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Last Update:
सरहद पे गोली खाके
जब टूट जाए मेरी सांस
मुझे भेज देना यारों मेरी
बूढ़ी मां के पास।
बड़ा शौक था उसे मैं घोड़ी चढूं
धमाधम ढोल बजे,
तो ऐसा ही करना
मुझे घोड़ी पे लेके जाना
ढोलकें बजाना
पूरे गांव में घुमाना
और मां से कहना
बेटा दूल्हा बनकर आया है,
बहू नहीं ला पाया तो क्या
बारात तो लाया है।
मेरे बाबूजी, पुराने फ़ौजी, बड़े मनमौजी
कहते थे- बच्चे, तिरंगा लहरा के आना
या तिरंगे में लिपट के आना
कह देना उनसे, उनकी बात रख ली
दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई
आख़िरी गोली भी सीने पे खाई।
मेरा छोटा भाई, उससे कहना
क्या मेरा वादा निभाएगा,
मैं सरहदों से बोल कर आया था
कि एक बेटा जाएगा तो दूसरा आएगा।
मेरी छोटी बहना, उससे कहना
मुझे याद था उसका तोहफ़ा
लेकिन अजीब इत्तेफ़ाक़ हो गया
भाई राखी से पहले ही राख हो गया।
वो कुएं के सामने वाला घर,
दो घड़ी के लिए वहां ज़रूर ठहरना
वहीं तो रहती है वो
जिसके साथ जीने मरने का वादा किया था
उससे कहना - भारत मां का साथ
निभाने में उसका साथ छूट गया।
एक वादे के लिए दूसरा वादा टूट गया।
बस एक आख़िरी गुज़ारिश
आख़िरी ख़्वाहिश
मेरी मौत का मातम न करना
मैने ख़ुद ये शहादत चाही है,
मैं जीता हूं मरने के लिए
मेरा नाम सिपाही है।
✍️ By Unknown
@sayarilover
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BY शायराना!🤗
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