ध्यान एवं योगासन अभ्यास के लिए नीचे दिए लिंक से शामिल हो सकते हैं ...
ध्यान की कक्षा में 4:35 के बाद शामिल नहीं हो सकते हैं
ब्रह्ममुहूर्त ध्यान - सुबह 4:30 - 5:30
https://meet.google.com/out-qdch-fzc
योगासन अभ्यास - सुबह 6:00 - 7:00
https://meet.google.com/zvu-fprj-qcs
इस मैसेज को इच्छुक साधकों तक अवश्य पहुँचा दें ...
ध्यान की कक्षा में 4:35 के बाद शामिल नहीं हो सकते हैं
ब्रह्ममुहूर्त ध्यान - सुबह 4:30 - 5:30
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कुछ साधकों के अनुरोध पर,
आज ( 12 अप्रैल 2023), शाम 9 PM से 10 पीएम ) योग निद्रा की क्लास होगी।
जिसमें पहले 1/2 घंटा आध्यात्मिक शिक्षा अथवा आपके प्रश्नों का उत्तर शामिल होगा, बाकी का 1/2 घंटा योग निद्रा का अभ्यास करेंगे।
योग निद्रा का अभ्यास मानसिक तनाव, अनिद्रा आदि में बहुत लाभकारी है।
लिंक के प्रयोग से शामिल हो सकते हैं।
https://meet.google.com/hzj-uyon-xgk
किसी भी परिस्थिति में 9:30 PM के बाद कक्षा में शामिल नहीं किया जा सकेगा।
अन्य इच्छुक लोगों तक लिंक साझा कर सकते हैं।
आज ( 12 अप्रैल 2023), शाम 9 PM से 10 पीएम ) योग निद्रा की क्लास होगी।
जिसमें पहले 1/2 घंटा आध्यात्मिक शिक्षा अथवा आपके प्रश्नों का उत्तर शामिल होगा, बाकी का 1/2 घंटा योग निद्रा का अभ्यास करेंगे।
योग निद्रा का अभ्यास मानसिक तनाव, अनिद्रा आदि में बहुत लाभकारी है।
लिंक के प्रयोग से शामिल हो सकते हैं।
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किसी भी परिस्थिति में 9:30 PM के बाद कक्षा में शामिल नहीं किया जा सकेगा।
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प्रश्न - मन में नकारात्मक सोच आते हैं क्या करूं?
उत्तर -
एक स्थिति से समझो इसे,
अचानक से तुम्हारे घर में कहीं से बदबू आ जाती है, तब तुम क्या करते हो?
क्या घर छोड़ कर चले जाते हो ?
उस बदबू से बचने के लिए ऐसा क्या करते हो?
क्या घर में एक सुगंध जैसा कुछ छिड़काव नहीं करते ?
सुगंध के छिड़काव करने से ही कुछ देर के लिए वातावरण ठीक हो जाता है और कुछ समय अंतराल के बाद वह बदबू और खुशबू दोनों चली जाती है।
ठीक उसी तरीके से जब तुम्हारे मन में कोई भी नकारात्मक सोच आती है तब तुम्हें कोई एक सकारात्मक सोच, एक सकारात्मक विचार अपने मन में लाना है।
और देखोगे धीरे-धीरे सकारात्मक विचार तुम्हारे मन के वातावरण को बदल कर रख देगा और कुछ अंतराल के बाद तुम स्वस्थ महसूस कर रहे होगे, स्वच्छ महसूस कर रहे होगे।
उत्तर -
एक स्थिति से समझो इसे,
अचानक से तुम्हारे घर में कहीं से बदबू आ जाती है, तब तुम क्या करते हो?
क्या घर छोड़ कर चले जाते हो ?
उस बदबू से बचने के लिए ऐसा क्या करते हो?
क्या घर में एक सुगंध जैसा कुछ छिड़काव नहीं करते ?
