tgoop.com/HinduPanchang/5444
Last Update:
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 27 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वादशी प्रातः 06:23 नवम्बर 28 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र - चित्रा प्रातः 07:36 नवम्बर 28 तक तत्पश्चात स्वाति*
*⛅योग - आयुष्मान दोपहर 03:13 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:27 से दोपहर 01:49 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:05*
*⛅सूर्यास्त - 05:49*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:16 से 06:09 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 नवम्बर 28 से रात्रि 12:54 नवम्बर 28 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - द्विपुष्कर योग (प्रातः 04:35 से 07:01 तक)*
*⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹बुद्धि का विकास और नाश कैसे होता है ?*🔹
*बुद्धि का नाश कैसे होता है और विकास कैसे होता है ? विद्यार्थियों को तो ख़ास समझना चाहिए न ! बुद्धि नष्ट कैसे होती है ? बुद्धि: शोकेन नश्यति । भूतकाल कि बातें याद करके ‘ऐसा नहीं हुआ, वैसा नही हुआ...’ ऐसा करके जो चिंता करते हैं न , उनकी बुद्धि का नाश होता है । और ‘मैं ऐसा करके ऐसा बनूंगा, ऐसा बनूंगा...’ यह चिंतन बुद्धि-नाश तो नहीं करता लेकिन बुद्धि को भ्रमित कर देता है । और ‘मैं कौन हूँ ? सुख-दुःख को देखनेवाला कौन ? बचपन बीत गया फिर भी जो नहीं बीता वह कौन ? जवानी बदल रही है, सुख-दुःख बदल रहा है , सब बदल रहा है, इसको जाननेवाला मैं कौन हूँ ? प्रभु ! मुझे बताओ ...’ इस प्रकार का चिंतन, थोड़ा अपने को खोजना, भगवान के नाम का जप और शास्त्र का पठन करना- इससे बुद्धि ऐसी बढ़ेगी, ऐसी बढ़ेगी कि दुनिया का प्रसिद्द बुद्धिमान भी उसके चरणों में सिर झुकायेगा ।*
*🔹बुद्धि बढ़ाने के ४ तरीके🔹*
*१] शास्त्र का पठन*
*२] भगवन्नाम-जप, भगवद-ध्यान*
*३] आश्रम आदि पवित्र स्थानों में जाना*
*४] ब्रह्मवेत्ता महापुरुष का सत्संग-सान्निध्य*
*🔹जप करने से, ध्यान करने से बुद्धि का विकास होता है । जरा – जरा बात में दु:खी काहे को होना ? जरा – जरा बात में प्रभावित काहे को होना ? ‘यह मिल गया, वह मिल गया...’ मिल गया तो क्या है !*
*🔹ज्यादा सुखी - दु:खी होना यह कम बुद्धिवाले का काम है । जैसे बच्चे की कम बुद्धि होती है तो जरा- से चॉकलेट में, जरा-सी चीज में खुश हो जाता है, और जरा-सी चीज हटी तो दु:खी हो जाता है । वही जब बड़ा होता है तो चार आने का चॉकलेट आया तो क्या, गया तो क्या ! ऐसे ही संसार की जरा-जरा सुविधा में जो अपने को भाग्यशाली मानता है उसकी बुद्धि का विकास नहीं होता और जो जरा-से नुकसान में आपने को अभागा मानता है उसकी बुद्धि मारी जाती है । अरे ! यह सब सपना है, आता-जाता है । जो रहता है, उस नित्य तत्त्व में जो टिके उसकी बुद्धि तो गजब की विकसित होती है ! सुख-दुःख में, लाभ-हानि में, मान-अपमान में सम रहना तो बुद्धि परमात्मा में स्थित रहेगी और स्थित बुद्धि ही महान हो जायेगी ।*
*ऋषि प्रसाद – जनवरी २०२२*
BY Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩
Share with your friend now:
tgoop.com/HinduPanchang/5444