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Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩@HinduPanchang P.5438
HINDUPANCHANG Telegram 5438
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 20 नवम्बर 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - पञ्चमी शाम 04:49 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - पुनर्वसु दोपहर 02:50 तक तत्पश्चात पुष्य*
*योग - शुभ दोपहर 01:08 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*राहु काल - दोपहर 12:25 से दोपहर 01:47 तक*
*सूर्योदय - 06:58*
*सूर्यास्त - 05:50*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:12 से 06:04 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - कोई नही*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 नवम्बर 20 से रात्रि 12:54 नवम्बर 21 तक*
*विशेष - पञ्चमी को बेल फल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹गीर गायों का स्वर्णक्षारयुक्त बिलोना शुद्ध देशी घी*🔹

*🔹वर्तमान में देशी गाय का विश्वसनीय शुद्ध घी प्राप्त करना कठिन है । उसमें भी शुद्ध जल-वायु एवं जैविक खेती द्वारा उगाये गये उत्तम आहार द्रव्यों का सेवन करनेवाली तथा प्रदूषणरहित प्राकृतिक वातावरण में रहनेवाली देशी गीर गायों का घी प्राप्त होना तो दुर्लभ ही है । परंतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की लोकहितकारी विभिन्न सेवाओं में से एक गौ पालन एवं संवर्धन के कारण यह धरती का दुर्लभ अमृत समाज को उपलब्ध हो रहा है ।*

*🌹पूज्य बापूजी की चरणरज से पावन हुई श्योपुर आश्रम की भूमि पर रहनेवाली उत्तम गीर नस्ल की ये गायें आश्रम की जैविक खेती के माध्यम से भक्तों द्वारा गौ-खाद से उगाये गये चारे से पुष्ट होती हैं । आश्रम के पावन वातावरण में रहनेवाली इन पवित्र गौ-माताओं से प्राप्त दूध से पारम्परिक पद्धति से बनाया गया बिलोना घी केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं अपितु मानसिक बौद्धिक व आध्यात्मिक उन्नतिकारक भी है । इस घी की सात्त्विकता, गुणवत्ता व लाभों का पूरा वर्णन नहीं किया जा सकता ।*

*🔹देशी गोघृत-सेवन के लाभ :*🔹

🔹 *(१) हृदय स्वस्थ व बलवान होता है । रक्तदाब नियंत्रित रहता है । हृदय की रक्तवाहिनियों की धमनी प्रतिचय (atherosclerosis) से रक्षा करता है । अतः हृदयरोग से रक्षा हेतु तथा हृदय रोगियों के लिए यह घी अत्यंत लाभदायी है ।*

🔹 *(२) इससे ओज की वृद्धि व दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है ।*

🔹 *(३) मस्तिष्क की कोशिकाएँ (neurons) पुष्ट हो जाती हैं, जिससे बुद्धि व इन्द्रियों की कार्यक्षमता विकसित होती है । बुद्धि, धारणाशक्ति एवं स्मृति की वृद्धि होती है ।*

🔹 *(४) मन का सत्व गुण विकसित होकर चिंता, तनाव, चिड़चिड़ापन, क्रोध आदि दूर होने में मदद मिलती है । मन की एकाग्रता बढ़ती है । साधना में उन्नति होती है ।*

🔹 *(५) नेत्रज्योति बढ़ती है । चश्मा, मोतियाबिंद (cataract), काँचबिंदु (glaucoma) व आँखों की अन्य समस्याओं से रक्षा होती है ।*

🔹 *(६) हड्डियाँ व स्नायु सशक्त होते हैं । संधिस्थान (joints) लचीले व मजबूत बनते हैं ।*

🔹 *(७) कैंसर से लड़ने व उसकी रोकथाम की आश्चर्यजनक क्षमता प्राप्त होती है ।*

🔹 *(८) रोगप्रतिरोधक शक्ति (immunity power) बढ़कर घातक विषाणुजन्य संक्रमणों (viral infections) से प्रतिकार करने की शक्ति मिलती है ।*

🔹 *(९) जठराग्नि तीव्र व पाचन-संस्थान सशक्त होता है । मोटापा नहीं आता, वजन नियंत्रित रहता है । वीर्य पुष्ट होता है । यौवन दीर्घकाल तक बना रहता है ।*

🔹 *(१०) चेहरे की सौम्यता, तेज एवं सुंदरता बढ़ती है । स्वर उत्तम होता है एवं रंग निखरता है । बाल घने, मुलायम व लम्बे होते हैं ।*

🔹 *(११) गर्भवती माँ द्वारा सेवन करने पर गर्भस्थ शिशु बलवान, पुष्ट और बुद्धिमान बनता है ।*

🔹 *इनके अतिरिक्त असंख्य लाभ प्राप्त होते हैं ।*

*🔹यह घी संत श्री आशारामजी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से व समितियों से प्राप्त हो सकता है ।*



