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👉 इन तीनों को झिड़को
निर्दयता, घमण्ड और कृतघ्नता
(1) ये मन के मैल हैं। इनसे बुद्धि प्राप्त करने में फंस जाती है। निर्दयी व्यक्ति अविवेकी और अदूरदर्शी होता है। वह दया और सहानुभूति का मर्म नहीं समझता।
(2) घमण्डी हमेशा एक विशेष प्रकार के नशे में मस्त रहता है, धन, बल, बुद्धि में अपने समान किसी को नहीं समझता।
(3) कृतघ्न पुरुष दूसरों के उपकार को शीघ्र ही भूल कर अपने स्वार्थ के वशीभूत रहता है। वह केवल अपना ही लाभ देखता है। वस्तुतः उस अविवेकी का हृदय सदैव मलीन और स्वार्थ-पंक में कलुषित रहता है। दूसरे के किए हुए उपकार को मानने तथा उसके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकाशित करने में हमारे आत्मिक गुण-विनम्रता, सहिष्णुता और उदारता प्रकट होते हैं।
( अमृतवाणी:- साधना से सिद्धि | Sadhna Se Siddhi | Pt Shriram Sharma Acharya, Rishi Chintan, https://youtu.be/l-h0rWft5WY )
( शांतिकुंज की गतिविधियों से जुड़ने के लिए Shantikunj WhatsApp 8439014110 )
अखण्ड ज्योति फरवरी 1950 पृष्ठ 13
BY युग निर्माण© (अखिल भारतीय गायत्री परिवार)
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