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माना के रोशनी धुंधली है, सूरज पर ढलना बाकी है ।
जो कल था वो आज नहीं, जो आज है कल ना होगा ।
बदलाव से विचलित मत होना, अभी बदलना बाकी है ।
मन मेरे मायूस ना हो अभी तो चलना बाकी है।
यदि गिरे कभी तो उठ जाना , इतनी भी बड़ी ये बात नहीं ।
कोई छोड़ गया तो जाने दे , क्या हुआ जो उसका साथ नहीं।
गिर के तो संभलना सीख लिया, अभी टूट के जुड़ना बाकी है।
मन मेरे मायूस ना हो .........
दो कदम चले और सुस्ताना,
था फ़क्र कभी जिस निर्णय पे अब छोड़ दे उस पर पछताना।
मंज़िल तक ले जाये जो , उस मोड़ पे मुड़ना बाकी है।
मन मेरे मायूस ना हो, अभी तो चलना बाकी है।
माना के रोशनी धुंधली है, सूरज पर ढलना बाकी है।
✍🏻~अज्ञात
@sayarilover
BY शायराना!🤗
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