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दो बड़े ही सुन्दर प्रश्न आए हैं ? कौन से प्रश्न का उत्तर पहले चाहिए ?

१. कुछ लोगों को आपकी लिखी या बोली हुई बातें बहुत पसन्द आती है जीवन में बदलाव भी आते हैं जबकि कुछ लोग सुन कर भी अनसुना कर देते हैं ? ऐसा कैसे संभव है ?
अगर अच्छा है तो अच्छा ही रहना चाहिए सबके लिए? आप इस विषय पर कुछ कहिये।

२. कुछ स्थितियों में बहुत ही असहाय महसूस करने लगता हूं? कृपया मार्गदर्शन करें।
कभी-कभी कुछ परिस्थिति में बहुत ही असहाय महसूस होता है? क्या करें ?

एक कहानी से समझते हैं इसको,

चिमनी लाल के पास पैसों की कमी न थी, जीवन में आराम ही आराम था। एक बार सुबह-सुबह चिमनी लाल कहीं जा रहे थे उनकी सबसे महंगी कार खराब हो गई, सुनसान वीरान सी जगह है, ज्यादा गाड़ियां भी नहीं चल रहीं हैं, मोबाईल का नेटवर्क भी ठीक से नहीं है।

गाड़ी बहुत ही मंहगी है, गाड़ी की कम्पनी वालों ने कहा है अगर कभी कहीं खराब होती है तो उनको वहीं पर ठीक करने की सुविधा दी जायेगी। किसी तरह एक कॉल कर दिया है कम्पनी को और सुनसान सड़क पर बैठ कर इंतजार कर रहे हैं।

कुछ समय बाद उस सड़क पर एक ट्रक वाला आता है, मदद करने की ईच्छा भी रखता है, कहता है कार को ट्रक में पीछे बांध लो आगे किसी मेकैनिक के पास छोड़ दूंगा।

चिमनी ने इनकार किया सुबह का समय है और गाड़ी कम्पनी को फोन कर ही दिया है। कम्पनी वाले आयेंगे, आना भी चाहिए, आना ही चाहिए - इस तरह के विचार करते हुए प्रतीक्षारत है।

एक बाइक वाले ने कहा उसके साथ चले और किसी कार मैकेनिक की दुकान तक छोड़ देगा, वहां से आप मैकानिक ले आना अपने साथ।

उसी तरह कुछ और भी सहयता के लिए लोगों ने सम्पर्क किया, परन्तु चिमनी कम्पनी वाले के सिवा किसी और से सहायता क्यों ले। जब करोड़ों रूपए खर्च करके यह गाड़ी ली है, तब तय ही यही हुआ था कहीं भी और कभी भी मदद करने आयेंगे कम्पनी वाले।

समय गुजरता है, शाम भी ढलने वाली है, बस रात आने को है, कम्पनी वाले किसी कारणवश पहुँच नहीं पाए हैं। अब कोई आता भी नहीं है इस सड़क पर।

अब चिमनी को कम्पनी वाले से भरोसा टूट रहा है, उसे अकेले होने का एहसास होने लगा है, इस सुनसान सड़क पर उसे बेचैनी होने लगी है। थक चुका है, असहाय जैसी स्थिति लगने लगी है।

चिमनी की इस स्थिति को देखकर तुम्हें कैसा महसूस होता है ?
- चिमनी बेवकूफ है
- उसने समय और परिस्थिति का सही आकलन नहीं किया
- उसने अपनी सुविधा के अनुसार मदद पाने के चक्कर में कठिन स्थिति पैदा कर ली
- बहुत हद तक चिमनी ही अपनी स्थिति के लिए जिम्मेदार है

ठीक इसी कहानी की तरह जब तुम्हारी जिन्दगी में कोई दिक्कत आती है, तब तुम मदद तो चाहते हो, उसे ठीक तो करना चाहते हो लेकिन अपने तय शर्तों पर। जैसे यहां चिमनी को मदद चाहिए लेकिन कार कंपनी वालों से।

अगर अपने विचारों थोड़ा सा संयमित करो, अपनी परिस्थिति का सही से आकलन करो, समय के आवश्यकता के अनुसार अपने में थोड़े से परिवर्तन करो तो तुम पाओगे कि आसानी से अपनी विपरीत परिस्थिति को नियंत्रित कर चुके हो। फिर तुम्हें अकेला और असहाय महसूस नहीं होगा।

