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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 16 दिसम्बर 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - प्रतिपदा दोपहर 12:27 तक, तत्पश्चात द्वितीया*
*नक्षत्र - आर्द्रा रात्रि 01:13 दिसम्बर 17 तक, तत्पश्चात पुनर्वसु*
*योग - शुक्ल रात्रि 11:23 तक, तत्पश्चात ब्रह्म*
*राहु काल - प्रातः 08:34 से प्रातः 09:55 तक*
*सूर्योदय - 07:17*
*सूर्यास्त - 05:52*
दिशा शूल - पूर्व दिशा में
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:27 से प्रातः 06:21 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:14 से दोपहर 12:57 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:09 दिसम्बर 17 से रात्रि 01:02 दिसम्बर 17 तक*
*विशेष - प्रतिपदा को कुष्मांड (कुम्हड़ा, पेठा) न खायें क्योंकि यह धन का नाश करनेवाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 17 दिसम्बर 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - द्वितीया प्रातः 10:56 तक, तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 12:44 दिसम्बर 18 तक, तत्पश्चात पुष्य*
*योग - ब्रह्म रात्रि 09:11 तक, तत्पश्चात इन्द्र*
*राहु काल - दोपहर 03:17 से शाम 04:37 तक*
*सूर्योदय - 07:18*
*सूर्यास्त - 05:53*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:28 से 06:21 तक*
*अभिजीत मुहूर्त -  दोपहर 12:15 से दोपहर 12:57 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:10 दिसम्बर 18 से रात्रि 01:03 दिसम्बर 18 तक*
*व्रत पर्व विवरण - त्रिपुष्कर योग (प्रातः 07:14 से प्रातः 10:56 तक)*
*विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा  बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है व तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹 शीत ऋतु में विशेष तौर पर होनेवाला कफ रोग 🔹*

*🔸 कफ प्रकृति वाले लोगों को मंदाग्नि होने से कफ होता है । आहार में मधुर, नमकीन, चिकनाई युक्त,  गुरु व अधिक मात्रा में लिया गया आहार कफ उतपन्न करता है ।*

*🔸 कफ का रोगी तीखा, कड़वा व कसैले रस अधिक लें । मिर्च, काली मिर्च, हींग, लहसुन, तुलसी, पीपरामूल, अदरक, लौंग आदि का सेवन विशेष रूप से कर सकते हैं ।*

*🔸 आहार रुक्ष, लघु, अल्प व उष्ण गुणयुक्त लें । जिस में बाजरा, बैगन, सहजन, सुआ की भाजी, मेथी, हल्दी, राई, अजवायन, कुलथी, चने, तिल का तेल, मूँग, विना छिलके के भुने हुए चने का सेवन करें । उबालने पर आधा शेष रहे पानी और अनुकूल पड़े तो सौंठ के टुकड़े डाल कर उबला हुआ पानी पियें । हो सके तो पानी गर्म-गर्म ही पियें । छाती, गले व सिर पर सेंक करें । नींद अधिक न लें ।*

*🔹 औषधि : भोजन के बाद हिंगादी हरड़ चूर्ण या संत कृपा चूर्ण का सेवन करें अथवा संत कृपा चूर्ण दिन में 2 बार शहद के साथ लें । गजकरणी करें । सूर्यभेदी प्राणायाम करें ।*

*प्रातः गौमूत्र अथवा गौझरण अर्क का सेवन करें ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 18 दिसम्बर 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - तृतीया प्रातः 10:06 तक, तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - पुष्य रात्रि 12:58 दिसम्बर 19 तक, तत्पश्चात अश्लेशा*
*योग - इन्द्र शाम 07:34 तक, तत्पश्चात वैधृति*
*राहु काल - दोपहर 12:36 से दोपहर 01:57 तक*
*सूर्योदय - 07:18*
*सूर्यास्त - 05:53*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:28 से प्रातः 06:22 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:10 दिसम्बर 19 से रात्रि 01:03 दिसम्बर 19 तक*
* व्रत पर्व विवरण - अखुरथ संकष्टी चतुर्थी*
*विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है व चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹पौष्टिक एवं बलवर्धक मूँगफली🔹*

*🔸मूँगफली मधुर, स्निग्ध, पौष्टिक व बलवर्धक है ।इसका तेल वात-कफनाशक, घाव को भरनेवाला, कांतिवर्धक, पौष्टिक, मधुमेह में लाभकारी, आँतों के लिए बलकारक तथा खाने में तिल के तेल के समान गुणकारी होता है ।*

*🔸मूँगफली में मौजूद पोषक तत्त्व शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं । इसमें कार्बोहाइड्रेटस रेशे, प्रोटीन, कैल्शियम, लौह,  मॅग्नेशियम फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक, ताँबा, मैगनीज एवं विटामिन बी-१, बी-२, बी-६, ई आदि तत्त्व पायें जाते हैं ।*

*🔸मूँगफली के नियमित सेवन से स्मृतिशक्ति की वृद्धि होती है । इसका सेवन समझना, याद रखना, सोचना, वैचारिक शक्ति आदि बौद्धिक क्षमताएँ विकसित करने में मूँगफली और बादाम बराबरी से सहायक होते हैं ।*

*🔸कच्ची मूँगफली दुग्धवर्धक होती है । जिन माताओं को अपने बच्चों के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं उतरता हो वे यदि कच्ची मूँगफली को पानी में भिगोकर सेवन करती है तो दूध खुल के उतरने लगता है ।*

*🔹मूँगफली है शक्तिवर्धक आहार🔹*

*🔸मूँगफली का सेवन शरीर को शक्ति प्रदान करता है । बच्चों को यदि प्रतिदिन २०-२५ ग्राम मूँगफली खिला दी जाय तो उन्हें पोषक आहार की कमी का अनुभव नहीं होगा । बच्चों के विकास के लिए मूँगफली, चने, मूँग आदि प्रोटीनयुक्त आहार उचित मात्रा में खिलाने चाहिए । इन्हें रात में भिगोकर सुबह बच्चों कि पाचनशक्ति के अनुसार देना चाहिए । पाचनशक्ति कमजोर होने पर इन्हें उबालकर भी खाया जा सकता है । इनके सेवन से कमजोरी दूर होती है एवं शरीर में शक्ति-संचय होता है । ये अधिक श्रम एवं व्यायाम करनेवालों के लिए विशेष लाभदायी हैं ।*

*🔹मूँगफली के लड्डू🔹*

*🔹४०० ग्राम मूँगफली को धीमी आँच पर अच्छे-से-अच्छे सेंक लें । छिलके उतारकर दरदरा कूट लें । इसमें १०० ग्राम पुराना गुड़ व थोड़ी-सी इलायची मिलाकर इसके लड्डू बना लें । सर्दियों में इन लड्डुओं का सेवन रक्तवर्धक, हड्डियों को मजबूत करनेवाला व शरीर में गर्मी उत्पन्न करनेवाला हैं । मूँगफली का गजक या चिक्की भी सर्दियों में सेवनिय है ।*

