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प्यास जो थी एक मुद्दत से, उसे बुझा आया हूँ...
आज मैं उसके हाथ की चाय पीकर आया हूँ।
सुबह उठते ही होठों पे तेरा जायका,
और रात को सोते वक्त तेरा ख्याल आता है,
साहब नाम का तो पता नहीं में मोहब्बत कहता हूं, लोग उसे चाय बोलते हैं।
आ बैठ मेरे पास के जिंदगी,
तुझे एक बात बताता हूं,
इस VIRUS के दौर में,
आज में चाय पिलाता हुँ।
में आज तुझसे इजहार-ए-इश्क़ करता हूं,
ए चाय में तुझसे बहुत प्यार करता हूं।
इश्क़ तेरे बाद किसी से हुआ ही नहीं,
जाम के वास्ते आये बहुत पर तेरी कसम चाय के अलावा किसी को छुआ तक नहीं।
मेरे मरने के बाद ये चाय मेरी पहचान बनेगी,
इसकी हर एक चुस्की मेरी आवाज बनेगी।
बेचैनियो का तूफ़ान आया है मेरे अंदर,
एक कप चाय मिल जाती सुकून मिल जाता।
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2025/07/12 06:07:58
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