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प्रशासक समिति 🚩(Reg. E&SWS)

🚩 जय सत्य सनातन 🚩

🚩 आज का पञ्चाङ्ग 🚩


🌥️ 🚩युगाब्द-५१२६
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८१
🚩तिथि - अष्टमी दोपहर 12:10 तक तत्पश्चात नवमी

https://www.tgoop.com/PrashasakSamitiSamskritam/2434
अध्याय 17 , श्लोक 23

दिनांक - 25 सितम्बर 2024
दिन - बुधवार
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - आश्विन
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - आर्द्रा रात्रि 10:23 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
योग - वरीयान रात्रि 12:18 सितम्बर 26 तक तत्पश्चात परिघ
राहु काल - दोपहर 12:31 से दोपहर 02:01 तक
सूर्योदय - 06:33
सूर्यास्त - 06:29
दिशा शूल - उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:54 से 05:42 तक
अभिजीत मुहूर्त -  कोई नहीं
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:07 सितम्बर 26 से  रात्रि 12:55 सितम्बर 26 तक
व्रत पर्व विवरण - बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से दोपहर 12:10 तक), अष्टमी का श्राद्ध, जीवित्पुत्रिका व्रत
विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध हैं। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🔹तुलसी द्वारा सद्गति🔹

🔸जिसकी मृत्यु के समय श्रीहरि का कीर्तन और स्मरण हो तथा तुलसी की लकड़ी से जिसके शरीर का दाह किया जाय, उसका पुनर्जन्म नहीं होता। जो चोटी में तुलसी स्थापित करके प्राणों का परित्याग करता है, वह पापराशि से मुक्त हो जाता है। जो मृत पुरुष के सम्पूर्ण अंगों में तुलसी का काष्ठ देने के बाद उसका दाह-संस्कार करता है, वह भी पाप से मुक्त हो जाता हैं। (पद्म पुराण)

🔸मुख में, पेट एवं सिर पर यथायोग्य तुलसी – लकड़ी का उपयोग करें।

🔸अग्निसंस्कार में तुलसी की लकड़ी का प्रयोग करने से मृतक की सदगति सुनिश्चित हैं।

🔹कब्ज से राहत देनेवाली अनमोल कुंजियाँ🔹

🔸प्रात: पेट साफ नहीं होता हो तो गुनगुना पानी पी के खड़े हो जायें और ठुड्डी को गले के बीचवाले खड्डे में दबायें व हाथ ऊपर करके शरीर को खींचे। पंजों के बल कूदें। फिर सीधे लेट जायें, श्वास बाहर छोड़ दें व रोके रखें और गुदाद्वार को  ३० – ३२ बार अंदर खींचे, ढीला छोड़े, फिर श्वास लें। इसको स्थलबस्ती बोलते हैं।ऐसा तीन बार करोगे तो लगभग सौ बार गुदा का संकुचन-प्रसरण हो जायेगा।इससे अपने-आप पेट साफ होगा। और कब्ज के कारण होनेवाली असंख्य बीमारियों में से कोई भी बीमारी छुपी होगी तो वह बाहर हो जायेगी।

🔸सैकड़ों पाचन-संबंधी रोगों को मिटाना हो तो सुबह ५ से ७ बजे के बीच सूर्योदय से पहले-पहले पेट साफ हो जाय... नहीं तो सूर्य की पहली किरणें शरीर पर लगें; सूर्यस्नान करने से भी पेट साफ होने में मदद मिलती हैं।

🔸कई लोग जैसे कुर्सी पर बैठा जाता है, ऐसे ही कमोड ( पाश्च्यात्य पद्धति का शौचालय ) पर बैठकर पेट साफ करते हैं। उनका पेट साफ नहीं होता, इससे नुक्सान होता हैं।शौचालय सादा अर्थात जमीन पर पायदानवाला होना चाहिए। शौच के समय आँतों पर दबाव पड़ना चाहिए, तभी पेट अच्छी तरह से साफ होगा । पहले शरीर का वजन बायें पैर पर पड़े फिर दायें पैर पर पड़े। इस प्रकार दोनों पैरों पर दबाव पड़ने से उसका छोटी व बड़ी – दोनों आँतों पर प्रभाव होता है, जिससे पेट साफ होने में मदद मिलती हैं।तो पैरों पर वजन हो इसी ढंग से शौचालय में बैठे। दायाँ स्वर चलते समय मल-त्याग करने से एवं बायाँ स्वर चलते समय मूत्र-त्याग करने से स्वास्थ्य सुदृढ़ होता हैं।



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ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:54 से 05:42 तक
अभिजीत मुहूर्त -  कोई नहीं
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व्रत पर्व विवरण - बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से दोपहर 12:10 तक), अष्टमी का श्राद्ध, जीवित्पुत्रिका व्रत
विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध हैं। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🔹तुलसी द्वारा सद्गति🔹

🔸जिसकी मृत्यु के समय श्रीहरि का कीर्तन और स्मरण हो तथा तुलसी की लकड़ी से जिसके शरीर का दाह किया जाय, उसका पुनर्जन्म नहीं होता। जो चोटी में तुलसी स्थापित करके प्राणों का परित्याग करता है, वह पापराशि से मुक्त हो जाता है। जो मृत पुरुष के सम्पूर्ण अंगों में तुलसी का काष्ठ देने के बाद उसका दाह-संस्कार करता है, वह भी पाप से मुक्त हो जाता हैं। (पद्म पुराण)

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