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गिरना भी कभी अच्छा है,
बल पैरों का पता तब चलता है।
आएंगे जो लोग मदद करने को,
उन रिश्तों का पता भी लगता है।
कभी ठहर जाना भी अच्छा है,
दम हौसलों का पता तब चलता है।
कितना आगे को हम आ पहुंचे,
इस बात का अंदाजा लगता है।
रुक कर रोना भी कभी अच्छा है,
भावनाओं का समंदर बाहर निकलता है।
कितने हैं आंसू पोंछने वाले,
उन अपनों का पता तब लगता है।
कभी गुस्सा होना भी अच्छा है,
रिश्तो की गहराई का पता तब चलता है।
कितना दम है रिश्तो की डोर तले,
इस बात का अंदाजा लगता है।
हार जाना भी कभी अच्छा है,
जीत का मूल्य पता तब चलता है।
कितनी मेहनत अब करनी है और,
इस बात का अंदाजा लगता है।
असफल होने के बाद ही तो,
सफलता की गहराई का पता चलता है।
नकारात्मकता का विष पीकर ही तो,
सकारात्मकता के अमृत का स्वाद निखरता है।
-वंशिका जैन✨✨
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