HINDUPANCHANG Telegram 5435
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 17 नवम्बर 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - द्वितीया रात्रि 09:06 तक तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र - रोहिणी शाम 05:22 तक तत्पश्चात मॄगशिरा*
*योग - शिव रात्रि 08:21 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*राहु काल - शाम 04:32 से शाम 05:55 तक*
*सूर्योदय - 06:58*
*सूर्यास्त - 05:50*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:11 से 06:03 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 से दोपहर 12:47 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 17 से रात्रि 12:51 नवम्बर 18 तक*
* व्रत पर्व विवरण -  रोहिणी व्रत, द्विपुष्कर योग (शाम 05:22 से रात्रि 09:06 तक)*
*विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा  बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹'बुफे सिस्टम’ नहीं, भारतीय भोजन पद्धति है लाभप्रद*🔹

*आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों में खड़े होकर भोजन करने का रिवाज चल पडा है लेकिन हमारे शास्त्र कहते हैं कि हमें नीचे बैठकर ही भोजन करना चाहिए । खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ तथा पंगत में बैठकर भोजन करने से जो लाभ होते हैं वे निम्नानुसार हैं : *

🔹 *खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ*  🔹

*🔸(१) यह आदत असुरों की है । इसलिए इसे ‘राक्षसी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।*

🔸 *(२) इसमें पेट, पैर व आँतों पर तनाव पड़ता है, जिससे गैस, कब्ज, मंदाग्नि, अपचन जैसे अनेक उदर-विकार व घुटनों का दर्द, कमरदर्द आदि उत्पन्न होते हैं । कब्ज अधिकतर बीमारियों का मूल है ।*

🔸 *(३) इससे जठराग्नि मंद हो जाती है, जिससे अन्न का सम्यक् पाचन न होकर अजीर्णजन्य कई रोग उत्पन्न होते हैं ।*

🔸 *(४) इससे हृदय पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे हृदयरोगों की सम्भावनाएँ बढ़ती हैं ।*

🔸 *(५) पैरों में जूते-चप्पल होने से पैर गरम रहते हैं । इससे शरीर की पूरी गर्मी जठराग्नि को प्रदीप्त करने में नहीं लग पाती ।*

🔸 *(६) बार-बार कतार में लगने से बचने के लिए थाली में अधिक भोजन भर लिया जाता है, फिर या तो उसे जबरदस्ती ठूँस-ठूँसकर खाया जाता है जो अनेक रोगों का कारण बन जाता है अथवा अन्न का अपमान करते हुए फेंक दिया जाता है ।*

🔸 *(७) जिस पात्र में भोजन रखा जाता है, वह सदैव पवित्र होना चाहिए लेकिन इस परम्परा में जूठे हाथों के लगने से अन्न के पात्र अपवित्र हो जाते हैं । इससे खिलानेवाले के पुण्य नाश होते हैं और खानेवालों का मन भी खिन्न-उद्विग्न रहता है ।*

🔸 *(८) हो-हल्ले के वातावरण में खड़े होकर भोजन करने से बाद में थकान और उबान महसूस होती है । मन में भी वैसे ही शोर-शराबे के संस्कार भर जाते हैं ।*

 🔹 *बैठकर (या पंगत में) भोजन करने से लाभ* 🔹

🔸 *(१) इसे ‘दैवी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।*

🔸 *(२) इसमें पैर, पेट व आँतों की उचित स्थिति होने से उन पर तनाव नहीं पड़ता ।*

🔸 *(३) इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है, अन्न का पाचन सुलभता से होता है ।*

🔸 *(४) हृदय पर भार नहीं पड़ता ।*

🔸 *(५) आयुर्वेद के अनुसार भोजन करते समय पैर ठंडे रहने चाहिए । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होने में मदद मिलती है । इसीलिए हमारे देश में भोजन करने से पहले हाथ-पैर धोने की परम्परा है ।*

🔸 *(६) पंगत में एक परोसनेवाला होता है, जिससे व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार भोजन लेता है । उचित मात्रा में भोजन लेने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है व भोजन का भी अपमान नहीं होता ।*

🔸 *(७) भोजन परोसनेवाले अलग होते हैं, जिससे भोजनपात्रों को जूठे हाथ नहीं लगते । भोजन तो पवित्र रहता ही है, साथ ही खाने-खिलानेवाले दोनों का मन आनंदित रहता है ।*

🔸 *(८) शांतिपूर्वक पंगत में बैठकर भोजन करने से मन में शांति बनी रहती है, थकान-उबान भी महसूस नहीं होती ।*
*- 📖 ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2014*



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*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - द्वितीया रात्रि 09:06 तक तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र - रोहिणी शाम 05:22 तक तत्पश्चात मॄगशिरा*
*योग - शिव रात्रि 08:21 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*राहु काल - शाम 04:32 से शाम 05:55 तक*
*सूर्योदय - 06:58*
*सूर्यास्त - 05:50*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:11 से 06:03 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 से दोपहर 12:47 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 17 से रात्रि 12:51 नवम्बर 18 तक*
* व्रत पर्व विवरण -  रोहिणी व्रत, द्विपुष्कर योग (शाम 05:22 से रात्रि 09:06 तक)*
*विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा  बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹'बुफे सिस्टम’ नहीं, भारतीय भोजन पद्धति है लाभप्रद*🔹

*आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों में खड़े होकर भोजन करने का रिवाज चल पडा है लेकिन हमारे शास्त्र कहते हैं कि हमें नीचे बैठकर ही भोजन करना चाहिए । खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ तथा पंगत में बैठकर भोजन करने से जो लाभ होते हैं वे निम्नानुसार हैं : *

🔹 *खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ*  🔹

*🔸(१) यह आदत असुरों की है । इसलिए इसे ‘राक्षसी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।*

🔸 *(२) इसमें पेट, पैर व आँतों पर तनाव पड़ता है, जिससे गैस, कब्ज, मंदाग्नि, अपचन जैसे अनेक उदर-विकार व घुटनों का दर्द, कमरदर्द आदि उत्पन्न होते हैं । कब्ज अधिकतर बीमारियों का मूल है ।*

🔸 *(३) इससे जठराग्नि मंद हो जाती है, जिससे अन्न का सम्यक् पाचन न होकर अजीर्णजन्य कई रोग उत्पन्न होते हैं ।*

🔸 *(४) इससे हृदय पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे हृदयरोगों की सम्भावनाएँ बढ़ती हैं ।*

🔸 *(५) पैरों में जूते-चप्पल होने से पैर गरम रहते हैं । इससे शरीर की पूरी गर्मी जठराग्नि को प्रदीप्त करने में नहीं लग पाती ।*

🔸 *(६) बार-बार कतार में लगने से बचने के लिए थाली में अधिक भोजन भर लिया जाता है, फिर या तो उसे जबरदस्ती ठूँस-ठूँसकर खाया जाता है जो अनेक रोगों का कारण बन जाता है अथवा अन्न का अपमान करते हुए फेंक दिया जाता है ।*

🔸 *(७) जिस पात्र में भोजन रखा जाता है, वह सदैव पवित्र होना चाहिए लेकिन इस परम्परा में जूठे हाथों के लगने से अन्न के पात्र अपवित्र हो जाते हैं । इससे खिलानेवाले के पुण्य नाश होते हैं और खानेवालों का मन भी खिन्न-उद्विग्न रहता है ।*

🔸 *(८) हो-हल्ले के वातावरण में खड़े होकर भोजन करने से बाद में थकान और उबान महसूस होती है । मन में भी वैसे ही शोर-शराबे के संस्कार भर जाते हैं ।*

 🔹 *बैठकर (या पंगत में) भोजन करने से लाभ* 🔹

🔸 *(१) इसे ‘दैवी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।*

🔸 *(२) इसमें पैर, पेट व आँतों की उचित स्थिति होने से उन पर तनाव नहीं पड़ता ।*

🔸 *(३) इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है, अन्न का पाचन सुलभता से होता है ।*

🔸 *(४) हृदय पर भार नहीं पड़ता ।*

🔸 *(५) आयुर्वेद के अनुसार भोजन करते समय पैर ठंडे रहने चाहिए । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होने में मदद मिलती है । इसीलिए हमारे देश में भोजन करने से पहले हाथ-पैर धोने की परम्परा है ।*

🔸 *(६) पंगत में एक परोसनेवाला होता है, जिससे व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार भोजन लेता है । उचित मात्रा में भोजन लेने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है व भोजन का भी अपमान नहीं होता ।*

🔸 *(७) भोजन परोसनेवाले अलग होते हैं, जिससे भोजनपात्रों को जूठे हाथ नहीं लगते । भोजन तो पवित्र रहता ही है, साथ ही खाने-खिलानेवाले दोनों का मन आनंदित रहता है ।*

🔸 *(८) शांतिपूर्वक पंगत में बैठकर भोजन करने से मन में शांति बनी रहती है, थकान-उबान भी महसूस नहीं होती ।*
*- 📖 ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2014*

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You can invite up to 200 people from your contacts to join your channel as the next step. Select the users you want to add and click “Invite.” You can skip this step altogether. During the meeting with TSE Minister Edson Fachin, Perekopsky also mentioned the TSE channel on the platform as one of the firm's key success stories. Launched as part of the company's commitments to tackle the spread of fake news in Brazil, the verified channel has attracted more than 184,000 members in less than a month. A few years ago, you had to use a special bot to run a poll on Telegram. Now you can easily do that yourself in two clicks. Hit the Menu icon and select “Create Poll.” Write your question and add up to 10 options. Running polls is a powerful strategy for getting feedback from your audience. If you’re considering the possibility of modifying your channel in any way, be sure to ask your subscribers’ opinions first. While some crypto traders move toward screaming as a coping mechanism, many mental health experts have argued that “scream therapy” is pseudoscience. Scientific research or no, it obviously feels good. Informative
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