*🔹ध्यान दें : मूँगफली का सेवन अधिक मात्रा में न करें तथा मूँगफली खाने के तुरंत बाद पानी न पियें ।इसे चबा-चबाकर, सेंक के अथवा पानी में भिगो के खाने से यह सुपाच्य हो जाती है । मूँगफली पानी भिगोकर खाने से उसकी गर्म तासीर भी कम हो जाती है । मूँगफली के तेल के जो गुण इस लेख में दिए गये है वे कच्ची घानी के तेल के हैं, न कि रिफाइंड तेल के । रिफाइंड तेल यहाँ दिए गये गुणों से विपरीत गुणोवाला होता है ।*

*लोक कल्याण सेतु – नवम्बर २०२१ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 19 दिसम्बर 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि -  चतुर्थी प्रातः 10:02 दिसम्बर 19 तक, तत्पश्चात पञ्चमी*
*नक्षत्र - अश्लेशा रात्रि 02:00 दिसम्बर 20 तक, तत्पश्चात मघा*
*योग - वैधृति शाम 06:34 तक, तत्पश्चात विष्कम्भ*
*राहु काल - दोपहर 01:57 से दोपहर 03:18 तक*
*सूर्योदय - 07:19*
*सूर्यास्त - 05:54*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:29 से 06:22 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:16 से दोपहर 12:58 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:11 दिसम्बर 20 से रात्रि 01:04 दिसम्बर 20 तक*
*विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है व पञ्चमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹औषधीय गुणों से भरपूर गाजर🔹*

*🔸'भावप्रकाश निघंटु' के अनुसार यह मधुर तथा तिक्त रस युक्त, तीक्ष्ण, उष्ण व भूख बढ़ानेवाली है । यह रक्त व कांति वर्धक, कृमिनाशक, कफ को निकालनेवाली व वात को दूर करनेवाली है। । इसमें विटामिन 'ए', 'बी', 'सी', 'डी', प्रोटीन्स, कार्बोहाइड्रेट्स, फॉस्फोरस, लौह तत्त्व, रेशे (fibres) आदि पाये जाते हैं । यह रोगप्रतिकारक शक्ति (immunity) बढ़ाती है व विटामिन 'ए' की प्रचुरता होने से नेत्रज्योति की वृद्धि करती है ।*

*🔸गाजर में मूँग या चने की दाल डालकर घी में जीरा, हींग, अदरक, हल्दी, कढीपत्ता आदि की छौंक लगा के बनायी गयी सब्जी खाने से चिड़चिड़ापन, मानसिक तनाव आदि विकार दूर होते हैं तथा शरीर को पुष्टि मिलती है ।*

*🔸गाजर के टुकड़ों में सेंधा नमक, कटा पुदीना, टमाटर, अदरक तथा नींबू का रस मिलाकर सलाद के रूप में सेवन करने से पाचनशक्ति की वृद्धि होती है, भोजन में अरुचि, अफरा (gas) आदि का निवारण होता है । आटे में कद्दूकश की हुई गाजर, कटा हरा धनिया, हल्दी, अजवायन, नमक और मिर्च मिला के रोटी बना सकते हैं ।*

*🔸स्वास्थ्यप्रद गाजर रस🔸*
*🔸गाजर का रस रक्तशुद्धिकर होने से कील- मुँहासे, फोड़े-फुंसी आदि में लाभकारी है । यह रक्ताल्पता (anaemia) को दूर करता है, वर्ण में निखार लाता है व यकृत (liver) की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मददरूप हैं ।*

*🔹औषधीय प्रयोग🔹*

*🔸गाजर का रस दिन में १-२ बार पीने से हृदय-दौर्बल्य में लाभ होता है ।*

*🔸इसके रस में १-२ चम्मच शहद मिलाकर सेवन करना छाती के दर्द में हितकारी है । इस प्रयोग में गाजर को पहले उबाल लें फिर रस निकालें ।*

*🔸 इसके रस में चुकंदर का २५ मि.ली. रस मिलाकर दिन में १-२ बार पीने से मासिक धर्म की अनियमितता तथा अवरोध में लाभ होता है ।*
*🔸गाजर-रस की मात्रा : ४०-५० मि.ली.*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 20 दिसम्बर 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - पञ्चमी प्रातः 10:48 तक, तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - मघा रात्रि 03:47 दिसम्बर 21 तक, तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*योग - विष्कम्भ शाम 06:12 तक, तत्पश्चात प्रीति*
*राहु काल - प्रातः 11:17 से दोपहर 12:37 तक*
*सूर्योदय - 07:20*
*सूर्यास्त - 05:59*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:30 से 06:23 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:16 से दोपहर 12:59 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:11 दिसम्बर 21 से रात्रि 01:04 दिसम्बर 21 तक*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है व षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹शीतकाल में बलसंवर्धनार्थ : मालिश🔹*

*🔸शीतकाल बलसंवर्धन का काल है । इस काल में सम्पूर्ण वर्ष के लिए शरीर में शक्ति का संचय किया जाता है । शक्ति के लिए केवल पौष्टिक, बलवर्धक पदार्थों का सेवन ही पर्याप्त नहीं है अपितु मालिश (अभ्यंग), आसन, व्यायाम भी आवश्यक हैं )*

*🔹उपयुक्त तेल : मालिश के लिए तिल का तेल सर्वश्रेष्ठ माना गया है । यह उष्ण व हलका होने से शरीर में शीघ्रता से फैलकर स्त्रोतसों की शुद्धि करता है । यह उत्तम वायुनाशक व बलवर्धक भी है । स्थान, ऋतू, प्रकृति के अनुसार सरसों, नारियल अथवा औषधसिद्ध तेलों (आश्रम में उपलब्ध आँवला तेल) का भी किया जा सकता है । सर के लिए ठंडे व अन्य अवयवों के लिए गुनगुने तेल का उपयोग करें ।*

*🔸मालिश काल : मालिश प्रात:काल में करनी चाहिए । धुप की तीव्रता बढ़ने पर व भोजन के पश्चात न करें । प्रतिदिन पुरे शरीर की मालिश सम्भव न हो तो नियमित सिर व पैर की मालिश तथा कान, नाभि में तेल डालना चाहिए ।*

*🔹सावधानी : मालिश के बाद ठंडी हवा में न घूमें । १५ – २० मिनट बाद सप्तधान्य उबटन या बेसन अथवा मुलतानी मिट्टी लगाकर गुनगुने पानी से स्नान करें । नवज्वर, अजीर्ण व कफप्रधान व्याधियों में मालिश न करें । स्थूल व्यक्तियों में अनुलोम गति से अर्थात ऊपर से नीचे की ओर मालिश करें ।*
Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩 pinned «*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞* *दिनांक - 20 दिसम्बर 2024* *दिन - शुक्रवार* *विक्रम संवत् - 2081* *अयन - दक्षिणायन* *ऋतु - हेमन्त* *मास - पौष* *पक्ष - कृष्ण* *तिथि - पञ्चमी प्रातः 10:48 तक, तत्पश्चात षष्ठी* *नक्षत्र - मघा रात्रि 03:47 दिसम्बर 21 तक, तत्पश्चात…»
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 21 दिसम्बर 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - षष्ठी दोपहर 12:21 तक, तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी प्रातः 06:14 दिसम्बर 22 तक, तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*योग - प्रीति शाम 06:23 तक, तत्पश्चात आयुष्मान्*
*राहु काल - प्रातः 09:57 से प्रातः 11:18 तक*
*सूर्योदय - 07:20*
*सूर्यास्त - 05:55*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:30 से 06:23 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:17 से दोपहर 12:59 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:12 दिसम्बर 22 से रात्रि 01:05 दिसम्बर 22 तक*
*विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है व सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹मंत्रजप – संबंधी सावधानियाँ🔹*

