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कल तक कायल थे हम
जिनके आजाद विचारों के...

वो कातिलों में गिने जाते हैं
बेबस और लाचारों के...

पत्रकारिता बिकी हुई..
उसकी है क्या बात सखी...

सच का गला घोंट कर जिसने
गड्डियां गिनी हजारों की...
बहुत कुछ लिखना होता
है...
कई बार..!!.
आज भी लिखना था
इस चक्कर में आज बीत गया
और कल हो गया...!!!
कई बार शब्द नहीं मिले
कई बार शब्दों को मैं...
हम दोनों
दो अलग दिशाओं की
यात्रा पे हैं...!!!
शायद अब एक जगह
ना मिले...!!!
कुछ इस अदा से निभाना है किरदार मेरा मुझको ,
जिन्हें मुहब्बत ना हो मुझसे वो नफरत भी ना कर सके!
बहुत कुछ लिखना होता
है...
कई बार..!!.
आज भी लिखना था
इस चक्कर में आज बीत गया
और कल हो गया...!!!
कई बार शब्द नहीं मिले
कई बार शब्दों को मैं...
हम दोनों
दो अलग दिशाओं की
यात्रा पे हैं...!!!
शायद अब एक जगह
ना मिले...!!!
सुबह की नींद खुलने के साथ
खुल जाती है ज़िंदगी...

चिड़ियों की चहक के बीच
मां जब उठाती है
तो थोड़ा सा हूं - हूं करके
फिर सो जाना...और मां का फिर से
उठाना....फिर अंगड़ाई लेते हुए
दिन को गले लगा लेना...

फिर चाय की छोटी छोटी
घूंट के साथ...पौधों की छोटी
टहनियों पर..चिड़ियों..तितलियों
को अटखेलियां करते हुए देखना....
दिन बना देता है....

मन का प्रकृति से जुड़ाव
उतना ही जरूरी है
जितना की सुबह वाली चाय...!!
ये वो लोग नहीं जानते
जो चाय नहीं पीते😁☕️
हसरतों के बाजार में
नीलाम हो रहे थे
कुछ रिश्ते...

मैने उस रोज तुमको नजरें चुराते देखा..!!

हमने सोचा तुम तो रुकोगे
मेरे पास हर हाल में मगर....

मैने उस रोज तुमको..सबसे पहले
जाते देखा..!!

किसने कहा कि जहां हम रहते थे
वहां कोई नहीं रहता...
मैने तेरे बाद वहां कबूतर को घोंसला
बनाते देखा..!!

और धूप तेरे बाद उतना नहीं सताती मुझको...जितना तू डरती थी...
मैने तेरे बाद छांव में पावों को
जलते देखा..!!
हमारे नसीब में कांटे आए...
फूलों से हमारा वास्ता ही क्या...

डांट अपनी ..फटकार अपनी...
प्यार से हमारा वास्ता ही क्या....

तानो की देखी तनातनी हमने...
वरना जख्मों से हमारा वास्ता ही क्या..?

शाम को लौट के घर ही है आना....
घर से दूजा रास्ता ही क्या..??

और वो तो जी भर के
कुछ पल..देख लिया तुमको....
वरना इस नाचीज़ का शायरी से
वास्ता ही क्या..???
हाथ न मिलने के इस दौर में
हम तुमसे गले मिलना चाहते हैं
-इमरान मिर्ज़ा
उसकी आँखों में बसी एक खामोशी है,
हर लफ़्ज़ में छुपी एक कहानी है।
वो जब भी हँसता है, जैसे चाँदनी बिखरती है,
और उसकी चुप्पी में, रातों की तन्हाई है।
खामोशियाँ भी बातें करती हैं, हर आहट में एक साज़ है,
उसकी मुस्कान में छुपी, अनकही बहुत सी राज़ है।
मोहब्बत की राहों में चलते चलते, हम भी खो गए,
उसके ख्वाबों में डूबे, जैसे चाँद सितारों में खो गए।
तेरी यादों का मौसम, हर पल मुझसे मिलता है,
हर सास में तेरा नाम, दिल में बस तू ही बसता है।
बहुत कुछ लिखना होता
है...
कई बार..!!.
आज भी लिखना था
इस चक्कर में आज बीत गया
और कल हो गया...!!!
कई बार शब्द नहीं मिले
कई बार शब्दों को मैं...
हम दोनों
दो अलग दिशाओं की
यात्रा पे हैं...!!!
शायद अब एक जगह
ना मिले...!!!
आँखों की चमक में, दिल की गहराई है,
उसकी बातों में जैसे, चाँदनी की परछाई है।
वो पलकों की छाँव में छुपे अरमान सारे,
उसकी हँसी में जैसे गुलाबों के नज़ारे।
तेरी राहों में चलते चलते, दिल ने क्या नहीं पाया,
तेरी चाहत में खोकर, खुद को फिर नहीं पाया।
उसकी खामोशी में छुपी एक अदा है,
उसकी हर बात में, बसी एक दुआ है।
तेरे बिना ये रातें अधूरी, चाँद भी गुमसुम है,
तेरी यादों में डूबा, दिल भी बेकरार सा है।
वो जब पास आती है, जैसे दिल को सुकून मिलता है,
उसकी हर नज़र में, जैसे जन्नत का नूर खिलता है।
ठुकरा दी जानी चाहिए हर वो रानी,
जिसको साथ जीने में हो परेशानी..🖤
2024/11/03 13:46:51
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