सुगंध के छिड़काव करने से ही कुछ देर के लिए वातावरण ठीक हो जाता है और कुछ समय अंतराल के बाद वह बदबू और खुशबू दोनों चली जाती है।
ठीक उसी तरीके से जब तुम्हारे मन में कोई भी नकारात्मक सोच आती है तब तुम्हें कोई एक सकारात्मक सोच, एक सकारात्मक विचार अपने मन में लाना है।
और देखोगे धीरे-धीरे सकारात्मक विचार तुम्हारे मन के वातावरण को बदल कर रख देगा और कुछ अंतराल के बाद तुम स्वस्थ महसूस कर रहे होगे, स्वच्छ महसूस कर रहे होगे।
किसी भी कारण से आप सुबह की ध्यान कक्षा में नहीं जुड़ पा रहे हैं। तो भी थोड़ा समय निकाल का सुबह-शाम का अभ्यास प्रतिदिन करना आवश्यक है।
क्या प्रतिदिन दोनों समय नियमित अभ्यास कर रहे हो ?
क्या प्रतिदिन दोनों समय नियमित अभ्यास कर रहे हो ?
Anonymous Poll
18%
जी, मैं दो समय नियमित अभ्यास कर रहा हूं
21%
एक ही समय अभ्यास कर पा रहा हूं
61%
एक भी समय अभ्यास नहीं कर पा रहा / नहीं करता हूं
दु:ख और दुविधा के परिस्थिति में इन्सानों के पास ढेर सारे प्रश्न आते हैं, कुछ दुःख में डूब जाते हैं कुछ प्रश्नों के हल ढूंढने लगते हैं।
कोई प्रश्न जो तुम्हें परेशान कर रहा हो? @dhyankaksha ( टेलीग्राम) पर पूछ सकते हो।
कोई प्रश्न जो तुम्हें परेशान कर रहा हो? @dhyankaksha ( टेलीग्राम) पर पूछ सकते हो।
एक बार चिमनी लाल एक दुकान में गए वहां से एक किलो चावल लेना चाहते हैं। दुकान वाला चावल पैकेट में डाल लिया लेकिन दे नहीं रहा है। कहता है पहले पैसे दो, चिमनी लाल कहते हैं पहले चावल दो।
अब उस स्थिति को और ढंग से देखो ...
१. दोनों एक दूसरे से सालों से ढंग से परिचित हैं,
२. दोनों में हमेशा मित्रवत व्यवहार है
३. दोनों ईमानदार हैं, यह बात दोनों को मालूम है
४. यह उनकी पहली बार की बहस नहीं है, हर बार यही होता है
५. तुम्हारे पास पैसे भी हैं लेकिन देना चावल लेने के बाद चाहते हो
हर बार चिमनी ही हार जाता है
अब आज तुम तय करो
1. दुकानदार को पहले चावल देना चाहिए
2. चिमनी को पहले पैसे देने चाहिए।
अब उस स्थिति को और ढंग से देखो ...
१. दोनों एक दूसरे से सालों से ढंग से परिचित हैं,
२. दोनों में हमेशा मित्रवत व्यवहार है
३. दोनों ईमानदार हैं, यह बात दोनों को मालूम है
४. यह उनकी पहली बार की बहस नहीं है, हर बार यही होता है
५. तुम्हारे पास पैसे भी हैं लेकिन देना चावल लेने के बाद चाहते हो
हर बार चिमनी ही हार जाता है
अब आज तुम तय करो
1. दुकानदार को पहले चावल देना चाहिए
2. चिमनी को पहले पैसे देने चाहिए।
ऊपर की कहानी में,
कुछ लोगों के मन में यह भी विचार आया होगा, जब चिमनी हमेशा इसी दुकान से सामान लेता है तो पहले चावल दे देने में भला दुकानदार का क्या जाता है। बड़ा ही अजीब सा रहा होगा यह दुकानदार।