*🔸१] माला हेतु स्वच्छता: जूठे मुँह, जूठे हाथ या मल-मूत्र या किसी विवशता में साधना से उठना पड़े तो माला लेकर बैठ गये, नहीं । हाथ-पैर धोकर या स्नान करके मंत्रजप करें । माला पहनकर शौचालय में नहीं जाना चाहिए, अगर चले गये तो मालासहित स्नान कर लें और माला धो के पहन लें । स्त्रियों को रात्रि में मासिक धर्म हो गया हो तो स्नान जरुर कर लेना चाहिए ।*

*🔸२] मासिक धर्म में : महिलाओं को मासिक धर्म में न तो माला पहननी चाहिए न माला घुमानी चाहिए और न ॐकार मंत्र जपना चाहिए । जैसे ‘हरि ॐ’ मंत्र है तो ‘हरि, हरि’ जपें, ‘ॐ नम:शिवाय’ मंत्र है तो ‘नम:शिवाय’ जपें ।’ॐ ऐं नम:’ है तो ‘ऐं नम:’ जपें ।*

*🔸३] जननाशौच व मरणाशौच में : जननाशौच (संतान – जन्म के समय लगनेवाला अशौच अर्थात सूतक ) के समय प्रसूतिका स्त्री (संतान की माता ) ४० दिन तक व संतान का पिता १० दिन तक माला लेकर जप न करें । इसी प्रकार मरणाशौच (मृत्यु के समय लगनेवाला अशौच अर्थात पातक) में १३ दिन तक माला लेकर जप नहीं किया जा सकता किंतु मानसिक जप तो प्रत्येक अवस्था में किया जा सकता है ।*
*ऋषि प्रसाद – मार्च २०१८ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 22 दिसम्बर 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि -  सप्तमी दोपहर 02:31 तक, तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी पूर्ण रात्रि तक*
*योग - आयुष्मान् शाम 07:00 तक, तत्पश्चात सौभाग्य*
*राहु काल - शाम 04:40 से शाम 06:00 तक*
*सूर्योदय - 07:21*
*सूर्यास्त - 05:55*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:31 से 06:24 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:17 से दोपहर 01:00 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:12 दिसम्बर 23 से रात्रि 01:05 दिसम्बर 23 तक*
* व्रत पर्व विवरण - रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से दोपहर 02:31 तक), कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, त्रिपुष्कर योग (प्रातः 07:17 से दोपहर 02:31 तक), सर्वार्थ सिद्धि योग (अहोरात्रि)*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है व अष्टमी को नारियल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹अमृत – औषधि दालचीनी🔹*

*🔸दालचीनी उष्ण, पाचक, स्फूर्तिदायक, रक्तशोधक, वीर्यवर्धक व मूत्रल है । यह वायु व कफ का शमन कर उनसे उत्पन्न होनेवाले अनेक रोगों को दूर करती है ।*

*🔸यह श्वेत रक्तकणों की वृद्धि कर रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है । बवासीर, कृमि, खुजली, राजयक्ष्मा ( टी,बी,), इन्फ्लूएंजा ( एक प्रकार का शीतप्रधान संक्रामक ज्वर), मूत्राशय के रोग, टायफायड, ह्रदयरोग, कैन्सर, पेट के रोग आदि में यह लाभकारी है  । संक्रामक बीमारियों की यह विशेष औषधि है ।*

*🔹दालचीनी के कुछ प्रयोग🔹*

*🔸१] पेट के रोग व सर्दी – खाँसी : १ ग्राम ( एक चने जितनी मात्रा ) दालचीनी चूर्ण में १ चम्मच शहद मिलाकर दिन में १ – २ बार चाटने से मंदाग्नि, अजीर्ण, पेट की वायु, संग्रहणी रोग, अफरा और सर्दी – खाँसी में लाभ होता है ।*

*🔸२] ह्रदयरोग : एक ग्राम दालचीनी चूर्ण २०० मि.ली. पानी में धीमी आँच पर उबालें । १०० मि.ली. पानी शेष रहने पर उसे छानकर पी लें । इसे रोज सुबह लेने से कोलेस्ट्राँल की अतिरिक्त मात्रा घटती हैं । गर्म प्रकृतिवाले लोग एवं ग्रीष्म ऋतू में इसके पानी में दूध मिलाकर उपयोग कर सकते हैं । इस प्रयोग से रक्त की शुद्धि होती है एवं ह्रदय को बल मिलता है ।*

*🔸३] स्वरभंग, खाँसी व मुँह की बदबू : दालचीनी का छोटा-सा टुकड़ा चूसने से स्वरभंग ( गला बैठना ) की विकृति नष्ट होती है व आवास खुलती है । इससे खाँसी का प्रकोप शांत होता है, मुँह की बदबू दूर होती है, मसूड़े मजबूत बनते हैं और तोतलेपन में भी लाभ होता है ।*

*🔹सावधानियाँ : गर्भवती महिलाओं के लिए दालचीनी लेना निषिद्ध है । इसकी अधिक मात्रा लेने से पित्त ( उष्ण ) प्रकृतिवालों को सिरदर्द होता है । अत्यधिक मात्रा में, रात को या दीर्घकाल तक इसका सेवन करना हानिकारक है ।*
*स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१६*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 23 दिसम्बर 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - अष्टमी शाम 05:07 तक, तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी प्रातः 09:09 तक तत्पश्चात हस्त*
*योग -  सौभाग्य शाम 07:55 तक, तत्पश्चात शोभन*
*राहु काल - प्रातः 08:38 से प्रातः 09:58 तक*
*सूर्योदय - 07:21*
*सूर्यास्त - 05:56*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:31 से 06:24 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:18 से दोपहर 01:00 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 दिसम्बर 24 से रात्रि 01:06 दिसम्बर 24 तक*
*विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹ग्रह, वास्तु, अरिष्ट शांति का सरल उपाय – विष्णुसहस्रनाम🔹*