क्योंकि बड़े से बड़े लक्ष्य की शुरुआत एक कदम से ही शुरू होती है, उसी तरह अगर किसी भी विपरीत परिस्थिति में तुम एक कदम बढ़ा लेते हो तो धीरे धीरे पूरी स्थिति नियंत्रित हो जायेगी।

तुम्हें थोड़ा स्वयं से संघर्ष करना होगा, तुम्हें अपनी आदतों और सुविधाओं के विरुद्ध जाना पड़ सकता है।

उदाहरण के लिए, तुम सुबह ध्यान अभ्यास तो करना चाहते हो, जानते भी हो आवश्यक है, लाभकारी है। लेकिन तुम्हारी सुविधा नहीं है सुबह 4 बजे उठने की। वह भी रोज उठने की, तुम चाहते हो सुबह 4 बजे वाला सारा काम दुसरे समय के लिए बदल दिया जाए, बस तुम्हें उठना न पड़ें।

ऐसी स्थिति में तुम्हें अपने आदत के विपरीत जाना पड़ेगा, तुम्हें वह सब कुछ प्रयत्न करना चाहिए जो तुम्हें सुबह उठने में मदद कर सके।

एक छोटे से परिवर्तन से तुम अपने आदत की पूरी प्रक्रिया बदल सकोगे।
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कुछ लोगों को आपकी लिखी या बोली हुई बातें बहुत पसन्द आती है जीवन में बदलाव भी आते हैं जबकि कुछ लोग सुन कर भी अनसुना कर देते हैं ? ऐसा कैसे संभव है ?
अगर अच्छा है तो अच्छा ही रहना चाहिए सबके लिए? कृपया इस विषय पर कुछ कहिये।

उत्तर -
ध्यान कक्षा - संवाद on Anchor https://anchor.fm/dhyankakshaorg/episodes/Satvik-baatein-kyon-asar-karti-hain-e23di6e
DhyanKaksha.Org pinned «https://www.tgoop.com/+svQfl8Hfgw43M2Vl»
ध्यान कक्षा की पुरानी recordings को Spotify और Amazon Music पर podcasts की तरह रखने की कोशिश कर रहा हूं।

नीचे दिए लिंक से उनको आप सुन सकते हैं और subscribe कर सकते हैं।

Spotify -
https://open.spotify.com/show/0WIHOD3lbcKQHSB2QhFbda?si=GnlVZbAxQ2mcJqL_HlKtJQ

Amazon Music -
https://music.amazon.com/podcasts/6b8367f1-387e-4e12-b16b-6c438a03a4bf/samwad-dhyan-kaksha---%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
∆ उम्र 22 साल, मैं अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं कर पाता, मास्टरबेशन मेरी सबसे बड़ी समस्या है। इस कारण बहुत तनाव में रहता हूं। कृपया मेरी मदद करें

∆ मैं 30 साल का हूं जब धार्मिक किताबें पढ़ता हूं या ऐसी बातें सुनता हूं, तो मन में बहुत ग्लानि होने लगती है। मुझे लगभग 10-12 साल से मास्टरबेशन की आदत पड़ गई। मुझे रास्ता दिखाएं

∆ कुछ दिनों तक किसी तरह से नियन्त्रण करता हूं परंतु फिर नियंत्रण छूट जाता है। ध्यान करना तो चाहता हूं लेकिन मुझसे यह मास्टरबेशन की आदत नहीं छूट रही, इसलिए ध्यान में भी मन नहीं लगता है। क्या करूं? मेरी उम्र 24 साल की है

इस तरह के बहुत प्रश्न आते हैं, उन्हें उत्तर भी देता हूं उनकी परिस्थिति के हिसाब से।

क्या तुम भी इस तरह की किसी समस्या से परेशान हो ? क्या इस बारे में कोई detail आर्टिकल चाहते हो ??