बहुत लोगों के मन में विचार आया होगा, रोज ही बहस करता ही क्यों है यह चिमनी, जब पहले पैसे लेकर ही हमेशा समान देता है दुकानदार। पक्का ये चिमनी झक्की है, बेवकूफ है, पागल है या कम से कम बुद्धिमान तो नहीं कह सकते इसको।
तुम्हारे पड़ोस के दुकान में भले ही स्थिति बदल जाए, यहां स्थिति कभी नहीं बदलेगी। यहां चिमनी कोई और नहीं बल्कि तुम हो, दुकानदार कोई और नहीं प्रकृति है, ईश्वर है।
दुकानदार तुम्हारे सामान को पैक करके बैठा है, वह दे देना चाहता है। तुम्हारे पास क्षमता भी है यह भी दोनों को मालूम है। लेकिन तुम हमेशा की भांति आज फिर से बहस में उलझे हो। दुकानदार ( प्रकृति ) नियम नहीं तोड़ेगा कभी भी नहीं।
तुम्हें अगर जीवन में कुछ भी चाहिए तो अभ्यास और प्रयास करना ही पड़ेगा।
रोज रोज चिमनी की तरह बहस में पड़ने से बेहतर है, आदत बदल डालो। अभ्यास करो, कर्म करो परिणाम स्वत: आयेंगे।
कुछ लोगों के मन में यह भी विचार आया होगा, जब चिमनी हमेशा इसी दुकान से सामान लेता है तो पहले चावल दे देने में भला दुकानदार का क्या जाता है। बड़ा ही अजीब सा रहा होगा यह दुकानदार।
बहुत लोगों के मन में विचार आया होगा, रोज ही बहस करता ही क्यों है यह चिमनी, जब पहले पैसे लेकर ही हमेशा समान देता है दुकानदार। पक्का ये चिमनी झक्की है, बेवकूफ है, पागल है या कम से कम बुद्धिमान तो नहीं कह सकते इसको।
तुम्हारे पड़ोस के दुकान में भले ही स्थिति बदल जाए, यहां स्थिति कभी नहीं बदलेगी। यहां चिमनी कोई और नहीं बल्कि तुम हो, दुकानदार कोई और नहीं प्रकृति है, ईश्वर है।
दुकानदार तुम्हारे सामान को पैक करके बैठा है, वह दे देना चाहता है। तुम्हारे पास क्षमता भी है यह भी दोनों को मालूम है। लेकिन तुम हमेशा की भांति आज फिर से बहस में उलझे हो। दुकानदार ( प्रकृति ) नियम नहीं तोड़ेगा कभी भी नहीं।
तुम्हें अगर जीवन में कुछ भी चाहिए तो अभ्यास और प्रयास करना ही पड़ेगा।
रोज रोज चिमनी की तरह बहस में पड़ने से बेहतर है, आदत बदल डालो। अभ्यास करो, कर्म करो परिणाम स्वत: आयेंगे।
दो बड़े ही सुन्दर प्रश्न आए हैं ? कौन से प्रश्न का उत्तर पहले चाहिए ?
१. कुछ लोगों को आपकी लिखी या बोली हुई बातें बहुत पसन्द आती है जीवन में बदलाव भी आते हैं जबकि कुछ लोग सुन कर भी अनसुना कर देते हैं ? ऐसा कैसे संभव है ?
अगर अच्छा है तो अच्छा ही रहना चाहिए सबके लिए? आप इस विषय पर कुछ कहिये।
२. कुछ स्थितियों में बहुत ही असहाय महसूस करने लगता हूं? कृपया मार्गदर्शन करें।
१. कुछ लोगों को आपकी लिखी या बोली हुई बातें बहुत पसन्द आती है जीवन में बदलाव भी आते हैं जबकि कुछ लोग सुन कर भी अनसुना कर देते हैं ? ऐसा कैसे संभव है ?
अगर अच्छा है तो अच्छा ही रहना चाहिए सबके लिए? आप इस विषय पर कुछ कहिये।
२. कुछ स्थितियों में बहुत ही असहाय महसूस करने लगता हूं? कृपया मार्गदर्शन करें।
कभी-कभी कुछ परिस्थिति में बहुत ही असहाय महसूस होता है? क्या करें ?
