HINDUPANCHANG Telegram 5471
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 22 दिसम्बर 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि -  सप्तमी दोपहर 02:31 तक, तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी पूर्ण रात्रि तक*
*योग - आयुष्मान् शाम 07:00 तक, तत्पश्चात सौभाग्य*
*राहु काल - शाम 04:40 से शाम 06:00 तक*
*सूर्योदय - 07:21*
*सूर्यास्त - 05:55*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:31 से 06:24 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:17 से दोपहर 01:00 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:12 दिसम्बर 23 से रात्रि 01:05 दिसम्बर 23 तक*
* व्रत पर्व विवरण - रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से दोपहर 02:31 तक), कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, त्रिपुष्कर योग (प्रातः 07:17 से दोपहर 02:31 तक), सर्वार्थ सिद्धि योग (अहोरात्रि)*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है व अष्टमी को नारियल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹अमृत – औषधि दालचीनी🔹*

*🔸दालचीनी उष्ण, पाचक, स्फूर्तिदायक, रक्तशोधक, वीर्यवर्धक व मूत्रल है । यह वायु व कफ का शमन कर उनसे उत्पन्न होनेवाले अनेक रोगों को दूर करती है ।*

*🔸यह श्वेत रक्तकणों की वृद्धि कर रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है । बवासीर, कृमि, खुजली, राजयक्ष्मा ( टी,बी,), इन्फ्लूएंजा ( एक प्रकार का शीतप्रधान संक्रामक ज्वर), मूत्राशय के रोग, टायफायड, ह्रदयरोग, कैन्सर, पेट के रोग आदि में यह लाभकारी है  । संक्रामक बीमारियों की यह विशेष औषधि है ।*

*🔹दालचीनी के कुछ प्रयोग🔹*

*🔸१] पेट के रोग व सर्दी – खाँसी : १ ग्राम ( एक चने जितनी मात्रा ) दालचीनी चूर्ण में १ चम्मच शहद मिलाकर दिन में १ – २ बार चाटने से मंदाग्नि, अजीर्ण, पेट की वायु, संग्रहणी रोग, अफरा और सर्दी – खाँसी में लाभ होता है ।*

*🔸२] ह्रदयरोग : एक ग्राम दालचीनी चूर्ण २०० मि.ली. पानी में धीमी आँच पर उबालें । १०० मि.ली. पानी शेष रहने पर उसे छानकर पी लें । इसे रोज सुबह लेने से कोलेस्ट्राँल की अतिरिक्त मात्रा घटती हैं । गर्म प्रकृतिवाले लोग एवं ग्रीष्म ऋतू में इसके पानी में दूध मिलाकर उपयोग कर सकते हैं । इस प्रयोग से रक्त की शुद्धि होती है एवं ह्रदय को बल मिलता है ।*

*🔸३] स्वरभंग, खाँसी व मुँह की बदबू : दालचीनी का छोटा-सा टुकड़ा चूसने से स्वरभंग ( गला बैठना ) की विकृति नष्ट होती है व आवास खुलती है । इससे खाँसी का प्रकोप शांत होता है, मुँह की बदबू दूर होती है, मसूड़े मजबूत बनते हैं और तोतलेपन में भी लाभ होता है ।*

*🔹सावधानियाँ : गर्भवती महिलाओं के लिए दालचीनी लेना निषिद्ध है । इसकी अधिक मात्रा लेने से पित्त ( उष्ण ) प्रकृतिवालों को सिरदर्द होता है । अत्यधिक मात्रा में, रात को या दीर्घकाल तक इसका सेवन करना हानिकारक है ।*
*स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१६*
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*दिनांक - 22 दिसम्बर 2024*
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*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शिशिर*
*मास - पौष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि -  सप्तमी दोपहर 02:31 तक, तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी पूर्ण रात्रि तक*
*योग - आयुष्मान् शाम 07:00 तक, तत्पश्चात सौभाग्य*
*राहु काल - शाम 04:40 से शाम 06:00 तक*
*सूर्योदय - 07:21*
*सूर्यास्त - 05:55*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:31 से 06:24 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:17 से दोपहर 01:00 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:12 दिसम्बर 23 से रात्रि 01:05 दिसम्बर 23 तक*
* व्रत पर्व विवरण - रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से दोपहर 02:31 तक), कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, त्रिपुष्कर योग (प्रातः 07:17 से दोपहर 02:31 तक), सर्वार्थ सिद्धि योग (अहोरात्रि)*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है व अष्टमी को नारियल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹अमृत – औषधि दालचीनी🔹*