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*मास - मार्गशीर्ष*
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*तिथि - पञ्चमी शाम 04:49 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - पुनर्वसु दोपहर 02:50 तक तत्पश्चात पुष्य*
*योग - शुभ दोपहर 01:08 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*राहु काल - दोपहर 12:25 से दोपहर 01:47 तक*
*सूर्योदय - 06:58*
*सूर्यास्त - 05:50*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:12 से 06:04 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - कोई नही*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 नवम्बर 20 से रात्रि 12:54 नवम्बर 21 तक*
*विशेष - पञ्चमी को बेल फल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹गीर गायों का स्वर्णक्षारयुक्त बिलोना शुद्ध देशी घी*🔹

*🔹वर्तमान में देशी गाय का विश्वसनीय शुद्ध घी प्राप्त करना कठिन है । उसमें भी शुद्ध जल-वायु एवं जैविक खेती द्वारा उगाये गये उत्तम आहार द्रव्यों का सेवन करनेवाली तथा प्रदूषणरहित प्राकृतिक वातावरण में रहनेवाली देशी गीर गायों का घी प्राप्त होना तो दुर्लभ ही है । परंतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की लोकहितकारी विभिन्न सेवाओं में से एक गौ पालन एवं संवर्धन के कारण यह धरती का दुर्लभ अमृत समाज को उपलब्ध हो रहा है ।*

*🌹पूज्य बापूजी की चरणरज से पावन हुई श्योपुर आश्रम की भूमि पर रहनेवाली उत्तम गीर नस्ल की ये गायें आश्रम की जैविक खेती के माध्यम से भक्तों द्वारा गौ-खाद से उगाये गये चारे से पुष्ट होती हैं । आश्रम के पावन वातावरण में रहनेवाली इन पवित्र गौ-माताओं से प्राप्त दूध से पारम्परिक पद्धति से बनाया गया बिलोना घी केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं अपितु मानसिक बौद्धिक व आध्यात्मिक उन्नतिकारक भी है । इस घी की सात्त्विकता, गुणवत्ता व लाभों का पूरा वर्णन नहीं किया जा सकता ।*

*🔹देशी गोघृत-सेवन के लाभ :*🔹

🔹 *(१) हृदय स्वस्थ व बलवान होता है । रक्तदाब नियंत्रित रहता है । हृदय की रक्तवाहिनियों की धमनी प्रतिचय (atherosclerosis) से रक्षा करता है । अतः हृदयरोग से रक्षा हेतु तथा हृदय रोगियों के लिए यह घी अत्यंत लाभदायी है ।*

🔹 *(२) इससे ओज की वृद्धि व दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है ।*

🔹 *(३) मस्तिष्क की कोशिकाएँ (neurons) पुष्ट हो जाती हैं, जिससे बुद्धि व इन्द्रियों की कार्यक्षमता विकसित होती है । बुद्धि, धारणाशक्ति एवं स्मृति की वृद्धि होती है ।*

🔹 *(४) मन का सत्व गुण विकसित होकर चिंता, तनाव, चिड़चिड़ापन, क्रोध आदि दूर होने में मदद मिलती है । मन की एकाग्रता बढ़ती है । साधना में उन्नति होती है ।*

🔹 *(५) नेत्रज्योति बढ़ती है । चश्मा, मोतियाबिंद (cataract), काँचबिंदु (glaucoma) व आँखों की अन्य समस्याओं से रक्षा होती है ।*

🔹 *(६) हड्डियाँ व स्नायु सशक्त होते हैं । संधिस्थान (joints) लचीले व मजबूत बनते हैं ।*

🔹 *(७) कैंसर से लड़ने व उसकी रोकथाम की आश्चर्यजनक क्षमता प्राप्त होती है ।*

🔹 *(८) रोगप्रतिरोधक शक्ति (immunity power) बढ़कर घातक विषाणुजन्य संक्रमणों (viral infections) से प्रतिकार करने की शक्ति मिलती है ।*

🔹 *(९) जठराग्नि तीव्र व पाचन-संस्थान सशक्त होता है । मोटापा नहीं आता, वजन नियंत्रित रहता है । वीर्य पुष्ट होता है । यौवन दीर्घकाल तक बना रहता है ।*

🔹 *(१०) चेहरे की सौम्यता, तेज एवं सुंदरता बढ़ती है । स्वर उत्तम होता है एवं रंग निखरता है । बाल घने, मुलायम व लम्बे होते हैं ।*

🔹 *(११) गर्भवती माँ द्वारा सेवन करने पर गर्भस्थ शिशु बलवान, पुष्ट और बुद्धिमान बनता है ।*

🔹 *इनके अतिरिक्त असंख्य लाभ प्राप्त होते हैं ।*

*🔹यह घी संत श्री आशारामजी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से व समितियों से प्राप्त हो सकता है ।*

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