एक कहानी से समझते हैं इसको,
चिमनी लाल के पास पैसों की कमी न थी, जीवन में आराम ही आराम था। एक बार सुबह-सुबह चिमनी लाल कहीं जा रहे थे उनकी सबसे महंगी कार खराब हो गई, सुनसान वीरान सी जगह है, ज्यादा गाड़ियां भी नहीं चल रहीं हैं, मोबाईल का नेटवर्क भी ठीक से नहीं है।
गाड़ी बहुत ही मंहगी है, गाड़ी की कम्पनी वालों ने कहा है अगर कभी कहीं खराब होती है तो उनको वहीं पर ठीक करने की सुविधा दी जायेगी। किसी तरह एक कॉल कर दिया है कम्पनी को और सुनसान सड़क पर बैठ कर इंतजार कर रहे हैं।
कुछ समय बाद उस सड़क पर एक ट्रक वाला आता है, मदद करने की ईच्छा भी रखता है, कहता है कार को ट्रक में पीछे बांध लो आगे किसी मेकैनिक के पास छोड़ दूंगा।
चिमनी ने इनकार किया सुबह का समय है और गाड़ी कम्पनी को फोन कर ही दिया है। कम्पनी वाले आयेंगे, आना भी चाहिए, आना ही चाहिए - इस तरह के विचार करते हुए प्रतीक्षारत है।
एक बाइक वाले ने कहा उसके साथ चले और किसी कार मैकेनिक की दुकान तक छोड़ देगा, वहां से आप मैकानिक ले आना अपने साथ।
उसी तरह कुछ और भी सहयता के लिए लोगों ने सम्पर्क किया, परन्तु चिमनी कम्पनी वाले के सिवा किसी और से सहायता क्यों ले। जब करोड़ों रूपए खर्च करके यह गाड़ी ली है, तब तय ही यही हुआ था कहीं भी और कभी भी मदद करने आयेंगे कम्पनी वाले।
समय गुजरता है, शाम भी ढलने वाली है, बस रात आने को है, कम्पनी वाले किसी कारणवश पहुँच नहीं पाए हैं। अब कोई आता भी नहीं है इस सड़क पर।
अब चिमनी को कम्पनी वाले से भरोसा टूट रहा है, उसे अकेले होने का एहसास होने लगा है, इस सुनसान सड़क पर उसे बेचैनी होने लगी है। थक चुका है, असहाय जैसी स्थिति लगने लगी है।
चिमनी की इस स्थिति को देखकर तुम्हें कैसा महसूस होता है ?
- चिमनी बेवकूफ है
- उसने समय और परिस्थिति का सही आकलन नहीं किया
- उसने अपनी सुविधा के अनुसार मदद पाने के चक्कर में कठिन स्थिति पैदा कर ली
- बहुत हद तक चिमनी ही अपनी स्थिति के लिए जिम्मेदार है
ठीक इसी कहानी की तरह जब तुम्हारी जिन्दगी में कोई दिक्कत आती है, तब तुम मदद तो चाहते हो, उसे ठीक तो करना चाहते हो लेकिन अपने तय शर्तों पर। जैसे यहां चिमनी को मदद चाहिए लेकिन कार कंपनी वालों से।
अगर अपने विचारों थोड़ा सा संयमित करो, अपनी परिस्थिति का सही से आकलन करो, समय के आवश्यकता के अनुसार अपने में थोड़े से परिवर्तन करो तो तुम पाओगे कि आसानी से अपनी विपरीत परिस्थिति को नियंत्रित कर चुके हो। फिर तुम्हें अकेला और असहाय महसूस नहीं होगा।
