रोज़ याद आते हैं,
दोस्त हरदम नज़र में आते हैं,
और भी हैं जिन्हें हमसे था वास्ता थोड़ा,
वो भी कभी कभार याद कर जाते होंगे,
बस ये यादों का सिलसिला अकेले चलता होगा,
मैं बहुत दिन से घर जो नहीं गया हूँ..!!
मैं बहुत दिन से घर जो नहीं गया हूं,
मेरी गलियां मेरा बस्ता मेरी साइकिल,
ये सोचती होंगी,
रोज़ वाला लड़का कहीं नज़र नहीं आता,
मैं बहुत दिन से घर जो नहीं गया हूं,
मेरी अलमारी मेरा कमरा मेरा बिस्तर,
ये देखते होंगे,
वो शक्लों सूरत गुम गई होगी,
वो रोज़ वाली थपकी, वो सोना, वो हंसना कहां गया,
वो मुझको ढूंढती होंगी,
मैं बहुत दिन से घर जो नहीं गया हूं,
मेरा रस्ता मेरा कॉलेज मेरी पंचर वाली दुकान,
सब मेरे बारे में जानकारी खोजते होंगे,
वो एक पगला सा आता था,
जो अब नहीं आता,
कहीं किसी और रस्ते शायद जाता होगा,
मगर मुझ जैसा नहीं नहीं महसूस कर पाता होगा,
वो सब अपने तरीके से मुझे याद करते होंगे,
मैं बहुत दिन से घर जो नहीं गया हूं,
घरवाले तो रोज़ याद आते हैं,
दोस्त हरदम नज़र में आते हैं,
और भी हैं जिन्हें हमसे था वास्ता थोड़ा,
वो भी कभी कभार याद कर जाते होंगे,
बस ये यादों का सिलसिला अकेले चलता होगा,
मैं बहुत दिन से घर जो नहीं गया हूँ..!!