Let's do 100 Suryanamaskar tomorrow at 530 am.
If you are interested
link to join: https://meet.google.com/vfk-gyaz-pvz
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सुबह ४:३० बजे वाली ध्यान की कक्षा १८ दिसम्बर तक स्थगित रहेगी। सोमवार १९ दिसम्बर से पुनः शुरू होगी।
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13.5 MB
मेरे साथ सुबह ( 6:00 -7:00) अभ्यास करने के लिए https://meet.google.com/zvu-fprj-qcs लिंक से शामिल हो सकते हैं।
जो सुबह शामिल नहीं हो सकते अपनी सुविधा के अनुसार कर सकते हैं।
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अगर कभी किसी मित्र के प्रश्नों का उत्तर समय पर नहीं मिल पाता है तो कृपया अपने प्रश्न दोबारा भेज दिया करें। कभी समयाभाव के कारण उत्तर देने मैं देरी हो सकती है अथवा जब तक मैं आपके प्रश्न देखता हुं कुछ दिन गुजर गए होते हैं।
इसलिये बेहिचक अपने प्रश्न मुझे दोबारा भेज दिया करें। मैसेज टेलीग्राम या इंस्टाग्राम पर भेज सकते है
Telegram/Instagram - DhyanKakshaOrg
मैं यहाँ आप लोगों की यथा सम्भव मदद करने के लिए उपलब्ध हूं।
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100 Suryanamaskar at 530 am.
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जब किसी दिन ध्यान अथवा कक्षा योगासन की कक्षा नहीं लगती है साधक अपना अभ्यास जरूर किया करें।
निरंतता बहुत ही आवश्यक है।
निरंतता बहुत ही आवश्यक है।
प्रश्न - पाश्चात्य लोग और उनकी सभ्यता के प्रभाव में आए लोग भारतीयों को, हिन्दुओं को और उनके ज्ञान को उचित महत्व नहीं देते हैं। लोग चमत्कार को ही नमस्कार करते हैं, योग के कुछ विषय जैसे - त्राटक लम्बे अन्तराल तक कर लेता हूं, इसे रिकॉर्ड की तरह बना कर लोगों के समक्ष रखना चाहता हूं, भारतीय मनीषा की महत्ता स्थापित करना चाहता हूं। कृपया मार्गदर्शन करें।
उत्तर -
सुशील, यहाँ आपके एक प्रश्न नहीं अनेको प्रश्न हैं। उत्तर को ध्यान से समझना, बार बार पढ़ना फिर उन पर अमल करना।
1. तरीका कोई भी हो जब योग एवं ध्यान करते हैं तो अहंकार की भावना समाप्त हो जानी चाहिए।
2. भारतीय मनीषा में अहंकार की कोई जगह नहीं है हमारे कितने ग्रंथ हैं जिनके लेखकों के नाम भी ज्ञात नहीं है क्योंकि ज्ञान को महत्व दिया ज्ञान के प्रति कोई " वर्ल्ड रिकॉर्ड " बनाने की होड़ में नहीं थे।
3. भारतीय मनीषा की महत्ता साबित करने की कोई आवश्यकता नहीं है, जो सत्य है वह स्वतः उजागर हो जाता है समय पर।
4. भारतीय ऋषियों ने कभी किसी की बराबरी करने के लिए कुछ भी ज्ञान अर्जन नहीं किया, न ही कभी ज्ञान का दिखावा किया। इसीलिए इतने आक्रमणों के बाद भी आज भी भारतीय धर्म, संस्कृति जीवित है।
5. योग अन्दर की तरफ की यात्रा है, इसमें हमारे बारे में बाहर से कोई क्या सोचता है कोई फर्क नहीं पड़ना चहिए।
6. शान्त इन्सान बनो ऐसा करने से जिन्हें भी शान्ति की आवश्कता होगी वह तुम्हारे पास स्वयं आयेंगे। फिर उनकी जाति, धर्म, रंग, देश कुछ भी आड़े न आयेगा। हमारे यहाँ कितने विद्वान हुए जिनकी महता भारत से ज्यादा दूसरे देशों में है महात्मा बुद्ध, बाबा नीम करोली, स्वामी विवेकानन्द, रमन महर्षि आदि।
लोग चमत्कार को नमस्कार कहते होंगे, लेकिन न तो मैं कोई चमत्कार सिखाता हूं ना अपने साधकों को चमत्कार के पीछे भागने की सलाह देता हूं।
अगर साधना अच्छी चल रही है तो इसका लाभ हो, इसको उसको साबित करने जैसी तुच्छ बातों में क्यों अपना जीवन व्यर्थ करना चाहते हो। प्रतिभा खुद बाहर प्रकट होती है, अगर कहकर बताना पड़े वह मार्ग योग का नहीं।
स्वामी विवेकानन्द, महर्षि रमण, श्री अरविन्द इत्यादि ने कोई चमत्कार नहीं दिखाए।
साधारण और सहज जीने का प्रयास करो तुम्हारा जीवन कई लोगों के लिए प्रेरणा का श्रोत बनना चहिए।
सबका कल्याण हो ...