क्योंकि बड़े से बड़े लक्ष्य की शुरुआत एक कदम से ही शुरू होती है, उसी तरह अगर किसी भी विपरीत परिस्थिति में तुम एक कदम बढ़ा लेते हो तो धीरे धीरे पूरी स्थिति नियंत्रित हो जायेगी।
तुम्हें थोड़ा स्वयं से संघर्ष करना होगा, तुम्हें अपनी आदतों और सुविधाओं के विरुद्ध जाना पड़ सकता है।
उदाहरण के लिए, तुम सुबह ध्यान अभ्यास तो करना चाहते हो, जानते भी हो आवश्यक है, लाभकारी है। लेकिन तुम्हारी सुविधा नहीं है सुबह 4 बजे उठने की। वह भी रोज उठने की, तुम चाहते हो सुबह 4 बजे वाला सारा काम दुसरे समय के लिए बदल दिया जाए, बस तुम्हें उठना न पड़ें।
ऐसी स्थिति में तुम्हें अपने आदत के विपरीत जाना पड़ेगा, तुम्हें वह सब कुछ प्रयत्न करना चाहिए जो तुम्हें सुबह उठने में मदद कर सके।
एक छोटे से परिवर्तन से तुम अपने आदत की पूरी प्रक्रिया बदल सकोगे।
एक कहानी से समझते हैं इसको,
चिमनी लाल के पास पैसों की कमी न थी, जीवन में आराम ही आराम था। एक बार सुबह-सुबह चिमनी लाल कहीं जा रहे थे उनकी सबसे महंगी कार खराब हो गई, सुनसान वीरान सी जगह है, ज्यादा गाड़ियां भी नहीं चल रहीं हैं, मोबाईल का नेटवर्क भी ठीक से नहीं है।
गाड़ी बहुत ही मंहगी है, गाड़ी की कम्पनी वालों ने कहा है अगर कभी कहीं खराब होती है तो उनको वहीं पर ठीक करने की सुविधा दी जायेगी। किसी तरह एक कॉल कर दिया है कम्पनी को और सुनसान सड़क पर बैठ कर इंतजार कर रहे हैं।
कुछ समय बाद उस सड़क पर एक ट्रक वाला आता है, मदद करने की ईच्छा भी रखता है, कहता है कार को ट्रक में पीछे बांध लो आगे किसी मेकैनिक के पास छोड़ दूंगा।
चिमनी ने इनकार किया सुबह का समय है और गाड़ी कम्पनी को फोन कर ही दिया है। कम्पनी वाले आयेंगे, आना भी चाहिए, आना ही चाहिए - इस तरह के विचार करते हुए प्रतीक्षारत है।
एक बाइक वाले ने कहा उसके साथ चले और किसी कार मैकेनिक की दुकान तक छोड़ देगा, वहां से आप मैकानिक ले आना अपने साथ।
उसी तरह कुछ और भी सहयता के लिए लोगों ने सम्पर्क किया, परन्तु चिमनी कम्पनी वाले के सिवा किसी और से सहायता क्यों ले। जब करोड़ों रूपए खर्च करके यह गाड़ी ली है, तब तय ही यही हुआ था कहीं भी और कभी भी मदद करने आयेंगे कम्पनी वाले।
समय गुजरता है, शाम भी ढलने वाली है, बस रात आने को है, कम्पनी वाले किसी कारणवश पहुँच नहीं पाए हैं। अब कोई आता भी नहीं है इस सड़क पर।
अब चिमनी को कम्पनी वाले से भरोसा टूट रहा है, उसे अकेले होने का एहसास होने लगा है, इस सुनसान सड़क पर उसे बेचैनी होने लगी है। थक चुका है, असहाय जैसी स्थिति लगने लगी है।
चिमनी की इस स्थिति को देखकर तुम्हें कैसा महसूस होता है ?