*🔸दालचीनी उष्ण, पाचक, स्फूर्तिदायक, रक्तशोधक, वीर्यवर्धक व मूत्रल है । यह वायु व कफ का शमन कर उनसे उत्पन्न होनेवाले अनेक रोगों को दूर करती है ।*

*🔸यह श्वेत रक्तकणों की वृद्धि कर रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है । बवासीर, कृमि, खुजली, राजयक्ष्मा ( टी,बी,), इन्फ्लूएंजा ( एक प्रकार का शीतप्रधान संक्रामक ज्वर), मूत्राशय के रोग, टायफायड, ह्रदयरोग, कैन्सर, पेट के रोग आदि में यह लाभकारी है  । संक्रामक बीमारियों की यह विशेष औषधि है ।*

*🔹दालचीनी के कुछ प्रयोग🔹*

*🔸१] पेट के रोग व सर्दी – खाँसी : १ ग्राम ( एक चने जितनी मात्रा ) दालचीनी चूर्ण में १ चम्मच शहद मिलाकर दिन में १ – २ बार चाटने से मंदाग्नि, अजीर्ण, पेट की वायु, संग्रहणी रोग, अफरा और सर्दी – खाँसी में लाभ होता है ।*

*🔸२] ह्रदयरोग : एक ग्राम दालचीनी चूर्ण २०० मि.ली. पानी में धीमी आँच पर उबालें । १०० मि.ली. पानी शेष रहने पर उसे छानकर पी लें । इसे रोज सुबह लेने से कोलेस्ट्राँल की अतिरिक्त मात्रा घटती हैं । गर्म प्रकृतिवाले लोग एवं ग्रीष्म ऋतू में इसके पानी में दूध मिलाकर उपयोग कर सकते हैं । इस प्रयोग से रक्त की शुद्धि होती है एवं ह्रदय को बल मिलता है ।*

*🔸३] स्वरभंग, खाँसी व मुँह की बदबू : दालचीनी का छोटा-सा टुकड़ा चूसने से स्वरभंग ( गला बैठना ) की विकृति नष्ट होती है व आवास खुलती है । इससे खाँसी का प्रकोप शांत होता है, मुँह की बदबू दूर होती है, मसूड़े मजबूत बनते हैं और तोतलेपन में भी लाभ होता है ।*

*🔹सावधानियाँ : गर्भवती महिलाओं के लिए दालचीनी लेना निषिद्ध है । इसकी अधिक मात्रा लेने से पित्त ( उष्ण ) प्रकृतिवालों को सिरदर्द होता है । अत्यधिक मात्रा में, रात को या दीर्घकाल तक इसका सेवन करना हानिकारक है ।*
*स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१६*

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Telegram is a leading cloud-based instant messages platform. It became popular in recent years for its privacy, speed, voice and video quality, and other unmatched features over its main competitor Whatsapp. Judge Hui described Ng as inciting others to “commit a massacre” with three posts teaching people to make “toxic chlorine gas bombs,” target police stations, police quarters and the city’s metro stations. This offence was “rather serious,” the court said. With the “Bear Market Screaming Therapy Group,” we’ve now transcended language. Healing through screaming therapy A few years ago, you had to use a special bot to run a poll on Telegram. Now you can easily do that yourself in two clicks. Hit the Menu icon and select “Create Poll.” Write your question and add up to 10 options. Running polls is a powerful strategy for getting feedback from your audience. If you’re considering the possibility of modifying your channel in any way, be sure to ask your subscribers’ opinions first.
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