१. हां, इसकी आवश्कता है
२. नहीं, आर्टिकल की आवश्यकता नहीं है
भाग्य क्या होता है, कर्मों का फल भाग्य पर कैसे प्रभाव डालता है ?

https://open.spotify.com/episode/0oqvSjv7lUNeXd5TPRIh6M?si=cun5r6yJRmyBvqACK3POQg
जब किसी दूसरे को गलत करते देखते हैं तब लगता है मैं तो अच्छा हूँ क्या यह अहंकार है ?
जब दूसरे को अंहकार करते देखते हैं तो स्वयं में भी अहंकार की भावना आती है, क्या यह गलत है ?
https://spotifyanchor-web.app.link/e/IUxHZPtedAb
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हठ योग एवं तंत्र में प्रयोग में होनेवाली मुद्राओं में एक महत्वपूर्ण मुद्रा है, - शाम्भवी मुद्रा
ध्यान कक्ष में चर्चा हुई इसी विषय का रिकॉर्डिंग यहाँ प्रस्तुत है।
https://open.spotify.com/episode/48bh0LikhQ2yiR3Ah2LgUt?si=8395db4d68ed40bb&nd=1
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आज शाम को ८ बजे एक ध्यान अथवा योग निद्रा की कक्षा रख सकते हैं और उसके बाद थोड़ी देर संवाद कर सकते हैं ...

अगर लोग इच्छुक हैं तो मुझे अवगत कराएं
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47%
इच्छुक हूं, परन्तु समय नहीं है
53%
शामिल रहूंगा/रहूंगी
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शाम की 8 बजे वाली कक्षा में शामिल होने के लिए लिंक -
https://meet.google.com/hzj-uyon-xgk
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एक युवा छात्र के प्रश्न का उत्तर है, जो बहुत सारे युवाओं के प्रश्न को उत्तर करेगा। पढ़ो और इसे अपने जीवन में उतारना शुरू करो। अगर कोई प्रश्न उठता है तो मुझसे संपर्क करो।

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1. सबसे पहले सुबह उठना शुरू करना है 5 बजे, निश्चित कर लो चाहे कितने बजे भी सोती हो उठना सुबह 5 बजे ही है।
2. मेरी मेडिटेशन की क्लास होती है सुबह 430 बजे फ्री, लेकिन उसके लिए और पहले उठना होगा
3. सुबह 5:45 तो 7:00 बजे तक योग की क्लास होती है अभी यह भी फ्री है उसको भी ज्वाइन कर सकते हो।
4. सुबह उठना शुरू कर दोगे तो रात जल्दी सोने लगोगे खुद से
5. रिलेशनशिप में रहना है या नहीं रहना है, यह मैं तुम्हारे विवेक पर छोड़ता हूं। लेकिन किसी भी स्थिति को अपने जीवन का बाधा नहीं बनाना है। इसलिए अपनी प्राथमिकता तय करो
6. एक समय निश्चित करो, रात को 10 बजे के बाद मोबाइल का प्रयोग नहीं करोगे। रात 10 बजे के बाद मोबाइल हमेशा अपने बिस्तर से दूर रखो।
7. बिना मोबाइल देखे नींद नहीं आती है तो सोने से पहले किताब पढ़ो
8. अगर सुबह मेरी मेडिटेशन की कक्षा में शामिल नहीं हो सकते हो तो मेरी guided meditation की एक ऑडियो है उससे प्रतिदिन 20 मिनट ध्यान करने का कोशिश करो
9. एक छोटा सा, सरल सा routine बनाओ, जिसे फॉलो करो इससे आत्मविश्वास बढ़ने लगेगा
10. एक छोटा सा लक्ष्य बनाओ जैसे - सुबह जल्दी उठना, किताब पढ़ के सोना, एक दिन बिना मोबाइल के रहना। और उसे हासिल करो ऐसा करने से आत्मविश्वास मजबूत हो जायेगा।
11. धीरे - धीरे पुरे दिन चर्या और रात्रि चर्या को नियमबद्ध करो, अर्थात routine में डाल दो

तुम्हारी सारी परेशानियाँ inter lniked हैं, जैसे ही एक जगह से सुलझाने लगोगे पूरी जिन्दगी सुलझ जायेगी।

यह ध्यान रखना,
अगर तुम्हारी जिन्दगी तुमने नहीं संभाला तो बाकी कोई नहीं संभालेगा।

मदद मेरी तरफ से हमेशा मिलेगा, बस तुम तैयार हो जाओ तुम अपने जीवन में सच में सुधार और बदलाव लाना चाहते हो।
अपने भोजन के प्रति हमेशा सचेत रहें, आपका भोजन आपके शरीर और दिमाग का निर्माण करता है

दिए गए विवरण के आधार पर आप अपने प्रतिदिन के आहार की योजना बना सकते हैं। लौकी के जूस और मेथी के पानी के अलावा बाकी का उपयोग लंबे समय तक किया जा सकता है।

