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एक स्वप्न ~ "मां का गुजरना"💔
रात हुई, फिर सपनों की,
बरसात दिखाई देती हैं
मैं जब भी अकेले रहता हूं
मां साथ दिखाई देती है
मां तुम कितनी निर्मल हो,
मां तुम कितनी शीतल हो
मां तुम सा कोई नही यहां
मां तुम जैसे गंगा जल हो
मां तुम्हारी परिभाषा,
कोई भी नहीं,कह सकता है
मां तुम सबसे❤️सुंदर हो,
तुम बिन कोई,नहीं रह सकता है
मां तुम्हारी छाया में मैं,
बचपन पूरा खेला हूं
मां आज बड़ी जरूरत है,
मैं एकदम से अकेला हूं
मां,आई,अम्मा,अम्मी,
इनसे तुम्हे जाना जाता है
मां ईश्वर से भी बढ़ कर,
तुमको माना जाता है
मां तुमने कितनी ही नाजों से,
हम बच्चों को पाला हैं
मां खुद की चिंता न करके
तुमने हमे संभाला है
मां लाल तुम्हारा हैं तुमको,
फिर से है पुकारता
मां उठो भी न तुम शैय्या से,
तुम्हारा लाल तुम्हे निहारता
मुझे तुम बतलाओ ताऊ जी,
मां क्यों नही है बोलती
क्या हुआ उन्हे कुछ तो बोलो,
मां आंखे क्यों नही खोलती
घर का हूं सबसे छोटा मैं,
मां तुमने नाजों से पाला है
मां देखो तुम्हारा लाल आज,
लेखक बनने वाला है
मां मेरी बात मान लो भी,
एक बार मुझे तुम देखो भी
मां लाल तुम्हारा रोए रहा,
मां आंसू मेरे तुम पोछों भी
मां भी बेचारी आज उसको,
क्या ही कुछ बोलेगी..!
मां जा चुकी है उठो बेटा,
मां आंखे कैसे खोलेगी...!
मुझको अलग हटा करके,
मां को ले जाया जाता है
फिर बड़े भाई के हाथो से,
उन्हे अग्नि दिलाया जाता है
तू छोटा था,समझता नही
लेकिन तू तो मां का प्यारा है
मां चली गई ना आयेगी,
अब तू पापा का सहारा है
कल सपनो में आकर फिर,
मां ही सब याद दिलाती है
स्मृति पटल पर इक वही छाप,
फिर दुबारा आ जाती है
मां तुम बिन,मेरा कुछ भी,
नही यहां आधार कोई...
मां तुम बिन कैसे खुश रहूं,
तुम बिन मेरा परिवार नही..!✍️
मां तुम बिन मेरा परिवार नही..!
सत्यम तिवारी✍️❣️
हैदरगढ़,बाराबंकी
उत्तर प्रदेश,लखनऊ
BY .ৣ̶̶͜͡⃝💖शायरो۞की महफिल༊༤🌍༨༗💖🕊️🕊️🕊️🕊️
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