- चिमनी बेवकूफ है
- उसने समय और परिस्थिति का सही आकलन नहीं किया
- उसने अपनी सुविधा के अनुसार मदद पाने के चक्कर में कठिन स्थिति पैदा कर ली
- बहुत हद तक चिमनी ही अपनी स्थिति के लिए जिम्मेदार है
ठीक इसी कहानी की तरह जब तुम्हारी जिन्दगी में कोई दिक्कत आती है, तब तुम मदद तो चाहते हो, उसे ठीक तो करना चाहते हो लेकिन अपने तय शर्तों पर। जैसे यहां चिमनी को मदद चाहिए लेकिन कार कंपनी वालों से।
अगर अपने विचारों थोड़ा सा संयमित करो, अपनी परिस्थिति का सही से आकलन करो, समय के आवश्यकता के अनुसार अपने में थोड़े से परिवर्तन करो तो तुम पाओगे कि आसानी से अपनी विपरीत परिस्थिति को नियंत्रित कर चुके हो। फिर तुम्हें अकेला और असहाय महसूस नहीं होगा।
क्योंकि बड़े से बड़े लक्ष्य की शुरुआत एक कदम से ही शुरू होती है, उसी तरह अगर किसी भी विपरीत परिस्थिति में तुम एक कदम बढ़ा लेते हो तो धीरे धीरे पूरी स्थिति नियंत्रित हो जायेगी।
तुम्हें थोड़ा स्वयं से संघर्ष करना होगा, तुम्हें अपनी आदतों और सुविधाओं के विरुद्ध जाना पड़ सकता है।
उदाहरण के लिए, तुम सुबह ध्यान अभ्यास तो करना चाहते हो, जानते भी हो आवश्यक है, लाभकारी है। लेकिन तुम्हारी सुविधा नहीं है सुबह 4 बजे उठने की। वह भी रोज उठने की, तुम चाहते हो सुबह 4 बजे वाला सारा काम दुसरे समय के लिए बदल दिया जाए, बस तुम्हें उठना न पड़ें।
ऐसी स्थिति में तुम्हें अपने आदत के विपरीत जाना पड़ेगा, तुम्हें वह सब कुछ प्रयत्न करना चाहिए जो तुम्हें सुबह उठने में मदद कर सके।
एक छोटे से परिवर्तन से तुम अपने आदत की पूरी प्रक्रिया बदल सकोगे।
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कुछ लोगों को आपकी लिखी या बोली हुई बातें बहुत पसन्द आती है जीवन में बदलाव भी आते हैं जबकि कुछ लोग सुन कर भी अनसुना कर देते हैं ? ऐसा कैसे संभव है ?
अगर अच्छा है तो अच्छा ही रहना चाहिए सबके लिए? कृपया इस विषय पर कुछ कहिये।
उत्तर -
ध्यान कक्षा - संवाद on Anchor https://anchor.fm/dhyankakshaorg/episodes/Satvik-baatein-kyon-asar-karti-hain-e23di6e
अगर अच्छा है तो अच्छा ही रहना चाहिए सबके लिए? कृपया इस विषय पर कुछ कहिये।
उत्तर -
ध्यान कक्षा - संवाद on Anchor https://anchor.fm/dhyankakshaorg/episodes/Satvik-baatein-kyon-asar-karti-hain-e23di6e
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Ep.001 Satvik baatein kyon asar karti hain by Samwad in Dhyan Kaksha
कुछ लोग सात्विक बातों से प्रभावित होते हैं, कुछ अन्य बातों से प्रभावित होते हैं। इसके क्या कारण हो सकते हैं ??
ध्यान कक्षा की पुरानी recordings को Spotify और Amazon Music पर podcasts की तरह रखने की कोशिश कर रहा हूं।
नीचे दिए लिंक से उनको आप सुन सकते हैं और subscribe कर सकते हैं।
Spotify -
https://open.spotify.com/show/0WIHOD3lbcKQHSB2QhFbda?si=GnlVZbAxQ2mcJqL_HlKtJQ
Amazon Music -
https://music.amazon.com/podcasts/6b8367f1-387e-4e12-b16b-6c438a03a4bf/samwad-dhyan-kaksha---%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
नीचे दिए लिंक से उनको आप सुन सकते हैं और subscribe कर सकते हैं।
Spotify -
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∆ उम्र 22 साल, मैं अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं कर पाता, मास्टरबेशन मेरी सबसे बड़ी समस्या है। इस कारण बहुत तनाव में रहता हूं। कृपया मेरी मदद करें
∆ मैं 30 साल का हूं जब धार्मिक किताबें पढ़ता हूं या ऐसी बातें सुनता हूं, तो मन में बहुत ग्लानि होने लगती है। मुझे लगभग 10-12 साल से मास्टरबेशन की आदत पड़ गई। मुझे रास्ता दिखाएं
∆ कुछ दिनों तक किसी तरह से नियन्त्रण करता हूं परंतु फिर नियंत्रण छूट जाता है। ध्यान करना तो चाहता हूं लेकिन मुझसे यह मास्टरबेशन की आदत नहीं छूट रही, इसलिए ध्यान में भी मन नहीं लगता है। क्या करूं? मेरी उम्र 24 साल की है
इस तरह के बहुत प्रश्न आते हैं, उन्हें उत्तर भी देता हूं उनकी परिस्थिति के हिसाब से।
क्या तुम भी इस तरह की किसी समस्या से परेशान हो ? क्या इस बारे में कोई detail आर्टिकल चाहते हो ??
