वो कब का भूल चुका होगा हमारी वफ़ा का किस्सा...!!
बिछड़ के किसी को किसी का ख्याल कब रहता है...!!
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बिछड़ के किसी को किसी का ख्याल कब रहता है...!!
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इश्क़ ने जब माँगा खुदा से दर्द का हिसाब...!!
वो बोले हुस्न वाले ऐसे ही बेवफाई किया करते हैं...!!
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वो बोले हुस्न वाले ऐसे ही बेवफाई किया करते हैं...!!
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किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर दो...!
लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो...!!
मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना...!
कि अपनी वफाओं से उसको बेवफा कर दो...!!
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लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो...!!
मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना...!
कि अपनी वफाओं से उसको बेवफा कर दो...!!
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उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा...!!
दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है...!!
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दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है...!!
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मुझे उससे कोई शिकायत ही नहीं सहाब...!
शायद हमारी किस्मत में चाहत ही नहीं...!!
मेरी तकदीर को लिखकर खुदा भी मुकर गया...!
पूछा तो बोला ये मेरी लिखावट ही नहीं...!!
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शायद हमारी किस्मत में चाहत ही नहीं...!!
मेरी तकदीर को लिखकर खुदा भी मुकर गया...!
पूछा तो बोला ये मेरी लिखावट ही नहीं...!!
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दिल को तर्ज़-ए-निगह-ए-यार जताते आए...!
तीर भी आए तो बे-पर की उड़ाते आए...!!
बादशाहों का है दरबार दर-ए-पीर-ए-मुग़ाँ...!
सैकड़ों जाते गए सैकड़ों आते आए...!!
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तीर भी आए तो बे-पर की उड़ाते आए...!!
बादशाहों का है दरबार दर-ए-पीर-ए-मुग़ाँ...!
सैकड़ों जाते गए सैकड़ों आते आए...!!
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आईना मेरा मेरे अपनों से बढ़कर निकला…!!
जब भी मैं रोया कमबख्त मेरे साथ ही रोया…!!
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जब भी मैं रोया कमबख्त मेरे साथ ही रोया…!!
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लगी है मुझको गुलाबों की बद्दुआ शायद…!!
जिनको तोड़ा था मैंने कभी तेरे लिए…!!
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जिनको तोड़ा था मैंने कभी तेरे लिए…!!
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मोहब्बत की बर्बादी का क्या अफसाना था…!!
दिल के टुकड़े हो गये पर लोगों ने कहा वाह क्या निशाना था…!!
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दिल के टुकड़े हो गये पर लोगों ने कहा वाह क्या निशाना था…!!
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ऐ खुदा इस दुनिया में एक और भी कमाल कर दे…!!
या इश्क को आसान कर या खुदकुशी हलाल कर दे…!!
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या इश्क को आसान कर या खुदकुशी हलाल कर दे…!!
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बहुत सोचकर सहाब बाजार गए थे अपने कुछ आँसु बेचने…!!
हर खरीददार बोला अपनों के दिये तोहफे बेचा नहीं करते…!!
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हर खरीददार बोला अपनों के दिये तोहफे बेचा नहीं करते…!!
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मैं भी सनम बनाता सहाब किसी को तराश कर…!!
मुझको मेरे मिजाज का कहीं पत्थर नहीं मिला…!!
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मुझको मेरे मिजाज का कहीं पत्थर नहीं मिला…!!
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मोहब्बत करने वालों को वक्त कहाँ जो गम लिखेंगे…!!
ऐ-दोस्तों कलम इधर लाओ…!
इन बेवफाओं के बारे में हम लिखेंगे…!!
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ऐ-दोस्तों कलम इधर लाओ…!
इन बेवफाओं के बारे में हम लिखेंगे…!!
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पगली तू तो एक ही कसम से डर गई…!!
हमें तो तेरी कसम दे कर हर किसी ने लूटा…!!
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हमें तो तेरी कसम दे कर हर किसी ने लूटा…!!
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इश्क लिखना चाहा तो कलम भी टूट गई…!!
ये कहकर अगर लिखने से इश्क मिलता तो…!
आज इश्क से जुदा होकर कोई टूटता नहीं…!!
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ये कहकर अगर लिखने से इश्क मिलता तो…!
आज इश्क से जुदा होकर कोई टूटता नहीं…!!
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दुआ करते हैं हम सर झुका कर...!
आप अपनी मंजिल को पायें…!!
अगर आपकी राहों मे कभी अंधेरा आए…!
तो रोशनी के लिए खुदा हमको जलाए…!!
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आप अपनी मंजिल को पायें…!!
अगर आपकी राहों मे कभी अंधेरा आए…!
तो रोशनी के लिए खुदा हमको जलाए…!!
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हमारे मरने के बाद हम तुम्हें हर तारे में नजर आया करेंगे…!!
मन करे तो तुम दुआ माँग लेना हम तुरंत टूट जाया करेंगे…!!
मन करे तो तुम दुआ माँग लेना हम तुरंत टूट जाया करेंगे…!!
जो वक़्त सीखा गया वो किताबो में कहाँ,
हर पन्ना जिंदगी का खुद से सवाल करता रहा ।।..
हर पन्ना जिंदगी का खुद से सवाल करता रहा ।।..
इसलिए तो हमारा निशाना बनता है।
हमारे सामने आकर ज़माना बनता है।।
हमारे सामने आकर ज़माना बनता है।।