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मौत के उस रोज़ के बाद मेरा ईश्वर जब मुझसे कहेगा कि बताओ मेरी बनाई दुनियां में क्या अच्छा क्या बुरा लगा तुमको... तो मैं...
बताऊंगा कि....मैं फला, फला फला की संतान,
शुक्रगुजार हूं ...
उन तमाम रिश्तों का जो मैनें हासिल किए बिना किसी मेहनत के,
उन रिश्तों का जो मैनें बनाए अजनबियों से,
उन रिश्तों का जो टिके रहे अंत तक, चले गए बीच में, हंसाते रुलाते मगर याद बनाते,
उन सभी यादों का जो मेरी तिजोरी को मेरा कहलवानें की हकदार बनाती हैं,
कमाई हुई दौलत का और उस दौलत से खरीदी हुई ख़ुशी का,
सही-ग़लत फ़ैसलों का,
सही जगह काम आए सही मुकद्दर का,
हवा का, पानी का, खेत खलिहान, सुन्दर बागान का,
जानवर, पंछी, हिम गुच्छों का
निखरे हुए कोमल पुष्पों का,
उन्नत दिमाग़, दिखते न दिखते जीव-निर्जिवो का,
खाने के तमाम लज़ीज़ व्यंजनों का,
वगैरह वगैरह हज़ार और चीज़ का लेकिन सबसे ज़रूरी सबसे शानदार प्रेम के भाव का...
और बताऊंगा कि मैं नाखुश हूं...
भूख की तड़प से - भूख रोटी की, दौलत की, जिस्म की, शोहरत की, ईल्म की,
ग़लत लोगों के उत्थान से,
सड़ी सोच के अभिमान से,
लकीरों से बंट जाने से,
उजाले के घट जानें से,
धर्म से ख़ासकर, हां, उनके जानकारों से भी,
राजनीति के मद से,
मृत्यु के व्यापार से,
वगैरह वगैरह हज़ार और चीज़ से लेकिन,
सबसे नाखुश सबसे बदतर- सोचने समझने की ताक़त से..!!
BY बेहतरीन हिन्दी शायरी ❤️❤️❤️
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