१. हां, इसकी आवश्कता है
२. नहीं, आर्टिकल की आवश्यकता नहीं है
∆ मैं 30 साल का हूं जब धार्मिक किताबें पढ़ता हूं या ऐसी बातें सुनता हूं, तो मन में बहुत ग्लानि होने लगती है। मुझे लगभग 10-12 साल से मास्टरबेशन की आदत पड़ गई। मुझे रास्ता दिखाएं
∆ कुछ दिनों तक किसी तरह से नियन्त्रण करता हूं परंतु फिर नियंत्रण छूट जाता है। ध्यान करना तो चाहता हूं लेकिन मुझसे यह मास्टरबेशन की आदत नहीं छूट रही, इसलिए ध्यान में भी मन नहीं लगता है। क्या करूं? मेरी उम्र 24 साल की है
इस तरह के बहुत प्रश्न आते हैं, उन्हें उत्तर भी देता हूं उनकी परिस्थिति के हिसाब से।
क्या तुम भी इस तरह की किसी समस्या से परेशान हो ? क्या इस बारे में कोई detail आर्टिकल चाहते हो ??
१. हां, इसकी आवश्कता है
२. नहीं, आर्टिकल की आवश्यकता नहीं है
भाग्य क्या होता है, कर्मों का फल भाग्य पर कैसे प्रभाव डालता है ?
https://open.spotify.com/episode/0oqvSjv7lUNeXd5TPRIh6M?si=cun5r6yJRmyBvqACK3POQg
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मास्टरबेशन गलत है या सही ? इस प्रश्न पर एक ऑडियो रिकॉर्ड किया है।
https://spotifyanchor-web.app.link/e/yuuRlzDyaAb
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Samwad in Dhyan Kaksha • A podcast on Spotify for Podcasters
ध्यान कक्षा में संवाद
अगर जीवन में शुद्ध प्रश्नों का उद्भव हो जाये तो जीवन में यात्रा गहरी शुरू हो जाती है। शुद्ध प्रश्न अर्थात जिन प्रश्नों के उत्तर के बाद शांति का अनुभव हो।
आध्यात्म ( स्वयं के बारे में जानने ) से सम्बन्धित प्रश्न सुन्दर और जटिल हो सकते…
अगर जीवन में शुद्ध प्रश्नों का उद्भव हो जाये तो जीवन में यात्रा गहरी शुरू हो जाती है। शुद्ध प्रश्न अर्थात जिन प्रश्नों के उत्तर के बाद शांति का अनुभव हो।
आध्यात्म ( स्वयं के बारे में जानने ) से सम्बन्धित प्रश्न सुन्दर और जटिल हो सकते…
जब किसी दूसरे को गलत करते देखते हैं तब लगता है मैं तो अच्छा हूँ क्या यह अहंकार है ?
जब दूसरे को अंहकार करते देखते हैं तो स्वयं में भी अहंकार की भावना आती है, क्या यह गलत है ?
https://spotifyanchor-web.app.link/e/IUxHZPtedAb
जब दूसरे को अंहकार करते देखते हैं तो स्वयं में भी अहंकार की भावना आती है, क्या यह गलत है ?
https://spotifyanchor-web.app.link/e/IUxHZPtedAb
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Ep. 009 Ahankar kaise prabhavit karta hai by Samwad in Dhyan Kaksha
जब किसी दूसरे को गलत करते देखते हैं तब लगता है मैं तो अच्छा हूँ क्या यह अहंकार है ?
जब दूसरे को अंहकार करते देखते हैं तो स्वयं में भी अहंकार की भावना आती है, क्या यह गलत है ?
जब दूसरे को अंहकार करते देखते हैं तो स्वयं में भी अहंकार की भावना आती है, क्या यह गलत है ?
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