*🔸'विष्णुसहस्रनाम स्तोत्र' विधिवत अनुष्ठान करने से सभी ग्रह, नक्षत्र, वास्तु दोषों की शांति होती है । विद्याप्राप्ति, स्वास्थ्य एवं नौकरी-व्यवसाय में खूब लाभ होता है । कोर्ट-कचहरी तथा अन्य शत्रुपीड़ा की समस्याओं में भी खूब लाभ होता है । इस अनुष्ठान को करके गर्भाधान करने पर घर में पुण्यात्माएँ आती हैं । सगर्भावस्था के दौरान पति-पत्नी तथा कुटुम्बीजनों को इसका पाठ करना चाहिए ।*

*🔸अनुष्ठान-विधिः सर्वप्रथम एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएँ । उस पर थोड़े चावल रख दें । उसके ऊपर ताँबे का छोटा कलश पानी भर के रखें । उसमें कमल का फूल रखें । कमल का फूल बिल्कुल ही अनुपलब्ध हो तो उसमें अडूसे का फूल रखें । कलश के समीप एक फल रखें । तत्पश्चात ताँबे के कलश पर मानसिक रूप से चारों वेदों की स्थापना कर 'विष्णुसहस्रनाम' स्तोत्र का सात बार पाठ सम्भव हो तो प्रातः काल एक ही बैठक में करें तथा एक बार उसकी फलप्राप्ति पढ़ें । इस प्रकार सात या इक्कीस दिन तक करें । रोज फूल एवं फल बदलें और पिछले दिन वाला फूल चौबीस घंटे तक अपनी पुस्तकों, दफ्तर, तिजोरी अथवा अन्य महत्त्वपूर्ण जगहों पर रखें व बाद में जमीन में गाड़ दें । चावल के दाने रोज एक पात्र में एकत्र करें तथा अनुष्ठान के अंत में उन्हें पकाकर गाय को खिला दें या प्रसाद रूप में बाँट दें । अनुष्ठान के अंतिम दिन भगवान को हलवे का भोग लगायें ।*

*🔸यह अनुष्ठान हो सके तो शुक्ल पक्ष में शुरू करें । संकटकाल में कभी भी शुरू कर सकते हैं । स्त्रियों को यदि अनुष्ठान के बीच में मासिक धर्म के दिन आते हों तो उन दिनों में अनुष्ठान बंद करके बाद में फिर से शुरू करना चाहिए । जितने दिन अनुष्ठान हुआ था, उससे आगे के दिन गिनें ।*

*🔹टिप्पणीः शास्त्र कहते हैं कि प्रदोषकाल (निषिद्धकाल) में मैथुन नहीं करना चाहिए । जिन लोगों का गर्भाधान जानकारी के अभाव में अनुचित काल में हुआ है, उन्हें अपनी संतान की ग्रहशांति के लिए यह अनुष्ठान करना चाहिए ।*

*🔸गर्भाधान के लिए अनुचित कालः संध्या का समय, जन्मदिन, पूर्णिमा, अमावस्या, प्रतिपदा, अष्टमी, एकादशी, प्रदोष (त्रयोदशी के दिन सूर्यास्त के निकट का काल), चतुर्दशी, सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण, उत्तरायण, जन्माष्टमी, रामनवमी, होली, शिवरात्रि, नवरात्रि आदि पर्वों (दो तिथियों का समन्वय काल) एवं मासिक धर्म के प्रथम पाँच दिनों में तो मैथुन सर्वथा वर्जित है ।*

*🔸शास्त्रवर्णित मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए, नहीं तो आसुरी, कुसंस्कारी अथवा विकलांग संतान उत्पन्न होती है । यदि संतान नहीं हुई तो दम्पत्ति को कोई खतरनाक बीमारी हो जाती है ।*
*📖 लोक कल्याण सेतु, सितम्बर 2010*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 24 दिसम्बर 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - नवमी शाम 07:52 तक, तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - हस्त दोपहर 12:17 तक तत्पश्चात चित्रा*
*योग - शोभन शाम 08:54 तक, तत्पश्चात अतिगण्ड*
*राहु काल - दोपहर 03:20 से शाम 04:41 तक*
*सूर्योदय - 07:21*
*सूर्यास्त - 05:56*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:31 से 06:25 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:18 से दोपहर 01:01 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 दिसम्बर 25 से रात्रि 01:06 दिसम्बर 25 तक*
*विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹आरती में कपूर का उपयोग क्यों ?🔹*

*🔸सनातन संस्कृति में पुरातन काल से आरती में कपूर जलाने की परम्परा है । आरती के बाद आरती के ऊपर हाथ घुमाकर अपनी आँखों पर लगाते हैं, जिससे दृष्टी -इन्द्रिय सक्रिय हो जाती है । पूज्य बापूजी के सत्संग -वचनामृत में आता है : “आरती करते हैं तो कपूर जलाते हैं । कपूर वातावरण को शुद्ध करता है, पवित्र वातावरण की आभा पैदा करता है । घर में देव-दोष है, पितृ -दोष हैं, वास्तु -दोष हैं, भूत -पिशाच का दोष है या किसीको बुरे सपने आते हैं तो कपूर की ऊर्जा उन दोषों को नष्ट कर देती है ।*

*🔸बोलते हैं कि संध्या होती है तो दैत्य-राक्षस हमला करते हैं इसलिए शंख , घंट बजाना चाहिए, कपूर जलाना चाहिए, आरती-पूजा करनी चाहिए अर्थात संध्या के समय और सुबह के समय वातावरण में विशिष्ट एवं विभिन्न प्रकार के जीवाणु होते हैं जो श्वासोच्छवास के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करके हमारी जीवनरक्षक जीवनरक्षक कोशिकाओं से लड़ते हैं । तो देव-असुर संग्राम होता है, देव माने सात्त्विक कण और असुर  माने तामसी कण । कपूर की सुगंधि से हानिकारक जीवाणु एवं विषाण रूपी राक्षस भाग जाते हैं ।*

*🔸वातावरण में जो अशुद्ध आभा है इससे तामसी अथवा निगुरे लोग जरा-जरा बात में खिन्न होते हैं, पीड़ित होते हैं लेकिन कपूर और आरती का उपयोग करनेवालों के घरों में ऐसे कीटाणुओं का, ऐसो हलकी आभा का प्रभाव नहीं टिक सकता है ।*

*🔸अत: घर में कभी-कभी कपूर जलाना चाहिए, गूगल का धूप करना चाहिए । कभी-कभी कपूर की १ – २ छोटी-छोटी गोली मसल के घर में छिटक देनी चाहिए ।  उसकी हवा से ऋणायान बनते हैं, जो हितकारी हैं । वर्तमान के माहौल में घर में दीया जलाना अथवा कपूर की कभी-कभी आरती कर लेना अच्छा है ।*
*ऋषि प्रसाद – जुलाई २०२१ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 25 दिसम्बर 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - दशमी रात्रि 10:29 तक, तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र - चित्रा दोपहर 03:22 तक तत्पश्चात स्वाती*
*योग - अतिगण्ड रात्रि 09:47 दिसम्बर 25 तक, तत्पश्चात सुकर्मा*
*राहु काल - दोपहर 12:40 से दोपहर 02:00 तक*
*सूर्योदय - 07:22*
*सूर्यास्त - 05:57*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:32 से प्रातः 06:25 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:14 दिसम्बर 26 से रात्रि 01:07 दिसम्बर 26 तक*
* व्रत पर्व विवरण - तुलसी पूजन दिवस, विश्वगुरु भारत कार्यक्रम (1 जनवरी तक), पंडित मदन मोहन मालवीय जयंती*
*विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹औषधीय गुणों से परिपूर्ण : पारिजात🔹*