नाश्ता
सुबह खाली पेट एक गिलास सफेद लौकी का जूस (इसे एक बार में केवल 3 सप्ताह तक ही लें, जिन्हें सर्दी या खांसी है उन्हें जूस तुरंत बंद कर देना चाहिए)

कम खाएं या मिर्च, मसाले और तले हुए खाद्य पदार्थ बिल्कुल न खाएं (लौकी का जूस पेट को ज्यादा साफ रखता है, इसलिए संक्रमण का खतरा रहता है)

जूस की जगह मेथी का पानी पियें (यह भी लगातार 21 दिन तक)
- एक चम्मच मेथी को रात भर पानी में भिगो दें, सुबह खाली पेट उस पानी को पी लें और मेथी के दानों को चबा लें या पूरा निगल लें।

2. लगभग 1/2 घंटे जूस पीने के बाद "नाश्ता"।
नाश्ते के समय -
- सब्जी के साथ पोहा
- बेसन या पुराने अनाज से बना चीला
- इडली
- कोई भी फल (केले को छोड़कर)
- नाश्ते में कुछ सूखे मेवे (काजू, बादाम, पिस्ता आदि) खाएं। मात्रा बहुत ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अनिवार्य भी नहीं
-रोटी/चावल/पराठा जितना हो सके कम खाएं

सुबह का भोजन सबसे अधिक पौष्टिक होना चाहिए

दिन का खाना
दोपहर के खाने में भी आप सब कुछ खा सकते हैं, हो सके तो छाछ, नहीं तो खाने में दही जरूर शामिल करें.
- दो रोटी और एक कटोरा चावल (इस भोजन में जोड़ा जा सकता है)
- दही चावल
- छाछ
- सब्जियाँ आदि।

दोपहर के भोजन से 1/2 घंटा पहले एक कटोरी (खीरा, लौकी या लौकी) रायता या सलाद खाएं।

शाम का नाश्ता
शाम के नाश्ते के रूप में दो मुट्ठी भीगी हुई मूंगफली या मूंग (चना, मूंग) खाएं

रात का खाना
इसे सूर्यास्त से पहले या बिस्तर पर जाने से कम से कम 2 घंटे पहले करने का प्रयास करें।
रात का खाना कम खायें
-
- आप बेसन का चीला (डोसा) या थोड़ा सा दलिया (गेहूं, भूलभुलैया, जौ, बाजरा - रोज बदलते रहें) खा सकते हैं.
- अगर आपने दोपहर में रोटी नहीं खाई है तो आप एक रोटी या दो रोटी खा सकते हैं.
- रात के समय चावल या कोई भी तला हुआ खाना न खाएं।

एक गिलास गुनगुने दूध में हल्दी डालकर पियें। जिन लोगों को दूध पीने से गैस बनती है उन्हें सोने से 1/2 घंटा पहले दूध पीना चाहिए।

तीनों समय भोजन करते समय एक महत्वपूर्ण बात का ध्यान रखें,
भूख को 4 भागों में बांट लें, दो भाग ठोस, एक भाग तरल और एक भाग खाली रखें।

कुछ और बातें जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए -

1. कम से कम 45 मिनट तक योगाभ्यास अवश्य करें
2. 15 मिनट का ध्यान अभ्यास या कम से कम शवासन
3. दिन में कम से कम एक बार खाना जमीन पर बैठकर खाएं। संभव हो सके तो दिन के तीनों समय का खाना भूमि पर बैठकर खाएं।
4. चीनी का उपयोग 100% बंद करें ( यदि संभव न हो तो गुड़ या शहद का प्रयोग करें )
5. अपने नमक के उपयोग को प्रति दिन 5 ग्राम तक सीमित करने का प्रयास करें। ( जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या है उन्हें नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. नमक की मात्रा आप धीरे-धीरे बदल सकते हैं )
6. अगर अचानक मीठा खाने की इच्छा तीव्र हो जाए तो कुछ किशमिश चबाकर खाएं और पानी पी लें।
7. दिन के तीनों भोजन में रोटी/चावल कम खाएं; इसे अचानक रोकने की कोई जरूरत नहीं है. इसकी जगह बाजरे के दानों का प्रयोग करें।
8. जब भी खाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि खाना जीभ के लिए नहीं बल्कि शरीर को चलाने के लिए जरूरी है।
9. सप्ताह में कम से कम एक बार खिचड़ी खाएं.
10. सप्ताह में एक दिन या आधे दिन का उपवास अवश्य रखें।
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2025/07/13 07:00:16
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