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बता रहा था कोई की खयाल कैसे होता है,
जैसे तुम सोचते हो वैसे तो नहीं होता है,
एक तरीका है एक मिजाज़ है और वो अनायास है,
कुछ भी कैसे भी कहना करना ठीक है लेकिन
ऐसे नहीं होता कि हुआ ना हुआ एक ही होता है,
कुछ नज़ाकत हो कुछ शर्म की बूंद हो,
कुछ हया में गुफ्तगू रहे, कुछ हक़ीक़त के साथ कल्पना की धुंध हो,
प्रेम की बातचीत में आलिंगन का मिश्रण हो,
छुवन हो, संधि हो, एक दूसरे के बंदी हो,
अधरों पर आए बात मगर चुपचाप रहना,
आंखों में अश्क़ आनें से पहले ही अंदर रखना,
हाथ की हथेलियों में हाथ की हथेलियां हों,
या फिर ऐसा हो किसी की गोद और किसी का सर रखना,
बिजली तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,
सुकून तन में रहें मन में रहे और रहे सासों में,
मिलने का सुख तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,
वक़्त हो चला है इसका दुःख तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,
यही बता रहा था कोई की खयाल कैसे होता है,
जैसे तुम सोचते हो वैसे तो नहीं होता है..!!
BY बेहतरीन हिन्दी शायरी ❤️❤️❤️
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