*🔸पारिजात या हरसिंगार को देवलोक का वृक्ष कहा जाता है । कहते हैं कि समुद्र – मंथन के समय विभिन्न रत्नों के साथ – साथ यह वृक्ष भी प्रकट हुआ था । इसकी छाया में विश्राम करनेवाले का बुद्धिबल बढ़ता है । यह वृक्ष नकारात्मक ऊर्जा को भी हटाता है । इसके फूल अत्यंत सुकुमार व सुगंधित होते हैं जो दिमाग को शीतलता व शक्ति प्रदान करते हैं । हो सकते तो अपने घर के आसपास इस उपयोगी वृक्ष को लगाना चाहिए ।*
*🔸पारिजात ज्वर व कृमि नाशक, खाँसी – कफ को दूर करनेवाला, यकृत की कार्यशीलता को बढ़ानेवाला, पेट साफ़ करनेवाला तथा संधिवात, गठिया व चर्मरोगों में लाभदायक है ।*

*🔹औषधीय प्रयोग🔹*

*🔸पुराना बुखार : इसके ७ - ८ कोमल पत्तों के रस में ५ – १० मि. ली. अदरक का रस व शहद मिलाकर सुबह – शाम लेने से पुराने बुखार में फायदा होता है ।*

*🔸बच्चों के पेट में कृमि : इसके ७ – ८ पत्तों के रस में थोडा – सा गुड़ मिला के पिलाने से कृमि मल के साथ बाहर आ जाते हैं या मर जाते हैं ।*

*🔸जलन व सुखी खाँसी : इसके पत्तों के रस में मिश्री मिला के पिलाने से पित्त के कारण होनेवाली जलन आदि विकार तथा शहद मिला के पिलाने से सुखी खाँसी मिटती हैं ।*

*🔸बुखार का अनुभूत प्रयोग : ३० – ३५ पत्तों के रस में शहद मिलाकर ३ दिन तक लेने से बुखार में लाभ होता है ।*

*🔸सायटिका व स्लिप्ड डिस्क : पारिजात के ६० – ७० ग्राम पत्ते साफ़ करके ३०० मि. ली. पानी में उबालें । २०० मि.ली. पानी शेष रहने पर छान के रख लें । २५ – ५० मि.ग्रा. केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें । १०० मि.ली. सुबह – शाम पियें । १५ दिन तक पीने से सायटिका जड़ से चला जाता है | स्लिप्ड डिस्क में भी यह प्रयोग रामबाण उपाय है । वसंत ऋतू में ये पत्ते गुणहीन होते हैं अत: यह प्रयोग वसंत ऋतू में लाभ नहीं करता ।*

*🔸संधिवात, जोड़ों का दर्द, गठिया : पारिजात की ५ से ११ पत्तियाँ पीस के एक गिलास पानी में उबालें, आधा पानी शेष रहने पर सुबह खाली पेट ३ महीने तक लगातार लें । पुराने संधिवात, जोड़ों के दर्द, गठिया में यह प्रयोग अमृत की तरह लाभकारी है । अगर पूरी तरह ठीक नहीं हुआ तो १० – १५ दिन छोडकर पुन: ३ महीने तक करें   इस प्रयोग से अन्य कारणों से शरीर में होनेवाली पीड़ा में भी राहत मिलती है । पत्थकर आहार लें ।*

*🔸चिकनगुनिया का बुखार होने पर बुखार ठीक होने के बाद भी दर्द नहीं जाता । ऐसे में १० – १५ दिन तक पारिजात के पत्तों का यह काढ़ा बहुत उपयोगी है ।*

*स्त्रोत – ऋषि प्रसाद, दिसम्बर २०१६ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 26 दिसम्बर 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - एकादशी रात्रि 12:43 दिसम्बर 27 तक, तत्पश्चात द्वादशी*
*नक्षत्र - स्वाती शाम 06:09 तक तत्पश्चात विशाखा*
*योग - सुकर्मा रात्रि 10:24 तक, तत्पश्चात धृति*
*राहु काल - दोपहर 02:01 से दोपहर 03:21 तक*
*सूर्योदय - 07:22*
*सूर्यास्त - 05:57*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:32 से 06:25 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:19 से दोपहर 01:02 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:14 दिसम्बर 27 से रात्रि 01:07 दिसम्बर 27 तक*
* व्रत पर्व विवरण - मण्डला पूजा, सफला एकादशी*
*विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1.एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹2. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹4. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹5. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*🌹6. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹7. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹8. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹09. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹10. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*🌹11. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹12. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹13. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 27 दिसम्बर 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि -  द्वादशी रात्रि 02:26 दिसम्बर 28 तक, तत्पश्चात त्रयोदशी*
*नक्षत्र - विशाखा रात्रि 08:28 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*योग - धृति रात्रि 10:37 तक, तत्पश्चात शूल*
*राहु काल - प्रातः 11:20 से दोपहर 12:41 तक*
*सूर्योदय - 07:23*
*सूर्यास्त - 05:58*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:33 से 06:26 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:19 से दोपहर 01:02 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 दिसम्बर 28 से रात्रि 01:08 दिसम्बर 28 तक*
* व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग (रात्रि 08:28 से प्रातः 07:19 दिसम्बर 28 तक)*
*विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹तुलसी सेवन से मिले दीर्घायुष्य व स्वास्थ्य🔹*

*🔸तुलसी शारीरिक व्याधियों को तो दूर करती ही है, साथ ही मनुष्य के आंतरिक भावों और विचारों पर भी कल्याणकारी प्रभाव डालती है । ‘अथर्ववेद’ में आता है यदि त्वचा, मांस तथा अस्थि में महारोग प्रविष्ट हो गया तो उसे श्यामा तुलसी नष्ट कर देती है ।*

*🔸दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी – पत्ते चबाने से पाचनशक्ति मजबूत होती है । दूषित पानी में तुलसी के कुछ ताजे पत्ते डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है ।*

*🔸बर्रे, भौंरा, बिच्छू ने काटा हो तो उस स्थान पर तुलसी के पत्ते का रस लगाने या तुलसी-पत्ता पीसकर पुलटिस बाँधने से जलन व सूजन नहीं होती है ।*

*🔸तुलसी के बीज बच्चों को भोजन के बाद देने से मुखशुद्धि होने के साथ–साथ पेट के कृमि भी मर जाते हैं । तुलसी बीज नपुंसकता को नष्ट करते हैं और पुरुषत्व के हार्मोन्स की वृद्धि भी करते हैं ।*

