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मराठा साम्राज्य
सत्रहवीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के विघटन के पश्चात् मराठे सार्वजनिक शक्तिशाली बनकर उभरे। मराठों का मूल क्षेत्र पश्चिमी महाराष्ट्र तथा कोकण था।उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध लगभग पच्चास वर्षों में अंग्रेज़ों और मराठों के बीच राजनैतिक सर्वोच्चता के लिए कई बार मुठभेड़ हुई, जिसमें अंग्रेज अंतिम रूप से विजय होकर उदित हुए।
शिवाजी
मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी थे। शिवाजी का जन्म 6अप्रैल, 1627 में शिवनेर दुर्ग में हुआ था। शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोसले तथा माता का नाम जीजाबाई था। शिवाजी ने गंगाभट्ट नामक प्रसिद्ध विद्वान से अपना राज्यभिषेक करवाया तथा छत्रपति की उपाधि धारण की।शिवाजी ने रायगढ़ को मराठों की राजधानी बनाया। 1665 में शिवाजी और जयसिंह के बीच युद्ध हुआ परिणामस्वरूप पुरंदर की संधि के साथ युद्ध की समाप्ति हुई।शिवाजी का अंतिम महत्वपूर्ण सैन्य अभियान 1677 में कर्नाटक अभियान था।शिवाजी के प्रशासन में आठ मंत्रियों की परिषद थी जिसे अष्टप्रधान कहते थे।
• पेशवा- मुख्यमंत्री
• अमात्य- वित्तमंत्री
• पंडितराव-धार्मिक मामलों में छत्रपति को सलाह देता था
• सर-ए-नौबत -सेना का प्रधान
• न्यायाधीश -न्याय विभाग
• वाकिया नवीस -गृहमंत्री
• सुमत या दबीर -विदेश विभाग दरबारी शिष्टाचार
• शुरू-नवीस - पत्राचार विभाग
मराठा काल में सरजामी प्रथा भू राजस्व प्रशासन से संबंधित थी इस काल में मराठा जागीरदारों को सरजामी भूमि उनके निर्वाहन के लिए प्रदान की जाती थी।
मराठा छत्रपति शाहू जी ने बालाजी को पेशवा के पद पर नियुक्त किया।बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु के बाद छत्रपति शाहू ने बाजीराव प्रथम को पेशवा नियुक्त किया।
बालाजी बाजीराव 1740 में बाजीराव प्रथम की मृत्यु के पश्चात पेशवा बने।बालाजी बाजीराव के समय तक पेशवा पद पैतृक बन गया था। मराठा संगठन का वास्तविक नेता अब पेशवा बन गया।
पानीपत की तीसरी लड़ाई 14जनवरी 1761 को सदाशिव भाव के नेतृत्व में मराठा सेना और अहमद शाह अब्दाली के नेतृत्व में अफगान सेना के बीच हुई जिसमें मराठा बुरी तरह पराजित हुए।
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