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बेटी!!! (एक महत्वपूर्ण अस्तित्व )
वो जो माँ की ममता समझे, समझे बाप के दिल की थकान!
हर रिस्ते की नीव है वो हर परिवार की शान!
कहा गया उसका सन्मान??
वो जो प्यार सहेज रखे, दया करुणा संग,
कर खूबसूरत भाई की कलाई, क्यों उसकी आंखे नम!
आज तक तड़पती जिंदगी के लिए, जिंदगी मिली तो दफनाए गए उसके अरमान,
कहा गया उसका सन्मान??
नफरत को प्यार देती है जीवन को त्याग देती है,
कुल की मर्यादा समीप औंधी जिंदगी फ़ना कर देती है
इतनी पीड़ाएं सहने की शक्ति उसमें होती हैं ,
फिर भी वो क्यु अबला कहलाती है
क्यों बेदखल करदी गयी उसकी मुस्कान
कहा गया उसका सन्मान??
सबकी पसंद नापसंद की वो दखल रखती है,
क्यों उसकी पसंद जहा को खपा करती हैं
कितना बड़ा दिल वो रखा करती है,
सारी निरस बाते जिसमें समा जाती है,
पराया जहान उससे वो अपनाना चाहती है,
सारा स्वामित्व उसीका होकर, सबके हुकुमत की वो शिकार होती है
क्यों नगण्य द्वेषपूर्ण ज़ज्बात किए गए उसको परिधान
कहा गया उसका सन्मान???
विवेक और शांति की है वो बुनियाद, प्यार का अथाह सागर!
उसके बिना ये जहां अधूरा अधूरा हर खुशी का पल,
क्यों उसकी हसी हो गयीं हमेशा के लिये परास्त?
कहा गया उसका सन्मान ??
-आकांक्षा
BY मी मराठी कविता समुह.....
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