*🔸शास्त्रों में आता है कि जिनके घर में लहलहाता तुलसी का पौधा रहता है, उनके यहाँ वज्रपात नहीं हो सकता अर्थात जब तुलसी अचानक प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाय तब समझना चाहिए कि घर पर कोई भारी संकट आनेवाला है ।*
*🔸बच्चों को तुलसी – पत्र देने के साथ सूर्यनमस्कार करवाने और सूर्य को अर्घ्य दिलवाने के प्रयोग से बुद्धि में विलक्षणता आती है । तुलसी की क्यारी के पास प्राणायाम करने से सौन्दर्य, स्वास्थ्य और तेज की अत्युत्तम वृद्धि होती है ।*

*🔸प्रात: काल खाली पेट दो–तीन चम्मच तुलसी रस सेवन करने से शारीरिक बल एवं स्मरणशक्ति में वृद्धि के साथ–साथ व्यक्तित्व भी प्रभावशाली होता है ।*
*🔸अत: जीवन को उन्नत बनाने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति को २५ दिसम्बर को तुलसी – पूजन अवश्य करना चाहिए ।*

*स्त्रोत – लोक कल्याण सेतु – नवम्बर २०१६ से*

*🔹विषैले जीवाणुनाशक तथा शुभत्ववर्धक उपाय🔹*

*🔸अपने घर के ईशान कोण में तुलसी-पौधा अवश्य होना चाहिए । प्रात: स्नानादि के बाद उसमें शुद्ध जल चढ़ाने तथा शाम के समय घी या तेल का दीपक जलाने से वातावरण में विचरण करनेवाले विषैले जीवाणु समाप्त होते हैं तथा शुभत्व बढ़ता है ।*
*ऋषि प्रसाद – दिसम्बर २०२१*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 28 दिसम्बर 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर**
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - त्रयोदशी प्रातः 03:32 दिसम्बर 29 तक, तत्पश्चात चतुर्दशी*
*नक्षत्र - अनुराधा रात्रि 10:13 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*योग - शूल रात्रि 10:24 तक, तत्पश्चात गण्ड*
*राहु काल - प्रातः 10:00 से प्रातः 11:21 तक*
*सूर्योदय - 07:23*
*सूर्यास्त - 05:59*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:33 से 06:26 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:20 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 दिसम्बर 29 से रात्रि 01:08 दिसम्बर 29 तक*
* व्रत पर्व विवरण - शनि त्रयोदशी, प्रदोष व्रत*
*विशेष -  त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹 घर को बनाइये मंगलमय🔹*

*🔸सुविचार के द्वारा आप अपने घर को भी मंगलमय बना सकते हैं । कुछ सात्त्विक प्रयोग भी है, जैसे – पर्व के दिन घर के मुख्य द्वार पर हल्दी और चावल के आटे का घोल बनाकर या केवल हल्दी से ‘ॐ’ या स्वस्तिक बना दो । यह घर को बाधाओं से सुरक्षित रखने में मदद करता है । पर्व के दिन द्वार पर अशोक और नीम के पत्तों का तोरण बाँध दें । उसके नीचे से आने-जानेवाले कि रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी, जाते-आते उसमें ऊँचे विचारों का संचरण होगा, घर में सुख-शान्ति रहेगी ।*

*🔸घर में कभी गोमूत्र से पोंछा लगा लो तो हानिकारक जीवाणु तो चले जायेंगे, साथ ही गोमूत्र में जो गाय के सात्त्विक अंश का और सूर्य की दिव्य किरणों का प्रभाव होता है वह तुम्हारे घर को, तुम्हारे वातावरण को सुंदर और पवित्र रखेगा । थोड़ा खड़ा नमक लाकर घर में रख दो । ऐसा नहीं कि ‘आयोडीन-आयोडीन’ करके लुटनेवालों का नमक खरीदकर खुद को लुटवाते रहो ।अमावस्या को खड़े नमकवाले खारे पानी से घर में पोंछा लगा दो और घर में आश्रम से नि:शुल्क मिलनेवाला ग्रहदोष निवारक स्वस्तिक रखो । इससे ऋणायन बनेंगे, धनात्मक ऊर्जा बढ़ेगी और नकारात्मक ऊर्जा चली जायेगी ।*
*ऋषि प्रसाद – दिसम्बर २०२१ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 29 दिसम्बर 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर**
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - चतुर्दशी प्रातः 04:01 दिसम्बर 30 तक, तत्पश्चात अमावस्या*
*नक्षत्र - ज्येष्ठा रात्रि 11:22 तक तत्पश्चात मूल*
*योग - गण्ड रात्रि 09:14 तक, तत्पश्चात वृद्धि*
*राहु काल - शाम 04:44 से शाम 06:04 तक*
*सूर्योदय - 07:23*
*सूर्यास्त - 05:59*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:34 से 06:27 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:20 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 दिसम्बर 30 से रात्रि 01:09 दिसम्बर 30 तक*
* व्रत पर्व विवरण - मासिक शिवरात्रि, सर्वार्थसिद्धि योग (रात्रि 11:22 से प्रातः 07:20 दिसम्बर 30 तक)*
*विशेष -  चतुर्दशी को स्त्री सहवास और तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹सर्दियों में उपयोगी पुष्टि व शक्तिवर्धक प्रयोग🔹*

*🔸१] २५ ग्राम देशी काले चने धोकर रात को १२५ मि.ली. पानी में भिगो दें । सुबह इन चनों को खूब चबा – चबाकर खायें, साथ में किशमिश भी खा सकते हैं । ऊपर से चने के पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर पी जायें । शरीर बलवान व शक्तिशाली होता है तथा वीर्य पुष्ट होता है ।*

*🔸२] ५० ग्राम गोंद को घी में तल लें । ५० – ५० ग्राम अजवायन, काले तिल व मूँगफली के दानों को अलग – अलग भूनकर सभीको कूट लें । फिर इस मिश्रण को तथा किसे हुए ५० ग्राम सूखे नारियल (खोपरा) को ७५० ग्राम गुड़ में मिला के रख लें । सुबह खाली पेट ५० ग्राम मिश्रण खूब चबा – चबाकर खायें ।इसके १ – २ घंटे बाद हलका सुपाच्य भोजन करें । इससे शरीर पुष्ट होता है, बल-वीर्य की वृद्धि होती है । वायुरोग, बहुमुत्रता व बच्चों की बिस्तर में पेशाब करने की समस्या में भी लाभ होता है ।  – लोक कल्याण सेतु – दिसम्बर २०१६ से*

*🔹तुलसी की जीवन में महत्ता व उपयोगिता🔹*

*🔸‘स्कंद पुराण’ (का.खं. :२१.६६) में आता है : ‘जिस घर में तुलसी – पौधा विराजित हो, लगाया गया हो, पूजित हो, उस घर में यमदूत कभी भी नहीं आ सकते ।’*

