tgoop.com/HindiPoems/12652
Last Update:
शीर्षक - वोह पल
सुबह की धूप,
वो हल्की सी सर्दी का एहसास,
खिड़की-दरवाज़े से सीधी आती वो धूप,
हवा के साथ धूल भी चमकने लगती,
रोशनी में हर कण जादू सा बिखरता,
मुझे एहसास हो जाता था, दिन आ गए हैं
वो दिन, जिन्हें फिर से जीना चाहता हूँ।
दिवाली पास है शायद,
रौनक फिर से लौटेगी,
परिवार साथ होगा, एक ही जगह
हर तरफ़ खुशियों की बहार बहेगी,
ये संकेत, जैसे एक किरण दे जाती,
आधी नींद में वो मीठा सा एहसास,
स्कूल के लिए तैयार होता हुआ मैं,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
अब भी उन लम्हों को
महसूस कर पाता हूँ,
जीवन में उन पलों को जीना चाहता हूँ।
क्यों मैं अब वो पल जी नहीं पाता?
क्यों घर से इतनी दूर निकल आया हूँ?
अक्टूबर का वो महीना,
वो कुछ दिन की मौज,
वो त्योहारों की तैयारी,
घर की सफाई, रंग-रोगन, दोस्ती-यारी,
मैं वो पल फिर से जीना चाहता हूँ।
महीनों का इंतज़ार,
और फिर वो मौसम आता था,
अब मैं उसी जगह रहकर भी
वहाँ नहीं रह पाता हूँ।
मैं वहाँ की यादों में क़ैद हूँ,
और मुझे बाहर भी नहीं निकलना है।
उन कुसुम के फूलों की तरह
मुझे बिखरना और खिलखिलाना है,
बंद कर दो मुझे उन यादों की क़ैद में,
उनके बक्से में रहने दो।
मैं हर वो गाना गाता हूँ,
पर कभी उस जगह नहीं पहुँच पाता हूँ।
इंतज़ार रहेगा उस दिन का,
जब मैं फिर से जी पाऊँगा,
वो खुशियों के पल समेट पाऊँगा।
हर बूंद में वो एहसास समा लूँगा,
फिर खो जाऊँगा उन यादों में,
और खुद को कभी जुदा नहीं कर पाऊँगा।
#vivek #review
🔗 View Post in Group
✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
BY Hindi/Urdu Poems
Share with your friend now:
tgoop.com/HindiPoems/12652