उत्तर -
सुशील, यहाँ आपके एक प्रश्न नहीं अनेको प्रश्न हैं। उत्तर को ध्यान से समझना, बार बार पढ़ना फिर उन पर अमल करना।
1. तरीका कोई भी हो जब योग एवं ध्यान करते हैं तो अहंकार की भावना समाप्त हो जानी चाहिए।
2. भारतीय मनीषा में अहंकार की कोई जगह नहीं है हमारे कितने ग्रंथ हैं जिनके लेखकों के नाम भी ज्ञात नहीं है क्योंकि ज्ञान को महत्व दिया ज्ञान के प्रति कोई " वर्ल्ड रिकॉर्ड " बनाने की होड़ में नहीं थे।
3. भारतीय मनीषा की महत्ता साबित करने की कोई आवश्यकता नहीं है, जो सत्य है वह स्वतः उजागर हो जाता है समय पर।
4. भारतीय ऋषियों ने कभी किसी की बराबरी करने के लिए कुछ भी ज्ञान अर्जन नहीं किया, न ही कभी ज्ञान का दिखावा किया। इसीलिए इतने आक्रमणों के बाद भी आज भी भारतीय धर्म, संस्कृति जीवित है।
5. योग अन्दर की तरफ की यात्रा है, इसमें हमारे बारे में बाहर से कोई क्या सोचता है कोई फर्क नहीं पड़ना चहिए।
6. शान्त इन्सान बनो ऐसा करने से जिन्हें भी शान्ति की आवश्कता होगी वह तुम्हारे पास स्वयं आयेंगे। फिर उनकी जाति, धर्म, रंग, देश कुछ भी आड़े न आयेगा। हमारे यहाँ कितने विद्वान हुए जिनकी महता भारत से ज्यादा दूसरे देशों में है महात्मा बुद्ध, बाबा नीम करोली, स्वामी विवेकानन्द, रमन महर्षि आदि।
लोग चमत्कार को नमस्कार कहते होंगे, लेकिन न तो मैं कोई चमत्कार सिखाता हूं ना अपने साधकों को चमत्कार के पीछे भागने की सलाह देता हूं।
अगर साधना अच्छी चल रही है तो इसका लाभ हो, इसको उसको साबित करने जैसी तुच्छ बातों में क्यों अपना जीवन व्यर्थ करना चाहते हो। प्रतिभा खुद बाहर प्रकट होती है, अगर कहकर बताना पड़े वह मार्ग योग का नहीं।
स्वामी विवेकानन्द, महर्षि रमण, श्री अरविन्द इत्यादि ने कोई चमत्कार नहीं दिखाए।
साधारण और सहज जीने का प्रयास करो तुम्हारा जीवन कई लोगों के लिए प्रेरणा का श्रोत बनना चहिए।
सबका कल्याण हो ...
जिसने भी 14 दिन या उससे कम भी चैलेंज में शामिल होने का प्रयास किया सभी को बधाई एवम शुभकामनाएं। इससे आपकी ईच्छा शक्ति का विकास होता है। किसने पूरे 14 दिन तक चैलेंज का पालन किया ?
Anonymous Poll
23%
पूरे 14 दिन पालन किया
26%
बीच में ही चैलेंज टूट गया
51%
चैलेंज में शामिल ही नहीं हुआ