*🔸जहाँ तुलसी – पौधा रोपा गया है, वहाँ बीमारियाँ नहीं हो सकतीं क्योंकि तुलसी – पौधा अपने आसपास के समस्त रोगाणुओं, विषाणुओं को नष्ट कर देता है एवं २४ घंटे शुद्ध हवा देता है । वहाँ निरोगता रहती है, साथ ही वहाँ सर्प, बिच्छू, कीड़े-मकोड़े आदि नहीं फटकते । इस प्रकार तीर्थ जैसा पावन वह स्थान सब प्रकार से सुरक्षित रहकर निवास-योग्य माना जाता है । वहाँ दीर्घायु प्राप्त होती है ।*

*🌹पूज्य बापूजी कहते हैं : ‘तुलसी निर्दोष है । सुबह तुलसी के दर्शन करो । उसके आगे बैठ कर लम्बे श्वास लो और छोड़ो, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, दमा दूर रहेगा अथवा दमे की बीमारी की सम्भावना कम हो जायेगी । तुलसी को स्पर्श करके आती हुई हवा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है और तमाम रोग व हानिकारक जीवाणुओं को दूर रखती है ।’*

*🔸तुलसी रोपने तथा उसे दूध से सींचने पर स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । तुलसी की मिट्टी का तिलक लगाने से तेजस्विता बढ़ती है ।*

*🔸दूध के साथ तुलसी वर्जित है, बाकी पानी, दही, भोजन आदि हर चीज के साथ तुलसी ले सकतें हैं । रविवार को तुलसी ताप उत्पन्न करती है, इसलिए रविवार को तुलसी न तोड़ें, न खायें । ७ दिन तक तुलसी – पत्ते बासी नहीं माने जाते ।*

*🔸विज्ञान का आविष्कार इस बात को स्पष्ट करने में सफल हुआ है कि तुलसी में विद्युत् – तत्त्व उपजाने और शरीर में विद्युत् – तत्त्व को सजग रखने का अद्भुत सामर्थ्य है । थोडा तुलसी – रस लेकर तेल की तरह थोड़ी मालिश करें तो विद्युत् – प्रवाह अच्छा चलेगा ।*
*स्त्रोत – ऋषि प्रसाद, दिसम्बर २०१६ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 30 दिसम्बर 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - अमावस्या प्रातः 03:56 दिसम्बर 31 तक, तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र - मूल रात्रि 11:57 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*योग - वृद्धि रात्रि 08:32 तक, तत्पश्चात ध्रुव*
*राहु काल - प्रातः 08:41 से प्रातः 10:01 तक*
*सूर्योदय - 07:24*
*सूर्यास्त - 05:00*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:34 से 06:27 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:21 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 दिसम्बर 31 से रात्रि 01:09 दिसम्बर 31 तक*
* व्रत पर्व विवरण - सोमवती अमावस्या (सूर्योदय से प्रातः 03:56 दिसम्बर 31 तक), पौष अमावस्या*
*विशेष -  अमावस्या को स्त्री सहवास और तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹लक्ष्मी कहाँ से चली जाती है ?🔹*

*🔸भगवान श्रीहरि कहते हैं : “जपो अल्पज्ञ भीगे पैर अथवा नग्न होकर सोता है तथा वाचाल की भाँति निरंतर बोलता रहता है, उसके घर से साध्वी लक्ष्मी चली जाती है ।*

*🔸जो व्यक्ति अपने सिर पर तेल लगाकर उसी हाथ से दूसरे के अंग का स्पर्श करता हैं * और अपने किसी अंग को बाजे की तरह बजाता है, उससे रुष्ट होकर लक्ष्मी उसके घर से चली जाती है ।*

*🔸जो व्रत-उपवास नहीं करता, संध्या – वंदन नहीं करता, सदा अपवित्र रहता है तथा भगवदभक्ति से रहित है उसके यहाँ से मेरी प्रिया लक्ष्मी चली जाती है ।’ ( श्रीमद देवी भागवत : ९.४१.४२-४४ )*

*🔸पद्म पुराण के अनुसार मस्तक पर लगाने से बचे हुए तेल को अपने शरीर पर भी लगाना वर्जित है ।*
*ऋषि प्रसाद- जनवरी २०२०*

*🔹नॉर्मल डिलीवरी हेतु रामबाण प्रयोग*

*🔸ब्रह्मज्ञानी संत श्री आशारामजी बापू अपने सत्संगो में सामान्य प्रसूति के लिए रामबाण प्रयोग बताते हैं : “सामान्य प्रसूति में यदि कहीं बाधा जैसी लगे तो देशी गाय के गोबर का १०-१२ ग्राम ताजा रस निकालें,  गुरुमंत्र का जप करके अथवा ‘नारायण.... नारायण.....’ जप करके गर्भवती महिला को पिला दें ।*

*🔸एक घंटे में प्रसूति नहीं हो तो फिर से पिला दें । सहजता से प्रसूति होगी । अगर प्रसव-पीड़ा समय पर शुरू नहीं हो रही हो तो गर्भिणी ‘जम्भला... जम्भला....’ मंत्र का जप करे और पीड़ा शुरू होने पर उसे गोबर का रस पिलायें तो सुखपूर्वक प्रसव होगा ।’*
*लोक कल्याण सेतु – अक्टूबर २०१९ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 02 जनवरी 2025*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - तृतीय रात्रि 01:08 जनवरी 03 तक, तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - श्रवण रात्रि 11:10 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*योग - हर्षण दोपहर 02:58 तक, तत्पश्चात वज्र*
*राहु काल - दोपहर 02:05 से दोपहर 03:25 तक*
*सूर्योदय - 07:25*
*सूर्यास्त - 06:02*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:35 से 06:28 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:22 से दोपहर 01:05 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:17 जनवरी 03 से रात्रि 01:10 जनवरी 03 तक*
*विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹जकड़ाहट, आमवात, जोड़ों का दर्द आदि हो तो....*

*🔸शरीर जकड़ा हुआ है, आमवात, जोड़ो का दर्द, घुटनों का दर्द आदि कि शिकायत ज्यादा है तो भोजन के समय १ गिलास गुनगुना पानी रखो । उसमें अदरक के रस की १०-१२ बुँदे डाल दो अथवा चौथाई ग्राम ( १ चनाभर) सौंठ-चूर्ण मिला दो । भोजन के बीच-बीच में २ -२ घूँट वह पानी पियो ।*

*🔸८० ग्राम लहसुन कि कलियाँ कूट के १०० ग्राम अरंडी के तेल में डाल दें और गर्म करें । कलियाँ जल जायें तो वह तेल उतार के रख लें । इससे घुटनों को, जोड़ों को मालिश करने से फायदा होता है ।*

*ऋषि प्रसाद – दिसम्बर २०२१ से*

*🔹बरकत लाने व सुखमय वातावरण बनाने हेतु🔹*

*🔸जिस घर में भगवान का, ब्रह्मवेत्ता संत का चित्र नहीं है वह घर स्मशान है । जिस घर में माँ-बाप, बुजुर्ग व बीमार का खयाल नहीं रखा जाता उस घर से लक्ष्मी रूठ जाती है । बिल्ली, बकरी व झाड़ू कि धूलि घर में आने से बरकत चली जाती है । गाय के खुर कि धूलि से, सुहृदता से , ब्रह्मज्ञानी सत्पुरुष के सत्संग से घर का वातावरण स्वर्गमय, सुखमय, मुक्तिमय हो जाता है ।*

*लोक कल्याण सेतु – नवम्बर २०२१ से*

*🔹पति-पत्नी के झगड़े या अनबन🔹*

*🔸पति-पत्नी में झगड़े होते हों, तलाक को नौबत आ जाए अथवा पति-पत्नी में मन नहीं बनता है तो पति अपने सिर के नीचे सिन्दूर रख के सो जाए और पत्नी अपने सिर के नीचे कपूर रख के सो जाए । सुबह उठे तो कपूर की आरती कर डालें और पति सिन्दूर घर में फ़ेंक दें, तो पति-पत्नी का स्वभाव अच्छा हो जायेगा ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 03 जनवरी 2025*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्थी रात्रि 11:39 तक, तत्पश्चात पञ्चमी*
*नक्षत्र - धनिष्ठा रात्रि 10:22 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*योग - वज्र दोपहर 12:38 तक, तत्पश्चात सिद्धि*
*राहु काल - सुबह 11:24 से दोपहर 12:44 तक*
*सूर्योदय - 07:25*
*सूर्यास्त - 06:02*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:35 से 06:28 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:23 से दोपहर 01:06 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 जनवरी 04 से रात्रि 01:11 जनवरी 04 तक*
*व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी*
*विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹हवन-यज्ञ क्यों ?🔹*

*🔹वैश्विक समस्याओं में जाति, मत, पंथ, देश के दायरों से परे होकर देखें तो जो विकराल समस्याएँ हैं उनमें से एक है वातावरण और वैचारिक प्रदूषण की समस्या । विभिन्न देशों द्वारा करोड़ों-अरबों डॉलर खर्च करके उपाय खोजे व किये जा रहे हैं परंतु यह समस्या वैसी ही बनी हुई है । इसके निवारण हेतु विश्व अब भारत की प्राचीन धरोहर यज्ञ-हवन की ओर एक आशाभरी नजर से देख रहा है। यह हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा चलायी गयी परम्परा है और समय-समय पर महापुरुषों द्वारा इसे सुविकसित व लोकसुगम्य बनाया गया है ।*

*🔹कारखानों व गाड़ियों आदि के धुएँ से वातावरण दूषित होता है, जिससे फेफड़ों व श्वास के विभिन्न रोग होते हैं । यज्ञ-हवन दूषित वायुमंडल को तो शुद्ध करता ही है, साथ ही इससे मानसिक कुविचारों पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है ।*

*🔹प्रज्वलित खाँड (अपरिष्कृत शक्कर) में वायु को शुद्ध करने की अत्यधिक शक्ति होती है । घी की आहुति से वातावरण शुद्धि तथा विभिन्न रोगों के कीटाणुओं का नाश होता है । अतः जिन स्थानों पर हवन होता है वहाँ फसल अच्छी होती है ।*

*🔹श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ पूज्य बापूजी यज्ञ की उपयोगिता समझाते हुए कहते हैं : "तुम्हारे जीवन में यज्ञ के लिए भी स्थान होना चाहिए । श्रीकृष्ण बताते हैं : यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि... 'सब प्रकार के यज्ञों में जपयज्ञ मैं हूँ।' (गीता : १०.२५)*

*परंतु आहुति देकर जो यज्ञ होते हैं, वे भी अच्छे हैं, उनका भी अपना महत्त्व है ।*

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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 04 जनवरी 2025*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पञ्चमी रात्रि 10:00 तक, तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 09:23 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*योग - सिद्धि सुबह 10:08 तक, तत्पश्चात व्यतिपात*
*राहु काल - सुबह 10:03 से सुबह 11:24 तक*
*सूर्योदय - 07:25*
*सूर्यास्त - 06:03*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:36 से 06:29 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:23 से दोपहर 01:06 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 जनवरी 05 से रात्रि 01:11 जनवरी 05 तक*
*व्रत पर्व विवरण - व्यतीपात योग (प्रातः 10:09 से प्रातः 07:32 जनवरी 05 तक)*
*विशेष - पञ्चमी को बेल फल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🔹*

*🔸शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

*🔸 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*

*🔸एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - मई 2018 से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 05 जनवरी 2025*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - षष्ठी रात्रि 08:15 तक, तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद रात्रि 08:18 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
*योग - व्यतिपात सुबह 07:32 तक, तत्पश्चात वरियान प्रातः 04:51 जनवरी 06 तक*
*राहु काल - शाम 04:48 से शाम 06:09 तक*
*सूर्योदय - 07:25*
*सूर्यास्त - 06:04*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:36 से 06:29 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:24 से दोपहर 01:07 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 जनवरी 06 से रात्रि 01:12 जनवरी 06 तक*
*व्रत पर्व विवरण - स्कंद षष्ठी, त्रिपुष्कर योग, रवि योग, सर्वार्थसिद्धि योग (प्रातः 07:22 से प्रातः 07:22 जनवरी 06 तक)*
*विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹नौकरी मिलने में समस्या🔹*

*🔸जिनको नौकरी नहीं मिलती या मिलती है पर छूट जाती है वे लोग आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें और पूजा की जगह पर शांत बैठो, अधीर मत बनो, डोरे धागे या तावीज बांधने के चक्कर में न पड़ो । शांत बैठ कर आज्ञा चक्र पर तिलक कर के बंद आँखों से उधर देखते हुए " ॐ श्रीं नमः" "ॐ ह्रीं नमः" जपें और बैठ कर १५ मिनट पूज्य बापूजी की तस्वीर को एकटक देखें... ध्यान करें । फिर आँखों की पलकें बंद करके आज्ञा चक्र पर ध्यान केन्द्रित करो और शुभ संकल्प करो । और ओमकार का ध्यान करते हुए शांत बैठें मनोरथ सिद्ध होंगे बाहर का कोई सहारा लेने की कोई जरुरत नहीं ।*

*🔹श्रीमद् भगवदगीता माहात्म्य🔹*

*🔸जो मनुष्य भक्तियुक्त होकर नित्य एक अध्याय का भी पाठ करता है, वह रुद्रलोक को प्राप्त होता है और वहाँ शिवजी का गण बनकर चिरकाल तक निवास करता है ।*

*🔸हे पृथ्वी ! जो मनुष्य नित्य एक अध्याय एक श्लोक अथवा श्लोक के एक चरण का पाठ करता है वह मन्वंतर तक मनुष्यता को प्राप्त करता है ।*

*🔸जो मनुष्य गीता के दस, सात, पाँच, चार, तीन, दो, एक या आधे श्लोक का पाठ करता है वह अवश्य दस हजार वर्ष तक चन्द्रलोक को प्राप्त होता है । गीता के पाठ में लगे हुए मनुष्य की अगर मृत्यु होती है तो वह (पशु आदि की अधम योनियों में न जाकर) पुनः मनुष्य जन्म पाता है ।*
2025/01/05 15:24:13
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